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  • Russia-Ukraine War: यूक्रेन में 137 मरे, 316 घायल, राजदूत बोले- भारत का रुख़ निराश करने वाला

    Russia-Ukraine War: यूक्रेन में 137 मरे, 316 घायल, राजदूत बोले- भारत का रुख़ निराश करने वाला

    गौरतलब है कि रूसी सैनिकों ने चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया। इसको लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सलाहकार मायहेलो पोडोयक ने एक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग में रूस काफी आक्रामक नजर आ रहा है। बता दें कि यूक्रेन में अबतक 137 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं इस हमले में 316 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इन मौतों में यूक्रेनी सैनिक और नागरिक दोनों शामिल हैं। इस पूरे मामले में भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने कहा है कि भारत का रूख निराश करने वाला रहा।
    बता दें कि राजदूत ने कहा कि रूसी आक्रमण पर भारत की स्थिति से कीव “काफी असंतुष्ट” है। भारत के समर्थन को लेकर उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि इस मुद्दे पर दुनिया के कितने देश रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की स्थिति मुझे आशावादी बनाती है।”
    उन्होंने कहा, “भारतीय विदेश मंत्री का कहना था कि भारत यूक्रेन में हो रही घटनाओं का बारीकी से अनुसरण कर रहा है। लेकिन हम ताजा स्थिति से बेहद असंतुष्ट हैं। इसका क्या मतलब है? लोगों मारे जा रहे हैं, इसकी संख्या बढ़ सकती है। जब सैकड़ों हजारों मारे जाएंगे, तो क्या होगा? हम इंतजार कर रहे हैं। हम भारत की तरफ से मजबूत आवाज उठाने के लिए गुहार लगा रहे हैं।
    यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का जिक्र करते हुए पोलिखा ने कहा कि इन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी भारतीय हस्तक्षेप की जरूरत है।
    पोलिखा ने कहा, “यूक्रेन 20,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं। आपके नागरिकों की भलाई और उनकी सुरक्षा करना हमारा भी काम है। भारत के अनुरोध के तुरंत बाद हमने मदद भारतीयों की सहायता करने का प्रयास किया। अब दुर्भाग्य से यूक्रेन का हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है। मैंने यूक्रेन में रहने वाले बहुत से भारतीयों से सीधे बात की।
    उन्होंने कहा, “वे कोई शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। और इस मामले में न केवल यूक्रेन के लिए बल्कि आपके नागरिकों के लिए भी, शक्तिशाली विश्व नेता मोदी जी सहित हम सभी को इस आक्रामकता को रोकने के लिए हर दबाव, हर संभव प्रयास करना चाहिए।”
    पोलिखा ने कहा कि मेरा मानना है कि रूस के साथ भारत के रिश्ते और प्रधानमंत्री मोदी की छवि से इस मामले में भारत सार्थक हस्तक्षेप कर सकता है। हम इस संकट की स्थिति में भारत सरकार के अधिक अनुकूल रवैये की उम्मीद कर रहे हैं।
    रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को लेकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को कहा था कि डोनबास क्षेत्र के लोगों की रक्षा के लिए यह सैन्य अभियान शुरू किया गया था। हमारे पास और कोई विकल्प नहीं बचा था। वहीं दूसरे देशों को साफ शब्दों आगाह किया कि अगर कोई देश रूस की कार्रवाई में हस्तक्षेप करेगा तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

  • अमेरिकी दबाव के बाद भी रूस के खिलाफ क्यों नहीं जा रहा भारत, रणनीति और फायदा दोनों

    अमेरिकी दबाव के बाद भी रूस के खिलाफ क्यों नहीं जा रहा भारत, रणनीति और फायदा दोनों

