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  • नोएडा में भाजपा के किले की बुनियाद को गला रहे सुनील चौधरी के आंसू

    नोएडा में भाजपा के किले की बुनियाद को गला रहे सुनील चौधरी के आंसू

    गांवों के साथ ही शहरी मतदाताओं को रिझा रही सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी और उनकी पत्नी की भावुक अपील
    स्थानीय विधायक पंकज सिंह के रवैये से नाराज मतदाताओं पर काम कर रहा सुनील चौधरी का इमोशनल कार्ड

    चरण सिंह राजपूत
    नई दिल्ली/नोएडा। उत्तर प्रदेश में भाजपा की परंपरागत सीट माने जाने लगी नोएडा विधानसभा में भाजपा का किला ध्वस्त हो सकता है। इस किले के ध्वस्त होने का बड़ा कारण सपा प्रत्याशी चौधरी का खेला गया इमोशनल कार्ड है। ग्राम याकूबपुर से शुरू हुआ यह इमोशनल कार्ड अब क्षेत्रीय गांवों से होता हुआ शहरी मतदाताओं तक पहुंच गया है। याकूबपुर गांव की नुक्कड़ सभा में जब सुनील चौधरी के आंसू निकले थे तो माहौल बड़ा भावुक हो गया था। यह वह सभा थी जिसमें सुनील चौधरी ने बड़े भावुक होकर क्षेत्र के लोगों से कहा था कि उनके कंधे थोड़े कमजोर हैं जरा इन्हें मजबूती दे दो। उनका कहना था कि उनकी पत्नी ने विधायक बनने के लिए मुझे अपने गृह जनपद में जाने की सलाह दी थी पर मैने कह दिया है कि मैं जीऊंगा भी यहीं और मरूंगा भी यहीं। इस क्षेत्र के लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया है। मैं इनके लिए काम करता रहूंगा। सुनील चौधरी की यह स्पीच थी कि उनके पक्ष में माहौल बनना शुरू हो गया।  अब जब भी वह कहीं पर भाषण देते हैं लोगों से मिलते हैं तो बहुत भावुक हो जाते हैं। उनकी हारने की हिम्मत न होने की बात लोगों के दिल को छू रही है।
    स्थानीय विधायक पंकज सिंह के क्षेत्रीय लोगों को तवज्जो न देने और लोगों से मिलने से बचने की जो शहरी मतदाताओं में नाराजगी है उसका भी फायदा सुनील चौधरी को मिल रहा है। चाहे गांवों का चुनाव प्रचार हो या फिर शहर का सुनील चौधरी के प्रचार में पंकज सिंह के प्रचार से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही है। खुद भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी पंकज सिंह के प्रति नाराजगी है, जिसका फायदा सुनील चौधरी उठाते दिखाई दे रहे हैं। नोएडा से सबसे बड़े सेक्टर १२ में पंकज सिंह से ज्यादा माहौल सुनील चौधरी के पक्ष में बन रहा है। वैसे भी शहरी सपा अध्यक्ष दीपक विज सेक्टर १२ में ही निवास करते हैं। सेक्टर १९ में खुद सुनील चौधरी रहते हैं। बचपन से ही नोएडा में रहने की वजह से भी उन्हें इसका फायदा मिल रहा है। स्थानीय समस्याओं को लेकर चले आंदोलन में सुनील चौधरी का बढ़चढ़ कर भाग लेने औेर पंकज सिंह के लोगों से दूरी बनाने का फायदा भी सुनील चौधरी को मिलता दिखाई दे रहा है। हरौला में सुनील चौधरी की ससुराल होने की वजह से गुर्जर समाज का वोट सुनील चौधरी के पक्ष में लामबंद होता प्रतीत हो रहा है। अखिलेश यादव की वजह से सरफाबाद, पर्थला समेत यादव समाज के दूसरे अन्य गांवों के वोट सुनील चौधरी के खाते में गिने जा रहे हैं। वैसे भी नोएडा से बड़े स्तर पर रोजगार छीनने की वजह से लोग भाजपा से नाराज हैं। सपा-रालोद के अलावा वामपंथी पार्टियों ने भी सुनील चौधरी को समर्थन दे दिया है। जगह-जगह माकपा नेता गंगेश्वर शर्मा के नेतृत्व में सुनील चौधरी के पक्ष में जनसभाएं हो रहंी हैं। यदि इसी तरह से सुनील चौधरी का इमोशन कार्ड काम करता रहा तो नोएडा में इस बार उलटफेर भी हो सकता है।
    दरअसल सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी सुनील चौधरी और उनकी पत्नी का यह भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में सुनील चौधरी कहते हैं, ‘मैं नहीं चाहता कि अबकी बार में हार के आ जाऊं, अब हिम्मत नहीं है हारने की…बहुत हार चुका मैं। मैं दिल से कह देना चाहता हूं कि किसी को गोली मारनी है तो यहां छाती पर मार लेना, पीठ में पीछे से मत मारना, पीछे से मरूंगा तो ये सोचूंगा किसने मारा? लेकिन सामने से मरूंगा तो कह सकूंगा कि अपनों से मरके आया हूं…दूसरों ने नहीं मारा है।’

