प्रधानमंत्री मोदी इन दिनों मिस्र के दौरे पर हैं,जहां उन्हें खूब प्यार और समान मिल रहा हैं वही आप को बता दे की उन्हें वहा मिस्र के सबसे उच्च सम्मान “ORDER OF THE NILE” से सम्मानित किया गया हैं !
क्या हैं ORDER OF THE NILE ?
इन दिनों PM Modi मिस्र के दौरे पर हैं, वह उन्हें खूब प्यार और सम्मान मिल रहा हैं,मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने प्रधानमंत्री मोदी को मिस्र का सबसे बड़ा सम्मान “ORDER OF THE NILE” दिया गया, आप को बता दे की ORDER OF THE NILE है असल में है क्या? ये उन राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों और उपराष्ट्रपतियों को दिया जाता हैं जिन्होंने मिस्र या मानवता के लिए लाभकारी काम किये हो,इसकी शुरुआत 1915 में की गई थी सबसे पहले ये सम्मान ब्रिटिश जनरल Sir Reginald wingate को दिया गया था ये 1917-1919 तक मिस्र में High Commissioner भी रह चुके हैं, सबसे हाल ही में ये उच्च सम्मान PM नरेंद्र मोदी को दिया गया साथ ही 2023 में ही Oman के सुल्तान “हैथम बिन तारिक़” को भी ये सम्मान मिल चूका हैं !
The Order Of The Niles
बात करे ORDER OF THE NILE तो यह शुद्ध सोने से बना होता हैं,जिसमें वर्गाकार सोने की तीन इकाइयां शामिल हैं, जिसमे एक मिस्र के फिरौन(राजा ) का प्रतीक शामिल हैं,इसकी पहली इकाई में राष्ट्र को बुरी ताकतों से बचाने के लिए प्राथना लिखी होती हैं ,जबकि दूसरी इकाई नील नदी द्वारा लाई गई समृद्धि एवं खुशी का प्रतीक है,तीसरी और आखिरी इकाई में धन एवं सहनशीलता को संदर्भित करती हैं, ये सभी की सभी इकाई एक दूसरे में सोने से बने गोलाकार फूलों से जुड़ी होती हैं, जिसमें फिरोजा और रूबी रत्न जड़े होते हैं !
और भी मिल चुके हैं मोदी जी को सम्मान..
modi awards
ये पहली बार नहीं की मोदी जी को कोई राजकीय सम्मान मिला हो अपनी 9 साल के कार्यकाल में कई बार वो कई उच्च सम्मान कई अलग-अलग देशो से प्राप्त कर चुके हैं,पीएम मोदी को अमेरिकी सरकार द्वारा ‘लीजन ऑफ मेरिट’ के साथ-साथ पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू’ , भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्याल्प’ से भी सम्मानित हो चुके है ,साथ ही बता दे की मालदीव के ‘द ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्यूस्ड रूल ऑफ निशां इज्जुद्दीन’ और रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू’ से सम्मानित किया जा चूका हैं ,प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद अवॉर्ड’ सहित अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्ला खान’ भी मिल चूका हैं , मोदी अपनी 4 दिन की विदेश यात्रा जिसमे वो अमेरिका और मिस्र का दौरा कर और पुरे विश्व में नाम कर देश को लौट रहे हैं !
25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र पर एक अँधेरी भरी सुबह लेकर के आया था , लगातार दो साल तक ये अँधेरा छाया रहा इन सालो को भारतीय इतिहास में काले दिनों के रूप में याद रखा जाता हैं , उन दिनों कुछ ऐसे हवा चलती थी की लोग घुट-घुट कर सांस लेते थे !
25 जून 1975 भारतीय आपातकाल…
यू तो भारत में आज तक 3 बार आपातकाल लग चुकी हैं पर सबसे भयानक रही 1975 की आपातकाल स्तिथि ये सभी लोगो का दम घोटने वाली थी,पहली आपातकाल 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान लगी ,दूसरी 1971 भारत-पाकिस्तान के वक़्त पर सबसे भयानक और दर्ददायक रही साल 1975 में लगी इमरजेंसी जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने लगाई थी,मामला शुरू होता हैं 1971 लोकसभा चुनाव से जब इंदिरा गाँधी पर आरोप लगता की वो चुनाव में धांधली कर के जीती हैं, उन्होंने तय सीमा से ज़्यादा पैसा खर्च किये और जनता को गलत तरह से बेहला कर अपनी और किया ,उनके खिलाफ मामल दर्ज कराने वाले थे राजनारयण जो की 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी के खिलाफ रायबरेली से लड़ रहे थे,
उनका कहना था की मैं धांधली के चलते हार गया,बात समय के साथ बीत गयी और कोर्ट केस चलता रहा फिर आया साल 1975 जब अल्लाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को फैसला सुनते हुए कहा की अदालत इंदिरा गाँधी को दोषी मानती हैं,और उन्हें लोक सभा सीट से हटने का आदेश देती हैं ,और 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ने का आदेश भी पारित करती है ,इस मामले को लेकर इंदिरा गाँधी सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को वैसे ही रहने दिया पर कोर्ट उन्हें अगली सुनवाई तक प्रधानमंत्री बने रहने की रियायत दी,
Emergency 1975
उसी दौरान इंदिरा गाँधी ने करीबी सलाहकरो और तत्कालीन पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रॉय ने इंदिरा गाँधी की इस मामले में कानूनी मदद करी, उनके अन्य सलहकारो ने इंदिरा को बताया की वे धरा 352 के तहत भारत देश मे आंतरिक बाग़ीपन या अस्थिरता को लेकर वह इमरजेंसी का कदम उठा सकती हैं , उन्होंने तुरत कागज़ात बनवा कर राष्ट्रपति भवन पहुँचाये तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति फकरूदीन अली अहमद ने तुरंत इंदिरा के कागज़ को देखते ही इमरजेंसी पर अपने दस्तखत कर दिए और सुबह तड़के ही इंदिरा गाँधी ने आल इंडिया रेडियो से आपातकाल की घोषणा कर दी,यह आपातकाल का समय 2 साल तक चला,
आपातकाल के कुछ अन्य कारण..
