Tag: Subrata Roy is making a strategy to remove the ban on collection by submitting the consent letter of the investors in the Supreme Court!

  • सुप्रीम कोर्ट में निवेशकों का सहमति पत्र जमा कर कलेक्शन पर लगे प्रतिबंध को हटवाने की रणनीति बना रहे सुब्रत राय!

    सुप्रीम कोर्ट में निवेशकों का सहमति पत्र जमा कर कलेक्शन पर लगे प्रतिबंध को हटवाने की रणनीति बना रहे सुब्रत राय!

    देशभर में चल रहे आंदोलन के साथ ही पटना हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट की सख्ती और सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका से बौखलाये सहारा के चेयरमैन ने अपने सिपेसालारों को दिया निवेशकों से सहमति पत्र लेने का आदेश, 50000 से लेकर 100000 रुपये तक के निवेशकों को १०००० रुपये दे बकाया भुगतान जल्द देने का आश्वासन देकर सहमति पत्र लेने में लगे हैं सहारा के अधिकारी

    चरण सिंह राजपूत
    सा लग रहा है कि सहारा के मुखिया सुब्रत राय के शातिर दिमाग के सामने देश के सभी तंत्र फेल होने नजर आ रहे हैं। अपनी माता के निधन के बाद छह साल से पैरोल पर चल रहे सुब्रत सेबी के पैसा देने पर निवेशकों के भुगतान करने की बात करते हैं तो कभी कहते हैं कि उन्होंने निवेशकों का पाई-पाई निपटना दिया है। अब जब पटना हाई कोर्ट के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट ने सहारा पर भुगतान के लिए शिकंजा कसा। पटना हाई कोर्ट ने सेबी से पैसा मिलने पर बिहार के सभी निवेशकों का पैसा लौटाने की बात सहारा से कही। सहारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी गई तो सुब्रत के साथ ही उनके सिपेहसालार बेचैन हो उठे। अपने को चारों ओर से घिरता देख सुब्रत राय ने निवेशकों के सहमति पत्रों के साथ सुप्रीम कोर्ट में निवेशकों का पैमेंट करने का एक हलफनामा दायर करने की तैयारी सहारा इंडिया की है। सुब्रत राय ने अपने सिपेहसालारों से ऐसी लिस्ट बनवाई है जिनका भुगतान 50000 – 100000  तक करना है। सुब्रत राय के निर्देश पर सहारा के अधिकारी निवेशकों को 10000  देकर उनको उनका बकाया भुगतान जल्द देने का आश्वासन देकर उनसे भुगतान होने का एक सहमति पत्र ले रहे हैं।

