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  • PM मोदी ने पंडित नेहरू का भाषण याद दिलाते हुए , कांग्रेस पर किया वार

    PM मोदी ने पंडित नेहरू का भाषण याद दिलाते हुए , कांग्रेस पर किया वार

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस पर PM नरेंद्र मोदी ने संसद में जवाब दिया. जिसमें वो विपक्ष पर जमकर निशाना साधते नज़र आए. उन्होंने कोरोना महामारी, महंगाई और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद में कही गईं बातों को लेकर जवाब दिये|
    PM मोदी ने जवाहर लाल नेहरू की कही बातों का हवाला भी दिया. इसके ज़रिए उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया.
    उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना को तेज़ गति मिलने से गरीबों को फायदा होने की बात कही.
    प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज ग़रीब का घर भी लाखों से ज़्यादा कीमत का बन रहा है. जो पक्का घर पाता है वो लखपति की श्रेणी में आ जाता है. देश के गरीब से गरीब के घर में शौचालय बना है. कौन खुश नहीं है. ग़रीब के घर में रोशनी होती है तो उसकी खुशियां देश की खुशियों को ताकत देती है.”
    इन सब के बाद PM मोदी ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर तीखे कटाक्ष किए. प्रधानमंत्री ने कहा, “आप में से बहुत हैं, जिनका कांटा 2014 में ही अटका हुआ है और उससे बाहर ही नहीं निकल रहा है. देश की जनता आपको पहचान गई है, कुछ लोग देर से पहचाने हैं लेकिन पहचान गए हैं. क्या कारण हैं कि आप सोच नहीं पाते.”
    पीएम ने कहा कि कांग्रेस के रवैये को देख कर ऐसा लगता है कि वे अगले 100 साल तक सत्ता में नहीं आना चाहते. उन्होंने कहा, “आपने जब ऐसी तैयारी कर ली है तो फिर हमने भी कर रखी है.
    इसके बाद उन्होंने विभिन्न राज्यों के नाम लेते हुए बताया कि कांग्रेस उन राज्यों में बरसों से सत्ता में नहीं आई है.
    “नगालैंड के लोगों ने 24 साल पहले 1995 में आपके लिए वोट किया था. ओडिशा में 27 साल पहले आप सत्ता में थे. गोवा में 1994 में आपको पूर्ण बहुमत मिला था, 28 साल हो गए गोवा ने आपको फिर स्वीकार नहीं किया. 34 साल पहले त्रिपुरा ने आख़िरी बार आपको स्वीकार किया था.”
    उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव का नहीं है बल्कि नेक नीयत का है.
    वे बोले, “जहां भी लोगों ने सही राह पकड़ ली है, वहां आप लौट नहीं पाए. हम एक चुनाव हार जाएं तो महीनों चिंतन चलता है. लेकिन आप इतने चुनाव हार गए, फिर भी न तो आपका अहंकार जाता है और न ही आपका ईको सिस्टम ऐसा करने देता है.”
    इसके बाद शायराना अंदाज में पीएम मोदी ने कहा, “वे दिन को रात कहो तो तुरंत मान जाओ, नहीं मानोगे तो वे दिन में नकाब ओढ़ लेंगे. ज़रूरत हुई तो हक़ीक़त को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे. वो मगरूर हैं ख़ुद की समझ पर बेइंतहां, उन्हें आईना मत दिखाओ, वे आईने को भी तोड़ देंगे.”
    तभी विपक्ष के हंगामा करने पर पीएम मोदी ने कहा, ”सदन जैसी पवित्र जगह देश के लिए काम आनी चाहिए लेकिन दल के लिए काम आती है. जवाब देना हमारी मजबूरी बन जाती है.”

  • मुलायम सिंह यादव जेल से ही राजा भैया को बनाना चाहते थे सांसद!

    मुलायम सिंह यादव जेल से ही राजा भैया को बनाना चाहते थे सांसद!

