Tag: rahul gandhi

  • करीबी 17 एमएलए की कट सकती है टिकट, कांग्रेस अध्यक्ष ने की बैठक पंजाब सांसदों के साथ

    करीबी 17 एमएलए की कट सकती है टिकट, कांग्रेस अध्यक्ष ने की बैठक पंजाब सांसदों के साथ

    नई दिल्ली| कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल शाम 6:30 बजे कांग्रेस पार्टी के पंजाब सांसद के सदस्यों की बैठक बुलाई। बैठक में पंजाब विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर पंजाब सांसद प्रताप सिंह बाजवा, संतोख चौधरी, अमर सिंह, मनीष तिवारी पहुंचे।

    दरअसल एक दिन पहले बुधवार को ही पंजाब कांग्रेस के नेताओं की बैठक में यह तय किया गया था कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के अभियान की औपचारिक को लेकर शुरूआत करेंगे। राहुल गांधी के चुनावी अभियान को लेकर सोनिया गांधी ने सांसदों से उनका फीडबैक लिया। इसके साथ ही पार्टी अध्यक्ष ने सांसदों को एकजुट होकर चुनाव में जाने के निर्देश दिए।

    सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी विस्तार पर भी चर्चा की। दरअसल पंजाब कांग्रेस के कई विधायक अमरिंदर सिंह के संपर्क में हैं। ऐसे में पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

    सूत्रों के अनुसार इस बार कांग्रेस पार्टी लगभग 60 विधायकों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इनमें से 17 ऐसे विधायक चिह्न्ति किए गए हैं, जिनकी टिकट पर संशय बना हुआ है। इनमें से अधिकतर विधायक पूर्व मुख्यमंत्री और पीएलसी के प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी बताए जा रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है।

    गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली में पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस वॉर रूम में एक अहम बैठक हुई। बैठक में पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू शामिल हुए थे। बैठक के बाद हरीश चौधरी ने कहा था कि पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी एक परिवार से केवल एक ही उम्मीदवार को टिकट देगी। बैठक में 117 सीटों पर उम्मीदवारों की चर्चा हुई।

    संसद सत्र के बाद कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया तेज कर दी है। इसी सिलसिले में पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब के सांसदों से उनकी राय ली।

  • कांग्रेस गैर जिम्मेदार विपक्षी पार्टी : बोम्मई

    कांग्रेस गैर जिम्मेदार विपक्षी पार्टी : बोम्मई

    बेलागवी (कर्नाटक)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को मौजूदा विधानसभा सत्र में कांग्रेस के आचरण को लेकर उसे आड़े हाथ लिया और इसे ‘गैर-जिम्मेदार विपक्षी दल’ बताया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को उत्तरी कर्नाटक के विकास की परवाह नहीं है। वह बेलागवी सत्र में भाषण देने और सदन में धरना देने आई है। वह जनहित के मुद्दों को उठाने और जवाब मांगने में विफल रही है।”

    सुवर्ण सौधा में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “विपक्षी नेता नहीं चाहते कि किसानों को उनकी फसल के नुकसान का मुआवजा मिले। हमने मुआवजा बढ़ाया है, राज्य मंत्रिमंडल ने उत्तरी कर्नाटक के विकास के लिए कई फैसले लिए हैं। हम किसी भी विकास परियोजना पर चर्चा के लिए तैयार हैं।”

    धर्मातरण विरोधी विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “यह एक निर्वाचित सरकार का अधिकार है, लोगों की आवाज के रूप में, यह तय करने के लिए कि कौन से कानून लाए जाने की जरूरत है। विपक्षी कांग्रेस के सदस्य उस समय मौजूद नहीं थे जब सदन में विधेयक पेश किया गया था। उपस्थित रहना विपक्ष का कर्तव्य है। उन्होंने दूर रहकर अपनी गैरजिम्मेदारी दिखाई है। यह राज्य में सबसे गैर जिम्मेदार विपक्षी दल है।”

