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  • Ram Navami violence: शहर शहर क्यों सुलगी हिंसा?

    Ram Navami violence: शहर शहर क्यों सुलगी हिंसा?

    Ram Navami Violence: भगवान राम के जन्मोत्सव को यूं तो देशभर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है, जगह-जगह शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। इस साल राम नवमी 30 मार्च को मनाई गई। इस शुभ दिन पर देशभर में कई जगह हिंसा की घटनाओं के साथ प्रशासन की नाकामी देखने को मिली। रामनवमी पर महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर-जलगांव, गुजरात के बडोदरा, पश्चिम बंगाल के हावड़ा-इस्लामपुर, लखनऊ और बिहार के सासाराम, बिहार शरीफ में भारी बवाल हुआ। इस दिन कई जगह हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई। जहां राज्य सरकार को पुख्ता इंतज़ाम करने चाहिए थे ताकि राम भक्त त्यौहार अच्छे से मना पाए, वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी दंगाईयों को आड़े हाथो लेने की बजाए, पीड़ितो को नसीहत देती नज़र आई।

    बंगाल में हुई हिंसा

    पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी पर्व पर निकाली गई शोभायात्रा पर उपद्रवियों ने पथराव और आगजनी की। सड़क पर खड़े वाहन फूंक दिए, दर्जनों गाड़ियों को जला दिया गया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक जिस वक्त उपद्रव हो रहा था पुलिस के जवान वहां मौजूद थे लेकिन शिकायत करने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया । आरोप ये भी है कि हावड़ा में रामनवमी पर शोभा यात्रा के दौरान सड़क किनारे बने घरों से पथराव किया गया। साथ ही बांकुरा में जुलूस रोकने पर भी हंगामा हुआ। वहीं अंतत: जब पुलिस जागी तो हिंसा पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अबतक 36 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

    Mamata Banerjee

    CM ममता बनर्जी के बिगड़े बोल

    इस हिंसा पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हावड़ा हिंसा पर राज्य प्रशासन की नकामी पर भी विपक्ष को घेरा है। उन्होंने एक तरह से हिंसा पीड़ितों पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि सुना है हावड़ा में दंगा हो गया। मेरी आंख और कान खुले हैं। रोजा के समय मुस्लिम कोई गलत काम नहीं करते हैं। हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। मैं दंगा फैलाने वालों का समर्थन नहीं करती ऐसे लोग देश के दुश्मन हैं।

    यहां देखें पूरा विडियो: Ram Navami के मौके पर हुई हिंसा, CM Mamta के बिगड़े बोल

    गुजरात के वडोदरा में पथराव 

    गुजरात के वडोदरा के फतेपुरा में रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव के बाद इलाके में हिंसा भड़की। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक उपद्रवियों ने निकली शोभायात्रा पर पत्थर फेंकने शुरू किए, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस के मुताबिक एक मस्जिद के सामने दो पक्षों में टकराव हुआ और बवाल हो गया। हालांकि कुछ समय में पुलिस ने एक्शन लेते हुए उपद्रवियों की धरपकड़ शुरू कर दी। देर रात तक उपद्रवियों की धर पकड़ जारी रही और स्थिति पर नियंत्रण पाया गया। अब तक 20 से ज़्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

    Ram Navami violence

    महाराष्ट्र के संभाजीनगर में हिंसक झड़प

    महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जो की पहले औरंगाबाद हुआ करता था, उसके किराडपुरा इलाके में दो गुटों के बीच झड़प हुई थी। बताया गया कि हिंसा तब हुई जब एक तरफ शोभा यात्रा निकल रही थी और दूसरी तरफ रमजान के महीने में लोगों का भारी हुजूम खड़ा था। दोनों गुट जब आमने सामने हुए तो हिंसा शुरु हुई। पुलिस ने भीड़ को काबू में करने कि लिए लोगों को खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, जिससे भीड़ तितर बितर हो गई।

