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  • छोटी बहू बोलकर योगी ने की अपर्णा यादव की तारीफ

    छोटी बहू बोलकर योगी ने की अपर्णा यादव की तारीफ

    बीजेपी में शामिल होने पर सीएम योगी ने सपा पर ऐसे कसा तंज, अखिलेश पर भी साधा निशाना 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। तीसरे चरण की वोटिंग की तैयारी चल रही है। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी बढ़ता ही जा रहा है। यूपी चुनाव से कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के परिवार में सेंधमारी की और मुलायम परिवार की सबसे छोटी बहू अपर्णा यादव को बीजेपी  में शामिल करा लिया। अब सीएम योगी ने इस पर यादव परिवार पर तंज कसते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है।
    आजतक को दिए एक इंटरव्यू में जब सीएम योगी आदित्यनाथ से पूछा गया कि आप वंशवाद के खिलाफ बोलते हैं लेकिन मुलायम सिंह यादव के परिवार की सबसे छोटी बहू को अपनी पार्टी  में शामिल कर लिए? इस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपर्णा यादव सबसे योग्य थीं और सबसे योग्य ने राष्ट्र अराधना के लिए भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपर्णा यादव और अखिलेश यादव के बीच अगर बहस हो जाए तो पता चल जाएगा कि कौन कितना योग्य है।
    योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि-‘ अपर्णा यादव, मुलायम सिंह यादव की बहू बनने से पहले भी एक समाजसेवी रही हैं। उन्होंने गौसेवा और दिव्यांगजनों के लिए काम किया है। वे टिकट के लिए बीजेपी में नहीं आई हैं और ना ही बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया है। अपर्णा यादव ने खुद कह रही हैं कि मोदीजी के राष्ट्र अराधना कार्य से जुड़ने के लिए मैं बीजेपी में आई हूं। वहीं अदिति सिंह के बीजेपी में शामिल होने और परिवारवाद को बढ़ावा देने के सवाल पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इसमें परिवारवाद कहां से आ गया? वे अखिलेश सिंह की बेटी हैं लेकिन अखिलेश सिंह अब नहीं हैं। वे विधायक थीं, तभी बीजेपी में आ गई थीं। आरपीएन सिंह पहले से ही केंद्र में मंत्री रह चुके हैं तो इसमें परिवारवाद जैसा कुछ नहीं है।
    बता दें कि चुनाव से अहम पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य, बीजेपी से इस्तीफा देकर कई मंत्रियों और विधायकों के साथ सपा में शामिल हो गये थे। इसके बाद बीजेपी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के परिवार में फूट डालकर अपर्णा यादव को बीजेपी में शामिल करवा लिया था। गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव के मतदान सात आठ चरणों में संपन्न होने वाला है। दो चरण का मतदान हो चुका है।
  • बुंदेलखंड के मिनी वृंदावन में बीजेपी के राजपूत बनाम यादव की जंग

    बुंदेलखंड के मिनी वृंदावन में बीजेपी के राजपूत बनाम यादव की जंग

    पिछले चुनाव की बात करें तो बृजभूषण राजपूत ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार उर्मिला देवी को 44,014 वोटों के अंतर से हराया था