    कांग्रेस के इस आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि विधेयक को सदन की कार्यवाही के पूरक एजेंडे में शामिल किया गया था, मुख्यमंत्री ने कहा, “अध्यक्ष को पूरक एजेंडा तैयार करने की शक्ति प्राप्त है।”

  • मोहल्ला क्लीनिक में बच्चों की मौत का मामला- कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा व मृतकों को मुआवजा देने की उठाई मांग

    मोहल्ला क्लीनिक में बच्चों की मौत का मामला- कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा व मृतकों को मुआवजा देने की उठाई मांग

    नई दिल्ली| दिल्ली की मोहल्ला क्लीनिक में कथित रूप से गलत दवाई देने के चलते 3 बच्चों की मौत होने के बाद कांग्रेस और बीजेपी दिल्ली सरकार को घेरने में जुट गई हैं। दिल्ली कांग्रेस ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग रखी तो वहीं मृतक बच्चों व अस्पताल में भर्ती बच्चों को दिल्ली सरकार से मुआवजे देने की मांग की है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि, मोहल्ला क्लीनिकों की आड़ में झूठी वाहवाही लूटने वाले केजरीवाल जनता को क्लीनिकों में दवाई के नाम पर मौत परोस रहे है। क्योंकि डेक्सट्रोमैथार्फन नामक दवाई जो 4 साल से अधिक उम्र के बच्चों को दी जानी चाहिए थी, मौहल्ला क्लीनिक में नियुक्त डाक्टर ने 3 वर्ष के बच्चों को दी थी।

    उन्होंने आगे कहा कि, मोहल्ला क्लीनिकों में गलत दवाई देने के कारण हुई 3 बच्चों की मौत के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल माफी मांगे और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री तुरंत इस्तीफा दें। साथ ही सरकार मृतक बच्चों के परिवार वालों को एक करोड़ व भर्ती बिमार बच्चों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे।

    वहीं दिल्ली सरकार ने आरोपी 3 डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया, तो वहीं दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल से मामले की जांच कराने की बात कही है।

    इसके अलावा दिल्ली कांग्रेस की ओर से उपराज्यपाल को इस संबध में उच्च अधिकारी द्वारा जांच कराने के लिए मांग की गई है। वहीं उपराज्यपाल द्वारा यह भी जांच करने के लिए कहा है कि, मोहल्ला क्लीनिकों में कैसे घटिया दवाई दी जा रही है, इसका आडिट हो, अयोग्य डाक्टर, मेडिकल स्टाफ नियुक्ति की भी जांच हो।

  • शिवसेना के साथ गठबंधन करने के बाद अब राहुल गांधी भी हिंदू और हिंदुत्व की करने लगे हैं बात : संजय राउत

    शिवसेना के साथ गठबंधन करने के बाद अब राहुल गांधी भी हिंदू और हिंदुत्व की करने लगे हैं बात : संजय राउत

    नई दिल्ली| शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार गिराने की तमाम कोशिशों के बावजूद महाराष्ट्र सरकार अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेगी। महाराष्ट्र सरकार के कार्यकाल, गृह मंत्री अमित शाह के आरोप और हिंदुत्व सहित तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक ने शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद संजय राउत से खास बातचीत की। सवाल – अमित शाह ने आरोप लगाया है कि आप लोगों ने ( शिवसेना ) सत्ता के लिए विश्वासघात कर दिया ?

