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  • Sahara Protest : निवेशकों की लड़ाई लड़ने को बना संयुक्त निवेशक मोर्चा, 26 से दिल्ली जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन

    Sahara Protest : निवेशकों की लड़ाई लड़ने को बना संयुक्त निवेशक मोर्चा, 26 से दिल्ली जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन

    सहारा के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ने के लिए अब 14 संगठनों के समर्थन से संयुक्त निवेशक मोर्चा का गठन हो चुका है। संयुक्त निवेशक मोर्चे के बैनर तले 26 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम है। संयुक्त निवेशक मोर्चा के बैनर प्रथम प्रहरी, विश्व भारती जन सेवा संस्थान, राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन, ठगी पीड़ितों की आवाज, भारतीय अपना समाज पार्टी और राष्ट्रीय उपकार मोर्चा समेत 14 संगठन निवेशकों की लड़ाई लड़ने का दम भर रहे हैं। आंदोलन को प्रख्यात समाजसेविका मेधा पाटकर, किसान नेता डॉ. सुनीलम, किसान नेता संजीव प्रधान का समर्थन मिल चुका है। देशभर के तमाम सोशल एक्टिविस्ट और किसान औेर मजदूर नेताओं का समर्थन इस आंदोलन को मिलने वाला है।
    दरअसल कई संगठन सहारा और दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे थे। विभिन्न राज्यों की राजधानियों के साथ ही दिल्ली जंतर मंतर औेर राम लीला मैदान पर भी निवेशकों की लड़ाई लड़ी जा चुका है। क्योंकि ये संगठन अलग अलग लड़ाई लड़ रहे थे तो केंद्र सरकार और इन कंपनियों के प्रबंधन पर बड़ा दबाव नहीं बन पा रहा था। वरिष्ठ पत्रकार और फाइट फॉर राइट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह राजपूत ने इस मोर्चा के गठन का प्रस्ताव इन संगठनों को दिया औेर इन संगठनों ने बड़ी सूझबूझ के साथ संयुक्त निवेशक मोर्चा का गठन किया है। 26 फरवरी से दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले धरना प्रदर्शन की तैयारी बड़ी जोर शोर से हो रही है। इस आंदोलन में सभी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोर्चे की कोर टीम के सदस्य हैं। आंदोलन की अगुआई मुख्य रूप से फाइट फॉर राइट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह राजपूत, प्रथम प्रहरी के बी.के. श्रीवास्तव, विश्व भारती जन सेवा संस्थान के नागेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रानी शेख, ठगी पीड़ितों की आवाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सिंह, राष्ट्रीय उपकार मोर्चा के राष्ट्रीय दिनेश चंद्र दिवाकर, भारतीय अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी, संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय वर्मा के साथ ही कोर टीम के सदस्य कर रहे हैं।

  • सहारा के सैकड़ों जमाकर्ताओं और निवेशकों ने शेखपुरा डीएम कार्यालय पर बोला धावा

    सहारा के सैकड़ों जमाकर्ताओं और निवेशकों ने शेखपुरा डीएम कार्यालय पर बोला धावा

    भुगतान को लेकर डीएम को सौंपा ज्ञापन, सहारा अधिकारियों पर लगाया अभद्रता का आरोप

    चरण सिंह राजपूत
    नई दिल्ली/पटना/शेखपुरा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार शेखपुरा में 300 से अधिक की संख्या में सहारा जमाकर्ताओं और निवेशकों ने डीएम इनायत खान के कार्यालय पर धावा बोला है। प्रदर्शनकारी स्थानीय प्रशासन और सहारा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भुगतान की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने भुगतान भुगतान करो, सुब्रत राय चोर है, अपना हक लेकर रहेंगे नारों से लिखी पट्टिकाएं और बैनर लिये हुए थे। निवेशकों का कहना था कि सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय और दूसरे निदेशक लगातार गुमराह कर रहे हैं। सहारा पर निवेशकों का 25 लाख करोड़ रुपये बकाया है और सहारा प्रबंधन कह रहा है कि उसने निवेशकों का पाई-पाई चुका दिया है। शेखपुरा के एजेंट और निवेशकों ने ऐलान किया है जब तक उनका भुगतान नहीं हो जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा है कि पैसा न मिलने की वजह से कितने लोगों के बच्चे स्कूल नहीं जा रहे पा रहे हैं, कितने बेटियों की शादी नहीं हो पा रही है। कितने लोगों ने आत्महत्या कर ली है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर सहारा प्रबंधन के दबाव में रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग भी उनका भुगतान नहीं करा पा रहे हैं। निवेशकों का आरोप है कि जब वे लोग सहारा कार्यालय में भुगतान मांगने जाते हैं तो उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। उनके साथ मार-पिटाई की जाती है।
    निवेशकों ने कहा है कि किसी भी हालत में वे लोग अपना भुगतान लेकर ही रहंेगे। दरअसल बिहार के विभिन्न जिलों में सहारा के खिलाफ आंदेालन चल रहा है। गत दिनों राज्य के राजधानी पटना स्थित सहारा कार्यालय पर सैकड़ों निवेशकों ने धावा बोल दिया था। सहारा के खिलाफ भुगतान के खिलाफ सहारा पीड़ित पूरे देश में आंदेालन कर रहे हैं। एक ओर राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन शुरू कर लिया है तो दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में संसद सत्याग्रह चल रहा है। प. बंगाल की राजधानी कोलकाता में कई दिनों से धरना जारी है। मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सहारा एजेंट और निवेशक मोर्चा खोले हुए है। आज ही बस्ती में अभय देव शुक्ल की अगुआई में बड़ा आंदोलन हो रहा है। इस आंदोलन में कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं। प्रदर्शन में किशोरी यादव, निरंजन कुमार, सुषमा देवी, विजय प्रसाद, मुन्ना कुमार सिंह, रामलला सिंह, सीमा कुमारी, किरण कुमारी, गायत्री कुमारी मिश्रा, नरेश मिस्त्री, इंद्रदेव चौधरी, सतीश प्रसाद, रंजीत कुमार के अलावा सैकड़ों की संख्या में जमाकर्ता और निवेशक मौजूद थे।

  • सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़कर ही मिलेगा सहारा से पैसा : विजय वर्मा 

    सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़कर ही मिलेगा सहारा से पैसा : विजय वर्मा 

    राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राजस्थान के प्रभारी ने सहारा निवेशकों और जमाकर्ताओं से की सड़क पर आने की लड़ाई

    द न्यूज 15 

    जयपुर/उदयपुर। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राजस्थान प्रभारी विजय वर्मा ने एक बयान जारी कर कहा है कि क्या उदयपुर शहर के सहारा निवेशकों और जमाकर्ताओं को सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से भुगतान मिल गया है ? क्या बिना आंदोलन या फिर बिना कोर्ट के पैसा मिल जायेगा। उन्होंने कहा है कि जो पीड़ित जमाकर्ता और पीड़ित निवेशक अपने घरों में बैठ गए हैं। देखने में आ रहा है कि सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मैनेजमेंट को और बढ़ावा देने के लिए लूटने के लिए चुनिंदा कुछ  साथी उनका सपोर्ट कर रहे हैं। यह न आंदोलन के लिए ठीक है और न ही जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए। उन्होंने कहा है कि अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए घरों से बाहर निकलकर सड़क पर आना होगा। कानूनी कार्रवाई करनी होगी। सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मैनेजमेंट के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलना होगा जिससे प्रशासन को यह समझ में आ जाए कि यह कितना बड़ा ठग है और कैसे गरीब जनता का शोषण कर लोगों को खून के आंसू रुला रहा है।

    उन्होंने भुगतान को लेकर निवेशकों और जमाकर्ताओं से अपील की है कि आंदोलन के साथ ही क़ानूनी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा लगातार सहारा पीड़ितों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। पूरे देश में हम लोग संगठन का विस्तार कर लोगों को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
  • जनहित से नेशनल मीडिया को कोई सरोकार नहीं : दिनेश चंद्र दिवाकर 

    जनहित से नेशनल मीडिया को कोई सरोकार नहीं : दिनेश चंद्र दिवाकर 

    राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सहारा पीड़ितों की लड़ाई में मीडिया का सहयोग न करने व्यक्त की पीड़ा 

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने राजस्थान के अध्यक्ष विजय वर्मा के मत का समर्थन करते हुए कहा है कि विजय वर्मा की बात से वह पूरी तरह से सहमत हैं।

    देश की नेशनल मीडिया जनहित के मुद्दे उठाने में पूरी तरह से फेल है। देश की मीडिया को समाज के निचले तबके से कुछ लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि  हमारा मोर्चा 7/2/2022 से जंतर मंतर पर देश के बीस करोड़ ठगी पीड़ितों की आवाज़ उठाने के लिए जंतर मंतर पर डटा रहा वहां की पुलिस हमारे मोर्चे के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ जो दुर्व्यवहार करती रही पर उनकी बात मीडिया ने नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि उसके हमारे देश की डेढ़ करोड़ जनता ने देखा व मात्र लोकल स्तर की मीडिया की यह देन थी। देश मे जहाँ जहाँ आज हमारे  पीड़ित जमाकर्ता व कार्यकर्ता साथी पीटे जा रहे हैं।  अधिकारी हमारी बिल्कुल मदद नहीं कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि हम बीस करोड़ लोग इस देश के निवासी नहीं हैं।  मात्र हमको ठगने वाले सहारा सुब्रत राय जैसे लोग ही इस देश के निवासी हैं। ये लोग भारी रकम यहां के लोगों से  चंदे के नाम पर देते हैं। साथियों मैं बताना चाहता हूं  कि जहाँ भी सुब्रत राय कठिन जगहों पर फंसते हैं जैसे किसी जगह की देनदारी 500 करोड़ है तो वहाँ ओ 50 लाख खर्च करके अधिकारी व कर्मचारी व पावरफुल लोगों को मिलाकर वह मामला दफन कर देते हैं।  इनका यही हालत है। वह तो सुब्रत राय व भारतीय जनता पार्टी दोनों मौसरे भाई हैं।
  • भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के पटना जोनल ऑफिस में सैकड़ों एजेंटों का धावा 

    भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के पटना जोनल ऑफिस में सैकड़ों एजेंटों का धावा 

    एडीएम को साथ लेकर पहुंचे थे 500 से ऊपर सहारा पीड़ित 

    अप्रैल में भुगतान की बात कर टाल दिया डीएम ने 

    आंदोलन की अगुआई कर रहे थे सुनील गुप्ता और राकेश कुमार 

    चरण सिंह राजपूत

    नई दिल्ली/पटना। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिक्रम-पाली के सैड़कों सहारा पीड़ित निवेशक और जमाकर्ताओं ने मिलकर  ADM को साथ लेकर पटना जोनल कार्यालय पर धावा बोल दिया। ऑफिस में भुगतान को लेकर काफी हंगामा हुआ। आंदोलनकारियों के ऑफिस पहुंचने के पहले जोनल चीफ का कार्यभार देख रहे विपुल कुमार फरार हो चुके थे।

