नीतीश को साधने के लिए पीएम मोदी ने प्रभारी बनाकर मनोहर लाल खट्टर को भेजा बिहार
दिया जा रहा बिहार से अमित शाह का हस्तक्षेप खत्म करने का संदेश
नीतीश के साथ ही चिराग पासवान, एकनाथ शिंदे, अजित पवार और जयंत चौधरी भी अपने सांसदों के साथ बदल सकते हैं पाला
चरण सिंह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे की राजनीति में तो भूचाल ला ही दिया है साथ ही बीजेपी नेतृत्व की भी हालत ख़राब कर दी है। स्थिति यह हो गई है कि प्रधानमंत्री मोदी नीतीश कुमार की पलटी मारने के अंदेशे के चलते चिंतित हो उठे हैं।
जानकारी यह मिल रही है कि नीतीश कुमार की नाराजगी को लेकर पीएम मोदी गृह मंत्री अमित शाह से बहुत खफा हैं। उनको गुस्सा इस बात को लेकर है कि बिहार की राजनीति की जानकारी उन तक नहीं पहुंच रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार से अमित शाह के वर्चस्व को समाप्त करने और नीतीश कुमार को साधने के लिए अपने विश्वसनीय दोस्त हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को लगा दिया है। मनोहर लाल खट्टर को बिहार का प्रभारी बनाया गया है। मनोहर लाल खट्टर ने मोदी से कह दिया है कि बिहार के साथ ही केंद्र की सरकार बचानी है तो नीतीश कुमार को इंडिया में जाने से रोका जाए।
दरअसल जल्द ही बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के अध्यक्षों का चुनाव होना है। मोदी चाहते हैं कि बिहार में ऐसा प्रदेश अध्यक्ष बने जो बिहार की जानकारी उनको देता रहे। राष्ट्रीय परिषद सदस्यों को भी बनाया जाना है जिनका वोट राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में काम आएगा। मोदी चाहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष उनकी पसंद को हो। ऐसे में देखना यह होगा कि मोदी यह राजनीतिक संकट टालने के लिए यह सब कुछ कर रहे हैं या फिर वास्तव में ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाएंगे ?
यह बात तो मोदी की है पर मोदी के आश्वासन पर नीतीश कुमार कितना विश्वास करेंगे ? अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार मनोहर लाल खट्टर को किस रूप में लेते हैं और मनोहर लाल खट्टर उनको कितना साध पाते हैं ? प्रधानमंत्री की चिंता इस बात को लेकर है कि नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन में जाते ही चिराग पासवान भी पाला बदल सकते हैं क्योंकि उनके संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय के यहां ईडी की छापेमारी के बाद चिराग पासवान भी अमित शाह से बहुत नाराज हैं।
चिराग पासवान को गुस्सा इस बात को लेकर है कि उनके समर्थन से सरकार चलने के बावजूद उनके करीबी पर शिकंजा कसने की कोशिश अमित शाह कर रहे हैं. मतलब उनको डराया जा रहा है। महाराष्ट्र में अजित पवार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने 11 प्रत्याशी उतार दिए हैं। मतलब वह बगावत के मूड में हैं। जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि शरद पवार और उन भतीजे अजित पवार मिलने जा रहे हैं। एकनाथ शिंदे भी उनके साथ आ सकते हैं। ऐसे में मोदी सरकार को खतरा पैदा हो जाएगा। इन सभी दलों का बिदकना इसलिए भी लग रहा है क्योंकि इन सभी को यह समझ में आ चुका है कि बीजेपी किसी को बख्श नहीं रही है। यदि एकनाथ शिंदे के बाद यदि नीतीश कुमार को टारगेट किया जा रहा है तो फिर किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है।
ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि बिहार की राजनीति से अमित शाह का हस्तक्षेप समाप्त कर एक बड़ा संदेश दिया जाए। मोदी यह बखूबी जान चुके हैं कि आज की तारीख में कुछ भी हो सकता है। वह यह भी जानते हैं कि अटल बिहारी की सरकार मात्र एक वोट से गिर गई थी। उस समय के बीजेपी रणनीतिकार प्रमोद महाजन ने तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को आश्वस्त कर दिया था कि 8 सांसद बहुमत से अधिक हैं। उस समय प्रमोद महाजन ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम को साध भी लिया था। वह पटना में थे। जब तक वह दिल्ली पहुंचे तब तक मायावती ने अपने सांसदों से सरकार के खिलाफ वोटिंग करा दी थी। ऐसे में यदि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में जाते हैं तो केंद्र की सरकार भी गिर सकती है।