    द न्यूज 15  

    नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहे रूस को लेकर भारत के नरम रुख पर अमेरिका ने हैरानी जताई है। अमेरिकी मैगजीन इंटरनेशनल अफेयर्स ने अपने एक आर्टिकल में भारत के इस स्टैंड को लेकर चिंता जाहिर की है। अमेरिकी मैगजीन ने कहा है यूरोप समेत दुनिया के तमाम हिस्सों से यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की निंदा के स्वर उठे हैं, लेकिन भारत ने इस पर चुप्पी ही रखी है। अमेरिकी पत्रिका में कहा गया कि यदि भारत इस मसले पर रूस की निंदा करता है तो इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा और  यह साबित होगा कि वह अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को लेकर भविष्य में भी गंभीर रहने वाला है। इसके अलावा वह चीन के स्टैंड से भी अलग नजर आएगा।
    यूक्रेन और रूस में तनाव के बीच इजरायल ने सीरिया पर कर दिया मिसाइल अटैक : मैगजीन में भारत की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ऐसा लगता है कि वह तिराहे पर खड़ा है। यदि वह अमेरिका का समर्थन करता है तो फिर पुराने दोस्त रूस से नाराजगी का खतरा होगा, जिसके चीन लगातार करीब जा रहा है। इसके अलावा यदि वह रूस के साथ जाता है तो सबसे अहम और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण साथी अमेरिका को खो देगा। वहीं तटस्थता बरतने की स्थिति में दोनों ही देशों की नाराजगी का संकट रहेगा। हालांकि अमेरिकी पत्रिका की यह टिप्पणी भारत के स्टैंड से बेचैनी को दर्शाती है।
    यूक्रेन संकट के बीच ताइवान पर चीन की बुरी नजर, बताया- अभिन्न हिस्सा
    भारत के स्टैंड से क्यों अमेरिका में है बेचैनी :  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने रूस के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की और लगातार यही कहा कि कूटनीतिक तरीके से मसले का हल होना चाहिए। अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत इस मसले पर रूस का साथ नहीं देगा और उसके पाले में आ जाएगा। लेकिन चीन और भारत जैसे बड़े देशों के दूरी बनाने से उसके खेमे में बेचैनी दिख रही है। इस बीच अमेरिकी टिप्पणियों के जवाब में ‘द हिंदू’ के विदेश मामलों के संपादक जॉन स्टैनली की टिप्पणी भी अहम है, जो इसे लोकतंत्र या दमनकारी नीतियों जैसी बहस से अलग राजनीति के तौर पर देखते हैं।
    अमेरिकी टिप्पणियों का जवाब देते हुए जॉन स्टैनली ने कहा, ‘जो लोग रूस के खिलाफ ज्यादा आक्रामक न होने को लेकर भारत पर हमला बोल रहे हैं, वे यह तथ्य भूल जाते हैं कि भारत के रूस के साथ गहरे संबंध हैं। बीते कुछ सालों में ये संबंध और मजबूत हुए हैं। इसके अलावा वह अपने हित के मुताबिक फैसले ले रहा है।’ स्टैनली ने वैश्विक राजनीति में डबल स्टैंडर्ड को भी उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘रूस ने जब क्रीमिया पर हमला किया था और डोनबास को मान्यता दी थी तो तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। लेकिन जब इजरायल ने गोलान पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया तो उसे मान्यता दे दी गई। पूर्वी यरूशलम को भी मान्यता दे दी गई। तुर्की की ओर से सीरिया के एक हिस्से पर कब्जा करने की भी चर्चा नहीं होती। इसलिए वास्तविक राजनीति पर ही चर्चा होनी चाहिए।’
  • यूक्रेन बोला- रूस पर अमेरिका ने लगाया बैन, चीन का रुख दोस्ताना, कहा- हर इंच ज़मीन के लिए लड़ेंगे

    यूक्रेन बोला- रूस पर अमेरिका ने लगाया बैन, चीन का रुख दोस्ताना, कहा- हर इंच ज़मीन के लिए लड़ेंगे