    दरअसल सुब्रत राय को अंदेशा है कि यदि जनहित याचिका पर सुनवाई हो गई तो सहारा की पूरी फाइल खुल सकती है। ऐसे में सुब्रत राय के सारे काले कारनामों का खुलासा का अंदेशा है। सुब्रत राय की योजना है कि सुनवाई होने से पहले वह बड़े स्तर पर निवेशकों के सहमति पत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट का विश्वास जीत ले। इस योजना की बड़ी वजह सहारा पर किसी प्रकार का कलेक्शन न करने का प्रतिबंध भी है। दरअसल सहारा का कलेक्शन न होने की वजह से सुब्रत राय औेर उसके सिपेहसालार बेचैन हो उठे हैं। सुब्रत राय चाहते हैं कि किसी भी तरह से सुप्रीम कोर्ट से कलेक्शन पर लगा प्रतिबंध हटवा दिया जाए। ऐसे में सुब्रत राय ने कम पैसे जमा करने वाले निवेशकों का भुगतान कर वाहवाही लूटने की योजना तैयार की है।
    यह सुब्रत राय की लोगों को ठगने की ही नीति है कि काफी लोग सुब्रत राय को नटवार लाल की भी संज्ञा देते हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि लोगों को ठगने का जो दिमाग सुब्रत राय के पास है वह शायद किसी के पास न हो। सुब्रत राय ने न केवल जनता का पैसा सहारा में जमा कराया बल्कि ब्यूुरोक्रेट्स, राजनेता, अभिनेताओं का बड़े स्तर पर काला धन सहारा में जमा करवाने के आरोप लगातार सुब्रत राय पर लगते रहे हैं। लोग उनके बचाव का कारण भी उनके ऊंचे रसूख को मानते हैं। यह सुब्रत राय का ही दिमाग है कि सहारा में ऐसे अय्यारों की फौज सहारा में खड़ी कि इसके तिलिस्म के सामने चंद्रकांता उपन्यास के अय्यार भी फेल हो जाएं। सहारा ऐसा संस्थान है जिसमें कारगिल युद्ध में जो सैनिक शहीद हुए थे उनके परिजनों को आर्थिक सहायता देने के नाम पर १० साल तक अपने ही कर्मचारियों से पैसे ले लिये।
    सहारा का दावा रहा है कि उनके परिवार में 1000000 सदस्य हैं। ये पैसे सहारा अपने कर्मचारियों के अलावा एजेंट से भी वसूलता था। अब दस साल तक कितने पैसे जमा हुए होंगे बताने की जरूरत नहीं है। सहारा ने कारगिल के शहीदों पर कितने पैसे जमा किये यह रिकार्ड तो रक्षामंत्रालय में होगा। यह सुब्रत राय का शातिर दिमाग ही था कि जब 2014  में सुब्रत राय की गिरफ्तारी हुई तो उन्होंने जेल से छुड़ाने के नाम पर अपने ही कर्मचारियों को एक पत्र भेजा, जिसमें सहारा की आर्थिक मदद की बात कही गई थी। बताया जाता है कि उनके इस पत्र पर लगभग 1200  करोड़ रुपये जमा हुए। यह उस समय की बात है जब सहारा को सेबी को मात्र 500 करोड़ रुपये देने थे। वेतन मिलने का संकट संकट के चलते जब सहारा मीडिया का एक प्रतिनिधिमंडल सुब्रत राय से तिहाड़ जेल में मिला तो उनके सामने इन 1200 करोड़ रुपये का जमा होने का हवाला देकर सेबी के भुगतान की बात कही गई तो इस पर सुब्रत राय का जवाब था कि वे 1200 करोड़ रुपये उन्होंने किसी और मद में खर्च कर दिये। मतलब एक ओर उन्होंने अपने को जेल छुड़ाने के लिए अपने ही कर्मचारियों को ठग लिया तो दूसरी ओर पैसा होने के बावजूद सेबी को नहीं दिया। सुब्रत राय की यही नीति रही है।

    निवेशकों की भी इतने बड़े स्तर पर देनदारी की वजह यही है। जब भी किसी निवेशक को भुगतान देने का समय आया तो उसे और लालच देकर उसकी मयाद और बढ़ा दी गई। अब जब देश में बड़े स्तर पर निवेशक अपना पैसा मांग रहे हैं तो सेबी का हवाला देकर उन्हें भ्रमित किया जा रहा है। सहारा में लोकतंत्र की बात करने वाले सुब्रत राय अपने खिलाफ एक भी बात नहीं सुन सकते हैं। यही वजह है कि वह हमेशा चाटुकारों से घिरे रहते हैं।
    आज स्थिति यह है कि सहारा में न केवल निवेशक अपना पैसा मांग रहे हैं बल्कि ऐसे कितने कर्मचारी हैं जिनका रिटायर्डमेंट होने पर भी उनका बकाया भुगतान नहीं मिला है। कई-कई महीने में कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है। सहारा के निदेशक सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव, जयब्रत राय के परिवार ने अपनी-अपनी अलग कंपनियां बना ली हैं। ओपी श्रीवास्तव के बाबा रामदेव के पतंजलि में पैसा लगाने की बात सामने आ रही है। ऐसे में निवेशक, कर्मचारी बेचारे राम भरोसे हैं।