    लखनऊ में भी हुई हिंसा

    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जानकीपुरम में रामनवमी के मौके पर डीजे बजाने को लेकर दो गुटों के बीच विवाद हो गया। दरअसल, जानकीपुरम के मनिया गांव के पास शोभा यात्रा निकाली जा रही थी, शोभयात्रा में तेज आवाज में डीजे भी बजाया जा रहा था, यात्रा जैसे ही मस्जिद के पास पहुंची तो वहां लोगो ने डीजे बंद करने के लिए कहा और डीजे बंद कर भी दिया गया, लेकिन इसके बावजूद कुछ मिनटों में हाथापाई और पथराव शुरू हो गया। वहीं मामले की सूचना फौरन पुलिस पहुंची और उपद्रव करने वाले लोगों को हिरासत में ले लिया गया।

    बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ में रामनवमी के जुलूस में हुई हिंसा

    बिहार में रामनवमी के मौके पर सासाराम और बिहार शरीफ में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई है। दरअसल, शोभा यात्रा के दौरान दो पक्षों के बीच जमकर पथराव हुआ, और आगजनी हुई। जिसके बाद इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई, साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक दोनों जगहों पर 26 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। इसी बीत गृह मंत्री अमित शाह का सासाराम का दौरा भी पद्द कर दिया गया है। BJP प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बताया कि अमित शाह केवल नवादा की जनसभा को संबोधित करेंगे।

    देश में बढ़ती साम्प्रदायिक हिंसा मानो रुकने का नाम ही नही ले रही। बढ़े-बढ़े त्यौहारों पर हिंसा मानो आम बात होती जा रही है देश में। आपसी भाईचारा अब केवल बातों में ही रह गया है। और एसे मौकों पर प्रशासन की जवाबदेही की जगह नाकामी देखने को मिल रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ही भड़काउ बयान देकर एक विशेष समुदाय को favour करते हुए नज़र आए तो ऐसे में, बाकी समाज के लोगों की आज़ादी का क्या? अब इस पूरे मामले में आपका क्या कहना है हमें ज़रुर बताएं, क्या आपसी भाईचारा देश में बचा ही नही है, और क्या प्रशासन इन मामलों में नाकाम दिख रहा है? बाकी तमाम खबरों से रुबरु रहने के लिए आप बने रहिए The News15 के साथ।

     

  • बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा: 18 साल में कितनी यात्राएं हुई ?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा: 18 साल में कितनी यात्राएं हुई ?

    राजनीतिक गलियारों में 2023 आते ही, 2024 की तैयारियां ज़ोर शोर से शुरु हो चुकी है । राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है, अब चाहे वो Bharat Jodo Yatra हो या नीतीश की समाधान यात्रा । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज यानी 5 जनवरी को बेतिया से समाधान यात्रा निकाली । वहीं 5 जनवरी को ही, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बांका जिले के मंदार से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत करंगे ।

    समाधान यात्रा के ज़रिए, नीतिश जनता के बीच जाके सरकारी कामकाज को फीडबैक लेंगे । एसे समय पर जब, नीतीश को हर तरफ से विपक्ष घेर रहा है, तब बिहार के सीएम के लिए समाधान यात्रा बहुत ज़रुरी हो जाती है । यात्रा के ज़रिए, नीतीश सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के बारा में भी जनता को बताएंगे ।

    राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, नीतीश समाधान यात्रा के ज़रिए अपने ऊपर लगे आरोपों से खुद को मुक्त कराना चाहते हैं । यात्रा के सहारे नीतीश अपनी छवि सुधारने का प्रयास करेंगे, जो पिछले 5 महीनों के अंदर विपक्ष ने खराब की है ।

    समाधान यात्रा आज यानी 5 जनवरी से 7 फरवरी तक चलेगी । इसका पहला चरण 29 जनवरी तक चलेगा, जिसमें 18 जिले कवर किए जाएंगे । यात्रा के बीच सीएम नीतीश कुमार की कोई जनसभा और रैली नहीं होगी, जैसा कि नीतीश की पहले की यात्राओं में हुआ है. यात्रा के दौरान नीतीश केवल जिले के अधिकारियों के साथ आंतरिक बैठक करेंगे और विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे । अलग-अलग जिलों में नीतीश की सभा, बैठक और रहने की व्यवस्था की गई है।

    बीते 17 सालों में, ये, नीतीश की 14वीं यात्रा होगी, इसके पहले साल 2005 से लेकर अब तक बिहार के मुख्यमंत्री 13 यात्राएं कर चुके हैं। इनमें 9 यात्राएं सरकारी, जबकि 5 राजनीतिक रही हैं। आइए, अब जानते हैं कि नीतीश यात्राओं का लेखा झोका ।

