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  • 2024 में BJP की राह मुश्किल? क्या भ्रष्टाचार में लिप्त विपक्ष एकजुट हो पाएगा?

    2024 में BJP की राह मुश्किल? क्या भ्रष्टाचार में लिप्त विपक्ष एकजुट हो पाएगा?

    जैसे- जैसे 2024 नज़दीक आ रहा है, देश की राजनीति में तेज़ हलचल देखने को मिल रही है। केंद्रीय एजेंसीयां जैसे ED और CBI जहां विपक्ष के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं, वहीं इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने के चलते, विपक्ष एकजुट्टता का नारा लगा रहा है। हाल ही में देखा गया कि आम आदमी पार्टी जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करते हुए उभरी थी, उसके बड़े-बड़े नेता भी भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त नज़र आए। जिनके खिलाफ अब ED और CBI action ले रही है। अब एसे में समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि, अगर आप के नेता, कट्टर ईमानदार हैं, तो उन्हें अपने बचाव के लिए एसे एसे भ्रष्ट नेताओं के साथ की क्यों ज़रुरत पड़ रही है, जिनके खिलाफ एक वक्त दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद, भ्रष्ट होने के लिए आवाज़ उठाइ थी। ये जगजाहीर है कि विपक्ष किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाना चाहता है। ये हम नहीं बोल रहें हैं, खुद ‘कट्टर ईमानदार’ नेता कुछ कथाकथित भ्रष्ट नेताओं के साथ हाथ मिलाकर बोल रहें हैं।

    दूसरी ओर PM Modi ने सार्वजनिक मंच से ये एलान किया था कि ‘ना खाउंगा, न खाने दूंगा’। तो देखते हैं कि ये कोई जुमला है, या हकीकत में कुछ एसा हो भी रहा है?।

    यहां देखें video: 2024 में BJP की राह मुश्किल? क्या भ्रष्टाचार में लिप्त विपक्ष एकजुट हो पाएगा? 

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध 0 tolerance की नीति अपनाते- अपनाते भाजपा विपक्ष के लगातार निशाने पर है । विपक्ष का आरोप है कि भाजपा, ED और CBI के ज़रिए विपक्ष की आवाज़ दबाने का काम कर रही है। तो आज हम जानने की कोशिश करते हैं कि विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कौन-कौन से मामले दर्ज हैं और कैसे भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त होने के बाद भी विपक्ष एकजुटता के सपने देख रहा है। और क्या सही में 2024 का चुनाव मोदी बनाम एकजुट विपक्ष होगा हो सकता हे?।

    नरेंद्र मोदी और भाजपा ने 2014 से पहले बतौर विपक्ष कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ अवाज़ उठाई है और साथ ही आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी, जिसके कारण जनता ने केंद्र में भाजपा तो वहीं दिल्ली में आप को भारी बहुमत भी दिया। लेकिन महज़ 9-10 सालों में हालात काफी बदले, की पहले जहां एक विपक्ष सत्तापक्ष से corruption के खिलाफ लड़ने की मांग करता था, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ED और CBI की कार्यवाही की मांग करता था, वहीं आज का विपक्ष इसके ठीक उल्टा कर रहा है, कुछ एसा कहना है भाजपा नेता वेंकैया नायडू का ।

    वहीं PM Modi ने 2014 में आवाज़ बुलंद कर ये भी कहा था कि ‘ना खाउंगा, न खाने दूंगा’। एक एसा नारा, जिसने देश की अधिकांश जनता का विश्वास जीताने में भाजपा की बहुत मदद भी की । एक एसा नारा जो काफी हद तक सच होता भी दिखा। वरना वक्त तो एसा भी था, जब केंद्र की कांग्रेस सरकार ये कहती थी, कि दिल्ली से निकला 1 रुपया दूर दराज़ गरीब किसान मज़दूर तक पहुंचते- पहुंचते 15 पैसा रह जाता है। वहीं अब BJP govt की प्रधानमंत्री जन-धन योजना के माध्यम से, DBT यानी Direct Benefit Transfer के ज़रिए पैसा शत-प्रतिशत गरीब की जेब में पहुंचता है। एक सिलसिले वाद से प्रक्रिया शुरु कि, ताकी बिचौलिए के ज़रिए corruption की गुंजाइश खत्म हो सके। वहीं बड़े से बड़े corrupt नेताओं के खिलाफ corruption के मामलों में कार्यवाही भी शुरु की गई। 2014 से लेकर अब तक हमने देखा की विपक्ष के बहुत से बड़े-बड़े नेता CBI और ED की रडार पर रहे, जिन पर केस भी चला, कुछ जेल भी गए, और कुछ नेता तो बेल पर बाहर भी हैं। लेकिन अभ भी भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी, और गिरफ्तारी भी जारी हैं। कुछ मंत्री जिन पर corruption के charges रहें हैं या चल रहें हैं, आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताएंगे ।

