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  • एक के पास 40 करोड़ तो एक के पास रिवॉल्वर, योगी आदित्यनाथ और अखिलेश, किसकी संपत्ति कितनी है ?

    एक के पास 40 करोड़ तो एक के पास रिवॉल्वर, योगी आदित्यनाथ और अखिलेश, किसकी संपत्ति कितनी है ?

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने-अपने नामांकन दाखिल कर लिए हैं। दोनों ने चुनावी हलफनामे में अपनी-अपनी संपत्तियों का खुलासा किया है। जिससे यह पता चलता है कि योगी की संपत्ति अखिलेश की तुलना में काफी कम है।
    नामांकन के दौरान योगी आदित्यनाथ ने जो शपथ पत्र चुनाव आयोग को सौंपा है उसके मुताबिक, उनके पास 1,54, 94,054 करोड़ की संपत्ति है। इसमें कैश और बैंक बैलेंस भी शामिल है। उनके पास एक सैमसंग का फोन है, जिसकी कीमत 12 हजार रुपए है। इसके अलावा 1 लाख रुपए की रिवॉल्वर और 80 हजार की राइफल भी उनके पास है। योगी के पास कोई वाहन नहीं है।
    योगी आदित्यनाथ के पास डाकघर संसद मार्ग, नई दिल्ली के खाते में 3524708 रुपए हैं, जबकि 2.33 लाख रुपए का बीमा है। उनके पास 49 हजार रुपए कीमत का 20 ग्राम का कुंडल, दस ग्राम की रुद्राक्ष लगी एक सोने की चेन, जिसकी कीमत 12 हजार रुपए है। उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं है। न ही उनपर कोई मुकदमा है। 49 वर्ष के मुख्यमंत्री योगी, एचएन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर, पौड़ीगढ़वाल से विज्ञान (बीएससी) से स्नातक तक हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास तीन लग्जरी गाड़ियां थी। इनमें एक पुरानी टाटा सफारी, इनोवा और नई फॉर्च्यूनर शामिल है। उनके पास उस समय भी कोई अचल संपत्ति नहीं थी।
    नॉमिनेशन के समय अखिलेश यादव की संपत्ति का जो ब्यौरा चुनाव आयोग को सौंपा है, उसके मुताबिक अखिलेश, उनकी पत्नी डिंपल और बच्चों के नाम 40 करोड़ रुपए से अधिक चल-अचल संपत्ति है। खास बात यह है कि पिछले 5 साल यानी योगी के मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव की आमदनी में मामूली इजाफा हुआ है। अखिलेश ने जो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किए हैं उसके तहत 2016-17 में उनकी आय 71,66,998 रुपए थी, जो 2020-21 में बढ़कर 93,98,569 रुपए हो गई। उनकी पत्नी डिंपल यादव के इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा भी दिया गया है, जिसमें 2016-17 में डिंपल की आय 55,95,690 रुपए दर्शायी गई। 2020-21 में उनकी आय बढ़कर 59,14,555 रुपए हो गई। उनके घोषणा पत्र में वारिसान के रूप में उनकी पुत्री अदिति यादव, पुत्र अर्जुन यादव और पुत्री टीना यादव का नाम भी दिया गया है।
    अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को 21380000 रुपए दिए हैं। अखिलेश के पास 76015 रुपए का मोबाइल फोन है। 534458 रुपए की एक व्यायाम मशीन है। अखिलेश कुल 84370645 रुपए के और उनकी पत्नी डिंपल 47684986 रुपए की सकल संपत्ति के मालिक हैं।

  • गठबंधन के बावजूद मांट से सपा और आरएलडी दोनों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में 

    गठबंधन के बावजूद मांट से सपा और आरएलडी दोनों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में 

    द न्यूज 15 

    मथुरा।  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन किया है। लेकिन सत्ता हासिल करने से पहले ही सपा-आरएलडी गठबंधन में पेच फंसता दिखाई दे रहा है। दरअसल, यह पेच मथुरा की मांट विधानसभा पर फंसा है, जहां दोनों दलों के प्रत्याशियों ने अपना-अपना नामांकन दाखिल कर दिया है और इस कारण टेंशन बढ़ गई है।
    आरएलडी और समाजवादी पार्टी अभी तक गठबंधन में उम्मीदवार उतारते रहे हैं लेकिन मांट सीट पर नामांकन दाखिल करने वाले दोनों उम्मीदवार इसे अपनी वर्चस्व की लड़ाई बताने लगे हैं, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रालोद के उम्मीदवार योगेश नौहवार 2017 में भी यहां से चुनाव लड़े थे और 432 वोटों के छोटे अंतर से वह बसपा उम्मीदवार श्याम सुंदर शर्मा से हार गए थे।
    योगेश नौहवार का कहना है कि उन्होंने इस क्षेत्र में काफी मेहनत की है और यहीं से चुनाव लड़ेंगे। ‘न्यूज24’ से बात करते हुए योगेश नौहवार कहते हैं कि इतने मामूली अंतर से हारने के बाद भी सीट को बलिदान करना, ये पार्टी को नुकसान करने वाली चीजें हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन से कोई फायदा नहीं है।

    दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी की तरफ से एमएलसी डॉ. संजय लाठर मांट विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाने जा रहे हैं। इससे पहले वह 2012 में भी मांट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले डॉ. संजय लाठर सपा युवजन सभा और सपा छात्र सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं।

    संजय लाठर ने कहा, ”पहले उनको (योगेश नौहवार) को टिकट मिला था लेकिन बाद में मुझे टिकट मिल गया। टिकट को लेकर कोई विवाद नहीं था, ये गठबंधन का मामला है। उनका राष्ट्रीय नेतृत्व उनको समझाने में लगा है।”

    फिलहाल, संजय लाठर और योगेश नौहवार एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते नजर आ रहे हैं और दोनों में से कोई भी उम्मीदवार नामांकन वापस नहीं लेना चाहते हैं। देखना है कि आने वाले समय में इस सीट को लेकर सपा-आरएलडी गठबंधन अंतिम फैसला क्या करता है।