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    12 जुलाई, 2005 से न्याय यात्रा (राजनीतिक) : बात 2005 की जब किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था तब नीतीश कुमार ने न्याय यात्रा निकाली थी। इस यात्रा के ज़रिए उन्होंने लोगों के बीच जाकर अपने लिए न्याय की गुहार लगाई। परिणामस्वरूप 2005 का नवंबर वाला चुनाव भाजपा के साथ मिलकर जीता और मिलकर सरकार बनाई थी।

    9 जनवरी, 2009 से विकास यात्रा (सरकारी) :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सरकारी यात्रा की और लोगों के बीच जाकर बताया कि किस-किस क्षेत्र में विकास किया है।

    17 जून, 2009 से धन्यवाद यात्रा (राजनीतिक) : ये वो वक्त था जब नीतीश कुमार, JDU और BJP के अकेले स्टार प्रचारक थे। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में JDU और BJP को भारी सफलता मिली थी। जिसके बाद उन्होंने लोगों का धन्यवाद करने के लिए धन्यवाद यात्रा निकाली थी ।

    25 दिसंबर, 2009 से प्रवास यात्रा (सरकारी) : प्रवास यात्रा के माध्यम से, बतौर बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिलों में प्रवास कर वहां की समस्याओं को जानने की कोशिश की थी। उन्होंनेअधिकारियों की मौजूदगी में सभी विकास योजनाओं की समीक्षा की थी।

    Nitish Kumar

    28 अप्रैल, 2010 से विश्वास यात्रा (सरकारी) : 2010 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, जनता का सरकार पर विश्वास बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार ने विश्वास यात्रा निकाली । इस यात्रा का उद्देश्य लोगों के बीच में अपनी सरकार के प्रति विश्वास दिलाना था ।

    9 नवंबर, 2011 से सेवा यात्रा (सरकारी) : 2010 की सेवा यात्रा के माध्यम से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश ने लोगों का धन्यवाद किया था। इस यात्रा के ज़रिए उन्होंने संदेश दिया कि बिहार के लोगों ने उन्हें सेवा करने का मौका दिया है, सेवा करेंगे।

    19 सितंबर, 2012 से अधिकार यात्रा (राजनीतिक) : 2012 में CM नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अधिकार यात्रा शुरु की थी। इसमें पटना में मुख्य रैली हुई थी, वहीं इसके बाद जिलों में भी रैली की गई थी। बिहार को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर बड़ा आंदोलन भी किया गया था।

    5 मार्च, 2014 से संकल्प यात्रा (राजनीतिक) : लोकसभा चुनाव से पहले, देश में नरेंद्र मोदी की लहर के बीच, लोगों का मन टटोलने के लिए नीतीश कुमार ने संकलप यात्रा निकाली थी। जिसका नतीजा रहा कि, नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

    13 नवंबर, 2014 से संपर्क यात्रा (राजनीतिक) : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जनता से संपर्क करने के लिए नीतीश कुमार ने संपर्क यात्रा निकाली थी। इस यात्रा का उद्देश्य था नीतीश के प्रति लोगों की सोच जानना।

    9 नवंबर, 2016 से निश्चय यात्रा (सरकारी) : इस यात्रा के दौरान नीतीश ने अपनी सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं खासकर सात निश्चय से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की थी।

    7 दिसंबर, 2017 से समीक्षा यात्रा (सरकारी) : अपनी सरकार में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए नीतीश कुमार ने यह यात्रा की थी। इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने जिलों में जाकर वहां के विकास कार्यों का जमीनी जायजा लिया था।