    पी. चिदंबरम: INX Media

    2007 के आईएनएक्स मीडिया घोटाले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को मनी लॉन्ड्रिंग के चलते 106 दिन जेल की सलाखों में रहना पड़ा था। दरअसल पी. चिदंबरम ने 2007 के वक्त वित्त मंत्री रहते हुए रिश्वत लेकर INX मीडिया हाउस को 305 करोड़ रु. का फंड लेने के लिए Foreign Investment Promotion Board (FIPB) से मंजूरी दिलाई थी। इस पूरे मामले में जिन कंपनियों को फायदा हुआ,उन्हें चिदंबरम के बेटे कार्ति चलाते हैं। गौरतलब है कि INX मीडिया घोटाले में CBI ने 15 मई 2017 को केस दर्ज किया था। वहीं 2018 में ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। हालांकि पी.चिदंबरम को 2019 में कोर्ट से सशर्त बेल मिल गई थी।

    अनिल देशमुख(NCP): 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप

    मार्च 2021 में वरिष्ठ IPS अधिकारी परम बीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य दिया था. ईडी, जो मामले के वित्तीय पहलू की जांच कर रही है, ने आरोप लगाया था कि राज्य के गृह मंत्री के रूप में कार्य करते हुए देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े के माध्यम से मुंबई में विभिन्न बार और रेस्तरां से 4.70 करोड़ रुपये इकट्ठे किए।

    अमानतुल्लाह खान : दिल्ली वक्फ बोर्ड करप्‍शन केस

    आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान की दिल्ली वक्फ बोर्ड के बैंक खातों में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में 2022 में गिरफ्तारी हुई थी। वक्‍फ की संपत्तियों में किरायेदारी का निर्माण करने, बोर्ड की सेवा नियमों का उल्लंघन करते हुए 33 लोगों की अवैध नियुक्ति करने के लिए जेल भेजा गया था। इसके साथ ही खान ने वाहन खरीद मामले में भी भ्रष्टाचार किया। दिल्ली वक्फ बोर्ड करप्शन के मामले में ACB ने जनवरी 2020 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। बता दें कि Anti Corruption Branch यानी ACB ने कई घंटों की लंबी पूछताछ के बाद अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि गिरफ्तारी से पहले ACB ने विधायक खान के घर समेत 5 ठिकानों पर छापेमारी की और 12 लाख रुपये और एक बिना लाइसेंस वाला हथियार बरामद किया था। हालांकि कुछ दिन के बाद ही उन्हें 1 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई थी।

    सत्‍येंद्र जैन: मनी लॉन्ड्रिंग केस

    दिल्ली सरकार के स्वास्थय मंत्रालाय का पदभार संभालने वाले सत्‍येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मई 2022 में गिरफ्तार किया था। बता दें कि सत्येंद्र जैन को ईडी ने 4.8 करोड़ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। साल 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। हाल ही में जैन का जेल में सेवा का लाभ उठाते हुए विडीयो भी सामने आया था। बता दें कि सत्येंद्र जैन फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है और उनका इस्तीफा भी अभी हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंजूर किया था।

    मनीष सिसोदिया: Delhi liquor policy

    दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को CBI ने आबकारी नीति 2021-22 बनाने और उसे लागू करने में की गई गड़बड़ियों के आरोप में 26 फरवरी देर शाम गिरफ्तार किया। बता दें कि चीफ सेक्रेट्री द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट के आधार पर LG ने नई आबकारी नीति की CBI जांच के निर्देश दिए थे, मामले में 16 लोगों पर FIR दर्ज की, सिसोदिया को आरोपित नंबर 1 बनाया। गौरतलब है कि 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति लॉन्च हुई। जिसमें बीजेपी ने घोटाला होने के आरोप लगाए। आरोप लागाए गए कि शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने की नीति से कुछ डीलरों को लाभ मिला। जिसके लिए डीलरों ने कथित रूप से रिश्वत दी थी। गिरफ्तारी के बाद, 28 फरवरी को मनीष सिसोदिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसको मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मंज़ूर भी कर लिया था।