    द न्यूज 15

    नई दिल्ली। भले ही आज तारीख में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजा भैया के संबंध ठीक न हों पर मुलायम सिंह यादव और राजा भैया के संबंध लंबे समय से बहुत मधुर चल रहे हैं।

    मुलायम सिंह यादव और राजा भैया के बीच पिछले 20 सालों से भी ज्यादा समय से संबंध मधुर बने हुए हैं। राजा भैया कहते हैं कि वह हमेशा से मुलायम सिंह का आदर करते रहे हैं और करते भी रहेंगे। मुलायम तो रघुराज प्रताप सिंह  उर्फ राजा भैया को लोकसभा सांसद भी बनाना चाहते थे। इस बात की जानकारी खुद राजा भैया ने दी है।
    राजा भैया ने हाल ही में एक निजी चैनल को दिये इंटरव्यू में बताया है कि साल 2004 के लोकसभा चुनावों के दौरान मुलायम सिंह यादव ने उनसे कहा था कि आप लोकसभा चुनाव लड़ लीजिए हमारे टिकट पर। राजा भैया ने बताया कि उस वक्त वह जेल में थे। उनका कहना था कि वह चुनाव तो जेल के अंदर से भी जीत जाते लेकिन संसद जाने की इच्छा नहीं थी। राजा भैया ने बताया कि वह प्रदेश की राजनीति में ही खुश थे इसीलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला नहीं किया।
    बकौल राजा भैया उन्होंने मुलायम सिंह यादव के आग्रह को पूरी तरह से नहीं ठुकराया और अपने बेहद करीबी अक्षय प्रताप सिंह को सपा के टिकट पर जितवा कर संसद भेजा।
    राजा भैया ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं है कि वह कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन फिलहाल उन्होंने इस तरह का अभी कुछ तय नहीं किया है।
  • आरएसएस प्रष्ठभूमि का न होते हुए भी भाजपा में कट्टर हिंदुत्व की पहली पसंद बने योगी आदित्यनाथ! 

    आरएसएस प्रष्ठभूमि का न होते हुए भी भाजपा में कट्टर हिंदुत्व की पहली पसंद बने योगी आदित्यनाथ! 