    जवाब – देश के गृह मंत्री को इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता है। पुणे शिवाजी महाराज की भूमि है। यहीं से लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन की शुरूआत की थी । हम लोग पुणे को पुण्य भूमि बोलते हैं। लोग वहां जाकर सच बोलने की कोशिश करते हैं, लेकिन जो लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं वो झूठ का सहारा लेते हैं। लेकिन हमने न किसी से विश्वासघात किया है और न ही किसी को धोखा दिया है यह सबको मालूम है। राजनीति में अब हमारे ( भाजपा और शिवसेना ) दो रास्ते हो गए हैं। आप अपनी राजनीति कीजिए और हम हमारी राजनीति कर रहे हैं। महाराष्ट्र की सरकार गिराने की कोशिश आप लोग बार-बार कर रहे हैं और विफल हो रहे हैं। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी, और यह 25 साल की व्यवस्था है।

    सवाल – आप पर आरोप लगाया गया है कि भाजपा तो छोड़िए, आप लोगों ने सत्ता के लिए हिंदुत्व को भी छोड़ दिया ?

    जवाब – ( हंसते हुए ) उनके इसी सवाल में उनका जवाब है। अगर हम हिंदुत्ववादी थे तो आपने (भाजपा ) हमें 2014 में क्यों छोड़ा था ? 2014 में सबसे पहले आपने हमें छोड़ा था सत्ता के लिए।

    सवाल – आप लोगों पर आरोप लगाया गया है कि सत्ता के लिए आपने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया, एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया।

    जवाब – कांग्रेस के साथ चले गए तो क्या हुआ? अब राहुल गांधी भी हिंदू और हिंदुत्व की बात करने लगे हैं। तो ये हमारी दोस्ती का भी परिणाम हो सकता है।

    सवाल – अमित शाह ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की सरकार तीन पहियों की ऐसी सरकार है जिसके तीनों पहिए पंचर है?

    जवाब – हमे गर्व है कि हमारी तीन पहियों की सरकार ऑटो रिक्शा में बैठकर जा रही है , यह गरीबों का वाहन है क्योंकि आपने हवाई जहाज, कार गरीबों के लिए छोड़ी ही नही है। आपने ( केंद्र सरकार ) इतनी महंगाई बढ़ा दी है तो लोग रिक्शा से ही चलेंगे न?

  • लखीमपुर खीरी मामले में मंत्री टेनी की बर्खास्तगी की मांग पर सड़कों पर उतरी युवा कांग्रेस

    लखीमपुर खीरी मामले में मंत्री टेनी की बर्खास्तगी की मांग पर सड़कों पर उतरी युवा कांग्रेस

    नई दिल्ली| लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग को लेकर विपक्ष सदन से लेकर सड़कों पर उतरा हुआ है। इसी बीच भारतीय युवा कांग्रेस ने आज केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

    भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने कहा कि, भाजपा की क्रोनोलॉजी देश समझ चुका है, अब भाजपा की ‘कुचलो और बर्बाद करो’ की नीति नहीं चलेगी। देश लखीमपुर खीरी नरसंहार में मृत किसानों को न्याय दिलाने के लिए मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहा है।

    मंत्री को पद से बर्खास्त क्यों नहीं कर रहे हैं? लखीमपुर खीरी नरसंहार में मंत्री पुत्र की संलिप्तता साबित हो चुकी है, इसके बाद भी सरकार और प्रशासन अन्याय करने में लगी है, इसलिए आवाज उठाना जरूरी है।

    युवा कार्यकर्ताओं ने हाथों में पोस्टर लेकर अपना विरोध दर्ज कराया, वहीं सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की, हालांकि कार्यकर्ता सदन कूच करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पुलिस प्रशासन ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोक दिया।

  • सदन चलाना विपक्ष की नहीं, सरकार की जिम्मेदारी है : राहुल गांधी

    सदन चलाना विपक्ष की नहीं, सरकार की जिम्मेदारी है : राहुल गांधी

    नई दिल्ली| कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि सदन चलाना विपक्ष की नहीं, सरकार की जिम्मेदारी होती है। सदन नहीं चलने देने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराने के सरकार के आरोप पर पलटवार करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हमे सदन में मुद्दों को नही उठाने दिया जा रहा है। संसद भवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “हम चाहते हैं कि सरकार गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को हटाए और लखीमपुर खीरी मामले पर सदन में चर्चा कराए लेकिन सरकार करने नहीं दे रही है।”