    सोनिया और राहुल गांधी- नेशनल हेराल्ड केस

    सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनो फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं। दोनो मां बेटे दरअसल, नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले के केस में involved हैं जिसके चलते उन्हें 2015 में ज़मानत मिली थी, हालांकि केस में ED द्वारा जांच अभी भी चल रही है। बता दें कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था। साल 2020 और 2021 में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की मौत हो गई थी, जिसके बाद बाकी सभी आरोपियों को दिसंबर 2015 में इस मामले में निचली अदालत से जमानत मिल गई थी।

    Lalu Prasad Yadav: चारा घोटाला और लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land For Job Scam)

    बीहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामलों में अब तक कुल सात बार जेल जा चुके हैं। इसके साथ ही जमीन के बदले नौकरी घोटाला यानी लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में भी फिलहाल लालू और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं । इस स्कैम की जांच अब CBI के साथ-साथ ED भी कर रही है। ED ने CBI की शिकायत पर प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया है। गौरतलब है कि इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 मार्च को बेल दे दी है। अदालत ने 50 हजार के निजी मुचलके पर सभी को जमानत दी। राउज एवेन्यू कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी।

    इन सबके अलावा विपक्ष के और भी नेता हैं जिनके खिलाफ अलग-अलग घोटालों में जांच चल रही है- जैसे- तेजस्वी यादव- IRCTC घोटाले मामले में, TMC नेता अनुब्रत मंडल- मवेशी तस्करी घोटाले में, TMC से पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी SSC घोटाले के आरोप में प्रेसिडेंसी जेल में बंद हैं। एसे और भी भ्रष्ट नेता हैं जो भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त हैं ।

    वहीं भ्रष्टाचार को खत्म करने का बीड़ा उठाने वाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी विपक्ष की पार्टियों पर भ्रष्टाचार को लेकर लगातार हमलावर हो रही है। तो दूसरी ओर विपक्ष भाजपा पर ED और CBI का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है। उनके मुताबिक BJP washing machine का काम कर रही है, जितने भी दागी नेताओं के विरुद्ध पहले corruption case चल रहे होते हैं, वो सब जैसे ही भाजपा join करते हैं तो साफ छवी के बन जाते हैं, मानो भाजपा washing machine में धोया हो। असल बात ये है कि भ्रष्ट नेता और भ्रष्टाचार दोनो ही देश को खोकला करने का काम करते हैं, जिसके चलते भ्रष्ट नेताओं का पकड़ा जाना देश की ही भलाई है । एसे में आप हमें comment करके अपनी राय ज़रुर दें, कि क्या ED और CBI की जांच का कुछ असर 2024 के चुनावों पर होगा, क्या 2024 के चुनावों में भ्रष्ट नेताओं पर केंद्रीय एजेंसीयों का शिकंजा जनता के लिए मुद्दा बन पाएगा? और क्या इस मुद्दे के ज़रिए हमें 2024 में एकजुट विपक्ष मिल पाएगा? या फिर से एक बार मोदी सरकार देश को मिलेगी ?

    क्या congress का विादित बयान, ” मोदी तेरी कब्र खुदेगी ” 2024 में उन पर उल्टा तो नहीं पढ़ेगा? क्योंकि इसी बयान के ज़रिए PM Modi ने विपक्ष को हाल ही में आड़े हातो लिया और कहा की जहां congress कब्र खोदने की बात कर रही हैं वहीं उन्हें जनता जवाब दे रही है और कह रही है कि Modi तेरा कमल खिलेगा

  • आखिर क्यों नाराज हुई Sonia Gandhi Ashok Gehlot से?

    आखिर क्यों नाराज हुई Sonia Gandhi Ashok Gehlot से?

    Congress Party के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर काफी बहस चल रही है और आए दिन काफी अलग अलग खबरें भी सुनने को मिलती है जिनमे से कितनी सच होती हैं और कितनी झूट वो तो किसी को नहीं पता लेकिन जो खबर हाल ही में सुनने में आई है वो ये है कि Rajasthan के मुख्यमंत्री पद को लेकर Ashok Gehlot और Sachin Pilot के बीच की लड़ाई अब Delhi तक पहुँच गई है। और इसी विवाद के चलते हुए ये भी सुनने में आ रहा है कि Sonia Gandhi Ashok Gehlot से काफी नाराज हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जिस वजह से विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया?

    Sachin Pilot and Ashok Gehlot

    दरअसल Rajasthan के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot को Congress High Command नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन उसके लिए Gehlot की जगह किसी और को Rajasthan का मुख्यमंत्री बनाना था। रविवार को Congress विधायक दल की एक बैठक होनी थी जिसमे सभी Supervisors एक-एक करके सभी विधायकों से मिलने वाले थे, और नए नेता के चुनाव के लिए Sonia Gandhi ने वरिष्ठ नेता Ajay Maken और Mallikarjun Kharge को Supervisor बनाकर रविवार को राजस्थान भेजा था। लेकिन बैठक होने से पहले Ashok Gehlot के विधायकों ने अपना बागी रूप धारण कर लिया।

    क्या रूप दिखाया Ashok Gehlot के विधायकों ने?