    द न्यूज 15 
    लखनऊ। दो चरणों के मतदान के बाद अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का अगला पड़ाव बुंदेलखंड का इलाका है। बुंदेलखंड के महोबा जिले की बात करें तो यहां एक सीट है चरखारी (Charkhari), जिसको लेकर काफी चर्चाएं हैं। चरखारी सीट को बुंदेलखंड का कश्मीर और मिनी वृंदावन भी कहा जाता है। यहां पर 108 भगवान कृष्ण के मंदिर हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है। एक तरफ भाजपा के टिकट पर वर्तमान विधायक बृजभूषण राजपूत हैं तो उनके सामने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामजीवन यादव हैं। उमा भारती के यहां से चुनाव लड़ने के बाद से ये हॉट सीट मानी जाती है।
    2012 में उमा भारती यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं। इस सीट पर चुनाव लड़ रहे वर्तमान भाजपा विधायक बृजभूषण राजपूत पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत के बड़े बेटे हैं। राजपूत अपनी विवादित बयानबाजी के कारण भी सुर्खियों में रहे हैं, जबकि हिंदुत्व वाली छवि भी उनको चर्चा में बनाए रखती है। माना जा रहा है कि लोधी बहुल इस क्षेत्र में बीजेपी और सपा एक बार फिर आमने-सामने मुकाबले में रहेंगे। रामजीवन पूर्व में भी इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके है, लेकिन अबकी सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
    चरखारी को बुंदेलखंड का कश्मीर भी कहा जाता है। सूबे के पहले मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत जब चरखारी आए थे तो यहां की सुंदरता देखकर वो मोहित हो गए थे और उन्होंने चरखारी को बुंदेलखंड का कश्मीर नाम दिया था। चरखारी को यहां के राजाओं से मिली पहचान आज भी कायम है। इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां बाहरी का मुद्दा भी काफी चर्चा में बताया जा रहा है। सपा के उम्मीदवार महोबा से हैं जबकि बृजभूषण जालौन से आते हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो बृजभूषण राजपूत ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार उर्मिला देवी को 44,014 वोटों के अंतर से हराया था।
    पानी की समस्या इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या रही है। एक तरफ सरकार और भाजपा यहां के लिए योजनाएं गिना रही हैं तो दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो सरकार के प्रयासों को नाकाफी बता रहे हैं। चरखारी में बस स्टॉप का न होना यहां का सबसे पुराना मुद्दा है। वहीं, स्कूलों में अध्यापकों की कमी भी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा चरखारी में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है, इस कारण लोगों को बेहतर के इलाज के लिए दूसरे जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है।
    जातीय समीकरण की बात करें तो यहां लोधी राजपूत की संख्या 70-72 हजार के करीब है, दलित समाज की संख्या 45 हजार, कुशवाहा 30 हजार, ब्राह्मण 22 हजार, साहू 19-20 हजार और मुसलमान 19-20 हजार हैं।
    पिछले कुछ चुनावों के नतीजे
    1993: उदय प्रकाश, बसपा
    1996: छोटे लाल, भाजपा
    2002: अंबेश कुमारी, सपा
    2007: अनिल कुमार अहिरवार, बसपा
    2012: उमा भारती, भाजपा
    2014: कप्तान सिंह, सपा
    2015: उर्मिला राजपूत, सपा
    2017: बृजभूषण राजपूत, भाजपा
  • अखिलेश यादव के ‘चुनावी रथ’ पर चढ़ने के लिये सपा प्रत्याशी का गिड़गिड़ाना भी न आया काम 

    अखिलेश यादव के ‘चुनावी रथ’ पर चढ़ने के लिये सपा प्रत्याशी का गिड़गिड़ाना भी न आया काम 

    यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब हो रहा है वायरल

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव रैली से अधिक अपने चुनावी रथ यानि प्रचार के लिए तैयार खास बस का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हाईटेक बस में तमाम सुविधाएं हैं और बस की छत पर खड़े होकर भाषण देने की भी व्यवस्था है। जिस पर चढ़कर कार्यकर्ता और प्रत्याशी भी सपा नेता अखिलेश यादव के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ में रहते हैं। ऐसा ही एक वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल हो रहा वीडियो मुज्जफरनगर का बताया जा रहा है। अखिलेश यादव अपने बस में सवार होकर एक इंटरव्यू दे रहे थे, तभी उनकी बस इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं की भीड़ के पास पहुंचती है। बस में एक व्यक्ति चढ़ता है और अखिलेश यादव के साथ बस के ऊपर (छत पर) चलने की बात करता है। अखिलेश यादव कहते हैं तुम ऊपर नहीं चढ़ पाओगे।
    अखिलेश यादव कहते हैं कि जयंत जी जा सकते हैं। यहीं (बस के अंदर) ही खड़े रहो, यहीं से जनता देखेगी। इस पर व्यक्ति कहता है कि ये मेरी विधानसभा है। इसके बाद अखिलेश यादव ऊपर ले जाने के लिए तैयार होते हैं लेकिन फिर कहते हैं कि तेरा वजन ज्यादा है। इस पर व्यक्ति कहता है कि मैं बस पर पीछे से चढ़ जाउंगा। अखिलेश इस पर अपनी सहमति देते हैं और उत्साहित होकर व्यक्ति बस से उतर कर पीछे की ओर भागता है। बताया जा रहा है कि ये व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि सरधना से सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान थे। जो अखिलेश यादव के साथ बस की छत पर खड़े होने की बात कर रहे थे।
    सोशल मीडिया पर लोग अतुल प्रधान के इस वीडियो को शेयर करते हुए लोग तंज कस रहे हैं कि अखिलेश यादव अपने ही प्रत्याशी को नहीं पहचानते। अतुल प्रधान, बीजेपी नेता संगीत सोम के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं तो संगीत सोम ने भी इस पर चुटकी ली। इस पर पलटवार करते हुए अतुल प्रधान ने कहा कि संगीत सोम को ये भी याद नहीं होगा कि मुख्यमंत्री के साथ पिछली बार कब बैठा था। मैं अखिलेश यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि कम से कम हम अपने नेता के सामने जिद्द तो कर सकते हैं,अपनी बात तो कह सकते हैं।
    कृष्णकान्त नाम के यूजर ने वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि अखिलेश ने यहां दिल जीतने वाला काम किया है, बीजेपी का कोई भी नेता या केंद्रीय मंत्री ऐसे मोदी से जिद करके दिखाये, हमेशा मोदी या शाह सबसे ऐसे पेश आते हैं जैसे सब उनके नौकर हों। नेतागिरी अपनी जगह है पर उनके अंदर ऐसा अपनापन नहीं है।
    अतुल प्रधान को सपा ने सरधना विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है जो बीजेपी के नेता संगीत सोम के खिलाफ चुनावी मैदान हैं। सरधना विधानसभा सीट पर पिछले 10 साल से भाजपा का परचम लहरा रहा है। यह बीजेपी की सुरक्षित सीट मानी जाती है, लेकिन इस बार कुछ समीकरण बदले हुए हैं।
  • सोसाइटीज और सेक्टरों में भी हवा पंकज सिंह के खिलाफ!