    3 दिसंबर 2019 से जल जीवन हरियाली यात्रा (सरकारी) : इसका यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना था। लेकिन इसके सहारे 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी नीतीश ने जनता का मूड भांपने की कोशिश की थी।

    samadhan yatra

    22 दिसंबर 2021 से समाज सुधार अभियान (सरकारी) : नीतीश कुमार ने शराबबंदी, बाल विवाह, दहेज प्रथा सहित समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ यह यात्रा की थी। हालांकि तब कोरोना के मद्देनजर इस यात्रा को लेकर कई गाइडलाइन तैयार किए गए थे, जिसके चलते 4-5 जिलों के बाद एक मुख्य जगह पर बिहार के CM की जनसभा होती थी । यात्रा के माध्यम से CM लोगों से फीडबैक लिया करते थे। गौरतलब है कि यह यात्रा कई चरणों में हुई थी। यूं तो समाज सुधार यात्रा 22 दिसंबर से 15 जनवरी तक होनी थी, लेकिन इस यात्रा को बीच में कोरोना की वजह से रोकना भी पड़ा था। हालांकि, बाद में यात्रा के पुन नए डोट्स जारी किए गए, जिसके के अनुसार 22 फरवरी को प्रदेश के भागलपुर, 23 फरवरी को जमुई और 26 फरवरी को बेगूसराय में CM नीतीश समाज सुधार अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस यात्रा के दौरान, जिले में केवल जनसभा का आयोजन किया गया था ।

  • Loudspeaker Ban : अजान – हनुमान चालीसा पर गरमाई सियासत

    Loudspeaker Ban : अजान – हनुमान चालीसा पर गरमाई सियासत

    Loudspeaker Ban : इन दिनों अखबारों की खबरे अजान और लाउडस्पीकर की खबरों से भरा पड़ा हुआ है  UP में एक ओर जहां धार्मिक स्थलों से 45773 लाउडस्पीकर के उतारे (Loudspeaker Ban) जा रहे वही महाराष्ट्र जिस राज्य से सबसे अधिक किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आते हैं उस राज्य के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा, उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर अपने हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती के लिए सुर्खियों में बनी हुई है। तो चलिए समझते है पूरा मामला।

    साल 1912 में लाउडस्पीकर सामान्य प्रयोग में सामने आया और 1920 से लाउडस्पीकर रेडियो, लोगों को संबोधित करने के लिए और सिनेमाघरों में प्रयोग किया जाने लगा। फिलहाल लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नेताओं की रैलियों पार्टियों धार्मिक त्योहारों तथा धार्मिक स्थलों में किया जाने लगा और अब इस पर बैन (Loudspeaker Ban) की मांग करते राज ठाकरे लगाने की बात का जा रही। लाउडस्पीकर के इतिहास बताने का उद्देश्य ये समझना था कि हमारे यहां के धर्मों और मान्यताओं की जड़े हजारों साल पहले से है और लाउडस्पीकर मात्र 100 साल पुराना। धार्मिक मान्यताओं को लाउडस्पीकर से नत्थी करना गलत हैं।

    महाराष्ट्र में क्यों हो रहे लाउडस्पीकर बैन (Loudspeaker Ban)- 

    अब महाराष्ट्र की बात करें तो इन दिनों राज ठाकरे (raj thackeray) महाराष्ट्र के मुंबई की मस्जिदों से सारे लाउडस्पीकर हटा (Loudspeaker Ban) देने पर तुले हुए है। इतने सालों की राजनीति के बाद अचानक ध्वनि प्रदूषण पर नेताओं का ध्यान जाने का कारण क्या हो सकता है? विशेषज्ञों की मानें तो नेताओं के सारे कयास साल में होने जा रहे मुंबई नगरपालिका चुनाव से लगाए जा रहे।

    Loudspeaker Ban की मांग करते राज ठाकरे
    Loudspeaker Ban की मांग करते राज ठाकरे

    राज ठाकरे (raj thackeray) के अलावा अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा भी उद्धव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा है। नवनीत राणा 2019 में संसद में “जय श्री राम” के नारे को बेवजह बताने वाली सांसद थी जो कि इन दिनों मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान करती दिख रहीं। अब उनकी गिरफ्तारी से लेकर रिहाई (navneet rana bail)तक की खबरों से अखबार भरा पड़ा हैं।

    Loudspeaker Ban के बाद हनुमान चालीस पर महाराष्ट की सियासत गरमाई
    Loudspeaker Ban के बाद हनुमान चालीसा पर महाराष्ट्र की सियासत गरमाई