    दरअसल विधायक दल की बैठक में जाने की बजाए सभी समर्थक विधायक मंत्री Shanti Dhariwal के घर पहुँच गए। इसके बाद सभी विधायकों ने Speaker से मुलाकात की और उसके बाद सभी ने अपना इस्तीफा पकड़ा दिया हलाकी Speaker ने अभी तक इनमे से कोई भी इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।

    Cabinet Minister Shanti Dhariwal

    इन विधायकों की गिनती लगभग 82 बताई जा रही है और ऐसा लग रहा है कि ये विधायक Sachin Pilot या उनके खेमे में से किसी को भी मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते हैं।

    क्यों नाराज हुई Sonia Gandhi Ashok Gehlot से?

    जब इस घटनाक्रम के बारे में Ajay Maken और Mallikarjun Kharge ने Sonia Gandhi को बताया तो वो काफी गुस्सा हो गईं थी उनका कहना था कि Congress के एक वरिष्ठ नेता से ऐसी अपेक्षा नहीं थी। लेकिन इस घटना के होने से Ashok Gehlot पर काफी बुरा असर पड़ा है क्योंकि ऐसा सुनने में आ रहा है कि अब Congress High Command अब अपने फैसले पर दोबारा विचार करेगी की Ashok Gehlot को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहिए या नहीं।

    Sonia Gandhi

    ये भी बताया जा रहा है कि अब Gehlot की जगह Congress High Command अब दूसरे नेताओं को अध्यक्ष बनाने पर भी विचार कर रही है जिसमें Mallikarjun Kharge, Mukul Wasnik, Digvijay Singh और K.C. Venugopal का नाम सामने आया है।

    UP Politics : उत्तर प्रदेश में एमएलसी नगर पालिका चुनाव लड़ेगी भाजपा : भूपेंद्र चौधरी

    – Ishita Tyagi 

     

  • क्या Prashant Kishor Congress में शामिल होंगे ?

    क्या Prashant Kishor Congress में शामिल होंगे ?

    Prashant Kishor Congress : चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) में शामिल होने को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं इसके पहले भी उनकी कांग्रेस (Congress) में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी। इसके पहले प्रशान्त किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) के आला अधिकारियों के साथ कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के घर पर हुई।

    प्रशान्त किशोक 21 अप्रैल को कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) के आला कमान से मिलकर उनसे कांग्रेस पार्टी के रिवाइवल पर चर्चा की। बताया जा रहा है कि प्रशांत ने 600 पेज की स्लाइड की प्रेजेंटेशन के जरिए कांग्रेस के नए रोडमैप तैयार किया। जिसमें से 600 में से 51 पेज प्रेजेंटेशन की पर बात की जा चुकी है, प्रशांत आज सोनिया गांधी से दोबारा मिलेंगे।

    प्रशांत किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) की बैठक में किया गांधी को किया कोट –

    प्रशांत किशोर ने अपनी बात की शुरुआत गांधी की बात से की –

    ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कभी मरने नहीं दिया जा सकता, यह सिर्फ राष्ट्र के साथ मर सकती है।’

    प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के बाद सीधा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट करना चाहते हैं वे कांग्रेस के वर्तमान में चल रहे तौर तरीकों के साथ काम करने में सहज नहीं हैं। प्रशांत ने कांग्रेस के 1984 से लेकर अब तक चली आ रही गिरावट को समझाया । इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्रियों की उपस्थित में अपनी बात रखी। जाहिर हैं परिवारवाद पर आधारित पार्टी के लिए ये इतना आसान नहीं होगा।

    प्रशांत ने अपने प्रेजेंटेशन में 4M पर जोर दिया है। जिसमें से ये 4M हैं- मैसेज, मैसेज, मिसनरी और मैकेनिक्स। जिसमें अपना आधार खो चुकी कांग्रेस के लिए लोगों के बीच अपनी अलग राय रखते, BJP के सामने जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने के तरीके की पूरी प्रक्रिया की बात की हैं।

    बीते सालों मे जहां BJP ने सरदार पटेल को अपना नेता बताया उनकी भव्य मूर्ति का अनावरण PM मोदी जी (Narendra Modi) के कार्यकाल में हुआ इसके साथ उसी कांग्रेस के नेता नेहरू (Jawaharlal Nehru) के बारे में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से लेकर Twitter तक में झुठ फैलाया गया जिसका कांग्रेस पार्टी के नेताओं के द्वारा कभी भी सख्ती के साथ खण्डन नहीं किया।