    चरण सिंह राजपूत 

    देश में राजनीति का दौर बदलता रहा है। कभी देश पर धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले राज कर रहे थे तो अब कट्टर हिन्दुत्व का राग अलापने वाले। कट्टर हिन्दुत्व में भी एक बड़ा तबका ऐसे नेताओं को पसंद करता है जो मुस्लिमों के खिलाफ खुलकर बोलते हों। उनके खिलाफ खुलकर काम करते हों। आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के अलावा  राजनीतिक पार्टियों में कभी शिवसेना के बाला साहेब ठाकरे, तो कभी नरेंद्र मोदी और अमित शाह और आज की तारीख में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कथित हिन्दुत्व का बड़ा चेहरा माना जा रहा है। चेहरा भी ऐसा कि हिन्दुत्व के समर्थकों के लिए प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी को टक्कर देने वाला। यह योगी का हिन्दुत्व के पैरोकार में पैठ बनाना ही है कि भाजपा में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प माना जाने लगा है। देश में उनके क्रियाकलापोंं को लेकर कितना भी विरोध होता रहे पर उनके समर्थकों में उनका कद लगातार बढ़ रहा है। भाजपा में तमाम कशकश के बाद आखिर योगी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना भाजपा दिग्गजों की मजबूरी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का वरिष्ठ आईएएस अरविंद शर्मा को उत्तर प्रदेश की राजनीति में घुसाना भी योगी के सामने कोई काम न आया।
    हिन्दू संगठनों में योगी आदित्यनाथ वह बड़ा चेहरा उभरकर आया है जो आरएसएस की पृष्ठभूमि का न होते हुए भी हिन्दुओं की पहली पसंद बने हुए हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने आरएसएस की पसंद भी आज की तारीख में योगी आदित्यनाथ बताये जा रहे हैं। इन सबका बड़ा कारण है कि योगी आदित्यनाथ का मुस्लिमों के प्रति आक्रामक रवैया है।
    योगी आदित्यनाथ समय समय पर मुस्लिमों के खिलाफ आग उगलते रहते हैं। जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं तो ऐसे में वह हिंदू वोटबैंक को अपने पक्ष में करने के लिए  मुस्लिमों को लेकर आक्रामक हैं। उन्होंने फिर से बोला है कि हमारा किसी चेहरे, व्यक्ति, जाति या मजहब से विरोध नहीं है लेकिन जिसका विरोध भारत से है और भारतीयता से है तो स्वाभाविक रूप से हमारा उससे विरोध होगा। उनका सीधा सीधा निशाना बीजेपी की ओर है। एक टीवी इंटरव्यू में जब सीएम योगी आदित्यनाथ से पूछा गया कि आपका मुसलमानों से क्या रिश्ता है तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जैसे वे मुझे देखते हैं, वैसे मैं भी उन्हें देखता हूं। दरअसल इस टीवी चैनल के इंटरव्यू में  योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछा गया कि पीएम मोदी का नारा रहा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। आप भी इस नारे को हर मंच से दोहराते हैं। आपने अभी तक बहुत से उम्मीदवार घोषित किए हैं लेकिन कोई भी मुसलमान कैंडिडेट घोषित नहीं किया है। आपका मुसलमानों से क्या रिश्ता है? इस सवाल के जवाब में सीएम योगी ने कहा कि मेरा वही रिश्ता उनके साथ में है जो उनका रिश्ता मुझसे है। आगे उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में मेरे मंत्रिमंडल में एक मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा हैं। केंद्र सरकार में मुख़्तार अब्बास नकवी मंत्री हैं। इसी प्रकार के कई चेहरे हैं। आरिफ़ मोहम्मद ख़ान केरल के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हमारा किसी चेहरे, व्यक्ति, जाति या मजहब से विरोध नहीं है। लेकिन जिसका विरोध भारत से है और भारतीयता से है तो स्वाभाविक रूप से हमारा उससे विरोध होगा। कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का बड़ा चेहरा बना हुआ है। चाहे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। मथुरा और काशी का मामला हो योगी आदित्यनाथ हिदुत्व का माहौल बनाते रहते हैं। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि जो भारत को प्यार करता है। हम उससे प्यार करते हैं। जो भारत के मूल्यों और सिद्धांतों में रचा बसा है। हम उसको हृदय से लगाते हैं, गले से लगाते हैं और सम्मान भी देते हैं। लेकिन अगर आजादी के बाद किसी ने ईमानदारी से सबका साथ सबका विकास पर काम किया है तो वो भाजपा सरकार ने किया है। आप देख सकते हैं कि जो लोग गरीब कल्याण का नारा देते थे, गरीबी हटाओ का नारा देते थे, सामाजिक न्याय की बात करते थे। उनका क्या सामाजिक न्याय है? गरीबों की पेंशन हड़प जाना क्या यही सामाजिक न्याय है? गरीबों के आवास योजना को लागू न करना क्या यही सामाजिक न्याय है?बता दें कि करीब तीन दशक के बाद किसी भी प्रमुख पार्टी ने गोरखपुर सदर सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित किया है। बसपा ने गोरखपुर सदर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपने पुराने पार्टी कार्यकर्ता ख्वाजा शम्सुद्दीन को चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि इस सीट पर पहले के चुनावों में भी मुस्लिम उम्मीदवार को 3000 से ज्यादा वोट नहीं मिले हैं। सिर्फ 1993 के चुनाव में बसपा के उम्मीदवार जाफर अली जिप्पू  को करीब 14% वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
    हिंदुत्व को लेकर जंग छिड़ी है। ‘हिंदुत्व’ राजनीति के दुश्चक्र में फंस गया है। एक तरफ हाहाकारी हिंदुत्ववादी हैं और दूसरी ओर ‘मैं हिंदू हूं, पर हिंदुत्ववादी नहीं’ के झंडाबरदार। फिर कोई खुर्शीद साहब आते हैं और हिंदुत्व को ‘बोको हराम’ बता जाते हैं। बोको हराम जैसे नृशंस संगठन की तुलना हिंदू धर्म से करना अपनी जाहिलियत का एलान ही है।कभी कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वाले राहुल गांधी हिंदुत्व को हिंसा और सांप्रदायिकता का औजार बता देते हैं। दरअसल हिंदू और हिंदुत्व अद्वैत हैं। हिंदुत्व अपने आप में कोई धर्म, पंथ या वाद नहीं है। जो ‘हिंदुइज्म’ के जरिये हिंदुत्व को समझने की कोशिश करते हैं, उन्हीं से यह बखेड़ा खड़ा हुआ है। हिंदुत्व सिर्फ ‘हिंदू-पन’ है। हमारी परंपरा में चार्वाक ईश्वर के अस्तित्व को ही नहीं मानते थे। उन्होंने वर्तमान में जीने और कर्ज लेकर घी पीने का एलान किया था। हमने उनका सिर कलम नहीं किया, बल्कि ऋषि का दर्जा दिया। कबीर पत्थर को पूजने (मूर्तिपूजा) के खिलाफ खड्गहस्त थे। हमने उन्हें भक्त माना। तुलसी सगुण उपासक थे। पर उन्होंने लिखा पद बिन चले, सुनै बिन काना यानी ईश्वर बिना पैर के चलता और बिना कान के सुनता है।

