द न्यूज़ 15
छिंदवाड़ा | अगर देखा जाए तो सरकारी स्कूलों और वहां के शिक्षकों को लेकर जनसामान्य के बीच धारणा अच्छी नहीं होती, मगर मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की स्कूल के शिक्षक सरकारी स्कूलों को लेकर बनी धारणा को तोड़ने का काम कर रहे हैं। यहां के शिक्षकों ने स्कूल की एक नई मिसाल पेश की है। छिंदवाड़ा के मोहखेड़ विकासखंड का उमरानाला संकुल में स्थित है आदिवासी गांव घोघरी। यहां के शासकीय माध्यमिक शाला की चर्चा हर तरफ है, उसकी भी वजह है क्योंकि यह स्कूल दूसरे सरकारी स्कूलों से अलग है।
इस सरकारी स्कूल के 3 शिक्षकों ने अपने वेतन से तय राशि इकट्ठा कर संस्था की तस्वीर बदलने का काम कर दिखाया है। इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कोठेकर ने अपने 2 शिक्षक साथी रघुनाथ तावने और रामू पवार के साथ मिलकर स्कूल छात्रों को आधुनिक सुविधा मुहैया कराने की मुहिम शुरू किया। बीते 5 साल से यह शिक्षक अपने वेतन से हर माह एक प्रतिशत राशि साला के विकास में लगाते हैं।
शिक्षकों का कहना है, कि उनके शाला में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर माहौल भी मिले। स्कूल की साज-सज्जा की गई है साथ में उसे हाईटेक भी किया गया है। यहां स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, लाउडस्पीकर , लैपटॉप और टेबलेट भी है। इसके जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है।
यह विद्यालय आसपास के इलाके में खास अहमियत रखता है क्योंकि यहां डिजिटल तरीके से भी पढ़ाई हो रही है। इसे देखने के लिए कई स्कूलों के शिक्षक भी आते हैं.। स्कूल के प्रधानाध्यापक कोठेकर का कहना है कि शिक्षकों ने छात्रों के सहयोग से इस स्कूल में बड़े बदलाव लाए हैं।