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    प्रशांत ने कांग्रेस पार्टी (Prashant Kishor Congress) को उनके पुराने पार्टी लाइन पर वापस जाने को कहां जब वह एक आंदोलन की तरह भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ती थी। एक परिवार को एक टिकट ताकि परिवार वाद के कलंक से बच सकें, पात्रता और जी हुजूरी को त्याग, गठजोड़ पर स्पष्ट रहने की सलाह दी।

    इसके बाद कांग्रेस नेताओं द्वारा गुरुवार यानी 21 अप्रैल को प्रशांत किशोर को लेकर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी हैं। इन नेताओं की सूची में एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक जैसे बड़े नाम शामिल थे।

    आखिर कौन है प्रशांत किशोर ? Prashant Kishor Joining Congress?

    क्या Prashant Kishor Congress में शामिल होंगे ?
    क्या Prashant Kishor Congress में शामिल होंगे ?

    प्रशांत किशोर चुनाव रणनीतिकार हैं हालांकि प्रशासन की पढ़ाई और ट्रेनिंग हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर हैं, उन्होंने United Nations के साथ 8 साल तक काम किया। चुनाव रणनीतिकार के रूप में पहली बार वे 2011 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के गुजरात के मुख्यमंत्री पद के चुनाव के लिए कैम्पेन डिजाइन करने का काम किया। प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव मई 2014  की तैयारी के लिए एक मीडिया और प्रचार कंपनी स्थापित की जिसका नाम उन्होंने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) रखा।

    इसके बाद प्रशांत किशोर ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए, 2015 में बिहार में महागठबंधन के लिए नीतीश कुमार के साथ, 2020 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए और साल 2021 में तृणमूल के पश्चिम बंगाल में चुनाव अभियान का काम किया था।

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    अब वे कांग्रेस में शामिल हो सकते है राहुल (Rahul Gandhi )और प्रियंका (Priyanka Gandhi Vadra) दोनों ही प्रशासन को कांग्रेस में मुख्य सलाहकार के रूप में देखना चाहते हैं (Prashant Kishor Joining Congress) ताकि वे 2029 के चुनाव में फिर से अपनी पिछली स्थित में वापस आ जाए।

  • 12 लाख सरकारी नौकरी के पद खाली, BJP ने  बस अलगाव पैदा किया : सोनिया

    12 लाख सरकारी नौकरी के पद खाली, BJP ने  बस अलगाव पैदा किया : सोनिया

    द न्यूज 15  

    नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। सोनिया ने यूपी चुनाव को लेकर कहा कि आपने 5 साल ऐसी सरकार देखी जिसने अलगाव पैदा करने के अलावा कोई काम नहीं किया। उन्होंने कहा, “12 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरी पद खाली हैं, लेकिन सरकार उन पदों को नहीं भर रही है। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस सिलेंडर के दाम इतने बढ़ गए हैं कि घर चलाना मुश्किल हो गया है।”
    कांग्रेस नेता ने लॉकडाउन को लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “लॉकडाउन के दौरान आपका व्यवसाय बंद था। मीलों चलने का दर्द आपने सहा। लेकिन मोदी-योगी सरकार ने गैर-जिम्मेदाराना काम किया और आपके दर्द के बावजूद उनसे मुंह फेर लिया और आंखें बंद कर लीं। सरकार ने आपको कोई राहत नहीं दी।” हक की लड़ाई लड़ते हुए हमारे 18,000 कार्यकर्ता जेल गए : सोनिया गांधी ने कहा, “हमने महिलाओं के लिए शक्ति विधान, युवाओं के लिए भर्ती विधान और उत्तर प्रदेश के विकास के लिए उन्नति विधान तैयार किया है।
    प्रियंका गांधी ने 40% टिकट महिलाओं को दी हैं। उत्तर प्रदेश के हक की लड़ाई लड़ते हुए हमारे 18,000 कार्यकर्ता जेल भेजे गए।”  दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मणिपुर में कहा, “प्रधानमंत्री ने 2014 में खुब वायदे किए थे, लेकिन वह अब 2 करोड़ रोजगार, 15 लाख रुपये देने की बात, किसान की आय दोगुनी करने की बात, नोटबंदी और गलत तरह से GST लागू करने की बातें क्यों नहीं करते हैं? मणिपुर की जनता यह सवाल उनसे पूछें जब वह यहां आएं।
  • लीडरशिप में दम नहीं है कहकर कांग्रेस छोड़ गए पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार

