शिक्षण हुआ अशुद्ध

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आज बालकों में कहाँ, अब्दुल, नानक, बुद्ध।
क्यों सौरभ है सोचिये, शिक्षण हुआ अशुद्ध।।

शिक्षक व्यापारी बने, शिक्षा जब व्यापार।
खुली दुकानों पर कहाँ, मिलते है संस्कार ।।

छात्र निर्धन हो रहे, अध्यापक धनवान।
ऐसी शिक्षा सोचिये, कितनी मूल्यवान ।।

जैसे गढ़ता ध्यान से, घड़ा खूब कुम्हार।
लाये बच्चों में सदा, शिक्षक रोज निखार।।

नैतिकता की राह से, दे जीवन सोपान।
उनके आशीर्वाद से, बनते हम इंसान।।

कभी न भूलें हम सभी, शिक्षक का उपकार।
रचकर नव कीर्तिमान दे, गुरु दक्षिणा उपहार।।

अंधकार में दीप-सा, उर में भरे प्रकाश।
शिक्षक सच्चे ज्ञान से, करे दुखों का नाश।।

आज नहीं पल-पल रहे, हमको शिक्षक याद।
सदा कृपा जिनकी रही, चखा ज्ञान का स्वाद।।

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