    दरअसल एजेंट सुनील गुप्ता और राकेश कुमार की अगुआई में लगभग 500 निवेशक और एजेंट कल डीएम के पास भुगतान की समस्या को लेकर पहुंचे। डीएम ने इन निवेशकों की बात सुनकर एडीएम को उनके साथ भुगतान कराने के लिए भेजा। जब तक ये लोग पटना जोनल ऑफिस पहुंचे तब तक जोनल चीफ का कार्यभार संभाल रहे विपुल कुमार वहां से रफ्फूचक्कर हो  चुके थे।
    आंदोलन की अगुआई कर रहे सुनील गुप्ता ने बताया कि  हम लोग एकजुट होकर संगठनात्मक रूप से बार-बार जोन पर दबाव बनाने की सोच रहे थे कि  सभी ने मिलकर रणनीति बनाई और भुगतान को लेकर पटना जोनल ऑफिस पर जा धमके। सुनील गुप्ता ने आरोप लगाया है कि डीएम ने सहारा प्रबंधन से मिलकर मामले को टालते हुए अप्रैल में भुगतान का करने की बात की है।  आंदोलन कर रहे सुनील गुप्ता ने कहा है कि आंदोलन ही डूबी हुई रकम को पाने का रास्ता है। कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ एकमत होकर ठगों और बेईमानों के विरुद्ध सतत सख्त जनांदोलन ही सही रास्ता और सही दिशा है।
    दरअसल सहारा इंडिया बाइकबोट, हैलोटैक्सी, टॉपराइड, राधामाधव, पर्ल्स, सहारा इंडिया, आदर्श, कर्मभूमि, कल्पतरू, संजीवनी, नवजीवन, साईं प्रसाद, समृद्ध जीवन, ऑपेश्वर, खेतेश्वर, ट्रिनिटी, स्ट्रीट हॉक्स, ब्ल्यूफ़ॉक्स, विश्वामित्र, शाइन सिटी, फ्यूचर मेकर, कैची पिक्सल, हैलोराइड, गो बाइक, गोवे, हमारा वाहन, हलधर, बीएफसी, श्योर गेन, प्रिया, रामेल, ग्लोबल स्टार, विश्वास ट्रेडिंग, किसान एग्रो, लोकहित का या किसी और ठग कम्पनीज या सोसाइटी के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा है। पीड़ित निवेशकों का कहना है कि जल्द ही ठग सुब्रत राय, मितेश अग्रवाल, राशिद नसीम समेत जेल में भी होंगे और सबका भुगतान भी होगा।
    निवेशकों का कहना है कि सहारा इंडिया में पीड़ित एफआईआर तो करवा रहे हैं किंतु सुप्रीम कोर्ट में मूल याची वह भी नहीं हैं। आदर्श के मामले में भी यही चल रहा है, राधामाधव, ब्ल्यूफ़ॉक्स, कर्मभूमि, कल्पतरू, संजीवनी, नवजीवन, ऑपेश्वर खेतेश्वर, हलधर साईं प्रसाद, ट्रिनिटी, समृद्ध, जीवन बगैरा बगैरा की स्थिति भी कमोबेश यही है।

    सहारा पीड़ितों का कहना है कि ठगों की रणनीति सदा जमाकर्ताओ को आपस में लड़ाने की और गुमराह करने रही है। वादे भरोसा देने की रहती है। लालची और बिकाऊ किस्म के जमाकर्ता, एजेंट्स ठगों के झांसे बहकावे प्रलोभन में आकर आमतौर पर ठगों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। ठगों के हाथ के खिलौने बन जाते हैं और पूरी कानूनी प्रक्रिया को बाधित करते हुए ठगों को बचाने का काम करते हैं।
    निवेशकों का कहना है कि ठगों ने पीड़ितों को जल्दी भुगतान का झांसा देने के लिए अपने दल्लों से सोसाइटी ट्रस्ट ऑर्गनाइजेशन एसोसिएशन बनवाये और जल्द भुगतान का लालच देकर पीड़ितों में बिखराव पैदा किया ताकि न पीड़ित एफआईआर दर्ज कराएं न रिकवरी फाइल कर पाएं तीन साल तक। हालांकि ठग अपनी कोशिश में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं किन्तु उन्होंने पीड़ितों को बड़ी संख्या में गुमराह तो कर ही दिया है और जो लोग जो यूनियन पीड़ितों के लिए लड़ रही थीं, उसके काम में बार बार बाधा उत्पन्न की गई।
    निवेशकों ने कहा है कि आदर्श के मामले में यही हुआ आज तक पीड़ितों का धन वापस करवाने के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की गई बल्कि जो ठगों के दल्ले थे वह पीड़ितों को गुमराह करते रहे कि आदर्श जल्दी ही रेगुलेट हो जाएगी और आपका भुगतान कर देगी, पीड़ितों के चंदे से ही आदर्श के दलालों ने आदर्श के ठगों के बचाव में हाईकोर्ट में याचिकाएं प्रस्तुत कीं वह अलग बात है ठगों के दलाल उतने कामयाब नहीं हो पाए जितनी उनकी कामना थी।
    कई ठग सफल रहे पीड़ितों को तीन साल तक कानूनी कार्रवाई से दूर रखने में, कम्पनी सोसाइटी संस्था बन्द होने के या मैच्योरिटी पूरी होने के तीन साल बाद तक आप भुगतान मांगें ही नहीं तो फिर भुगतान की उम्मीद बहुत कम हो जाती है। इसलिए तीन साल से पूर्व समस्त पीड़ितों जमाकर्ताओ को भुगतान के लिए कानूनी कार्रवाई अवश्य करनी चाहिए।
    निवेशकों ने कहा है कि कानून क्या होता है कैसे काम करता है यह जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। ज्यादातर ठगी मामलों में जिन कानूनों के तहत एफआईआर या परिवाद  दर्ज हुए हैं वह टाइम बाउंड नहीं हैं। जो कानून समयबद्ध नहीं हैं उनमें दो चार साल में बलात्कारी और हत्यारों तक को दण्ड नहीं मिलता तो ठगों को कैसे मिलेगा ?  जब दण्ड नहीं मिलेगा तो किसी जमाकर्ता या पीड़ित का भुगतान कैसे होगा ? यह दो प्रश्न अति महत्वपूर्ण है।  उस प्रश्न से भी जो आमतौर पर पीड़ित या जमाकर्ता पूछते हैं कि उनका पैसा कब मिलेगा देरी क्यों हो रही है ?
    आंदोलन कर रहे एजेंटों का कहना है कि सबका पैसा मिल सकता है, बशर्ते सब अपनी-अपनी कानूनी कार्रवाई ठीक से करें और साथ में जन आंदोलन भी करें। बिना आंदोलन और बिना क़ानूनी कार्रवाई किये बिना डूबी हुई रकम नहीं मिलने वाली है। किसी भी ठगी पीड़ित जमाकर्ता को कभी ठगों के पक्ष में खड़ा नहीं  होना चाहिए, किसी भी ठग कम्पनीज या सोसाइटी के मैनेजमेंट को पीड़ित ही ईमानदार, देशभक्त कानूनी घोषित कर देंगे। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराएंगे उसे दण्ड देने की मांग नहीं करेंगे तो भुगतान नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक कहावत प्रचलित है कि पुलिस कार्रवाई से पैसा वापस नहीं मिलता, यह अर्ध सत्य है, पूरा सच यह है कि भले ही दो चार ही हों, एफआईआर अवश्य दर्ज होनी चाहिए, पीड़ितों की तरफ से ठगों के खिलाफ तभी भुगतान में शीघ्रता होती है भुगतान मिलता है।
    यदि ठगों को खुला छोड़ोगे, उनके दल्लों के बहकावे में आकर उनके पक्ष में खड़े हो जाओगे या मौन रह जाओगे, तमाशबीन बन जाओगे तो आपकी स्थिति पर्ल्स और सहारा पीड़ितों से बेहतर कभी नहीं हो सकती, दशकों लड़ते भागते  जूझते रहना भुगतान नहीं होगा। भुगतान जल्दी पाना है तो ठगों के खिलाफ दंडात्मक, सामाजिक, और भुगतान की कार्रवाई अवश्य करें।
    अनियमित जमा योजनायें पाबंदी कानून 2019 से किसी भी ईमानदार एजेंट एडवाइजर साथी को घबराने डरने की जरूरत नहीं है, हां जो बेईमान हैं जो प्रॉपर कानूनी कार्रवाई न करके जमाकर्ताओं को झूठे आश्वासन दे रहे हैं। ठगों के पक्ष में खड़े हैं उन्हें जरूर डरना चाहिए क्योंकि वह तो इस कानून के तहत जेल जाएंगे ही किन्तु जो एडवाइजर एजेंट्स मैनेजर फ्रैंचाइजर ठगों के विरुद्ध लड़ेंगे लड़ रहे हैं अपने जमाकर्ताओ को सच बता रहे हैं स्वयं सत्य बोल रहे हैं उन एजेंट्स एडवाइजर फ्रैंचाइजर को अनियमित जमा योजनायें पाबन्दी कानून 2019 में संरक्षण मिलेगा और उनका उनके जमाकर्ताओ का भुगतान भी सबसे पहले वापस मिल जाएगा।
    इसलिए साथियो सबसे पहले उन एजेंट्स एडवाइजर और फ्रैंचाइजर का बहिष्कार करो जो आपको गुमराह कर रहे हैं कि आदर्श सहारा या कोई भी अन्य कम्पनी सोसाइटी दोबारा चालू हो जाएगी या वह ईमानदार थी उन्हें एजेंसीज द्वारा सताया जा रहा है, जिन ठगों के साथ स्वयं प्रधानमंत्री,  गृहमंत्री मुख्यमंत्री फोटो खिंचवाते गर्व महसूस करते थे, उन ठगों के खिलाफ कोर्ट या कानून सख्त हुआ है तो निश्चित रूप से ठगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ठगी के सबूत मिले हैं।
    आंदोलनकारियों ने आह्वान किया है कि तमाम 20 करोड़ ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार अब एकजुट होकर कानूनी कार्रवाई भी करनी होगी। आंदोलन भी करो, ठगों की ठगों के दल्लों की निंदा भी करो, इनकी शवयात्राएँ निकालो, पुतले जलाओ, धरना प्रदर्शन सत्याग्रह भी करो ताकि ठग प्रजाति खुली हवा में सांस न ले सके।
    दरअसल सहारा इंडिया समेत कई कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खुल चुका है।  जहां देशभर में पीड़ित निवेशक और जमाकर्ता आंदोलन पर हैं वहीं देश की राजधानी दिल्ली में संसद सत्याग्रह चल रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा ने दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया है। गत दिनों पटना के गांधी मैदान में बड़ा आंदोलन किया गया था।
  • उदयपुर में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को खुला चैलेंज दे रही सहारा इंडिया की लूट योजना : विजय वर्मा 