    बाला साहब ठाकरे की विरासत वाली शिवसेना पार्टी पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा। विपक्ष के नेता शिवसेना के कांग्रेस और NCP  के गठबंधन का फायदा उठा रहें। क्योंकि BJP और शिवसेना के आधारभूत मुद्दे एक समान प्रतीत होते है क्योंकि शिवसेना और BJP  के गठबंधन खत्म हो जाने के बाद विपक्ष शिवसेना को उन्ही मुद्दों पर घेर रही जिन मुद्दों पर कभी शिवसेना BJP को घेरती थी।

    जानिए क्यों चुप हैं Delhi के CM अरविन्द केजरीवाल 

    ऐसे में राज ठाकरे (raj thackeray) और नवनीत राणा की सक्रिय हिंदुत्व की राजनीति से उनके BJP में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है, हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बात को बेबुनियाद बताया है। इसके अलावा कंगना रनोट भी महाराष्ट्र सरकार को आये दिन law and order के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरते रहती है इससे उद्धव सरकार कमजोर नजर आ रही हैं। इस मुद्दे पर शिवसेना के नेता संजय राउत ने BJP का प्रोपेगेंडा बताया। इसके बाद बिहार के  मुख्यमंत्री CM (Nitish kumar) नीतीश कुमार ने इसे बेबुनियाद मुद्दा बताया।

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    अक्सर लाउडस्पीकर पर बैन (Loudspeaker Ban) को किसी धर्म विशेष के दबाने या विरोध के तौर पर देखा जाने लगता है और इसी पर सियासी रोटियां भी शेकी जाने लगती है जो आगे जाकर धार्मिक तनाव को बढ़ावा देते हैं।

    एक समाज के तौर पर हम सभी को कुरीतियों से आगे जा कर इन मसलों को देखना चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर का प्रयोग किसी भी वृद्धजन, छात्र या मरीज को प्रभावित कर सकता है। अत हम लाउडस्पीकर बैन (Loudspeaker Ban) की जगह कानून के दायरे में रह कर हम इसका प्रयोग कर सकते हैं। जिस प्रकार डिजीटल टेक्नोलॉजी  के चलते हम लाउडस्पीकर के प्रयोग पर आए है ठीक उसी प्रकार हम फोन का इस्तेमाल कर लाउडस्पीकर को रिप्लेस कर सकते हैं।

  • क‍िस आधार पर की थी शराबबंदी- सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा

    क‍िस आधार पर की थी शराबबंदी- सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा

    बताया- 26 में से 16 जजों के पास इसी से जुड़े केस
    बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है। जिसके तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है।

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली । बिहार सरकार के शराबबंदी कानून से न्यायालयों में लगे जमानत याचिकाओं के अंबार के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा है कि आपने किस आधार पर शराबबंदी लागू की थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जजों के पास शराबबंदी कानून से ही जुड़े मामले हैं।
    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के लगभग हर बेंच में बिहार शराबबंदी कानून से जुड़ी याचिकाएं हैं। इसलिए हमें यह जानना अनिवार्य है कि क्या बिहार सरकार ने इन कानूनों को लागू करने से पहले कोई अध्ययन किया था और बुनियादी न्यायिक ढांचों को ध्यान में रखा था।
    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा कि पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जज बिहार में लागू शराबबंदी कानून से जुड़े मसले ही देखने में व्यस्त हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस कानून से जुड़े कई मामलें न्यायालय में आ रहे हैं। निचली अदालत और उच्च न्यायालय दोनों में जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई है जिसकी वजह से हाई कोर्ट के 16 जजों को इसकी सुनवाई करनी पड़ रही है। अगर इन मामलों में जमानत याचिकाओं को खारिज किया जाता है तो इससे जेलों में भी भीड़ बढ़ेगी। कोर्ट ने नीतीश सरकार को शराबबंदी कानून लागू करने से पहले किए गए अध्ययन को भी अदालत में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम इस बात की जांच करना चाहते हैं कि बिहार सरकार शराबबंदी कानून के प्रभाव के आकलन को लेकर क्या कदम उठा रही है और साथ ही कानून को लागू करने से पहले किस तरह का अध्ययन किया गया था। अदालत ने 8 मार्च तक राज्य सरकार को अपना जवाब रखने के लिए कहा है।
    गौरतलब है कि बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है। जिसके तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है। इस कानून में पहले संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद तक का प्रावधान किया गया था। लेकिन 2018 में इस कानून में संशोधन किया गया था और सजा में थोड़ी छूट दी गई थी। हालांकि पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौत के बाद कानून में थोड़ी और ढील देने की चर्चा सामने आई थी। माना जा रहा है कि शराबबंदी संशोधन बिल जल्दी ही विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
  • शराबबंदी को सही ठहारने को फ‍िर समाज सुधार यात्रा पर न‍िकले नीतीश कुमार