    लीडरशिप में दम नहीं है कहकर कांग्रेस छोड़ गए पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आज सुबह इस्तीफा भेजा और कहा कि वह पार्टी से बाहर रहकर देश के लिए बेहतर तरीके से कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा कुमार जाते-जाते कांग्रेस लीडरशिप पर भी सवाल खड़े कर गए हैं। पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि कांग्रेस लीडरशिप में दम नहीं है।
    कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अश्विनी कुमार ने कहा ‘कांग्रेस वह पार्टी नहीं है जो वह थी, हमारे पास पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एक परिवर्तनकारी और प्रेरक नेतृत्व नहीं है… मैंने न तो राजनीति छोड़ी है और न ही जनता की सेवा, मैं राष्ट्र के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करना जारी रखूंगा।’ उन्होंने आगे कहा कि यह एक दर्द भरा फैसला था। मैंने काफी लंबा विचार किया और महसूस किया कि आज जिस तरह से कांग्रेस की आंतरिक प्रक्रियाएं चल रही हैं, मैं अपनी गरिमा और आत्मसम्मान के अनुरूप अब और आगे नहीं बढ़ सकता। मुझे लगा कि मेरे कंधे इतने मजबूत नहीं हैं कि उदासीनता का भार उठा सकें।
    वरिष्ठ वकील कुमार मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में कानून मंत्री थे। वह 2002 से 2016 तक तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वह अतिरिक्त सॉलीशीटर जनरल भी रह चुके हैं।   कुमार ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 20 फरवरी को होने वाले मतदान से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा दिया है।
  • जब परिवारवाद अमित शाह ने कसा तंज, जय शाह की याद दिला यूजर करने लगे कमेंट

    जब परिवारवाद अमित शाह ने कसा तंज, जय शाह की याद दिला यूजर करने लगे कमेंट

    अमित शाह ने रैली में कहा कि ये परिवारवादी पार्टियां देश और दुनिया के लोकतंत्र पर धब्बा है। ये परिवारवादी पार्टियां उत्तर प्रदेश और देश का भला नहीं कर सकती।

    द न्यूज 15 
    लखनऊ। सोमवार को उत्तरप्रदेश के झांसी में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव को लेकर तंज कसते हुए कहा कि ये परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र पर धब्बा है। अमित शाह के इस बयान के बाद सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें जय शाह की याद दिलाते हुए कमेंट करने लगे।
    दरअसल अमित शाह ने रैली में कहा कि ये परिवारवादी पार्टियां देश और दुनिया के लोकतंत्र पर धब्बा है। ये परिवारवादी पार्टियां उत्तर प्रदेश और देश का भला नहीं कर सकती। एक कांग्रेस पार्टी है जहां जवाहर लाल जी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और आगे भगवान जाने कौन गांधी? ये लोग देश का भला कर सकते हैं क्या? उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह गए, कोई और मिला ही नहीं। बेटे को बिठा दिया और पूरे यूपी का बंटाधार कर दिया।
    अमित शाह के इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर कमेंट किए। ट्विटर हैंडल @noblesrvsh ने लिखा कि कृपया अपनी पार्टी के नेताओं पर भी दृष्टि डालें, सभी दल सिर्फ़ अपने परिवार के लोगों को टिकट दे रहे हैं और परिवारवाद पर ज्ञान देने वाले दूसरी पार्टी के परिवारवाद से उठे नेताओं को पार्टी में शामिल कर रहे हैं। इन नेताओं के प्रति भी आपके यही विचार हैं? उपेंद्र चौधरी नाम के एक यूजर ने लिखा कि आपका खुद का बेटा तो योग्यता के दम पर बीसीसीआई सेक्रेटरी बना है ना?
    इसके अलावा ट्विटर हैंडल @sandymastu ने लिखा कि जय शाह में BCCI का अध्यक्ष बनने की क्या योग्यता है? एक यूजर ने राजनाथ सिंह के बेटे और नोएडा से विधायक पंकज सिंह एवं जय शाह की तस्वीर शेयर करते हुए तंज कसा और लिखा कि ये दोनों परिवारवाद नहीं राष्ट्रवाद में आते होंगे! वहीं ट्विटर हैंडल @realsonu_ ने लिखा कि एक गुजराती घोटाला करता है और दूसरा गुजराती नए मुद्दों पर भटकाता है। झांसी में अमित शाह ने अखिलेश यादव पर इत्र कारोबारी पर हुए रेड को लेकर भी तंज कसा। अमित शाह ने कहा कि एक समाजवादी इत्र वाले के पास से ढेरों नोटों की गड्डी मिली है। अखिलेश यादव कहने लगे की प्रधानमंत्री मोदी ने रेड क्यों कराई। अखिलेश जी, अगर टैक्स नहीं भरा हो तो रेड तो होगी ही। आपका इस इत्र वाले से आखिर रिश्ता क्या है?
  • कांग्रेस की अंदरूनी राजनीती पर क्या असर डालेंगें विधानसभा चुनाव; जीते तो हाईकमान को मिलेगा बल, हारे तो मुखर होगा G-23