    अमेरिका ने रूस की दो वित्तीय संस्थाओं वीईबी और रूसी मिलिट्री बैंक पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही ब्रिटेन ने भी रूस के पांच बैंकों और तीन अरबपतियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। रूस ने अलगाववादियों के नियंत्रण वाले यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क और डोनेट्स्क को अलग देश का दर्जा देने के ऐलान कर दिया है और साथ ही इन राज्यों में अपनी सेना भी भेज दी है। रूस के इस कदम से गुस्साए यूक्रेन ने कहा कि वह इस बेतुके और बेवकूफाना कदम को स्वीकार नहीं करता है। साथ ही यूक्रेन ने कहा कि रूस पर अमेरिका ने बैन लगा दिया है और इस मसले पर चीन का रुख दोस्ताना है। इसके अलावा यूक्रेन ने यह भी कहा है कि हम हर इंच जमीन के लिए लड़ेंगे।
    अमेरिका सहित कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया है। रूस-यूक्रेन विवाद पर अमेरिकी लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमने रूस की दो वित्तीय संस्थाओं वीईबी और रूसी मिलिट्री बैंक पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही ब्रिटेन ने भी रूस के पांच बैंकों और तीन अरबपतियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
    रूस ने ब्रिटेन के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को बताया अवैध : ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों और तीन अरबपतियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। ब्रिटेन के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर लंदन स्थित रूसी दूतावास ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे अवैध बताया है। रूसी दूतावास ने कहा कि पिछले कई महीनों के दौरान हमने ब्रिटिश मीडिया में रूसी विरोधी उन्माद में बढ़ोतरी देखी है। इससे ब्रिटिश जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में एक आक्रामक रूस की छवि बनी है।
    जापान ने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। जापान में अब रूसी सरकार के साथ नए बांड्स जारी नहीं होंगे। साथ ही जापान यूक्रेन के उन प्रान्तों के लोगों को भी वीजा जारी नहीं करेगा। जिन्हें रूस ने अलग देश की मान्यता दी है।
    यूक्रेन की सीमा के अंदर रूसी सैनिक भेजे जाने के कदम को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने बताया जीनियस, कहा- पुतिन के पास होगी सबसे मजबूत शांति सेना
    यूक्रेन की सीमा के अंदर रूसी सैनिक भेजे जाने को लेकर एक टीवी शो में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि जब मैंने टीवी पर यह देखा तो कहा कि ये तो जीनियस है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के एक बड़े हिस्से को स्वतंत्र घोषित किया। मैंने कहा ये कितना स्मार्ट है? वे अंदर जाएंगे और शांति रक्षक बनेंगे। उनके पास सबसे मजबूत शांति सेना होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान रूस ने कभी भी इस तरह की कार्यवाही नहीं की।
    रूस के साथ जारी विवाद के बीच यूक्रेन बोला- हमारे पास कूटनीतिक और लड़ाई दोनों की योजना :  यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने मंगलवार को कहा कि उनके देश के पास कूटनीति और लड़ाई दोनों की योजना है। हमारी पहली योजना रूस को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कूटनीति के हर उपकरण का उपयोग करना है और अगर यह विफल हो जाता है तो हम हमारी जमीन के हर इंच के लिए लड़ने को तैयार हैं। जब तक हम जीत नहीं जाते, तब तक लड़ते रहेंगे।
    यूक्रेन में फंसे 240 भारतीय वापस अपने देश लौटे :  यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ रहे तनाव के मध्य एयर इंडिया के एक विमान से करीब 240 भारतीयों को दिल्ली लाया गया। एयर इंडिया का विमान देर रात इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इससे पहले विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने भी ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा था कि करीब 250 भारतीय मंगलवार रात यूक्रेन से दिल्ली लौट रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन से लौटने वाले भारतीयों की मदद के लिए आने वाले दिनों में और अधिक विमान भेजी जाएंगी।
    दुनिया भर के देश रूस को दें सजा, बोले यूक्रेन के विदेश मंत्री :  मंगलवार को यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने दुनिया भर के देशों से रुसी अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने का आग्रह किया है। कुलेबा ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में कहा कि दुनिया भर के देशों को रूस को उसके द्वारा किए गए अपराधों के लिए दंडित करना चाहिए और आर्थिक मोर्चे पर जवाब देना चाहिए।  करीब 30 साल पहले यूक्रेन को तब के सोवियत यूनियन से आजादी मिली। आजादी मिलने के बाद से ही यूक्रेन में आंतरिक संघर्ष चल रहा है। यूक्रेन का पश्चिमी हिस्सा जहां यूरोप का समर्थन करता है तो वहीं पूर्वी हिस्सा रूस के ज्यादा नजदीक है। कई मौकों पर यूक्रेन के पूर्वी हिस्से ने रूस के कई कदमों का समर्थन किया है। हालिया विवाद नाटो और यूरोपीय यूनियन में शामिल होने के लिए यूक्रेन के द्वारा की जा रही कोशिशों की वजह से उपजा है। दरअसल रूस यूक्रेन को किसी भी कीमत पर नाटो में शामिल नहीं होने देना चाहता है लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने 2019 से ही इस कोशिश को तेज कर दिया है।
  • बिना गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहा रूस, छेड़ रहा है हाइब्रिड वारफेयर