    यानी ईश्वर निर्गुण है। एक ही बिस्तर पर मेरी सनातनी दादी अंतकाल रघुवर पुर जाई गाती थी, तो आर्य समाजी दादा अंतकाल अकबरपुर (फैजाबाद पैतृक गांव) जाई का उद्घोष करते थे। एक मूर्ति पूजा करता, दूसरा उसका विरोध। पर दोनों हिंदू थे। एक ही छत के नीचे कोई राम भक्त, कोई शिव भक्त, कोई कृष्ण भक्त, तो कोई शक्ति की उपासना करता था। पर सब हिंदू थे। यह है हिंदू धर्म का मूल।

    हिंदू धर्म की इस संवादप्रियता के कारण ही भारतीय इस्लाम और भारतीय ईसाई यहां वैसे नहीं हैं, जैसे अपने मूल रूप में अरब और पश्चिम में हैं। हिंदू धर्म में आस्तिकता की भी जगह है और नास्तिकता की भी। इसमें मूर्ति को मानने वाले भी हैं, मूर्ति को न मानने वाले भी। द्वैत-अद्वैत और सगुण-निर्गुण को मानने वाले भी।

    धर्म के व्यापक फलक में सनातनी भी हिंदू हैं, आर्य समाजी भी और ब्रह्म समाजी भी। ऐसा विशाल और व्यापक धर्म दुनिया में नहीं है। तो फिर हिंदुत्व क्या है? क्या बजरंग दल और श्रीराम सेना की सोच हिंदुत्व है? क्या हिंदुत्व प्रेमी जोड़ों पर हमला है? पहनने-ओढ़ने पर सामाजिक पुलिसिंग है? क्या ‘लव जिहाद’ के नाम पर आंदोलन हिंदुत्व है? घर वापसी हिंदुत्व है?

    वैलेंटाइन-डे का डंडे से मुकाबला हिंदुत्व है? प्राय: कट्टरता को नव राष्ट्रवादी हिंदुत्व का लक्षण मान रहे हैं। एक पवित्र शब्द का अर्थ ऐसे गिरा कि इस शब्द ने अपनी अर्थवत्ता ही खो दी। धारणा में हिंदुत्व के नाम पर एक आक्रामक लठैत समाज खड़ा हो गया, जिसे कोई आलोचना बर्दाश्त नहीं। जैसे बंधु-बंधुत्व, बुद्ध-बुद्धत्व, मनुष्य-मनुष्यत्व होता है, वैसे ही हिंदू-हिंदुत्व होता है।

    उसमें गड़बड़ की अंग्रेजी शब्द ‘हिंदुइज्म’ ने, जिसका अनुवाद अंग्रेजीदां मित्रों ने हिंदुत्व कर लिया। हिंदुत्व शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल बंकिमचंद्र के आनंदमठ में हुआ था। बाद में सावरकर ने इसे राजनीतिक विचारधारा से जोड़ा। नासमझी दोनों तरफ है। जो हिंदुत्व में बोको हराम जैसी नृशंसता देख रहे हैं, उन्हें हिंदू धर्म के बारे में कुछ नहीं पता।