    सोसाइटीज और सेक्टरों में भी हवा पंकज सिंह के खिलाफ!

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। नोएडा के जागरूक लोगों ने तमाम सोसाइटीज और सेक्टरों के लोगों से बात की है जिसमें एक बात साफ है कि माहौल इस बार पंकज सिंह के खिलाफ है । लोगों का कहना है कि ऐसा विधायक नही चाहिए जिसका नंबर तक जनता के पास न हो ।  ज्ञातव्य हो कि सोसाइटीज और सेक्टरों का वोट भाजपा का वोट माना जाता है और खासकर नोएडा में गढ़वाली समाज का वोट भाजपा के पक्ष में जाता है । अब ये स्थिति बैसी नहीं है जैसी पहले थी अब लगभग सोसाइटीज में 2 धड़े हैं एक वर्ग भाजपा के साथ है तो दूसरा वर्ग समाजवादी पार्टी के साथ है ।
    उधर ग्रामीण इलाकों, कच्ची कॉलोनी, झुग्गियों का वोट समाजवादी पार्टी का मजबूत वोट बैंक रहा है । वर्तमान में यह  वोट बैंक और मजबूत हुआ है क्योंकि समाजवादी पार्टी प्रत्यासी सुनील चौधरी निरंतर 5 साल लोगों के बीच रहे हैं इसका लाभ समाजवादी पार्टी को मिलना तय है।
    अब ब्राह्मण फैक्टर को लें तो बसपा से कृपा राम शर्मा भी किसी हद तक ब्राह्मण वोट को अपने पक्ष में लेने में सफल होंगे जिससे वह ब्राह्मण वोट जो भाजपा का वोट माना जाता है योगी से  नाराजगी के कारण बसपा को जाता दिख रहा है जिसका नुकसान भी भाजपा प्रत्यासी पंकज सिंह को होना तय है ।
    कांग्रेस से पंखुड़ी पाठक के उतरने से मुकाबला और रोचक हो गया है कांग्रेस का कोई बड़ा वोट बैंक नोएडा में पहले से रहा नहीं है लेकिन सोसाइटीज और सेक्टरों से जो भी वोट पंखुड़ी पाठक को मिलेगा वह भी भाजपा की झोली से ही जायेगा साथ ही कुछ महिला वोट भी पंखुड़ी को मिल सकता है ।  कुल मिलाकर भाजपा प्रत्यासी पंकज सिंह से नाराजगी के कारण भाजपा का वोट बिखर रहा है जिसका प्रत्यक्ष लाभ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुनील चौधरी को मिलता दिख रहा है., क्योंकि पहले भी सुनील चौधरी को लगभग 60 हज़ार के आसपास वोट मिले थे जो कि अब दोगुने होने की संभावना है । फैक्टरियों में काम करने बाले मजदूर भी पलायन को भूले नहीं हैं ऐसे में गरीब ,मजदूर, वर्कर्स का वोट भी सत्ता के खिलाफ जाना तय है ।
    व्यापारी और उद्योगपति भी  भाजपा सरकार की नीतियों से खुश नहीं हैं लिहाजा चाहे पार्किंग का मुद्दा हो या उद्योगों को संरक्षण का मामला हो कहीं न कहीं भाजपा का वोट बिखर रहा है जिससे नोएडा की सीट पर पंकज सिंह की पराजय स्पष्ट दिखाई दे रही है । युवा रोजगार को लेकर भाजपा से नाराज है ,फ्लैट ओनर्स रजिस्ट्री को लेकर पहले ही भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं ऐसे में बयार भाजपा के विरुद्ध है जिसका लाभ समाजवादी प्रत्यासी सुनील चौधरी को मिलना तय है। इस बार कड़ाके की सर्दी और कोरोना के बढ़ते मामले भी वोट प्रतिशत को प्रभावित करेंगे जिससे वोट लगभग 40 से 45% ही होने की संभावना है ।
    (नोएडा के जागरूक निवासियों से संवाद पर आधारित रिपोर्ट)