    बिना गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहा रूस, छेड़ रहा है हाइब्रिड वारफेयर

    द न्यूज 15 

    कीव। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत पश्चिमी देशों के कई नेता लगातार रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले की चेतावनी दे रहे हैं। इस बीच रूस का कहना है कि उसने सेना की कुछ टुकड़ियों को यूक्रेन की सीमा से वापस बुला लिया है। हालांकि इसके बाद भी वह बिना कोई गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर रहा है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय और कई बैंकों की वेबसाइट्स ठप हो गई हैं। यूक्रेन का मानना है कि इसके पीछे रूस का ही हाथ है। इसकी वजह यह है कि 2014 में भी उसने ऐसा ही किया था। यूक्रेन के कई लोगों का कहना है कि रूस की ओर से उस पर बिना गोली चलाए ही अटैक शुरू हो चुका है।
    वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ रूस ने तीन तरफ से सैनिकों को तैनात कर रखा है तो वहीं दूसरी ओर उसे अस्थिर करने की कोशिश में जुटा है। साइबर अटैक, आर्थिक उथलपुथल और बम हमलों के फर्जी धमकियों के जरिए रूस की ओर से यूक्रेन को अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही हैं। रूस की सेनाओं और उसके सहयोगियों ने पहले ही यूक्रेन पर पकड़ मजबूत कर रखी है। यूक्रेन के लोगों का कहना है कि रूस ने हाइब्रिड वारफेयर छेड़ रखा है ताकि बिना लड़े ही कमजोर किया जा सके। यही नहीं अमेरिका और ब्रिटेन का तो यह भी कहना है कि रूस तख्तापलट की भी कोशिश कर रहा है ताकि अपनी मुखौटा सरकार बना सके।
    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की के सुरक्षा सलाहकार ओलेक्सी डानिलोव ने कहा कि रूस का पहला टास्क यह है कि हमें अंदर से ही कमजोर किया जाए। दरअसल रूस ने 2014 में क्रीमिया समेत यूक्रेन के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से ही रूस अलग-अलग रणनीति अपनाता रहा है ताकि यूक्रेन को कमजोर किया जा सके। इसमें से एक रणनीति यह है कि पूर्वी यूक्रेन में रूस ने मजबूत पकड़ बनाई है और अलगाववाद को हवा देने के प्रयास लगातार किए हैं। ये अलगाववादी लगातार यूक्रेन की सेना पर अटैक करते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस अशांति की आड़ में रूस की सेना यूक्रेन में घुस सकती है। ऐसे ही उसने 2008 में जॉर्जिया में किया था। रूस की ओर से 2014 से ही ऐसे प्रयास किए जाते रहे हैं।
    यूक्रेन पूर्वी यूरोप के गरीब देशों में से एक है, जिसकी इकॉनमी काफी कमजोर है। रूस की रणनीति है कि सेना को तैनात कर तनाव बनाए रखा जाए ताकि दूसरे देशों के निवेशक वहां से निकलने लगें और यूक्रेन की इकॉनमी ही ठप हो जाए। दरअसल यूक्रेन ने अपने कारोबार को रूस की बजाय यूरोप के साथ बढ़ा लिया है। इसके चलते भी वह नाराज है।
    कैस यूक्रेन की इकॉनमी को कमजोर कर रहा रूस : यही नहीं रूस ने हाल ही में ब्लैक सी पर सैन्य अभ्यास किया था। रूसी नौसेना के बेड़े यहां तैनात होने के चलते यूक्रेन के बंदरगाहों पर व्यापारी जहाजों की आवाजाही प्रभावित होती है। यह भी यूक्रेन की इकॉनमी को कमजोर करने और उसे घेरने की एक रणनीति है। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इसे रूस का हाइब्रिड वारफेयर करार दिया है।
    क्या है हाइब्रिड वारफेयर की रणनीति : किसी भी दुश्मन देश को अंदर से कमजोर करने, साइबर अटैक, इकॉनमी पर संकट खड़ा करने जैसी रणनीतियों को हाइब्रिड वारफेयर में शामिल किया जा सकता है। हाइब्रिड वारफेयर का अर्थ मिक्स्ड ऑफ वारफेयर से है, जिसमें किसी भी रणनीति को कभी भी आजमाया जा सकता है। दूसरे देश की राजनीतिक, आर्थिक स्थिरता को कमजोर करना। सामाजिक उपद्रव कराने जैसी रणनीतियों को इसमें शामिल किया जाता है। पहली बार फ्रैंक जी हॉफमैन ने हाइब्रिड वारफेयर टर्म का इस्तेमाल अपने एक रिसर्च पेपर में किया था।
  • परमाणु वार्ता फिर से शुरू होने से यूरोपीय संघ, रूस, ईरान में जगी उम्मीद

