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अखिलेश यादव ने जिस तरकीब से जीता 2024, 2025 के लिए उसी ‘हथियार’ को धार देने में जुटे तेजस्वी

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दीपक कुमार तिवारी

पटना। लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एमवाई (मुस्लिम+यादव) से इतर जाकर सीट बांटकर शानदार सोशल इंजीनियरिंग का मुजायरा पेश किया है। अब आरजेडी भी सांगठनिक ढांचे में कुछ इसी तरह का प्रयोग करती दिख रही है। राष्ट्रीय जनता दल को अपेक्षित विक्ट्री तो लोकसभा चुनाव में नहीं मिली। हालांकि लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में एम वाई से इतर जातियों को तरजीह दे कर आरजेडी ने अपने वोट बैंक में इजाफा जरूर किया।

लेकिन राजनीतिक गलियारों में जिस बात की विशेष चर्चा है वह यह कि प्रखंड और पंचायत स्तर पर एम वाई के अलावा राजद के नए नेतृत्वकर्ता तेजस्वी यादव ने जिस नए वर्ग को तरजीह दी वह वर्ग बिहार विधान सभा चुनाव 2025 में कमाल करने वाला है। आइए जानते हैं वह कौन से नए वर्ग जिस पर राजद मेहरबान है।

आरजेडी के पूरे संगठन के अंदर ए टू जेड का प्रभाव दिख रहा है। पर यह लालू यादव के एमवाई (मुस्लिम यादव) से एकदम अलग नहीं, लेकिन सामाजिक न्याय के फलसफे पर एक कदम आगे जरूर दिखता है। खासकर प्रखंडों-जिलों के अध्यक्ष पद पर राजद के नए नेतृत्व का नया फॉर्म्युला अवश्य दिखता है। इसकी वजह है राजद का वह प्रयोग जहां अति पिछड़ा को 28 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित हुई।
दरअसल, बिहार में अतिपिछड़ा वोट मूलतः तीन भागों में बंटा है।

यह देश के पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव के बीच बंट जाता है। पीएम मोदी के पहले अतिपिछड़ा राजद के साथ ज्यादा खड़ा होते रहा है। अब उसी वोट को पुनः प्राप्त करने के लिए राजद ने संगठन में उनकी भागीदारी 28 प्रतिशत तय की है।

आरजेडी से मिली जानकारी के अनुसार आगामी विधान सभा चुनाव में धरातल पर आरजेडी के कुल 50 सांगठनिक जिला इकाइयां अपनी रणनीति बनाने में अभी से लगी है। जिन 17 जिलों में अध्यक्ष का पद अति पिछड़ा को आरक्षित है, उनमें वैशाली, मुजफ्फरपुर महानगर, मधुबनी, दरभंगा महानगर, समस्तीपुर, बेगूसराय महानगर, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, पूर्णिया महानगर, मुंगेर, भागलपुर महानगर, बांका, बिहारशरीफ महानगर, जहानाबाद एवं पटना महानगर शामिल है।

वहीं नवगछिया, अरवल, कैमूर, नालंदा, अररिया, सिवान और बगहा एससी-एसटी के लिए आरक्षित है। प्रखंडों-जिलों में अध्यक्ष का पद अति पिछड़ा और एससी-एसटी के लिए 45 प्रतिशत आरक्षित है। अगर फिर भी कोई जाति या समुदाय आरजेडी में जगह बनाने में वंचित रह जाएगा, उसे भी समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए नामांकित सदस्यों का प्रावधान किया गया है।

इसके तहत प्रारंभिक इकाई को छोड़कर विभिन्न स्तरों पर 25-25 प्रतिशत महिला और अल्पसंख्यक, 30 प्रतिशत एससी-एसटी और शेष 20 प्रतिशत वैसे वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।