    उन्होंने कहा कि “हम लद्दाख का मामला उठाना चाहते हैं लेकिन सरकार उठाने नहीं दे रही। सरकार किसानों के मुद्दे पर, राज्य सभा सांसदों के निलंबन पर चर्चा नहीं करने देती और फिर हम पर आरोप लगाती है कि हम सदन नहीं चलने दे रहे हैं। ”

    उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी सदन को चलाने के साथ-साथ सही तरीके से चर्चा कराने की भी होती है।

    फोन टैपिंग मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल ने कहा कि पेगासस मामले में भी सदन में सरकार ने चर्चा नहीं होने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और लगातार हो रहा है, जिसके खिलाफ हम लड़ रहे हैं।

  • यूपीए से ज्यादा तो एनडीए है बिखराव का शिकार

    यूपीए से ज्यादा तो एनडीए है बिखराव का शिकार

    अनिल जैन
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने के लिए बेताब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा कि कांग्रेस अब विपक्ष की भूमिका निभाने और विपक्षी एकता की अगुवाई करने में सक्षम नहीं है। यह कहने के साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि यूपीए अब कहां है? हालांकि उनके इस सवाल पर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनैत्र कड़गम यानी डीएमके, शिव सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) आदि विपक्षी पार्टियों ने तत्काल प्रतिक्रिया जताते हुए साफ कर दिया कि कांग्रेस के बगैर कोई विपक्षी मोर्चा नहीं सकता। डीएमके की ओर से यह भी कह दिया गया कि वह अभी भी यूपीए में ही है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में यूपीए अभी भी अस्तित्व में है।
    गौरतलब है कि यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का गठन 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था। कांग्रेस की अगुवाई में बने इस गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेन्स, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), केरल कांग्रेस, भारतीय मुस्लिम लीग आदि पार्टियां शामिल थीं। केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी।
    यह सही है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपीए को करारी हार का सामना करना पड़ा और उसके एक-दो घटक भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल होकर सरकार का हिस्सा बन गए। लेकिन चार राज्यों तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक में उसने एनडीए को सत्ता से बेदखल किया। बिहार में भी उसने एनडीए को कड़ी टक्कर दी लेकिन मतगणना के दौरान चुनाव आयोग के विवादास्पद और पक्षपातपूर्ण फैसलों ने उसे बहुमत हासिल करने से रोक दिया। कर्नाटक में भी उसकी सरकार लंबे समय तक नहीं चल पाई और वहां विधायकों की खरीद-फरोख्त और बड़े पैमाने पर दलबदल के जरिए भाजपा सत्ता पर काबिज हो गई।
    जो भी हो, यूपीए ने भले ही पिछले सात सालों के दौरान मौजूदा सरकार की जनविरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के खिलाफ आंदोलन या संघर्ष का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया हो, मगर उसका वजूद तो बना हुआ ही है। अगर लोक जनशक्ति पार्टी जैसी एक-दो पार्टियां उसे छोड़ कर एनडीए में शामिल हुई हैं तो शिव सेना जैसा एनडीए का सबसे पुराना और मजबूत घटक भाजपा से नाता तोड़ कर यूपीए के साथ अनौपचारिक तौर पर जुड़ा भी है। महाराष्ट्र में उसके नेतृत्व में गठबंधन सरकार चल रही है, जिसमें कांग्रेस और एनसीपी साझेदार है।
    बहरहाल यूपीए के वजूद पर ममता बनर्जी के सवाल उठाए जाने के बाद से भाजपा के प्रचार तंत्र के रूप में काम करने वाले मीडिया में यह बहस लगातार चल रही है कि यूपीए अब कहां है, कौन उसका अध्यक्ष है, किसी को याद नहीं कि उसकी आखिरी बैठक कब हुई थी आदि आदि। अगर इसी आधार पर गठबंधन का आकलन करना है तो फिर सवाल उठता है कि एनडीए कहां है? उसमें कौन-कौन सी पार्टियां शामिल हैं? उसका अध्यक्ष कौन है और उसकी आखिरी बैठक कब हुई थी? हकीकत यह है कि एनडीए भी सिर्फ कहने भर को है और कागजों पर ही है। अगर उसमें शामिल रही पार्टियों के उससे अलग होने की चर्चा करेंगे तो पता चलेगा कि वह यूपीए से ज्यादा बिखरा हुआ और लुंजपुंज हालत में है।