    शराबबंदी को सही ठहारने को फ‍िर समाज सुधार यात्रा पर न‍िकले नीतीश कुमार

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा के सिलसिले में 22 फरवरी को भागलपुर आए थे 

    द न्यूज 15 
    पटना । हालांकि यह वक्त बिहार में चुनाव का नहीं है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी को भी कोई खतरा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से नीतीश कुमार को सच्चा समाजवादी बताया है, तब से बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समेत पूरी भाजपा के सुर बदल गए हैं। मंगलवार को भागलपुर की सभा में तो राज्य के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने अपने को नीतीश कुमार के नक्शे कदम पर चलने वाला छोटा भाई ही बता दिया। वहीं राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने नीतीश कुमार की बड़ाई में कसीदे गढ़े। बोले उनकी अगुवाई में बिहार तरक्की कर रहा है।
    असल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा के सिलसिले में 22 फरवरी को भागलपुर आए थे। भागलपुर के हवाई अड्डे पर सभा हुई। जहां जीविका दीदियों से संवाद किया। दीदियों को कम समय देने के लिए भागलपुर के डीएम सुब्रत सेन से आगे से ज्यादा समय देने को बोले। इस यात्रा का शुभारंभ 22 दिसंबर को पूर्वी चंपारण से हुआ था, जो छह ज़िलों में चला। मगर कोरोना की तीसरी लहर की वजह से इसे रोक दिया गया। मंगलवार से दूसरे दौर की यह यात्रा भागलपुर से शुरू हुई है। 23 को जमुई में सीएम का कार्यक्रम है। इस यात्रा का ज्यादा जोर शराबबंदी कानून को सही ठहराना है। सभा में तमाम वक्ताओं के भाषण का लव्वोलुआव यही था। मंत्री जयंत राज, मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार, मुख्य सचिव आमिर सोहनी, अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रकाश, डीजीपी एसके सिंघल सभी ने शराबबंदी कानून को उचित बताया।
    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में शराबबंदी कानून पर दायर याचिका की सुनवाई अप्रैल में होनी मुकर्रर की गई है। यह याचिका इंटरनेशनल स्प्रिट्स एंड वाइन एसोसिएशन आफ इंडिया ने दायर की है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते का समय बिहार सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दिया है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार के जमानत न देने का विरोध संबंधी आवेदनों को खारिज कर झटका दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने विशाखापत्तनम के एक समारोह में बिहार के शराबबंदी कानून का जिक्र किया था। साथ ही बिहार में हाल के महीनों में जहरीली शराब कांड होने और दर्जनों मौतें होने की वजह से शराबबंदी कानून पर सवाल उठने लगे हैं। इन्हीं वजहों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक दबाव में हैं।