    उदयपुर में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को खुला चैलेंज दे रही सहारा इंडिया की लूट योजना : विजय वर्मा 

    राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राजस्थान के अध्यक्ष ने प्रशासन पर लगाया सहारा इंडिया के अधिकारियों के साथ मिलीभगत का आरोप 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली/उदयपुर। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राजस्थान प्रभारी विजय वर्मा ने बयान जारी कर कहा है कि सहारा इंडिया कंपनी उदयपुर में खुले आम जनता को लूट रही है। रोज नए-नए एजेंट बना कर नए नए ग्राहक ढूंढे जा रहे हैं और उन्हें अधिक मात्रा में ब्याज देने का लालच देकर खून पसीने की कमाई को बहला-फुसलाकर ठग रहे हैं। उन्होंने कहा है कि सहारा इंडिया के एजेंट और मैनेजर जनता को प्रशासन की आंख के आगे लूट रहे हैं और उदयपुर का कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इनकी लूट को रोक नहीं पा रहा है। उन्होंने प्रश्नात्मक लहजे में उन्होंने कहा कि क्या उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी इतने कमजोर हो चुके हैं जो सहारा इंडिया के मैनेजर और एजेंटों की इस लूटपाट को रोक नहीं पा रहे हैं।
    उन्होंने कहा कि सहारा इंडिया कंपनी में सिर्फ लोगों का पैसा जमा किया जाता है और जब समय पूरा हो जाता है तो लौटाया नहीं जाता है। विजय वर्मा का कहना है कि आज उदयपुर के हजारों लोग सहारा इंडिया कंपनी द्वारा ठगे जा चुके हैं। उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारियों इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा है कि सहारा इंडिया के लुटेरे एजेंट और मैनेजरों को पाबंद किए जाये।
    विजय वर्मा का कहना है कि उदयपुर की तमाम इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया सहारा इंडिया के काले कारनामे उजागर क्यों नहीं कर पा रही है ? उन्होंने कहा कि सहारा इंडिया की ब्रांच आज भी ऑफिस खोल कर जनता को लूट रहे हैं। क्या उदयपुर की इलेक्ट्रॉनिक और प्रेस वीडियो उनसे सवाल नहीं कर सकती या फिर उनको मौन समर्थन मिला हुआ है। उदयपुर के तमाम प्रशासनिक अधिकारी गरीबों को लूटने से बचाए और सहारा इंडिया की जो लुटेरी दुकानें चल रही हैं उनको तुरंत बंद किया जाये। विजय वर्मा का कहना है कि यह मेरी ही पीड़ा नहीं बल्कि लाखों उन ठगे जा चुके निवेशकों की पीड़ा है जिनके पैसे न मिलने की वजह से सब कुछ ठप्प पड़ा है।
  • सहारा ने सेबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की अवमानना याचिका