    भाजपा के नेतृत्व में एनडीए का गठन 1998 में हुआ था। उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम की छोटी-बड़ी 27 पार्टियों को मिला कर बने देश के इस सबसे बड़े गठबंधन की अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाई में सरकार बनी थी। वह सरकार छह साल तक चली। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के सत्ता से बाहर होते ही कई दल उस गठबंधन से छिटक गए। भाजपा के साथ उस गठबंधन में रह गए थे सिर्फ शिव सेना, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (यू), अन्ना द्रमुक और तेलुगू देशम पार्टी। लेकिन 2014 के चुनाव में एनडीए का फिर विस्तार हुआ और करीब 16 छोटी-बड़ी पार्टियां उसका हिस्सा बनी, लेकिन पांच साल बाद ही कई पार्टियों ने उससे नाता तोड़ लिया।
    कहने को तो आज भी एनडीए अस्तित्व में है, लेकिन उसमें भाजपा के साथ रही सबसे पुरानी दो सहयोगी पार्टियां उससे न सिर्फ अलग हो गई हैं बल्कि दोनों के साथ भाजपा की दुश्मनी चल रही है। भाजपा की सबसे पुरानी और विश्वस्त मानी जाने वाली शिव सेना थी, जो एनडीए में उसके गठन के पहले दिन से शामिल थी लेकिन अब वह पिछले डेढ़ साल से कांग्रेस के साथ है और महाराष्ट्र में उसके तथा एनसीपी के साथ मिल कर सरकार चला रही है। भाजपा और शिव सेना की दुश्मनी का आलम यह है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को एक तरफ राज्यपाल के जरिए आए दिन परेशान किया जा रहा है तो दूसरी ओर उसके कई नेताओं को आयकर और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने अपने निशाने पर ले रखा है।
    शिव सेना की तरह ही शुरू से एनडीए में रहा अकाली दल भी एक साल पहले तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए भाजपा और एनडीए से नाता तोड़ चुका है। उसके साथ भी भाजपा ने शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रखा है। दिल्ली में अकाली दल के सबसे बड़े नेता को तोड़ कर अपने साथ लाने के बाद अब भाजपा पंजाब में भी अकाली दल को तोड़ने के लिए मेहनत कर रही है।
    अटल बिहारी वाजपेयी के समय बने एनडीए में भाजपा के साथ रही तेलुगू देशम पार्टी भी बहुत पहले एनडीए से नाता तोड़ चुकी है। एक समय एनडीए का हिस्सा रही हरियाणा की दो पार्टियां-ओमप्रकाश चौटाला का इंडियन नेशनल लोकदल और कुलदीप विश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस भी अब भाजपा के साथ नहीं हैं। झारखंड की पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) भी भाजपा से अलग हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले तक भाजपा की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी अब उसके साथ नहीं है और वह समाजवादी पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गई है।
    कुल मिलाकर हाल के वर्षों में यूपीए से ज्यादा बिखराव का शिकार एनडीए हुआ है। जनता दल (यू) के अलावा भाजपा के सभी बड़े सहयोगी दल एनडीए से बाहर निकल चुके हैं। अलबत्ता पूर्वोत्तर के राज्यों में जरूर भाजपा ने अपने पैर जमाने के लिए वहां के अलगाववादी गुटों से हाथ मिला कर उन्हें अपने गठबंधन में शामिल किया है। ऐसे संगठनों के सहयोग से असम, मणिपुर, अरुणाचल, त्रिपुरा आदि राज्यों में उसने चुनाव भी लड़े हैं और अब उनके साथ वह सरकार भी चला रही है।
    यूपीए और एनडीए के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं, यह तो सबको मालूम है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम है और शायद एनडीए में शामिल कई दलों को भी नहीं मालूम होगा कि एनडीए के चेयरमैन 2014 के बाद से अभी तक अमित शाह ही हैं।