    हिंदू धर्म न किसी एक किताब से जुड़ा है, न किसी एक धर्म प्रवर्तक या भगवान से। यह दुनिया का इकलौता धर्म है, जहां से आप कोई धार्मिक पुस्तक या भगवान निकाल लें, तो भी बगैर खतरे के धर्म बना रहेगा। हिंदू आत्मा के अमरत्व में विश्वास करता है। हिंदू का धर्म ही उसे वह ताकत देता है कि वह अधर्म से निपट सके।

  • उत्तर प्रदेश का चुनाव तय करेगा कि देश में लोकतंत्र या संविधान बचेगा कि नहीं : अरुण श्रीवास्तव 

    उत्तर प्रदेश का चुनाव तय करेगा कि देश में लोकतंत्र या संविधान बचेगा कि नहीं : अरुण श्रीवास्तव 

    संविधान बचाओ, देश बचाओं अभियान के संयोजक ने कहा- भाजपा सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने पर तुली हुई है 
    उत्तर प्रदेश को सबसे बड़ी जरूरत सांप्रदायिक सद्भाव की बहाली एवं जातीय उत्पीड़न को समाप्त करने की है : ओंकार सिंह 
    उत्तर प्रदेश के किसान अपमान का बदला वोट की चोट देकर लेंगे : डॉ. सुनीलम 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली/लखनऊ। समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन के समर्थन में आज राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव ओंकार सिंह, संविधान बचाओ, देश बचाओं अभियान के संयोजक अरूण श्रीवास्तव , पूर्व विधायक (सपा) एवं किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष  डॉ सुनीलम ने अलीगढ़ में  गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
    संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश का चुनाव तय करेगा कि देश में लोकतंत्र या संविधान बचेगा कि नहीं?उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को भाजपा सरकार ध्वस्त करने को तुली हुई है तथा देश के संवैधानिक मूल्यों पर नित नए तरीके से हमले किए जा रहे हैं। समाजवादी नेता अरुण कुमार ने कहा कि सभी छोटे बड़े भा ज पा विरोधी दल गठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन करें ताकि वोटों का बंटवारा रोककर भा ज पा की हार सुनिश्चचित किया जा सके। उन्होंने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए गठबंधन के पक्ष में मतदान करें।
    राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव ओंकार सिंह ने कहा कि योगी सरकार ने पिछले चुनाव में जनता से किए गए सभी वायदों को तोड़ा है तथा प्रदेश में जाति और धार्मिक उन्माद पैदा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस समय उत्तर प्रदेश को सबसे बड़ी जरूरत सांप्रदायिक सद्भाव की बहाली एवं जातीय उत्पीड़न को समाप्त करने की है। उन्होंने कहा कि वे लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं जिससे उन्हें लगता है कि उत्तर प्रदेश के मतदाता भाईचारा कायम करने के लिए बदलाव करने का मन बना चुके है। किसान नेता, पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने किसानों के बिना मांगे जो काले कानून थोपे थे उनके परिणाम स्वरुप किसानों को 380 दिन आंदोलन चलाना पड़ा तथा 715 किसानों की शहादतें हुईं। डॉ सुनीलम ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित देशभर के किसान लखीमपुर में आंदोलनरत किसानों को रौंदते हुए किसानों के नरसंहार को कभी नहीं भूल सकते, जिसके मुख्य षड्यंत्रकर्ता अजय मिश्र टेनी को मोदी सरकार ने अभी भी गृह राज्य मंत्री बनाए रखा है।
    किसान नेता डॉ. सुनीलम ने कहा कि किसान योगी-मोदी सरकार से अपमान का बदला वोट की चोट देकर लेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह मनोहर लाल खट्टर के चुनौती देने के बावजूद जिस तरह से पंजाब के किसानों के नेतृत्व में 380 दिन आंदोलन चलाया था, उसी तरह उत्तर प्रदेश के किसानों को गर्मी उतारने की जो धमकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी है उसका जवाब उत्तर प्रदेश के किसान देकर उन्हें वापस मठ में भेजने को तैयार दिखलाई दे रहे हैं।
    डॉ सुनीलम ने कहा कि पहले चरण में मतदान का जो माहौल बना है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब योगी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। डॉ सुनीलम ने कहा कि किसान और युवा बेरोजगार मिलकर सरकार पलटेंगे।  डॉ सुनीलम ने कहा कि बुलंदशहर में पिंकी के साथ हाथरस की घटना की पुनरावृत्ति से साफ हो गया है कि सरकार महिला उत्पीड़न को लगातार संरक्षण दे रही है तथा कानून व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो चुकी है।
    अलीग इन में संयुक्त किसान मोर्चा के  अलीगढ़ के किसान संगठनों के साथ बैठक हुई। ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के मुख्य कार्यालय में छात्र नेताओं और बुद्धजीवियों के साथ संवाद आयोजित किया गया ,जिसका संयोजन हुसैन वहीद पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
    द्वारा किया गया।
    गठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में अण्डला ,जरारा ,खैर ,राजपुर एवम उसरम ,गोंडा और इगलास गांव में जन संपर्क किया तथा नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया।