    यह वायरल वीडियो सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी सुनील चौधरी के उस वक्त का है, जब वो अपने लिए वोट की अपील करने जनता के बीच पहुंचे थे। वहीं, एक अन्य वीडियो में सुनील चौधरी की पत्नी प्रीति चौधरी दिख रही हैं। वीडियो में प्रीति चौधरी एक बुजुर्ग वोटर से हाथ जोड़कर, वोट के लिए अपील कर रही हैं। इस दौरान उनके आंखों में आंसू भी हैं। वहीं अन्य महिलाएं प्रीति चौधरी के गले में फूल-माला पहनाकर उनका अभिवादन भी कर रही हैं। यह दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।  सुनील चौधरी नोएडा विधान सभा सीट बनने के बाद से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। 2012 में जब पहली बार नोएडा विधानसभा सीट बनी थी, तब भी सुनील चौधरी सपा के प्रत्याशी थे। 2017 में भी सपा ने सुनील को यहां से टिकट दिया, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रुप में सुनील चौधरी तीसरी बार नोएडा सीट से चुनाव मैदान में है। सुनील की चल अचल संपत्ति ₹188758 रुपए है जबकि उनकी पत्नी के पास 2535950 की संपत्ति है साथ ही 15 लाख के गहने है । सुनील चौधरी 16 करोड ₹900000 की जमीन जायजाद के मालिक है इसके अलावा सुनील पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के चार मुकदमे दर्ज है
    सुनील मिलनसार नेता माने जाते हैं। गांव के लोगों की मदद करते हैं। जब से उन्होंने सपा की सदस्यता ली तब से वह सपा में ही हैं। उधर विधायक पंकज सिंह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे हैं। पिता के भाजपा में रुतबे की वजह से उन्हें गत बार और इस बार भाजपा से टिकट मिला है। पंकज सिंह के बारे में लोगों को यह धारणा है कि वह क्षेत्र को कम समय देते हैं। वैसे भी नोएडा में पांच साल में उन्होंने न के बराबर काम कराए हैं। पंकज सिंह से स्थानीय मतदाताओं के अलावा भाजपा के कार्यकर्ता भी नाराज बताये जाते हैं।

     

  • रामपुर : कांग्रेस प्रत्याशी यूसुफ टिकट मिलने के बावजूद भी सपा में हुए शामिल

    रामपुर : कांग्रेस प्रत्याशी यूसुफ टिकट मिलने के बावजूद भी सपा में हुए शामिल

    द न्यूज़ 15
    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। कांग्रेस प्रत्याशी यूसुफ अली ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ सपा में शामिल हो गये। एक दिन पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पूर्व विधायक यूसुफ अली को चमरौआ विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। साथ ही समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।

    कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश में जिम्मेदारी देते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और बाद में पार्टी ने उन्हें मुख्य कमेटी का प्रदेश महासचिव बनाया। कांग्रेस में उनकी मजबूत पैठ स्थानीय कांग्रेसियों को बहुत खल रही थी।

    वर्ष 2012 में नव सृजित विधानसभा सीट चमरौआ से अली यूसुफ अली ने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तब मुरादाबाद मंडल में बसपा का खाता सिर्फ रामपुर की चमरौआ सीट पर यूसुफ अली ने खोला था। बाद में बसपा छोड़कर वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

    लोकल लेवल पर जितना विरोध होता रहा, वह उतने ही आगे बढ़ते रहे। शुक्रवार को कांग्रेस ने रामपुर में जिन चार सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए, उनमें से एक सीट चमरौआ भी थी, जिस पर यूसुफ अली को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था।

  • सोनू सूद की बहन मालविका कांग्रेस पार्टी में शामिल, मोगा से लड़ेगी चुनाव

    सोनू सूद की बहन मालविका कांग्रेस पार्टी में शामिल, मोगा से लड़ेगी चुनाव

    द न्यूज़ 15
    चंडीगढ़। सोमवार को अभिनेता सोनू सूद की सबसे छोटी बहन मालविका सच्चर कांग्रेस पार्टी में हुई शामिल और फरवरी में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में वह अपने गृहनगर मोगा से पार्टी की उम्मीदवार होंगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी सूद के आवास पर पहुंचे और भाई-बहन (सोनू और मालविका) से मुलाकात की।