    सहारा ने सेबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की अवमानना याचिका

    सहारा ने सेबी के उससे 62,000 करोड़ मांगने को बताया अदालत की अवमानना

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। सहारा के खिलाफ जहां देनदारी के लिए आंदोलन चल रहा है वहीं सहारा ने सेबी पर देनदारी को लेकर आंदोलन छेड़ रखा है। अब सहारा ने इस देनदारी के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सहारा ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करते हुए दावा किया कि सेबी ने उससे 62,000 करोड़ रुपये जमा करने की मांग की है जो अदालत की अवमानना और सहारा के खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश का एक स्पष्ट मामला है।

    सहारा इंडिया परिवार ने सेबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की और सेबी में संबंधित अधिकारियों को इसके आचरण के लिए दंडित करने के लिए शीर्ष अदालत से प्रार्थना की। सहारा का दावा, सेबी का आवेदन रुपये जमा कराने की मांग सहारा द्वारा 62,602 करोड़ रुपये बिल्कुल गलत है और सेबी ने अदालत की

    अवमानना की है। सहारा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने और सहारा के खिलाफ जनता में आक्रोश पैदा करने के लिए सेबी ने एक निराधार और निराधार आवेदन भरा है। सहारा का कहना है कि शीर्ष अदालत ने 6 फरवरी, 2017 को अपने आदेश में निर्देश दिया था कि वह मूल राशि से संबंधित है और ब्याज के मुद्दे को बाद में बताया जाएगा, लेकिन सेबी ने निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए ब्याज राशि को शामिल किया है। सहारा का कहना है कि, ऐसा लगता है कि सेबी ने कुछ निहित स्वार्थों को विकसित किया है ताकि कमजोर बहाने से सत्यापन अभ्यास से बचा जा सके। आज तक की राशि रु. सेबी-सहारा रिफंड खाते में 24029.73 करोड़ रुपये की मूल राशि के खिलाफ 22,500 करोड़ रुपये पड़े हैं, जिसका अर्थ है कि सहारा को केवल रुपये जमा करना है। मूलधन की ओर 1529 करोड़। सेबी के आवेदन का एकमात्र उद्देश्य पूर्वाग्रह पैदा करना और पूरे सहारा समूह में जनता के विश्वास में गिरावट सुनिश्चित करना है। सहारा ने कहा कि ऐसी जिम्मेदार और सम्मानित संस्था से वास्तव में इसकी उम्मीद नहीं है। सेबी ने देश भर में पिछले 8 वर्षों में 152 समाचार पत्रों में चार दौर के विज्ञापन देने के बाद कुल 19,532 दावे प्राप्त किए और केवल रु। सम्मानित निवेशकों को 107 करोड़। अप्रैल, 2018 में प्रकाशित अपने अंतिम विज्ञापन में, सेबी ने स्पष्ट किया कि वह जुलाई, 2018 के बाद प्राप्त किसी भी दावे पर विचार नहीं करेगा। इसका मतलब है कि सेबी के लिए कोई और दावेदार नहीं है। यह दोहरे भुगतान का एक विशिष्ट मामला है। सहारा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, यह राशि रु. 22,500 करोड़ अंततः उचित सत्यापन के बाद सहारा को वापस आ जाएंगे। आठ साल से अधिक समय बीत चुका है और फिर भी सेबी ने 3.03 करोड़ निवेशकों के सत्यापन और रिफंड की कवायद नहीं की है, जो निवेशकों के हित और सेबी-सहारा विवाद पर समाधान के लिए महत्वपूर्ण है। इसके बजाय सेबी के पास इस मुद्दे को हल करने के इरादे की कमी है और इसके बजाय न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन को बाधित करने का प्रयास करके इसे कायम रखना है। सहारा ने खुलासा किया है कि सेबी को पुनर्भुगतान को सत्यापित करने की आवश्यकता थी जिसके लिए भारतीय डाक विभाग ने सेबी के कहने पर एक तंत्र विकसित किया था, लेकिन सेबी ने मार्च 2013 में प्रस्ताव को छोड़ दिया। इसके अलावा, ‘स्मार्ट चिप लिमिटेड’। एक एजेंसी जिसे आधार कार्ड के नामांकन के लिए सूचीबद्ध किया गया था
    सरकार द्वारा भारत की और बायोमेट्रिक और सुरक्षा प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक नेता ने सत्यापन प्रक्रिया शुरू करने के लिए 4 सितंबर, 2014 को सेबी को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, लेकिन सेबी ने फिर से उक्त प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया। सेबी ने सत्यापन प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी के लिए सहारा के पैसे में से लगभग 100 करोड़ का खर्च किया है जबकि वास्तव में उसने सत्यापन नहीं किया है। इसे केवल माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की जानबूझकर अवज्ञा के रूप में देखा जा सकता है कि यह अदालत की घोर अवमानना है।
  • सहारा के खिलाफ जंतर मंतर होने वाले आंदोलन को मिला ऑल इंडिया ड्राइवर पार्टी और पूर्वांचल नाई पार्टी का समर्थन 

    सहारा के खिलाफ जंतर मंतर होने वाले आंदोलन को मिला ऑल इंडिया ड्राइवर पार्टी और पूर्वांचल नाई पार्टी का समर्थन 

    राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के आंदोलन को हर स्तर से समर्थन : अशोक शर्मा नाई