  • कांग्रेस के लिए विपक्षी एकता एक छलावा

    कांग्रेस के लिए विपक्षी एकता एक छलावा

    नई दिल्ली| देश में विपक्षी एकता कांग्रेस के लिए छलावा की तरह लग रही है, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए अपनी ताकत झोंक रहे हैं। सबसे प्रबल इच्छा ममता बनर्जी की है, जो अप्रत्यक्ष रूप से यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि वह अगले चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व कर सकती हैं। हालांकि, सबसे पुरानी पार्टी, जो दशकों से सत्ता में है, हार मानने को तैयार नहीं है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के बिना विपक्ष एकजुट नहीं हो सकता। तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए प्रस्तावों को भांपते हुए, सोनिया गांधी ने पिछले सप्ताह विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई, हालांकि यह कहा गया था कि बैठक संसद में संयुक्त रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी, लेकिन मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि कांग्रेस प्रमुख विपक्ष है पार्टी और सोनिया गांधी यूपीए की नेता हैं।

    बैठक में ममता बनर्जी पर चर्चा एक केंद्र बिंदु थी और सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस समय तृणमूल नेता को परेशान नहीं करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार के ममता से बात करने की संभावना है और संसद सत्र के बाद सोनिया एक और बैठक बुला सकती हैं जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आमंत्रित किया जाएगा। द्रमुक, झामुमो और शिवसेना तीनों दल कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं।

    तृणमूल नेता ममता बनर्जी के ‘कोई यूपीए नहीं है’ कहने के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने डीएमके, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई-एम और अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी।

    बैठक के बाद टी.आर. बालू ने कहा था कि हमने राज्यसभा में सांसदों के निलंबन पर चर्चा की गई। वहीं फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आगे बढ़ने की रणनीति तैयार करने के लिए आम सहमति बना ली गई है।

    लेकिन, तृणमूल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उसके सांसद डोला सेन ने कहा कि यह विपक्ष की बैठक नहीं थी, बल्कि कुछ दलों की थी क्योंकि पूरा विपक्ष मौजूद नहीं था।

    कांग्रेस टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को यूपीए में शामिल करना चाहती है क्योंकि वह अतीत में एक सहयोगी थे। कांग्रेस टीआरएस के उन नेताओं तक पहुंचेगी जो राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से खफा हैं।

    टीआरएस के बीजेपी से खफा होने की असली वजह टीआरएस के पूर्व नेता एटाला राजेंदर हैं, जिन्हें मई में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया था। राजेंद्र ने तेलंगाना राष्ट्र समिति छोड़ दी और राज्य विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया, लेकिन बाद में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीते।

    राज्यसभा के निलंबित 12 सांसदों के मुद्दे पर भी कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कई बैठकें की हैं, और यहां तक कि राहुल गांधी ने भी निलंबित सांसदों के साथ एकजुटता से मार्च में भाग लिया। निलंबित किए गए 12 सांसदों में तृणमूल के भी शामिल हैं, लेकिन तृणमूल ने खुद को बाकी विपक्ष से दूर रखा और इस मुद्दे को उठाया और कई बार सदन की कार्यवाही में भाग लिया।

  • विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी आज अमेठी में करेंगे पदयात्रा

    विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी आज अमेठी में करेंगे पदयात्रा