    चन्नी ने कहा, राजनीति का उद्देश्य लोगों की सेवा करना है और मुझे विश्वास है कि मालविका पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ लोगों की सेवा करेगी। उन्होंने कहा, अब इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि मोगा से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा।मालविका के उनकी पार्टी में शामिल होने को गेम चेंजर बताते हुए सिद्धू ने मीडिया से कहा कि उनकी मौजूदगी से अन्य सीटों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

    उन्होंने कहा, ऐसा बहुत कम होता है कि कोई पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री दोनों सम्मान देने के लिए किसी के घर गए हों, और वह इसकी हकदार हैं। 38 वर्षीय मालविका, जो शादीशुदा हैं और मोगा में अपना पैतृक पारिवारिक व्यवसाय चला रही हैं, उन्होंने कहा कि उन्होंने लोगों की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने के लिए राजनीती में कदम रखा है।

    राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से लगभग 175 किलोमीटर दूर उनके गृहनगर में सूद के पुराने समय के दोस्तों और शुभचिंतकों ने उन्हें महामारी के बीच महाराष्ट्र में हजारों जरूरतमंद प्रवासियों का मसीहा बताया। वहीं उनके परिवार का मानना है कि उनकी परोपकार की भावना उन्हें उनके परिवार से ही मिली है।मालविका ने कहा, मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरा भाई उन लोगों को सहारा और ताकत दे रहा है, जो महामारी से तबाह हो गए हैं।

  • महामारी के चलते चुनाव करवाना एक बड़ी चुनौती : चुनाव आयोग

    महामारी के चलते चुनाव करवाना एक बड़ी चुनौती : चुनाव आयोग

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शनिवार को पांच राज्यों- यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर मतगणना के दिन तक चुनाव आयोग के लिए कठिन चुनौती साबित होने जा रही हैं, इसलिए मतदाताओं और मतदान केंद्रों के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल तैयार किया गया है।

    चुनाव संबंधी गतिविधियों के दौरान फेस मास्क से शुरुआत करते हुए और सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखते हुए आयोग ने अपने सभी मतदान कर्मियों/सुरक्षा कर्मियों/ मतगणना कर्मचारियों को चुनाव संबंधी गतिविधियों में तैनात/संलग्न होने से पहले दोगुना टीकाकरण करने के लिए कहा है।

    मतदान अभिकर्ता/मतगणना अभिकर्ता आदि को पूर्ण टीकाकरण के बिना मतगणना हॉल/मतदान केंद्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर कराए आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट पेश करनी होगी। ऐसे हॉल/कमरे/परिसर के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग और सभी प्रवेश बिंदुओं पर सैनिटाइजर का प्रावधान होगा।

    चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य स्तर, जिला स्तर और विधानसभा क्षेत्र स्तर के लिए एक नोडल स्वास्थ्य अधिकारी को पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोविड से संबंधित व्यवस्थाओं और निवारक उपायों की निगरानी के लिए नामित किया जाएगा।

    अन्य प्रोटोकॉल में ईवीएम/वीवीपीएटी को संभालने वाले अधिकारियों के लिए दस्ताने और चुनाव सामग्री किट तैयार करना और सभी सुरक्षा, स्वच्छता और सामाजिक दूर करने के उपायों का पालन करते हुए एक विशाल और पर्याप्त रूप से बड़े हॉल में वितरित करना शामिल है। मतदान अधिकारी के लिए किट में जरूरत पड़ने पर पीपीई, मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड और दस्ताने शामिल होंगे।

    चुनाव आयोग ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन किए जाने की अपेक्षा रखते हुए मतदान की व्यवस्था करने के आदेश जारी किए हैं।

  • हमारा लक्ष्य व्यापक तैयारी के साथ 5 राज्यों में कोविड-सुरक्षित चुनाव कराना है: चुनाव आयोग

    हमारा लक्ष्य व्यापक तैयारी के साथ 5 राज्यों में कोविड-सुरक्षित चुनाव कराना है: चुनाव आयोग

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। शनिवार को चुनाव आयोग ने कहा, कोरोना संकट के बीच पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। इस बीच उनका लक्ष्य व्यापक तैयारी के साथ 5 राज्यों में कोविड-सुरक्षित चुनाव कराना है।

    चुनाव आयोग ने शनिवार दोपहर की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग ने बताया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक बूथ का प्रबंधन विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाएगा।

    चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार पांच राज्यों के चुनाव में कुल 18.34 करोड़ वोटर हैं।

  • यूपी विधानसभा चुनाव में संग्राम का जरिया बनी ‘टोपियां’

    यूपी विधानसभा चुनाव में संग्राम का जरिया बनी ‘टोपियां’