    7 फरवरी को दिल्ली में जुटेंगे हजारों सहारा निवेशक

    चरण सिंह राजपूत 
    नई दिल्ली/पटना/दिल्ली। सहारा इंडिया की ठगी के खिलाफ दिल्ली जंतर-मंतर पर 7 फरवरी को होने वाले राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मेार्चा के आंदोलन को विभिन्न संगठनों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने बताया कि उनके आंदोलन को ऑल  इंडिया ड्राइवर पार्टी और पूर्वांचल नाई महासभा का समर्थन मिला है। साथ ही कई संगठन उनके सम्पर्क में हैं। उनका कहना है कि दोनों संगठनों के प्रदेशाध्यक्ष ने निर्णय लिया है कि सहारा के खिलाफ दिल्ली में होने वाली इस लड़ाई में वह राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा को मजबूती से साथ दें। इन दोनों नेताओं का कहना है कि इस आंदोलन में वह अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे।
    दिनेश चंद्र दिवाकर का कहना है कि यह लड़ाई आर-पार की होगी। जब तक सभी निवेशकों का भुगतान नहीं हो जाता तब तक दिल्ली में आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन एजेंटों ने सहारा में निवेश कराया है। उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सहारा से पैसा न मिलने की वजह से निवेशक इन एजेंटों को अपमानित कर रहे हैं। दोहरे दबाव में सहारा में कई एजेंटों के आत्महत्या कर ली है। कितने निवेशक पैसा न मिलने की वजह से फांसी के फंदे से झूल गए।
    नाई महासभा के संस्थापक अशोक शर्मा नाई ने कहा है कि इस आंदोलन में उनका संगठन बढ़चढ़ कर हिस्सा लेगा। उनका कहना है कि दिल्ली में होने वाले इस धरना-प्रदर्शन में उनका विशेष योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने देश और समाज हित मे अपना सर्वस्व न्यूछावर कर दिया था। वह भी उन्हीं के वंशज हैं। देश और समाजहित में जितना हो सकेगा उतना वह करेंगे।
    ऑल इंडिया ड्राइवर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के कार्यकर्ताओं को किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। उनका संगठन आंदोलन को पूरी मजबूती देगा। उनका कहना है कि देश में ठगी कर रही कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोलना बहुत जरूरी हो गया है। भोले भाले लोगों को ये कंपनियां अपने जाल में फंसा लेती हैं और धोखे से इनके पैसे हड़प लेती हैं। अब समय आ गया है कि इन कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोला जाये।
    दरअसल पूरे देश में सहारा पर देनदारी के लिए आंदोलन चल रहा है। मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली में सहारा के खिलाफ आंदोलन हो रहा है। निवेशकों का कहना है कि सहारा का चेयरमैन सुब्रत राय मोदी सरकार के साथ मिलीभगत करके निवेशकों का पैसा मार रहा है। जगह जगह सहारा के कार्यालयों को घेरा जा रहा है पर निवेशकों को पैसा नहीं मिल पा रहा है। हाल ही में सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि सहारा के पास 2 लाख 90 हजार करोड़ की संपत्ति है। किसी निवेशक को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। सुब्रत राय 25 हजार करोड़ की संपत्ति सेबी के पास बता रहा है। इस बारे में दिनेश चंद्र दिवाकर का कहना है कि सुब्रत राय निवशकों और अपने कर्मचारियों को इमोशनल ब्लैकमेल कर रहा है। यह व्यत्कि बड़ा ठग है। इसकी किसी बात पर कोई विश्वास नहीं किया जा सकता है। अब सुब्रत राय को उनका भुगतान करना ही होगा।
    सहारा इंडिया को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा निवेशकों की राशि नहीं लौटाए जाने के खिलाफ हाल ही मध्य प्रदेश में कंपनी के फील्ड वर्कर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि कंपनी की संपत्ति बेचकर निवेशकों की राशि लौटाई जाए। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस विशाल घगट की युगलपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार समेत  अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
    यह याचिका सहारा फील्ड वर्कर्स दमोह निवासी अनिल तिवारी, मुरैना निवासी सोमवती गुप्ता सहित अन्य की तरफ से दायर लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि सहारा इंडिया को-ऑपरेटिव सोसायटी व्यक्तियों को अधिक लाभ देने का आश्वासन देकर राशि जमा करवाती थी। वह कंपनी में फील्ड वर्कर्स के रूप में कार्यरत थे और लोगों से निवेश की राशि एकत्र करते थे। कंपनी 2017 से समय अवधि पूर्ण होने के बावजूद भी निवेशकों की राशि नहीं लौटा रही है। सहारा इंडिया परिवार के चेयरमैन सुब्रत रॉय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कई बार 6 माह में राशि लौटाने का आश्वासन दिया था। उन्होंने मई 2021 में सितंबर तक राशि लौटाने का आश्वासन दिया था।
    याचिका में कहा गया था कि वे फील्ड व वर्कर्स हैं और निवेश की राशि कलेक्ट करते थे। इस कारण से निवेशक राशि लौटाने के लिए उन पर दबाव बनाते हैं। दमोह जिलों में पथरिया ब्लॉक में 17 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है। याचिका में मांग की गई थी कि सहारा कंपनी की संपत्ति को बेचकर निवेशकों की राशि लौटाई जाए। इसके अलावा कंपनी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए। याचिका में केंद्र व राज्य सरकार, सुब्रत रॉय सहित 16 को पार्टी बनाया गया था।
  • दिल्ली जंतर-मंतर पर सहारा से आर-पार की लड़ाई लड़ने को पहुंच रहे निवेशक 

    दिल्ली जंतर-मंतर पर सहारा से आर-पार की लड़ाई लड़ने को पहुंच रहे निवेशक 

    7 फरवरी को राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले जुट रहे हजारों आंदोलनकारी 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश दिवाकर का दावा – बिहार से  सोनेलाल शाह के नेतृत्व 1000, दिल्ली से  तजिंदर सिंह के नेतृत्व में 1000,  हरियाणा से रोहताश सिंह के नेतृत्व में 1000, राजस्थान से  विजय वर्मा व मनोज शर्मा के नेतृत्व में  1000,  उत्तर प्रदेश से आरिफ खान के नेतृत्व में 2000, मध्य प्रदेश से योगेश गोयल के नेतृत्व में 500 लोग आंदोलन में हो रहे हैं शामिल 

