Tag: On what basis was the prohibition of liquor – the Supreme Court asked the Nitish government

  • क‍िस आधार पर की थी शराबबंदी- सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा

    क‍िस आधार पर की थी शराबबंदी- सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा

    बताया- 26 में से 16 जजों के पास इसी से जुड़े केस
    बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है। जिसके तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है।

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली । बिहार सरकार के शराबबंदी कानून से न्यायालयों में लगे जमानत याचिकाओं के अंबार के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा है कि आपने किस आधार पर शराबबंदी लागू की थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जजों के पास शराबबंदी कानून से ही जुड़े मामले हैं।
    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के लगभग हर बेंच में बिहार शराबबंदी कानून से जुड़ी याचिकाएं हैं। इसलिए हमें यह जानना अनिवार्य है कि क्या बिहार सरकार ने इन कानूनों को लागू करने से पहले कोई अध्ययन किया था और बुनियादी न्यायिक ढांचों को ध्यान में रखा था।
    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा कि पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जज बिहार में लागू शराबबंदी कानून से जुड़े मसले ही देखने में व्यस्त हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस कानून से जुड़े कई मामलें न्यायालय में आ रहे हैं। निचली अदालत और उच्च न्यायालय दोनों में जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई है जिसकी वजह से हाई कोर्ट के 16 जजों को इसकी सुनवाई करनी पड़ रही है। अगर इन मामलों में जमानत याचिकाओं को खारिज किया जाता है तो इससे जेलों में भी भीड़ बढ़ेगी। कोर्ट ने नीतीश सरकार को शराबबंदी कानून लागू करने से पहले किए गए अध्ययन को भी अदालत में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम इस बात की जांच करना चाहते हैं कि बिहार सरकार शराबबंदी कानून के प्रभाव के आकलन को लेकर क्या कदम उठा रही है और साथ ही कानून को लागू करने से पहले किस तरह का अध्ययन किया गया था। अदालत ने 8 मार्च तक राज्य सरकार को अपना जवाब रखने के लिए कहा है।
    गौरतलब है कि बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है। जिसके तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है। इस कानून में पहले संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद तक का प्रावधान किया गया था। लेकिन 2018 में इस कानून में संशोधन किया गया था और सजा में थोड़ी छूट दी गई थी। हालांकि पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौत के बाद कानून में थोड़ी और ढील देने की चर्चा सामने आई थी। माना जा रहा है कि शराबबंदी संशोधन बिल जल्दी ही विधानसभा में पेश किया जा सकता है।