    लखनऊ| उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर लाल टोपी सुर्खियों में आ गयी है। सियासत में जहां इसे लेकर विपक्षी दलो पर हमले हो रहे हैं। वहीं विपक्षी इसे अपनी उम्मींद का किरण मान रहे हैं। बहरहाल कुछ भी हो लेकिन यूपी चुनाव में लाल टोपी संग्राम का जरिया बन गयी है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गोरखपुर रैली में टोपी पर दिए गये बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। हलांकि राजनीति में प्रतीकों का अपना एक अलग महत्व होता है। झण्डा, बैनर, पोस्टर, मुखौटा वेशभूषा के साहरे राजनीतिक दल वार-पलटवार करते रहते हैं।

    लाल टोपी को लेकर संग्राम की शुरूआत यूपी विधानसभा से हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे थे तभी लाल टोपी पहने समाजवादी पार्टी के कुछ विधायकों ने टोका टाकी शुरू की। इस पर योगी ने चुटकी लेते हुए कहा कोई लाल टोपी कोई हरी टोपी। पता नहीं ये क्या परिपाटी बन गई है? पता नहीं ये लोग घर पर भी टोपी पहन कर रहते हैं। फिर उन्होंने एक कहानी सुनाई। कहा कि एक कार्यक्रम में था, टोपी पहनकर आने वाले को ढाई साल के बच्चे ने कहा मम्मी-मम्मी ये देखो गुंडा। इस पर विधायकों ने खूब हल्ला भी किया था।

    राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रधानमंत्री ने जानबूझकर यह बात बोली है। जिससे विपक्षी उन पर हमले करने को मजबूर हो जाएं। मोदी हिन्दुत्व विकास और विश्वास को एक साथ साधते हुए पूरी सियासत का रूख अपनी ओर करने की झलक दिखायी हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि टोपियों के जरिए अपने-अपने वोटरों को साधने का एक अवसर है। सभी लोग अपने-अपने एजेंडे को धार देने में लगे हुए है।

    सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर पलटवार भी किया है। वह अगले दिन संसद भवन में पार्टी के सभी सांसदों के साथ लाल टोपी में भी पहुंचे थे। लाल टोपी पर छिड़े जंग के बाद अखिलेश यादव ने ट्विटर और फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल फोटो बदल ली है। उन्होंने लाल टोपी वाली अपनी तस्वीर लगा ली है। उनके ऐसा करते ही सपा के बांकी नेता और समर्थकों में भी होड़ मच गई है। सब अपनी पुरानी तस्वीर बदल कर लाल टोपी वाली फोटो लगाने लगे हैं।

    अखिलेश यादव जब भी किसी कार्यक्रम या रैली में जाते हैं तो लाल टोपी जरूर पहनते हैं। कई बार तो वे अपने साथ दो तीन ऐसी टोपियां रखते हैं। उनकी देखा देखी अब पार्टी के बाकी नेता और कार्यकर्ता भी ऐसा ही करने लगे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले अखिलेश टोपी नहीं पहनते थे, लेकिन पिता मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्होंने इसे नियमित रूप से पहनना शुरू किया। मुलायम अक्सर कार्यक्रमों में लाल टोपी में देखे जाते हैं।

    भाजपा और सपा की चल रहे टोपी संग्राम में आम आदमी पार्टी भी कूद गयी। राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने काली टोपी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। संजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की एक पुरानी तस्वीर ट्वीट कर लिखा है, मोदी जी काली टोपी वालों का दिल और दिमाग दोनो काला होता है।

    कई दशकों से यूपी की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक रतनमणि लाल ने बताया, “आज कल के दौर में बहुत कम राजनीतिक दल के लोगों को किसी उनके प्रतीक से पहचाना जा सके। भाजपा को भगवा कहते हैं लेकिन हर नेता भगवा कपड़े का इस्तेमाल तो करते नहीं है। बसपा के लिए नीला रंग कहते हैं। लेकिन मायावती ने कभी नीला कपड़ा नहीं दिखा है। सपा पर हरे रंग का आरोप ज्यादा लगा। जबकि कांग्रेस सफेद रंग में चलती है। ऐसे में टोपी को सपा ने पहचान बनाने की कोशिश की है। सपा मुखिया ने इसे अब पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का पहचान पत्र बना दिया है। इससे बिना नाम लिए ही इस पर तंज हो सकता है। भाजपा ने इसे जनमानस में संदेश देने का प्रयास किया है कि लाल टोपी यानि सपा के लोगों से बच के रहना है। हो सकता है आगे चलकर सपा का नाम न लिया जाए। सपा का अपरोक्ष रूप से फायदा होगा। सपा के अब ज्यादा लोग लाल टोपी पहनेंगे। बैठे-बैठाएं उनको पहचान मिल गयी है। भाजपा ने इंगित किया था। लेकिन सपा के लिए मुफ्त प्रचार का माध्यम बन गयी है