नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सेना ने एयर स्ट्राइक कर 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। 90 आतंकियों के मारे जाने की जानकारी मिल रही है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रुख पर नाराजगी जताते हुए पाकिस्तान को कुछ न करने को कहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर अब पाकिस्तान क्या करेगा ?
दरअसल भारत द्वारा 6-7 मई को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक (“ऑपरेशन सिंदूर”) के बाद, पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिसमें उसकी सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक स्थिति, साथ ही अंतरराष्ट्रीय दबाव शामिल हैं। निम्नलिखित बिंदुओं में पाकिस्तान के संभावित कदमों का विश्लेषण किया गया है, जो उपलब्ध जानकारी और तार्किक अनुमान पर आधारित है।
कूटनीतिक प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायत : पाकिस्तान ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की एयर स्ट्राइक की शिकायत दर्ज की है। वह इसे “अकारण आक्रामकता” करार देकर भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग करने की कोशिश कर सकता है, विशेष रूप से अपने सहयोगियों जैसे चीन और कुछ इस्लामी देशों के समर्थन से।
प्रचार अभियान: पाकिस्तानी मीडिया और नेताओं ने भारत पर मस्जिदों और नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। वह सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए इस नैरेटिव को बढ़ावा दे सकता है, जिसमें भारत को आक्रामक और आतंकवाद का समर्थक दिखाने की कोशिश होगी।
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से मध्यस्थता की मांग: पाकिस्तान अमेरिका जैसे देशों से तनाव कम करने की अपील कर सकता है, जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस के बयान से संकेत मिलता है, जिसमें दोनों देशों से संयम बरतने को कहा गया था।
प्रचार अभियान: पाकिस्तानी मीडिया और नेताओं ने भारत पर मस्जिदों और नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। वह सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए इस नैरेटिव को बढ़ावा दे सकता है, जिसमें भारत को आक्रामक और आतंकवाद का समर्थक दिखाने की कोशिश होगी।
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से मध्यस्थता की मांग: पाकिस्तान अमेरिका जैसे देशों से तनाव कम करने की अपील कर सकता है, जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस के बयान से संकेत मिलता है, जिसमें दोनों देशों से संयम बरतने को कहा गया था।
सैन्य प्रतिक्रिया
सीमा पर तनाव बढ़ाना: पाकिस्तान पहले से ही नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी और सीजफायर उल्लंघन कर रहा है। वह इस तरह की गतिविधियों को और तेज कर सकता है, खासकर कुपवाड़ा, उरी, या अखनूर जैसे क्षेत्रों में, ताकि भारत पर दबाव बनाए।
आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी: हालांकि भारत की स्ट्राइक ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया है, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI बचे हुए आतंकी नेटवर्क को भारत में हमलों के लिए उकसा सकती है, खासकर जम्मू-कश्मीर में।
रक्षात्मक मुद्रा: पाकिस्तान ने पहले ही कराची और ग्वादर के पास नेविगेशनल चेतावनी जारी की थी और समुद्री क्षेत्र में फायरिंग की बात कही थी, जो उसकी रक्षात्मक रणनीति को दर्शाता है। वह अपनी सेना को सीमा पर और तैनात कर सकता है, जैसा कि पहले देखा गया है।
आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी: हालांकि भारत की स्ट्राइक ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया है, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI बचे हुए आतंकी नेटवर्क को भारत में हमलों के लिए उकसा सकती है, खासकर जम्मू-कश्मीर में।
रक्षात्मक मुद्रा: पाकिस्तान ने पहले ही कराची और ग्वादर के पास नेविगेशनल चेतावनी जारी की थी और समुद्री क्षेत्र में फायरिंग की बात कही थी, जो उसकी रक्षात्मक रणनीति को दर्शाता है। वह अपनी सेना को सीमा पर और तैनात कर सकता है, जैसा कि पहले देखा गया है।
आर्थिक और आंतरिक कदम