    परमाणु वार्ता फिर से शुरू होने से यूरोपीय संघ, रूस, ईरान में जगी उम्मीद

    वियना, वियना में यूरोपीय संघ, रूस और ईरान के राजनयिकों ने पांच महीने से अधिक के अंतराल के बाद 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ईरान परमाणु वार्ता के एक नए दौर के बीच सकारात्मक आशा व्यक्त की है। बैठक के बाद वार्ता की अध्यक्षता करने वाले यूरोपियन एक्सटर्नल एक्शन सर्विस के उप महासचिव एनरिक मोरा ने कहा कि मैंने आज जो देखा है, उसके बारे में मैं बेहद सकारात्मक महसूस कर रहा हूं।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 के ईरान परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) का जिक्र करते हुए मोरा ने कहा कि जेसीपीओए को वापस जीवन में लाने के लिए ईरानी प्रतिनिधिमंडल द्वारा ‘स्पष्ट रूप से एक इच्छा’ है।

    वियना में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में रूस के स्थायी प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने ट्विटर पर कहा कि प्रतिभागियों ने सातवें दौर की वार्ता के दौरान और तत्काल कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की, जो ‘काफी सफलतापूर्वक’ शुरू हुई।

    इस बीच, ईरान के शीर्ष वार्ताकार और उप विदेश मंत्री अली बघेरी कानी ने भी वार्ता के बाद उम्मीद व्यक्त की है।

    हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि क्या ईरान के अलावा चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजनयिकों के रूप में इस तरह के आशावाद को वास्तविक परिणामों में बदला जा सकता है।

    ईरान के विदेश मंत्री, हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने शुक्रवार को कहा कि ईरान आगामी परमाणु वार्ता को लेकर गंभीर है और ‘एक अच्छा और सत्यापन योग्य समझौता’ चाहता है।

    अमीर अब्दुल्लाहियन ने यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख, जोसेप बोरेल के साथ एक टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि यदि अन्य पक्ष अपने पूर्ण दायित्वों पर लौटने और प्रतिबंधों को उठाने के लिए तैयार हैं, तो एक अच्छा और यहां तक कि तत्काल समझौता हो सकता है।