    चरण सिंह राजपूत 
    नई दिल्ली। भले ही सहारा इंडिया सेबी पर पैसा फंसा होने का बहाना बनाकर निवेशकों को पैसा न दे रहा हो पर आंदोलित निवेशक इन सबके लिए सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय और ओपी श्रीवास्तव समेत दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वैसे तो बकाया भुगतान को लेकर देशभर में आंदोलन चल रहा है पर देश की राजधानी दिल्ली में जो आंदोलन होने जा रहा है उसका ऐतिहासिक होने का दावा किया जा रहा है। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के बैनर तले ७ फरवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर होने जा रहे आंदोलन में हजारों पीड़ित निवेशकों के जुटने का दावा किया जा रहा है। आंदोलन के नेतृत्वकर्ता इस लड़ाई को आर-पार की लड़ाई बता रहे हैं। राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले आंदोलन को आरपार की लड़ाई बताया है। उनका कहना है कि इस आंदोलन में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों द्वारा भोली भाली जनता को ढगे जाने व उसका भुगतान न देने के विरोध में यह आंदोलन चलेगा। जब  तक उनका हक़ नहीं मिल जाता तब तक वे दिल्ली में डटे रहेंगे। दिनेश चंद्र दिवाकर का दावा है कि दिल्ली में होने वाले आंदोलन में  उनके संगठन के बिहार अध्यक्ष सोनेलाल शाह के नेतृत्व 1000 पीड़ित निवेशक बिहार सूबे से दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचेंगे। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष तजिंदर सिंह के नेतृत्व में 1000 और हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष रोहताश सिंह के नेतृत्व में भी 1000 व राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष विजय वर्मा व मनोज शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान से भी हजारों पीड़ित दिल्ली पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि  उत्तर प्रदेश अध्यक्ष आरिफ खान के नेतृत्व में 2000, मध्य प्रदेश अध्यक्ष योगेश गोयल के नेतृत्व में 500 लोग आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। दिनेश चंद्र दिवाकर का दावा है यह लड़ाई आर पार की होगी, सुब्रत राय के हथकंडे चलने नहीं दिए जाएंगे। उनकों मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा। उनका कहना है कि जब तक सहारा, नव जीवन,  पीएसीएल आदि फ्रॉड कंपनी निवेशकों का भुगतान नहीं कर देती तब तक आंदोलन जारी  रहेगा। उनका दावा है कि उनका आंदोलन मोदी सरकार को उस तरह से झुकने को मजबूर कर देगा जैसा कि किसान आंदोलन ने किया है।
    मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव राधेश्याम सोनी आज़ाद का कहना है कि देश भर से तमाम सामाजिक संगठनों का समर्थन राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा को मिल रहा है, जिसमे मोर्चा जंतर मंतर पर टेंट व तंबू गाड़कर यह लड़ाई लड़ेगा।
    दिनेश चंद्र दिवाकर ने इलाहाबाद में रेलवे भर्ती को लेकर चल रहे आंदोलन में जिस तरह से  पुलिस ने छात्रों पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया है, उसकी हम निंदा करते हैं। इस बर्बरता  के लिए न केवल रेलवे मंत्री बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जिम्मेदार हैं। दरअसल सहारा पर निवेशकों का 1 लाख 25 हजार रुपए की देनदारी बताई जा रही है।
    दरअसल सहारा ग्रुप सेबी में पैसे फंसे होने का बहाना बनाकर न केवल निवेशकों बल्कि कर्मचारियों को भी बेवकूफ बना रहा है। सहारा के निदेशक सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव जेबी राय के के परिजन सहारा से अलग अपना-अपना कारोबार कर रहे हैं। अपने को सहारा परिवार का मुखिया बताने वाले सुब्रत राय ने अपने विश्वसनीय लोग सहारा की अलग-अलग संस्थाओं में बैठा दिये हैं। मौजूदा समय में सुब्रत राय के परिवार में से कोई भी सदस्य सहारा में सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहा है। अकेले सुब्रत राय समय-समय पर मीटिंग लेते और सर्कुलर जारी करते दिखाई देते हैं। देश के विभिन्न राज्यों बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों में सहारा के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं पर सरकार से मिलीभगत के चलते सहारा के मुखिया सुब्रत राय का कुछ बिगड़ नहीं पा रहा है। आंदोलनकारी लगातार केंद्र सरकार पर सुब्रत राय को शह देने का आरोप लगा रहे हैं। यह भी अपने आप में प्रश्न है कि 2016 में पैरोल पर जेल से बाहर आये सुब्रत राय छह साल बाद भी पैरोल पर ही जेल से बाहर हैं। उल्टा सहारा ने सेबी पर अपना पैसा बताते हुए सेबी के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है। अब देश की राजधानी में सहारा निवेशकों के डटने से सहारा पर क्या असर पड़ता है। ये आंदोनकारी सहारा या फिर सरकार को अपने आंदोलन से प्रभावित करत पाते हैं यह तो समय ही बताएगा।
  • सहारा की 289,253 करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे निवेशक और कर्मचारी

    सहारा की 289,253 करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे निवेशक और कर्मचारी

    देश की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं सुब्रत राय : दिनेश कुमार दिवाकर

    सहारा की संपत्ति को कुर्क कर निवेशकों को दिया जाये उनका भुगतान : मदनलाल आज़ाद

    31 जनवरी से संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार तो 7 फरवरी से राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा दिल्ली के जंतर मंतर पर कर रहा आंदोलन