आर्थिक दबाव का जवाब: भारत ने पहले ही सिंधु जल समझौता निलंबित किया, व्यापार पर रोक लगाई, और पाकिस्तानी जहाजों व विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र और बंदरगाह बंद किए हैं। इससे पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा। पाकिस्तान तीसरे देशों (जैसे दुबई या सिंगापुर) के जरिए व्यापार को बनाए रखने की कोशिश कर सकता है, जैसा कि पहले किया गया था।
आंतरिक स्थिरता को मजबूत करना: बलूचिस्तान और सिंध में बढ़ते असंतोष और PoK में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए, पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान दे सकता है। वह भारत पर इन आंदोलनों को भड़काने का आरोप लगाकर अपनी जनता को एकजुट करने की कोशिश करेगा।
प्रचार और गलत सूचना
मीडिया के जरिए जवाब: पाकिस्तानी टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने की कोशिशें तेज हो सकती हैं, जैसा कि कुछ X पोस्ट में दावा किया गया है। पाकिस्तान यह दिखाने की कोशिश करेगा कि भारत ने नागरिक ठिकानों, जैसे मस्जिदों, को निशाना बनाया, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सहानुभूति हासिल कर सके। आतंकवाद से पीड़ित होने का दावा: पाकिस्तानी नेता, जैसे सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार, यह दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान में कोई आतंकी ठिकाने नहीं हैं और वह खुद आतंकवाद का शिकार है। इस नैरेटिव को वह और मजबूत कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की तलाश
चीन का सहारा: पाकिस्तान अपने निकटतम सहयोगी चीन से सैन्य और कूटनीतिक समर्थन मांग सकता है, खासकर UNSC में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए।
इस्लामी देशों का समर्थन: पाकिस्तान इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकता है, खासकर मस्जिदों पर हमले के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके।
इस्लामी देशों का समर्थन: पाकिस्तान इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकता है, खासकर मस्जिदों पर हमले के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके।
सीमित जवाबी कार्रवाई की संभावना
जवाबी हमले का जोखिम: पाकिस्तानी नेताओं, जैसे उप प्रधानमंत्री इशाक डार और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ने “निर्णायक जवाब” देने की धमकी दी है। हालांकि, पाकिस्तान की आर्थिक और सैन्य कमजोरी को देखते हुए, प्रत्यक्ष सैन्य टकराव की संभावना कम है। वह छोटे स्तर की जवाबी कार्रवाइयों, जैसे LoC पर गोलीबारी या ड्रोन हमले, पर ध्यान दे सकता है।
साइबर हमले: भारत ने पहले ही पाकिस्तानी YouTube चैनलों और X अकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया है। जवाब में, पाकिस्तान साइबर हमले या डिजिटल प्रचार को बढ़ावा दे सकता है।
क्या रोक सकता है पाकिस्तान को?
अंतरराष्ट्रीय दबाव : अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने दोनों देशों से तनाव कम करने को कहा है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से चीन और अमेरिका दबाव डालता है तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई से बच सकता है।
आर्थिक संकट: पाकिस्तान पहले से ही कर्ज, महंगाई, और बेरोजगारी से जूझ रहा है। भारत के आर्थिक प्रतिबंधों ने उसकी स्थिति को और कमजोर किया है, जिससे वह बड़े पैमाने पर टकराव से बच सकता है।
आंतरिक अस्थिरता: बलूचिस्तान और PoK में बढ़ते विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
क्या रोक सकता है पाकिस्तान को?
अंतरराष्ट्रीय दबाव : अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने दोनों देशों से तनाव कम करने को कहा है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से चीन और अमेरिका दबाव डालता है तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई से बच सकता है।
आर्थिक संकट: पाकिस्तान पहले से ही कर्ज, महंगाई, और बेरोजगारी से जूझ रहा है। भारत के आर्थिक प्रतिबंधों ने उसकी स्थिति को और कमजोर किया है, जिससे वह बड़े पैमाने पर टकराव से बच सकता है।
आंतरिक अस्थिरता: बलूचिस्तान और PoK में बढ़ते विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।