Tag: Sunil Chaudhary can turn the tide by capitalizing on the resentment of voters towards Pankaj Singh!

  • पंकज सिंह के प्रति मतदाताओं की नाराजगी को भुनाकर बाजी पलट सकते हैं सुनील चौधरी!

    पंकज सिंह के प्रति मतदाताओं की नाराजगी को भुनाकर बाजी पलट सकते हैं सुनील चौधरी!

    चरण सिंह राजपूत
    नई दिल्ली/नोएडा। वैसे तो पांच राज्यों में विधान चुनाव होने वाले हैं पर पूरे देश का ध्यान उत्तर प्रदेश पर है। उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है। दोनों ही दलों ने लगभग पहले चरण में हो रहे चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। कई सीटों पर पर्चे भी दाखिल कर दिये गये हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे खर्चीली सीट मानी जाने वाली नोएडा विधानसभा सीट पर भी मुकाबला भाजपा के पंकज सिंह और सपा के सुनील चौधरी के बीच माना जा रहा है। भले ही नोएडा भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाने लगी हो, भले ही पंकज सिंह यहां से विधायक हों पर इस बार उनकी जीत इतनी आसान नहीं है।
    स्थानीय लोग तो लगातार विभिन्न समस्याओं को लेकर योगी सरकार के खिलाफ आंदोलित ही ही साथ ही पंकज सिंह के प्रति भी लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। लोगों को ज्यादा तवज्जो न देने के पंकज सिंह के रवैये के चलते ग्रामीण के साथ ही शहरी मतदाताओं में उनके प्रति नाराजगी है। खुद भाजपा के संगठन से जुड़े काफी कार्यकर्ता भी उनसे नाराज नजर आ रहे हैं। ऐसे में यदि सुनील चौधरी ने गांवों के साथ ही शहरी मतदाताओं पर भी काम कर पंकज सिंह के प्रति लोगों की नाराजगी को भुना लिया तो वह इन चुनाव में करिश्मा दिखा सकते हैं। वैसे भी सुनील चौधरी की छवि एक व्यवहारकुशल नेता की है। सपा में भी यदि उनकी कोई आलोचना होती है तो वह हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। इन चुनाव में सुनील चौधरी की हर किसी से व्यवहार बनाकर रखने की रणनीति काम आ सकती है।
    दरअसल सुनील चौधरी की पृष्ठभिूम एक सम्मानित परिवार की रही है। सुनील चौधरी के एक चाचा वीरेंद्र चौधरी रालोद से मंत्री तो सपा से एमएलसी रह चुके हैं। वह बात दूसरी है कि आजकल वह भाजपा में हैं। इनके एक चाचा वी.एस. चौहान सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं। सुनील चौधरी खुद बचपन से नोएडा में रहते हैं। समाजवादी पार्टी के गठन के कुछ दिन बाद ही वह संगठन से जुड़ गये थे और तभी से समाजवादी पार्टी में हैं। पंकज सिंह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे हैं। गत विधानसभा चुनाव में राजनाथ सिंह के रुतबे के चलते ही उन्हें नोएडा से उम्मीदवार बनाया गया था। बीजेपी सांसद महेश शर्मा भले ही विभिन्न कार्यक्रमों में पंकज सिंह के साथ दिखाई देते हों पर उनका पंकज सिंह के साथ ३६ का आंकड़ा बताया जाता है। वैसे भी एक टीवी डिबेट में सांसद प्रतिनिधि संजय बाली के स्थानीय लोगों के बारे में की गई गलत टिप्पणी को लेकर स्थानीय लोग भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। ऐस में यदि सुनील चौधरी कही ढंग से चुनाव लड़ लिये और सपा नेताओं ने उनका साथ दे दिया तो वह इन चुनाव में बाजी पलट भी सकते हैं। दरअसल  नोएडा विधानसभा सीट पर बीते तीन चुनावों से बीजेपी का ही कब्जा है। 2012 में इस सीट पर डॉ. महेश शर्मा विधायक बने थे। इसके बाद 2014 के विधानसभा उपचुनाव में यहां से विमला बाथम चुनाव जीतकर एमएलए बनीं। 2017 में इस सीट से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह विधायक बने।

    कांग्रेस से अखिलेश राज में सपा की कद्दावर नेता रही पंखुड़ी पाठक चुनावी समर में हैं। पंखुड़ी पाठक प्रिंयका गांधी की काफी करीबी बताई जाती हैं। हाल ही उनके पक्ष में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रचार करने आये थे। पंखुड़ी पाठक के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रचार करने के लिए नोएडा आने वाले हैं। बसपा ने कभी कांग्रेस के नेता रहे कृपाराम शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कृपाराम स्थानीय नेता माने जाते हैं।
    उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले की नोएडा विधानसभा सीट राजनीति के लिहाज से रसूख वाली सीट मानी जाती है।  2017 में निर्वाचित हुए पंकज सिंह को इस सीट पर कुल 1 लाख 62 हजार 417 वोट मिले थे। इन चुनावों में समाजवादी पार्टी के सुनील चौधरी थे, जिन्हें 58 हजार 401 वोट मिले थे। इस बार फिर पंकज सिंह और सुनील चौधरी आमने सामने हैं। 2012 के आम चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के डॉ. महेश शर्मा चुनाव जीते थे। महेश शर्मा इस सीट पर 2 साल तक विधायक रहे।
    हालांकि 2014 के चुनाव में महेश शर्मा को बीजेपी ने गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट का दावेदार बना दिया। इसके बाद चुनाव जीते महेश शर्मा को नोएडा की विधानसभा सीट छोड़नी पड़ी। 2014 के उपचुनाव में बीजेपी की विमला बाथम ने चुनाव जीता और 1 लाख से अधिक वोट हासिल किए। इन चुनावों में एसपी की नेता काजल शर्मा दूसरे और कांग्रेस के राजेंद्र अवाना तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर लगभग साढ़े 5 लाख मतदाता बताये जाते हैं।