  • क्यों अहम हुआ विधानसभा चुनाव ? मोदी ब्रांड के अलावा और क्या लगा है दाव पर

    क्यों अहम हुआ विधानसभा चुनाव ? मोदी ब्रांड के अलावा और क्या लगा है दाव पर

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावों जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत के साथ वापस आए थे। उसके बाद इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को इसे देश का सबसे बड़ा चुनाव कहा जा सकता है| पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनाव, जो देश की आबादी का पांचवां हिस्सा हैं, इस वक्त भी कोरोना महामारी से उबर रहा है। किसान आंदोलन और कोरोना महामारी के बाद ये देश में होने वाला सबसे बड़ा चुनाव है। इस चुनाव में आगामी लोकसभा चुनाव की जमीन तो तैयार होगी ही साथ ही ‘मोदी ब्रांड’ की अग्निपरीक्षा भी है। दो साल बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावी राज्यों में से चार में भाजपा की सरकार है। इसलिए ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भाजपा के लिए ये चुनाव नाक का सवाल है।
    10 मार्च को पांचों राज्यों में चुनावी परिणामों के बाद पता चल जाएगा कि क्या भाजपा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करके पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में किसानों की नाराजगी को बेअसर करने में कामयाब हुई है या नहीं। हालांकि केंद्र सरकार चुनाव में अपने खिलाफ माहौल को देखते हुए तीनों कृषि कानून पिछले साल ही रद्द कर चुकी है।
    उत्तर प्रदेश में इस बार सत्ताधारी भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी लड़ाई मानी जा रही है। तो पंजाब में, मुकाबला त्रिकोणीय लगता है| उत्तर प्रदेश और पंजाब को छोड़कर उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है, जहां भाजपा सत्ता में है। 2017 के चुनाव में कांग्रेस को मणिपुर और गोवा में भाजपा से ज्यादा सीटें मिलीं लेकिन वह सरकार नहीं बना पाई थी। क्योंकि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी, निवर्तमान पंजाब विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिसे कांग्रेस ने 2017 में भारी अंतर से हराया था। लेकिन उस वक्त कांग्रेस का चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह थे, लेकिन कैप्टन को किनारे करके कांग्रेस ने अपने लिए खाई तैयार की है या कोई फर्क नहीं पड़ा, ये चुनाव परिणामों के बाद ही पता लगेगा।