    अलबत्ता नीतीश कुमार की जब घबराहट बढ़ती है तो यात्रा का सहारा लेते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार की यह 12वीं यात्रा है। 2005 से बिहार में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह स्पष्ट रूप से हर राजनीतिक यात्रा की परिभाषित विशेषता रही है। अक्टूबर 2005 के विधानसभा चुनावों के लिए उन्होंने न्याय के साथ विकास वाले वादे के साथ न्याय यात्रा शुरू की थी, जो बाद में उनकी सरकार की टैगलाइन बन गई। नीतीश कुमार की वर्तमान राज्यव्यापी यात्रा का उद्देश्य शराब, दहेज और बाल विवाह के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करना है। जिसका जिक्र मंगलवार को उन्होंने किया भी। वह बोले कि इन समाजिक कुरीतियों के खिलाफ निरंतर अभियान चलाना चाहिए। महात्मा गांधी की कही पंक्तियों को पढ़कर दोहराया। बोले शराब पैसे की बर्बादी के साथ बुद्धि भी छिन्न कर देती है। इंसान शराब पीकर हैवान हो जाता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि शराब पीने से घातक बीमारियां होती है। 20 लाख लोग सालाना दुनिया में मर रहे हैं। इनमें 20 से 39 साल की उम्र वाले साढ़े तेरह फीसदी हैं। पिछली यात्राओं की तरह ही मुख्यमंत्री नीतीश ने पूर्वी चंपारण से इस यात्रा की शुरुआत की थी। लेकिन अहम सवाल यह है कि ऐसे समय में जब विधानसभा और लोकसभा चुनाव दूर हैं तो नीतीश कुमार को एक और राजनीतिक यात्रा शुरू करने का मकसद क्या है?  जबकि उनकी 11 में से 7 राजनीतिक यात्राएं लोकसभा या विधानसभा चुनाव के करीब शुरू की गई थी। यों राजनीतिक दवाब तो इस वजह से भी है कि जदयू 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में 45 सीटों पर सिमट कर तीसरे स्थान पर आ गई। इनके पाला बदल लेने वाले स्वभाव की वजह से ही भाजपा इनकी पीठ देख रही है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तब से इनको पलटू राम कहते हैं।
    यात्रा की मिसाल के तौर पर नीतीश कुमार ने 2009 के लोकसभा चुनाव से तीन महीने पहले फरवरी 2009 में “विकास” यात्रा शुरू की थी। इसी तरह उन्होंने 2010 के विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले अप्रैल 2010 में “विश्वास” यात्रा आयोजित की थी। हालांकि सीएम नीतीश के वर्तमान राजनीतिक दौरे के पीछे कई कारण नजर आ रहे हैं। नीतीश कुमार अप्रैल 2016 से राज्य में लागू शराब निषेध कानून को सही ठहराने के राजनीतिक दबाव में हैं।
    पिछले महीने गोपालगंज और पश्चिम चंपारण और दूसरे ज़िलों  में हुई जहरीली शराब की घटनाओं ने उनकी सरकार को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि वे कहते हैं कि जो प‍िएगा वो मरेगा। उनके मंत्री सुनील कुमार दलील देते हैं कि जब शराबबंदी नहीं थी तब भी जहरीली शराब कांड हुए हैं। और मौतें हुई है। वर्तमान में जिन राज्यों में शराबबंदी नहीं है वहां भी जहरीली शराब कांड हुए हैं। पड़ोसी राज्य यूपी में ही जहरीली शराब पीने से मौतें हुई है। यह नकली दवा बनाने जैसा पैसा कमाने का खेल है। अब ड्रोन के जरिए अवैध शराब की भठ्ठियों को ध्वस्त किया जा रहा है।
    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात को भागलपुर की सभा में दोहराया कि मैं किसी भी शादी समारोह में शामिल नहीं होऊंगा जिसमें मुझे लिखित रूप से यह नहीं दिया जाएगा कि इसमें कोई दहेज नहीं लिया गया या नहीं दिया गया। उन्होंने राज्य की महिलाओं से शराब पीने वालों, शराब बनाने वाले और उसको बेचने वाले के बारे में भी जानकारी देने का आह्वान किया। ऐसा करके वह 10 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों तक पहुंचने की भी कोशिश कर रहे हैं।