    कांग्रेस की अंदरूनी राजनीती पर क्या असर डालेंगें विधानसभा चुनाव; जीते तो हाईकमान को मिलेगा बल, हारे तो मुखर होगा G-23

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए काफी अहम हैं इस बार के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव। इन चुनाव से ही कांग्रेस का भविष्य तय होगा, वहीं चुनाव परिणाम का असर अंदरूनी राजनीति पर भी असर डालेगा। पंजाब और उत्तराखंड के साथ पार्टी किसी एक और राज्य में सरकार बनाने में सफल रहती है, तो संगठन के अंदर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की स्थिति मजबूत होगी। वहीं, प्रदर्शन खराब रहा तो पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं को नेतृत्व पर सवाल उठाने का एक और मौका मिल जाएगा।
    यह चुनाव पार्टी के लिए इसलिए भी अहमियत रखते है, क्योंकि उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी चार राज्यों में कांग्रेस की स्थिति बेहतर है। पंजाब में पार्टी की सरकार है और उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में वापसी के लिए जद्दोजहद कर रही है। ऐसे में पार्टी पंजाब और उत्तराखंड में वापसी करने में नाकाम रहती है, तो भविष्य में उसकी मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि, उत्तराखंड में अमूमन हर पांच साल बाद सरकार बदलती रही है। यदि पार्टी हारती है, तो भविष्य की राह कठिन और संगठन कमजोर होगा। विधानसभा चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब पार्टी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इन चुनाव के परिणाम पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव पर अभी असर डाल सकते हैं।
    पार्टी संगठन चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री के मुताबिक, सितंबर तक पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। लिहाजा, पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहता है, तो संगठन चुनाव में कोई मुश्किल नहीं होगी। वहीं, प्रदर्शन खराब रहता है, तो पार्टी में असंतुष्ट आवाजे और तेज होंगी।

  • PM मोदी ने पंडित नेहरू का भाषण याद दिलाते हुए , कांग्रेस पर किया वार

    PM मोदी ने पंडित नेहरू का भाषण याद दिलाते हुए , कांग्रेस पर किया वार

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस पर PM नरेंद्र मोदी ने संसद में जवाब दिया. जिसमें वो विपक्ष पर जमकर निशाना साधते नज़र आए. उन्होंने कोरोना महामारी, महंगाई और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद में कही गईं बातों को लेकर जवाब दिये|
    PM मोदी ने जवाहर लाल नेहरू की कही बातों का हवाला भी दिया. इसके ज़रिए उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर लिया.
    उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना को तेज़ गति मिलने से गरीबों को फायदा होने की बात कही.
    प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज ग़रीब का घर भी लाखों से ज़्यादा कीमत का बन रहा है. जो पक्का घर पाता है वो लखपति की श्रेणी में आ जाता है. देश के गरीब से गरीब के घर में शौचालय बना है. कौन खुश नहीं है. ग़रीब के घर में रोशनी होती है तो उसकी खुशियां देश की खुशियों को ताकत देती है.”
    इन सब के बाद PM मोदी ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर तीखे कटाक्ष किए. प्रधानमंत्री ने कहा, “आप में से बहुत हैं, जिनका कांटा 2014 में ही अटका हुआ है और उससे बाहर ही नहीं निकल रहा है. देश की जनता आपको पहचान गई है, कुछ लोग देर से पहचाने हैं लेकिन पहचान गए हैं. क्या कारण हैं कि आप सोच नहीं पाते.”
    पीएम ने कहा कि कांग्रेस के रवैये को देख कर ऐसा लगता है कि वे अगले 100 साल तक सत्ता में नहीं आना चाहते. उन्होंने कहा, “आपने जब ऐसी तैयारी कर ली है तो फिर हमने भी कर रखी है.
    इसके बाद उन्होंने विभिन्न राज्यों के नाम लेते हुए बताया कि कांग्रेस उन राज्यों में बरसों से सत्ता में नहीं आई है.
    “नगालैंड के लोगों ने 24 साल पहले 1995 में आपके लिए वोट किया था. ओडिशा में 27 साल पहले आप सत्ता में थे. गोवा में 1994 में आपको पूर्ण बहुमत मिला था, 28 साल हो गए गोवा ने आपको फिर स्वीकार नहीं किया. 34 साल पहले त्रिपुरा ने आख़िरी बार आपको स्वीकार किया था.”
    उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव का नहीं है बल्कि नेक नीयत का है.
    वे बोले, “जहां भी लोगों ने सही राह पकड़ ली है, वहां आप लौट नहीं पाए. हम एक चुनाव हार जाएं तो महीनों चिंतन चलता है. लेकिन आप इतने चुनाव हार गए, फिर भी न तो आपका अहंकार जाता है और न ही आपका ईको सिस्टम ऐसा करने देता है.”
    इसके बाद शायराना अंदाज में पीएम मोदी ने कहा, “वे दिन को रात कहो तो तुरंत मान जाओ, नहीं मानोगे तो वे दिन में नकाब ओढ़ लेंगे. ज़रूरत हुई तो हक़ीक़त को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे. वो मगरूर हैं ख़ुद की समझ पर बेइंतहां, उन्हें आईना मत दिखाओ, वे आईने को भी तोड़ देंगे.”
    तभी विपक्ष के हंगामा करने पर पीएम मोदी ने कहा, ”सदन जैसी पवित्र जगह देश के लिए काम आनी चाहिए लेकिन दल के लिए काम आती है. जवाब देना हमारी मजबूरी बन जाती है.”