  • अमित शाह को दिया अखिलेश ने जवाब, “जगह और समय बताएं, हम हैं तैयार

    अमित शाह को दिया अखिलेश ने जवाब, “जगह और समय बताएं, हम हैं तैयार

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। शनिवार को मुजफ्फरनगर में अमित शाह ने सपा प्रमुख पर हमला करते हुए कहा, कि अखिलेश यादव को लाज नहीं आती। हिम्मत हो तो अपने समय के आंकड़े लेकर प्रेस वार्ता करें। योगी सरकार में लूट हत्या बलात्कार के मामलों में कमी आई है। अमित शाह ने कहा था कि सपा पार्टी आती थी तो गुंडा, माफिया और तुष्टिकरण की बात करते थे। आज भाजपा के पांच साल हो गए, न जाति की बात है, न परिवार वाद की बात है, न गुंडे, माफिया, तुष्टिकरण की बात है। भाजपा के शासन में सिर्फ और सिर्फ सुरक्षा और विकास की बात है।
    अमित शाह के बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया है। उन्होंने अमित शाह का चैलेंज स्वीकार करते हुए ऐलान किया कि वह हर चैलेंज के लिए तैयार हैं। वो जगह और समय बताएं।
    कानून व्यवस्था के मुद्दे सपा को घेरते हुए अमित शाह ने अखिलेश यादव को अपने समय के आंकड़े पेश करने की चुनौती दी थी। रविवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया, ”हम हर चैलेंज के लिए अभी तैयार हैं… सच को तैयारी की ज़रूरत नहीं पड़ती… वो जगह बताएं, समय बताएं!” माना जा रहा है कि उन्होंने बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष की ओर से दी गई चुनौती का जवाब दिया है।

    अमित शाह की चुनौती पर अखिलेश यादव ने बीते दिन ही कहा था कि मेरे से किसान के सवाल पर भाजपा जब चाहे बहस कर लें। उन्होंने कहा था कि भाजपा को यह बताना चाहिए कि कृषि कानून क्यों लाए थे और यह कानून अब किसानों के हक में क्यों नहीं हैं? भाजपा पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा था कि इन्हें शर्म आनी चाहिए क्योंकि इनकी वजह से 700 किसानों की जान गई है। क्या भाजपा जवाब देगी किसानों की आय दोगुनी हुई है?

     

  • अपना दल के 2 विधायकों ने छोड़ी पार्टी, योगी सरकार पर आरोप : यूपी चुनाव

    अपना दल के 2 विधायकों ने छोड़ी पार्टी, योगी सरकार पर आरोप : यूपी चुनाव

    द न्यूज़ 15
    लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के सहयोगी अपना दल के दो विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।

    उनके इस्तीफे के बाद, चौधरी अमर सिंह ने कहा कि यह सरकार झूठी है और कोई विकास नहीं किया गया है। मैं अखिलेश यादव से मिला हूं और उनकी पार्टी में शामिल होने जा रहा हूँ । जल्द ही और लोग हमारे साथ जुड़ेंगे।

    वह सिद्धार्थ नगर से शोहरतगढ़ सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते है।

    अपना दल के अन्य विधायक आर.के. वर्मा ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। वह प्रतापगढ़ की विश्वनाथ गंज सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    दोनों विधायकों ने गठबंधन छोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

    दो नए इस्तीफे के साथ, उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ गठबंधन के कुल 12 विधायकों ने राज्य सरकार पर पिछड़ा वर्ग विरोधी होने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है।

    तीन मंत्रियों सहित भाजपा के दस विधायक मंगलवार से अब तक भाजपा छोड़ चुके हैं।

    यह सिलसिला शीर्ष मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाहर निकलने के साथ ही शुरू हुआ, उसके बाद उसी दिन उनके करीबी तीन विधायक – भगवती सागर, रोशन लाल वर्मा और बृजेश प्रजापति ने पार्टी छोड़ दी थी।

    बुधवार को राज्य के एक अन्य मंत्री दारा सिंह चौहान और विधायक अवतार सिंह भडाना ने इस्तीफा दे दिया। भडाना सपा के सहयोगी रालोद में शामिल हो गए।

    गुरुवार को मंत्री धर्म सिंह सैनी और भाजपा के तीन अन्य विधायक विनय शाक्य, मुकेश वर्मा और बाला अवस्थी ने भी पार्टी छोड़ दी।

    जिन तीनों मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है, वे प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के नेता हैं, उनका दावा है कि समुदाय के हितों की उपेक्षा की जा रही है।