चरण सिंह
छठे चरण का मतदान होते ही इंडिया ब्लॉक और एनडीए दोनों ओर से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। दोनों ही ओर से छठे चरण तक बहुमत हासिल करने की बात की जा रही है। इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि उन लोगों ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। वह इंडिया गठबंधन को ३५० सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। ऐसे ही बीजेपी की ओर से गृहमंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि उन्होंने बहुमत हासिल कर लिया है एनडीए ४०० से ज्यादा सीटें जीतने जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार दावा किसका सही है ? इसमें दो राय नहीं कि इन चुनाव में न तो राम मंदिर निर्माण का मुद्दा चल रहा है और न ही हिन्दू मुस्लिम का। तो फिर कौन सा मुद्दा चुनाव में असर छोड़ रहा है। कोई माने न माने पर इन चुनाव में बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा हावी है। ऐसा नहीं है कि विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया है। बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा तो खुद जनता ने बना लिया है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद मान रहे हैं कि यह चुनाव जनता ने अपने हाथ में ले लिया है। दरअसल यह चुनाव जनता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच है। यदि राहुल गांधी को छोड़ दिया जाए तो विपक्ष के अधिकतर नेता ट्वीट वीर ही बने रहे। विपक्ष ने कोई बड़ा आंदोलन या फिर रैली कर एकजुटता का परिचय नहीं दिया। न ही लोगों में विश्वास जताया है कि ये लोग उनकी लड़ाई लड़ सकते हैं। हां मोदी सरकार के कामकाज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के घटते स्तर से लोग नाराज जरूर हैं। लोगों की नाराजगी चुनाव में दिखाई भी दे रही है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि बीजेपी के समर्थक खुलेआम बोल रहे हैं पर विरोधी बोल नहीं रहे हैं। सरकार के खिलाफ जो मतदान हो रहा है वह साइलेंट है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि चुनाव में फाइट है।
इंडिया गठबंधन की ओर से जो प्रधानमंत्री पद के लिए दलित चेहरे पर जोर दिया गया है। जिस तरह से इंडिया ब्लॉक दिल्ली की मीटिंग में टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तुत कर दिया था और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उनका समर्थन कर दिया था। तो ऐसे में कहा जा सकता है कि इंडिया गठबंधन ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम आगे कर बड़े स्तर पर दलितों की सहानुभूति बटोरी है। राहुल गांधी जिस तरह से की राजनीति कर रहे हैं। उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यदि इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो वह मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री बनवा सकते हैं। दलित चेहरा होने की वजह से उनके नाम पर सभी की सहमति बन सकती है। आने वाले विधानसभा चुनावों में भी इसका फायदा मिलेगा। मल्लिकार्जुन खड़गे की छवि भी अच्छी है। तो क्या देश को इन चुनाव में दलित प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे के बड़ा नाम दलितों में मायावती का है पर मायावती न तो इंडिया गठबंधन में हैं और न ही उनकी कोई खास सीटें आने जा रही हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनका राजनीति में लंबा अनुभव है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद मान रहे हैं कि यह चुनाव जनता ने अपने हाथ में ले लिया है। दरअसल यह चुनाव जनता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच है। यदि राहुल गांधी को छोड़ दिया जाए तो विपक्ष के अधिकतर नेता ट्वीट वीर ही बने रहे। विपक्ष ने कोई बड़ा आंदोलन या फिर रैली कर एकजुटता का परिचय नहीं दिया। न ही लोगों में विश्वास जताया है कि ये लोग उनकी लड़ाई लड़ सकते हैं। हां मोदी सरकार के कामकाज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के घटते स्तर से लोग नाराज जरूर हैं। लोगों की नाराजगी चुनाव में दिखाई भी दे रही है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि बीजेपी के समर्थक खुलेआम बोल रहे हैं पर विरोधी बोल नहीं रहे हैं। सरकार के खिलाफ जो मतदान हो रहा है वह साइलेंट है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि चुनाव में फाइट है।
इंडिया गठबंधन की ओर से जो प्रधानमंत्री पद के लिए दलित चेहरे पर जोर दिया गया है। जिस तरह से इंडिया ब्लॉक दिल्ली की मीटिंग में टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तुत कर दिया था और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उनका समर्थन कर दिया था। तो ऐसे में कहा जा सकता है कि इंडिया गठबंधन ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम आगे कर बड़े स्तर पर दलितों की सहानुभूति बटोरी है। राहुल गांधी जिस तरह से की राजनीति कर रहे हैं। उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यदि इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो वह मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री बनवा सकते हैं। दलित चेहरा होने की वजह से उनके नाम पर सभी की सहमति बन सकती है। आने वाले विधानसभा चुनावों में भी इसका फायदा मिलेगा। मल्लिकार्जुन खड़गे की छवि भी अच्छी है। तो क्या देश को इन चुनाव में दलित प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे के बड़ा नाम दलितों में मायावती का है पर मायावती न तो इंडिया गठबंधन में हैं और न ही उनकी कोई खास सीटें आने जा रही हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनका राजनीति में लंबा अनुभव है।