    अमेठी| कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज एक दिवसीय दौरे पर अमेठी आ रहे हैं। राहुल कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे जनजागरण अभियान के तहत जगदीशपुर स्थित रामलीला मैदान से हारीमऊ तक लगभग छह किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। इस दौरान कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी उनके साथ रहेंगी। जनसभा को संबोधित करने के बाद वह लखनऊ के रास्ते दिल्ली लौट जाएंगे। राहुल के कार्यक्रम को सफल व भव्य बनाने के लिए जिला कांग्रेस कमेटी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि देश में लगातार महंगाई बढ़ती चली जा रही है। इसने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, जब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें कम हैं तब डीजल और पेट्रोल दोगुने भाव में बेचा जा रहा है। उसी को लेकर पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का भाजपा भगाओ महंगाई हटाओ प्रदर्शन हो रहा है। इसी क्रम में आज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अमेठी लोकसभा के जगदीशपुर में प्रतिज्ञा पदयात्रा शुरू करेंगे, प्रतिज्ञा यात्रा जगदीशपुर से शुरू होगी और हारीमऊ जाकर समाप्त होगी।

    ज्ञात हो कि अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। यहां गांधी परिवार को सिर्फ दो बार ही पराजय का सामना करना पड़ा था। पहली बार अमेठी को कर्मभूमि बनाने के लिए आए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी को पहले चुनाव में सफलता नहीं मिली थी।

    2019 में तीन बार से अमेठी के सांसद रहे राहुल गांधी को भी स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। राहुल गांधी ने भी अमेठी को अपने परिवार की तरह मानते हुए कोरोना काल में राशन, मास्क, सैनेटाइजर के साथ ही दवाएं व ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराकर परिवारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान करने की कोशिश की। अब कांग्रेस यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसे में राहुल गांधी ने अपनी और अपने परिवार की कर्मभूमि अमेठी में प्रतिज्ञा पदयात्रा में शामिल होने की स्वीकृति देकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने की कोशिश की है।

  • नारी द्वेषी सरकार ने इंदिरा जी के योगदान को भुलाया: कांग्रेस

    नारी द्वेषी सरकार ने इंदिरा जी के योगदान को भुलाया: कांग्रेस

    नयी दिल्ली, कांग्रेस ने सरकार के विजय दिवस कार्यक्रमों में भारत और पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में अहम भूमिका अदा करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम शामिल नहीं किए जाने के मामले में गुरूवार को केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह नारी द्वेषी सरकार है जो उन्हें इस बात का श्रेय नहीं देना चाहती है। केन्द्र सरकार पर पहला हमला कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया और कहा ” विजय दिवस कार्यक्रमों से हमारी पहली और केवल महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम यह स्त्री द्वेषी सरकार हटा रही है।आज ही के दिन 50 वर्ष पहले उन्होंने एक इतिहास रचा था और बंगलादेश एक अलग देश के तौर पर अस्तित्व में आया था।”

    उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी महिलाएं अब आपकी बातों पर यकीन नहीं करती हैं और आपका यह रवैया संरक्षणवादी है जो कतई भी स्वीकार नहीं है , यही सही समय है कि आप महिलाओं को उनका हक देना शुरू करिए।

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार महिला विरोधी है जो महिलाओं को उनके बाजिब हक नहीं दे रही है और उन्होंने देहरादून में गुरूवार को उस युद्ध के बहादुर जवानों को सम्मानित करते हुए कहा”यह इंदिरा गांधी ही थी जिन्होंने उस युद्ध में पाकिस्तान को मात्र 13 दिनों में हरा दिया था और बंगलादेश को आजाद करा दिया था जबकि अफगानिस्तान में विरोधी ताकतों को पराजित करने में अमेरिका को 20 वर्ष लग गए थे। उन्होंने दिल्ली में देश के लिए 32 गोलियां खाई और अब इस सरकार ने राष्ट्रीय कार्यक्रमों से उनका नाम भी हटा दिया है।