    चरण सिंह राजपूत 
    नई दिल्ली। सहारा में आजकल बकाया भुगतान को लेकर आंदोलन चल रहा है। निवेशक और एजेंट देशभर में सहारा के कार्यालयों का घेराव कर रहे हैं। जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। स्थिति यह है कि सहारा के खिलाफ विभिन्न राज्यों के शहरों की राजधानी भोपाल, लखनऊ, पटना, कोलकाता के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली तक आंदोलन चल रहा है। संस्था में वेतन न मिलने का भी रोना रोया जा रहा है। सहारा मीडिया में तो चार-पांच महीने में वेतन मिल रहा है। वह भी आधा अधूरा। बताया जा रहा है कि 31 मार्च 2021 तक सहारा इंडिया की कुल (सकल) संपत्ति है, दो लाख नेबासी हज़ार दो सौ बावन (289,253) करोड़ रुपए थी। इसके बाद तो सहारा की कोई संपत्ति बिकी भी नहीं है तो फिर यह संपत्ति बेचकर निवेशकों का पैसा क्यों दिया जा रहा है। सहारा पर 1 लाख 25 हजार करोड़ की देनदारी बताई जा रही है।
    इस बारे में राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश कुमार दिवाकर का इस बारे में कहना है कि देश में जो संवैधानिक व्यवस्था है उसको कुचलकर सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय अपनी तानाशाही चला रहे हंै। उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति ६ साल से पैरोल पर बाहर घूम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारा की एक पैसी की संपत्ति कुर्क नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की मिलीभगत के चलते सुब्रत राय निवेशकों और एजेंटों का पैसा डकार रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति संवैधानिक वस्वस्था को चुनौती दे रहा है तो देश में जितनी भी संवैधानिक संस्थाएं हैं वह सभी जनता के लिए बेकार साबित हो रही हैं। उनका कहना है कि उनके संगठन के बैनर तले ७ फरवरी से हजारों निवेशक दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक वे एक-एक पैसे का हिसाब नहीं वसूल लेते हैं।
    संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार के राष्ट्रीय प्रवक्ता मदनलाल आजाद का कहना है कि सहारा की संपत्ति को कुर्क करके निवेशकों का पैसा दिलाया जाए। उनका कहना है कि देश में सहारा की तरह जितनी भी चिटफंड कंपनियां चल रही हैं ये सभी जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रही हैं। अब समय आ गया है कि इनके खिलाफ मोर्चा खोला जाए। उनका कहना है कि सहारा जैसी ठगी करने वाली कई कंपनियों के खिलाफ उनका संगठन ३१ जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा। इस आंदोलन में मांग की जाएगी कि बजट में १० लाख करोड़ का एक विशेष पैकज घोषित विभिन्न कंपनियों के शिकार हुए लोगों को पैसा दिलाया जाए।
    सहारा में पैसे जमा करने की बात करें तो 2020-2021 की बात छोड़ दें तो 2014 से हर वर्ष औसतन नौ लाख से ज्यादा निवेशक सहारा इंडिया से जुड़ते रहें हैं। अंतिम 8 वर्षों में सहारा इंडिया से लगभग छह करोड़ उनसठ लाख अठाइस हजार छप्पन (65928756) लोग जुड़े और एक लाख सरसठ हज़ार पांच सौ इक्यासी करोड़ रुपये निवेश किये गए। यह आंकड़े दिसंबर 2021 तक के हैं। यदि वर्ष 2014 में 8855386 निवेशकों ने कुल 20418. 74 करोड़ रुपए निवेश किये, वहीं 2015 में 9393477 निवेशकों ने 18518.57 करोड़, 2016 में 9295287 निवेशकों ने 19538. 17 करोड़, 2017 में 9191460 निवेशकों ने 323661.48 करोड़, 2018 में 10613428 निवेशकों ने 27633.11 करोड़ , 2019 में 8945590 निवेशकों ने 26333.54 करोड़, 2020 में 4359421 निवेशकों ने 13158.11 करोड़ और वर्ष 2021 दिसंबर तक 4974785 निवेशकों ने 18319.50 करोड़ रुपये निवेश किया है। इन आंकड़ों से साबित होता है कि सहारा के पास देनदारी से कहीं ज्यादा संपत्ति है। सहारा इंडिया के कई ऑफिसों में आये रोज हंगामा होने की खबरें आ रहीं हैं। निवेशकों का आरोप है कि उनका पॉलिसी का टर्म पूरा हो जाने के बावजूद सहारा इंडिया पैसा नहीं दे रही है। सहारा इंडिया  पैसा सेबी के पास होने की बात कर नहीं लौटा रहा है। इतना ही नहीं इस मामले में सरकार भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। निवेशक यह सहारा और सरकार की मिलीभगत का खेल बता रहे हैं। दरअसल यहां मामला सहारा, सेबी, सुप्रीम कोर्ट और निवेशकों के बीच फंसा हुआ है।
    दरअसल वर्ष 2012 में जब सेबी ने सहारा इंडिया पर शिकंजा कसा था और सहारा प्रमुख सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के आरोप में जेल भेजा गया था। वर्ष 2012  में निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनी नियामक संस्था सेबी ने सहारा इंडिया पर आरोप लगाया था कि SIRECL और SHEIL ने बांड धारकों से 6,380 करोड़ व 19,400 करोड़ गलत तरीके से जुटाए। इसे अनियमितता बताकर फरवरी 2012 में सेबी ने सहारा इंडिया के दोनो कम्पनियों के बैंक खातों पर रोक लगाने और कुर्की के आदेश दिए थे। वह बात दूसरी है कि यह कुर्की अभी तक नहीं हो पाई है। दिसंबर 2012 में सहारा प्रमुख के अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों का पैसा 15% ब्याज के साथ सेबी के निगरानी में तीन किस्तों में लौटने की छूट दी। सहारा ने पहली किस्त 5120 करोड़ जमा कर दी। फरवरी 2013 में जब सहारा मने दूसरी क़िस्त जमा नहीं की तो सेबी ने सहारा समूह के बैंक खाते फ्रिज़ और जायदाद जब्त करने का आदेश दे दिया।  31 मार्च 2020 तक सहारा इंडिया के द्वारा एस्क्रो खाते में 21,770 करोड़ रुपए जमा किये गए। 31 मार्च 2021 तक सहारा इंडिया के द्वारा एस्क्रो खाते में जमा की गई कुल राशि 23,191 करोड़ रुपए बताई जा रही है। दरअसल सेबी ने 2018 में एक विज्ञापन निकाला कि वह जुलाई 2018 के बाद प्राप्त किसी भी निवेशकों के दावे पर विचार नहीं करेगा। 31 मार्च 2021 तक सेबी ने कुल 115.2 करोड़ रुपये ब्याज समेत निवेशकों को लौटा दिए। इसके बावजूद बचा हुआ पैसा आज भी 23075.8 करोड़ रुपये एस्क्रो एकाउंट में सेबी के पास है। इसी पैसे के लिए सहारा इंडिया सेबी के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। सहारा इंडिया का दावा है कि संस्था में सम्मानित निवेशकों का पैसा हैं वो 100% लौटेगा, जिसके लिए विलंब भुगतान के लिए सम्मानित जमाकर्ता को क्षति पूर्ति के रूप में भुगतान तिथि तक लाभांश दे रहीं है।
    इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी लोकसभा में कहा था कि 30 नवंबर तक सहारा समूह की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन एवं सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन और उनके प्रवर्तकों एवं निदेशकों ने 15, 485.80 करोड़ रुपये जमा कराए हैं, जबकि उसे 25,781.37 करोड़ रुपये का मूलधन लौटाना था।