खानपुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, समस्तीपुर के द्वारा दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित तीन दिवसीय स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी एवं राजयोग मेडिटेशन शिविर के तीसरे एवं अंतिम दिन पूरे प्रखंड से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला निरंतर जारी रहा। लोगों ने यहां दिए जा रहे परमात्म-ज्ञान का रसास्वादन कर आयोजन को सराहा।
सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के दूसरे दिन परमात्मा के बारे में सत्य ज्ञान से लोगों को अवगत कराते हुए समस्तीपुर से आई बीके सविता बहन ने कहा कि परमात्मा के बारे में जितने मुंह उतनी बातें सुनने को मिलती हैं। सभी अपने-अपने विचार, कल्पना, अध्ययन, चिंतन या श्रवण के द्वारा परमात्मा को परिभाषित करते रहते हैं। लेकिन उनका सत्य और संपूर्ण परिचय केवल वह खुद ही दे सकते हैं। वह भी तब, जब उनके आने का सही समय हो। इसलिए उन्हें स्वयंभू भी कहते हैं। यह कालखंड परमात्मा का इस सृष्टि पर अवतरण काल है। जब वे स्वयं के सत्य परिचय से हम सभी मनुष्य आत्माओं रूपी संतानों को अवगत करा रहे हैं। उनका नाम शिव है, जिसका अर्थ है कल्याणकारी। उनका रूप निराकार ज्योतिर्बिंदु स्वरूप है। शिवलिंग के बीचों-बीच बिंदी परमात्मा के सत्य स्वरूप का दर्शन कराती है। परमात्मा आकर अभी जो दिव्य कर्तव्य करते हैं, उसके यादगार में उनके अनेक नाम हैं। सोमनाथ अर्थात् जो ज्ञानामृत का पान कराते हैं। त्रयंबकेश्वर अर्थात् जो ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी ईश्वर हैं। अमरनाथ अर्थात् जो हम सभी अमर आत्माओं के अमर पिता हैं। पशुपतिनाथ अर्थात् हम सभी आत्माएं जो पशु तुल्य हो गईं, उन्हें देवतुल्य बनाते हैं। विश्वनाथ अर्थात् जो सारे विश्व के मालिक हैं। इस प्रकार सभी ज्योतिर्लिंग परमात्मा शिव के कर्तव्यवाचक यादगार नाम पर आधारित हैं। परमात्मा की यह सभी कर्तव्य अभी इस सृष्टि पर चल रहे हैं। परमात्मा के इन दिव्य कर्तव्य में मददगार बन हम भी अपने जन्म-जन्म का श्रेष्ठ भाग्य सुनिश्चित कर सकते हैं और इस धरा को पावन स्वर्ग बना सकते हैं। कलियुग की घोर कालिमा के समय जब चारों ओर पापाचार, भ्रष्टाचार चरम पर है, अंतर्मन से लेकर वैश्विक स्तर पर चारों ओर द्वंद्व की स्थिति बनी हुई है, धर्मग्लानि का समय चल रहा है। ऐसे समय पर परमात्मा को पहचान कर उनसे संबंध जोड़ उनसे सर्व प्राप्तियां कर सकते हैं। अभी परमात्मा के गुणों को धारण कर गुणवान बनने की श्रेष्ठ वेला चल रही है। धर्म अर्थात् जीवन में दिव्य गुणों की धारणा केवल परमात्मा के दिव्य ज्ञान से ही हो सकती है। अभी वह श्रेष्ठ ज्ञान सुलभ, सहज और निःशुल्क रूप से उपलब्ध है। हम इसका लाभ अवश्य लें।
राजयोग मेडिटेशन शिविर दुर्गा मंदिर परिसर में प्रतिदिन दोपहर 2:00 से 3:30 बजे तक पूर्ववत चलता रहेगा।