उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी कांड बड़ा मुद्दा बन चुका है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के किसानों को धमकी देने के बावजूद और उनके बेटे के तीन किसानों की हत्या के आरोपी होने के बावजूद उनको मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया जा रहा है। किसानों को धमकी देने औेर सवाल पूछने पर पत्रकारों के साथ बदसलूकी करने पर विपक्ष और पत्रकारों ने इसे मुद्दा बना लिया है।
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यूपी सरकार ने बजट में खोला खजाना, किसानों व बुजुर्गों को मिली सहूलियत
लखनऊ| उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को योगी सरकार ने विधानसभा चुनाव 2022 के पहले 8 हजार 479 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट सदन में पेश किया। बजट में किसानों व बुजुर्गों के लिए पेंशन सहित प्रदेश के कई हिस्सों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने, खेल व काशी विश्वनाथ के लिए भी धन आवंटित किया गया है। मुख्यमंत्री योगी ने गरीबों, मजदूरों, जरूरतमंदों और महिलाओं के लिए खजाना खोला है। उन्होंने निराश्रित महिलाओं, वृद्धावस्था और दिव्यांगजन पेंशन की राशि पांच सौ से एक हजार रुपए बढ़ाने और कुष्ठरोगियों को तीन हजार रुपए प्रति माह, असंगठित क्षेत्र के करीब ढाई करोड़ मजदूरों और करीब 60 लाख पंजीकृत मजदूरों को दिसंबर माह से मार्च तक पांच सौ प्रति माह देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री योगी ने हर कुष्ठ रोगी को प्रधानमंत्री आवास योजना या मुख्यमंत्री आवास योजना से भी लाभान्वित करने और आयुष्मान भारत की राशि खर्च होने के बाद गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को पांच लाख अतिरिक्त राशि देने की घोषणा की है।
सीएम योगी ने सपा का बिना नाम लिए कहा कि करोड़ों हिंदुओं का कत्लेआम कराने वाला जिन्ना भारत का आदर्श कभी नहीं हो सकता। निर्दोष लोगों का हत्यारा है वह व्यक्ति, लेकिन कुछ लोग जिन्ना को महिमा मंडित अपने क्षणिक वोट बैंक के स्वार्थों के लिए कर रहे हैं, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता।
कहा कि समाजवाद ला रहे हैं, यही समाजवाद है। अंधेरा लाना समाजवाद है। गुंडागर्दी समाजवाद है, माफियागिरी समाजवाद है। आतंकवादियों को प्रश्रय देना अगर समाजवाद है, तो ऐसे समाजवाद को तिलांजलि देना ही अच्छा है और उसको तिलांजलि देने के लिए लोगों को तैयार होना ही होगा।
योगी ने कहा कि आचार्य रजनीश ने एक बात कही थी कि जो नया समाजवाद है, समाजवाद अमीरों को गरीब बनाता है।
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यूपी बीजेपी ने विपक्षी विधायकों का पार्टी में किया स्वागत
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2017 में विपक्षी दलों से हारने वाली 78 सीटों पर सेंध लगाना शुरू कर दिया है। इस रणनीति के तहत पार्टी ने इन सीटों पर जीतने वाले विपक्षी विधायकों का स्वागत किया है। भाजपा अपने ‘मिशन 300 प्लस’ को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है और लक्ष्य को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
उदाहरण के लिए, जिन पांच सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त की गई, वे गौरीगंज, सहसवां, सादाबाद, सोरांव और रायबरेली सदर सीट हैं।
रायबरेली की मौजूदा विधायक अदिति सिंह का भाजपा पहले ही स्वागत कर चुकी है। अदिति सिंह के पिता, स्वर्गीय अखिलेश सिंह ने इस क्षेत्र में काफी प्रभाव डाला और उन्होंने सीट पर 2017 में जीत हासिल किया था। भाजपा को भरोसा है कि वह सीट बरकरार रखेगी और इसे भगवा खेमे में जोड़ देगी।
2017 में हाथरस की सादाबाद सीट से बीजेपी को हराने वाले बसपा के रामवीर उपाध्याय भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं और आगामी चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार होंगे।
अमेठी की गौरीगंज सीट से समाजवादी पार्टी के राकेश प्रताप सिंह ने जीत हासिल की थी।
उन्होंने हाल ही में क्षेत्र में विकास की कमी का हवाला देते हुए राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह अब ‘अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए’ भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं।
आजमगढ़ की सगड़ी सीट से बसपा विधायक वंदना सिंह भी इस सप्ताह की शुरुआत में भगवा पार्टी में शामिल हो गई हैं।
गाजीपुर के सईदपुर से सपा विधायक सुभाष पासी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं और भगवा बैनर तले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “हम उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जहां हम हार गए थे और अगर इन सीटों के मौजूदा विधायक हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। स्क्रीनिंग कमेटी उनकी उम्मीदवारी को मंजूरी देगी और वे हमसे जुड़ सकते हैं।”
भाजपा विशेष रूप से सपा विधायकों पर नजर गड़ाए हुए है, जिनमें से कुछ को उनकी पार्टी टिकट से वंचित कर सकती है क्योंकि सीटें सहयोगियों को दी जाएंगी।
सपा के एक विधायक ने कहा, “मुझे पता चला है कि मेरी सीट रालोद द्वारा ली जा रही है और इसलिए मैं अगले पांच साल तक वापस नहीं बैठ सकता। अगर सभी तौर-तरीकों पर काम किया जाता है तो मैं भाजपा में शामिल होने की योजना बनाऊंगा।
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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकता है योगी और मोदी का आंतरिक द्वंद्व!