  • तो क्या बिहार में शराब के गोरखधंधे को रोकने को पुलिस का मुखबिर बनेंगे शिक्षक? 

    तो क्या बिहार में शराब के गोरखधंधे को रोकने को पुलिस का मुखबिर बनेंगे शिक्षक? 

    द न्यूज 15 

    पटना। बिहार में कहने को तो शराबबंदी है लेकिन यहां पर अवैध शराब के गोरखधंधे ने शासन प्रशासन की नींद उड़ा राखी है।.जिसके चलते ही अब  नीतीश सरकार ने एक अजीब फरमान जारी किया है। फरमान भी ऐसा जिसने नीतीश कुमार के विजन पर ही सवाल खड़े कर दिए गए। दरअसल शराब माफियाओं पर अकुंश लगाने में नाकामयाब रहा बिहार का पूरा का पूरा सिस्टम, अब अपनी लुटती इज्जत को बचाने के लिए शिक्षकों की आड़ लेता दिखाई दे रहा है, जिसके चलते ही  अब बिहार के शिक्षक शराब माफियाओं से लड़ेंगे।  जी हां बिहार पुलिस के फेल होने के बाद अब, बिहार के शिक्षक, बिहार पुलिस के एजेंट बनेंगे। शराब माफिया के खिलाफ ये शिक्षक कैसे लड़ पाएगें ? अगर इस जंजाल में वो उलझे भी तो उनका जो खुद का काम है। यानी देश के भविष्य को संवारने की ज़िम्मेदारी। मतलब की शैक्षणिक कार्य, उसके साथ वो कैसे न्याय करेंगे। क्योंकि वो एक ओर शैक्षणिक कार्यों के मोर्चे पर तैनात हैं। .तो दूसरी ओर बिहार सरकार उन्हें अपनी पुलिस का मुखबिर बनाने पर तुल गई है। सच तो ये है कि नीतीश सरकार के आदेश के मुताबिक शिक्षकों मुखबिर बनकर पुलिस को सूचना देनी है कि शराब कहां से आ रही है, और कौन लेकर आ रहा है, जिसके लिए नीतीश सरकार ने शिक्षकों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। जिस पर शिक्षक शराब से जुड़ी कोई भी जानकारी साक्षा कर सकते हैं, इतना ही नहीं, अगर किसी शिक्षक को शराब माफिया परेशान करता है तो उस सूरत में भी शिक्षक उसी हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब सवाल ये है कि बिहार सरकार को आखिरकार शिक्षकों की मदद लेने के लिए क्यों जरूरत पड़ गई ? तो बिहार की नीतीश सरकार कहती तो है कि वो शराब माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, फिर भी आए दिन जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हो रही है। हाल ही में बिहार के बक्सर जिले में जहरीली शराब पीने से करीब 5 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद प्रशासन पर  कई सवाल खड़े हुए थे, क्योंकि जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा यहीं नहीं रुकता है, बिहार में पिछले 2 महीनों से करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अभी पुलिस ने किसी भी शारब माफिया को गिरफ्तार नहीं किया है। कहने को तो पुलिस प्रशासन से छापेमारी के दौरान करीब 1100 लीटर की शराब पकड़ी थी, लेकिन इस संख्या ने पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। शराब बंद होने के बावजूद बिहार में 1100 लीटर की शराब का मिलना ही एक बड़ा सवाल है। जिसे रोकने के लिए नीतीश सरकार ने अब मैदान में अपने शिक्षकों को उतारा है।

  • राजद विधायक का आरोप, नीतीश कुमार नशा करते हैं

    राजद विधायक का आरोप, नीतीश कुमार नशा करते हैं

    पटना, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक राजवंशी महतो द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर नशीला पदार्थ का सेवन करने से जुड़ा आरोप लगाने के बाद से सियासी पारा चढ़ने की उम्मीद है। महतो का बयान ऐसे समय में आया है, जब नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी कानून को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए शपथ ग्रहण अभियान शुरू किया है।

    बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक महतो ने कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मारिजुआना (गांजा) का सेवन करते हैं। राज्य में मारिजुआना की बिक्री और खपत पर भी प्रतिबंध है। वह मारिजुआना की लत को क्यों नहीं छोड़ रहे हैं?

    महतो ने कहा, बिहार में शराबबंदी सिर्फ दिखावा है। यह राज्य के हर गांव और शहर में उपलब्ध है। नीतीश कुमार बिहार के लोगों को सिर्फ धोखा दे रहे हैं।

    महतो ने कहा, अगर बिहार में शराब पर प्रतिबंध है, तो नीतीश कुमार दूसरों को शपथ लेने के लिए क्यों मजबूर कर रहे हैं? वह इसे खुद पर लागू क्यों नहीं कर रहे हैं?

    महतो ने कहा, बिहार में माफिया गरीबों के माध्यम से काम कर रहे हैं और राज्य पुलिस केवल गरीबों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, वास्तविक माफिया के खिलाफ नहीं है।

    राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा, नीतीश कुमार का नशा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। जब पटना पुलिस महिला पुलिसकर्मियों के साथ नवविवाहित दुल्हन के कमरे में प्रवेश करती है और नीतीश कुमार पुलिस अधिनियम को सही ठहराते हैं, तो यह बेहद शर्मनाक है।