    2015 के सौदे की बहाली पर आखिरी दौर की बातचीत जून 2021 में हुई थी।

    डोनाल्ड ट्रम्प के तहत अमेरिकी सरकार मई 2018 में 2015 के समझौते से हट गई थी और ईरान पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिए थे। जवाब में, ईरान ने मई 2019 से समझौते के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं के कुछ हिस्सों को लागू करना धीरे-धीरे बंद कर दिया था।

  • रूस में खदान हादसे में 1 की मौत, 49 लोग फंसे

    रूस में खदान हादसे में 1 की मौत, 49 लोग फंसे

    मॉस्को, रूस के केमेरोवो क्षेत्र में गुरुवार को एक कोयला खदान में धुआं निकलने से एक खनिक की मौत हो गई और 49 अन्य फंस गए हैं। इस हादसे में अब तक 43 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है, जिनमें से दो को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि 236 खनिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।

  • नासा ने रूस के उपग्रह टेस्ट से जमा हुए मलबे को लेकर जताई नाराजगी

    नासा ने रूस के उपग्रह टेस्ट से जमा हुए मलबे को लेकर जताई नाराजगी

    वाशिंगटन| नासा प्रमुख ने रूस द्वारा किए गए एक एंटी-सैटेलाइट परीक्षण की निंदा की है, जिसकी वजह से खतरनाक अंतरिक्ष मलबा जमा हो गया है जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को नुकसान पहुंचा सकता है। रूस ने सोमवार को एक सीधी चढ़ाई वाली एंटी-सैटेलाइट (डीए-एएसएटी) मिसाइलें दागी जो उसके निष्क्रिय उपग्रह से टकरा गई। हालाँकि, इस टेस्ट ने अंतरिक्ष मलबे, या अंतरिक्ष कबाड़ के सैकड़ों हजारों टुकड़े उत्पन्न किए, जो परिक्रमा प्रयोगशाला से होकर गुजरे।

    सोमवार की सुबह 2 बजे ईएसटी से कुछ समय पहले, आईएसएस फ्लाइट कंट्रोल टीम ने आईएसएस के सात-व्यक्ति चालक दल को जगाया, दोनों अमेरिकी और रूसी अंतरिक्ष यात्री थे और उन्हें सुरक्षा के लिए आपातकालीन प्रक्रियाओं को करने के लिए कहते हुए, उपग्रह टूटने की सूचना दी।

    अंतरिक्ष यात्रियों को अपने सोयुज और ड्रैगन वाहनों में आश्रय लेना पड़ा, जो अंतरिक्ष स्टेशन के लिए डॉक किए गए थे और लगभग 4 बजे तक वहीं रहे, क्योंकि कक्षीय प्रयोगशाला हर 90 मिनट में एक मलबे के क्षेत्र से गुजरती रही।

    नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, “यह अकल्पनीय है कि रूस आईएसएस पर न केवल अंतरराष्ट्रीय साझेदार अंतरिक्ष यात्रियों को बल्कि अपने स्वयं के अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डालेगा।”

    अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के अनुसार, एंटी-सैटेलाइट परीक्षण ने ट्रैक करने योग्य कक्षीय मलबे के 1,500 से अधिक टुकड़े और छोटे कक्षीय मलबे के सैकड़ों हजारों टुकड़े उत्पन्न किए, जो अब सभी देशों के हितों के लिए खतरा हैं।

    नेल्सन ने एक बयान में कहा, “मैं इस गैर-जिम्मेदार और अस्थिर करने वाली कार्रवाई से नाराज हूं। उनकी हरकतें लापरवाह और खतरनाक हैं, साथ ही यह चीनी अंतरिक्ष स्टेशन और बोर्ड पर सवार टैकोनॉट्स के लिए भी खतरा हैं।”

    नेल्सन ने कहा कि “सभी देशों की जिम्मेदारी है कि वे एएसएटी से अंतरिक्ष मलबे के उद्देश्यपूर्ण निर्माण को रोकें और एक सुरक्षित, स्थायी अंतरिक्ष वातावरण को बढ़ावा दें।” उन्होंने कहा कि नासा आने वाले दिनों में और उसके बाद भी कक्षा में चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मलबे की निगरानी जारी रखेगा।