सी.एस. राजपूत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के बीच जो आंतरिक द्वंद्व चल रहा है, उसका खामियाजा बीजेपी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सटका है। पीएम और सीएम के बीच सब कुछ ठीक है। यह बात पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन पर भी दिखाई दी। जहां मोदी और योगी एक साथ बैठे होने के बावजूद एक दूसरे से दूरियां बनाते दिखे वहीं मोदी की गाड़ी के पीछे योगी के चलने की एक तस्वीर भी खूब वायरल हो रही है। एक प्रधानमंत्री अपने गाड़ी पर बैठा जा रहा हो और देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री उनकी गाड़ी के पीछे चल रहे हों तो उंगली तो उठेगी ही।
दरअसल मोदी और योगी का विवाद 2017 के विधानसभा चुनाव से ही चला आ रहा है। जब बीजेपी ने चुनाव जीता तो मोदी और अमित शाह के गाजीपुर के तत्कालीन सांसद मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव की ख़बरें मार्केट में आ चुकी थी। आनन्-फानन में योगी आदित्यनाथ को मुख़्यमंत्री बनाया गया। इसके पीछे आरएसएस का हाथ बताया गया था। गत दिनों जब मोदी के करीबी आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी ने विधान परिषद के ज़रिए सदन में भेजा तो यह योगी आदित्यनाथ का बड़ा नागवार लगा था। इस वजह से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा उठ खड़ी हुई थी कि राज्य सरकार में ‘बड़े बदलाव’ की तैयारी हो रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों नेमोदी तो अरविंद शर्मा के मुख़्यमंत्री बनने की खबरें तक लिख दी थी। योगी के सिर पर आरएसएस का हाथ होने की वजह से उत्तर प्रदेश में वैसा ही हो रहा है जैसा की योगी चाहते हैं। तब योगी ने साफ़तौर पर कह दिया है कि अरविंद शर्मा को कोई महत्वपूर्ण विभाग तो छोड़िए, कैबिनेट मंत्री भी बनाना मुश्किल है। राज्य मंत्री से ज़्यादा वो उन्हें कुछ भी देने को तैयार नहीं थे। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस क़दम को सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवहेलना और उन्हें चुनौती देने के तौर पर देखा जा रहा था।
पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को यह अक्सर याद दिलाता रहता है कि वो मुख्यमंत्री किसकी वजह से बने हैं और मौक़ा पाने पर योगी आदित्यनाथ भी यह जताने में कोई कसर नहीं रखते कि नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री के विकल्प वह ही हैं। हालाँकि बीजेपी से ही ऐसी खबरें बाहर आती हैं कि योगी आदित्यनाथ को मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने अभियान चलाने के पीछे योगी आदित्यनाथ के क़रीबियों का भी हाथ रहता है। योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर संघ में भी और बीजेपी में भी मंथन चल रहा है। योगी आदित्यनाथ की ओर से भी अपनी ताक़त का एहसास कराया जाता रहता है। योगी और मोदी समय समय पर अपनी-अपनी मौजूदगी का एहसास कराते रहते हैं। अब जब पूर्वांचल एक्सप्रेस के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का आंतिरक विवाद दिखा। दोनों एक साथ बैठे थे पर बात नहीं कर रहे थे। जैसे योगी मोदी की गाड़ी के पीछे चल रहे हैं ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री को इस तरह से गाड़ी के पीछे चलाना अपने रुतबे का एहसास कराना है। लखीमपुर कांड में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर कोई कार्रवाई न होना और सांसद कमलेश पासवान के करीबी नेता के दीपक गुप्ता नामक युवक की गाली गलौच करते हुए पिटाई करना भी योगी को कमजोर करने के रूप में देखा जा रहा है।
वैसे भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को चेहरा बनाया जा रहा है। ओमकारा फिल्म के गाने धम धम धड़म ढैया रे, सबसे बड़े लड़ैया रे की तर्ज पर द बिगेस्ट लड़ैया योगी गाना बनाया जा रहा है। मतलब योगी को मोदी से भी बड़ा लड़ैया दिखाया जा रहा है। ऐसे में बीजेपी योगी और मोदी दो लॉबी बंटने की पूरी आशंका है।