  • कांग्रेस पार्टी में हो रहा असंतोष, सूची जारी होने के बाद दावेदारों ने बढ़ाई मुश्किलें

    कांग्रेस पार्टी में हो रहा असंतोष, सूची जारी होने के बाद दावेदारों ने बढ़ाई मुश्किलें

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    उत्तराखंड। विधानसभा चुनाव पास आते ही कांग्रेस पार्टी ने पद बाटने की बारिश करदी करीब महीने भर में ही कांग्रेस ने 100 से ज्यादा प्रदेश महामंत्री, उपाध्यक्ष, सचिव बना डाले हैं। पद बांटने की शुरुआत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने तीस दिसंबर 2021 से शुरू की थी।
    सामान्य दिनों में पार्टी कार्यकर्ताओं को उनका पद देने से कतराने वाली कांग्रेस ने चुनावी असंतोष थामने के लिए पदों को बाँटना शुरू कर दिया।
    हाईकमान से फ्रीहैंड मिलते ही उन्होंने एक ही झटके में 109 कार्यकर्ताओं को प्रदेश सचिव बना दिया। 13 जिले के उत्तराखंड में कांग्रेस के पहले ही एक प्रदेश अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष काम कर रहे थे। अब कार्यकारी अध्यक्षों की संख्या पांच हो गई है। इसके बाद महामंत्री और प्रवक्ता भी बनाए गए हैं और यह सिलसिला जारी है।
    हाईकमान, प्रदेश अध्यक्ष का अधिकार है कि वो कभी भी किसी भी कार्यकर्ता को उसकी क्षमता के अनुसार जिम्मेदारी दे सकते हैं।
    ज्योति को अध्यक्ष बना किया शांत: लैंसडौन सीट से टिकट की प्रबल दावेदार ज्योति रौतेला महिला कांग्रेस का अध्यक्ष भी असंतोष थामने की कवायद के तहत बनाया गया। यह सीट कांग्रेस ने हाल में भाजपा से निष्कासित डॉ. हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं रावत को दे दी है। राजपुर सीट से टिकट की दावेदार कमलेश रमन और कैंट सीट से दावेदार रही आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल को वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाकर प्रमोशन देकर शांत करने की कोशिश की गई।

  • कांग्रेस के स्टार प्रचारक आरपीएन सिंह ने भी पार्टी बदली

    कांग्रेस के स्टार प्रचारक आरपीएन सिंह ने भी पार्टी बदली

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    नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी स्टार प्रचारक व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले आरपीएन सिंह मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

    ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद आरपीएन सिंह तीसरे ऐसे बड़े नेता हैं, जो राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते थे और जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

    आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने को स्वामी प्रसाद मौर्य की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि कुशीनगर के सांसद रह चुके सिंह पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और 2009 के लोक सभा चुनाव में मौर्य को हरा भी चुके हैं।

    उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, यूपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और भाजपा राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में आरपीएन सिंह ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सिंह ने मंगलवार दोपहर को ही कांग्रेस से इस्तीफा देने का ऐलान किया था।

    भाजपा में शामिल होने से महज कुछ घंटे पहले ही आरपीएन सिंह ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे का पत्र ट्वीट करते हुए यह लिखा था, आज, जब पूरा राष्ट्र गणतन्त्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनैतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं। जय हिंद।