उन दिनों इंदिरा गांधी को अमेरिकन इंटेलिजेंस एजेंसी CIA से भी खतरा था. इंदिरा को पता था कि वे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की Hate List में हैं. इंदिरा को ये डर सता रहा था कि उन्हें चिली के साल्वाडोर अलेंडे की तरह सत्ता से बेदखल कर दिया जाएगा. 1973 में CIA ने जनरल ऑगस्तो पिनोशेट की मदद से साल्वाडोर अलेंडे को सत्ता से उखाड़ फेंका था, इंदिरा व्यक्तिगत रूप से डर रहीं थीं, वही साथ ही गुजरात मे 1974 की शुरुआत में नेता चीमन भाई पटेल के घोटाला सामने आने के बाद गुजरात की जनता में आक्रोश आ गया था वो सड़को पर उतर कर कांग्रेस के खिलाफ नारे लगा कर राजयसभा को भंग करने की मांग कर रहे थी , इंदिरा गाँधी को दवाब में आकर गुजरात राज्यसभा को भंग कर दिया,
Jayaprakash Narayan (Emergency 1975)
दूसरी तरफ जयप्रकाश नारायण ने बिहार में भी कांग्रेस के खिलाफ एक शांति आंदोलन जारी किया, जिसमे विद्यार्थीयो ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया,इंदिरा ने इन्ही बातो का हवाला दे कर राष्ट्रपति फकरूदीन अली अहमद को आपातकाल लगाने की बात कही,इंदिरा का कहना था “जब एक बच्चा पैदा होता है तो ये देखने के लिए कि बच्चा ठीक हैं या नहीं, हम उसे हिलाते हैं, भारत को भी इसी तरह हिलाने की जरूरत है”, इंदिरा को लगता था कि अगर वे सत्ता छोड़ती हैं तो भारत बर्बाद हो जाएगा,उन्होंने इन्ही बातो को आपना हथियार बना कर देश पर आपातकाल लगाया,
काले दिनों की शुरुआत..
25 जून 1975 से आपातकाल शुरू होते ही लोगो से जीने का हक्क छीना जाने लगा सभी विपक्षी नेताओ को बिना किसी कारण शक के बिनाह पर गिरफ्तार कर जेलो में डाल दिया गया, जैसे मोरारजी देसाई,अटल विहारी बाजपाई ,लाल किशन अडवाणी,और जय प्रकाश सहित चरण सिंह जैसे नेताओ की सूची बना कर के जेलो में डाला गया ,सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 100,000 लोगो को जबरन जेल में डाला गया था,सभी चुनावो को स्थगित कर दिया गया, और सभी लोगो से उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए, सरकार अपनी मर्जी से कानून बनाती और लागू करती , इंदिरा गाँधी ने ऐसे-ऐसे कानून बनाये जिससे उन्हें ही फायदा हो, उस समय की इंदिरा की आपातकाल में सरकार ने अदालतों पर भी शिकंजा कसना चाहा बाद में संजय गाँधी और SS RAY के कहने पर उन्होंने इसे टाल दिया था !
नसबंदी (Emergency 1975)
सबसे भयानक थी मर्दो की नसबंदी, ये नशबंदी बहुत ही गलत और बिलकुल असुरक्षित तरीको से हुई थी, साथ ही सरकार नशबंदी का सटिफिक्ट उन मर्दो को देती थी जिन्होंने ये नशबंदी कराई होती थी, कई जगह तो सरकार जबरदस्ती भी ये काम करती थी ,
साथ ही RSS और जमात-ए-इस्लाम जैसे धार्मिक संगठनो पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया साथ ही बहुत से साम्यवादी नेताओ को भी जेल में डाल दिया गया था,साथ ही कांग्रेस ने खुद अपने कई नेता जो उनका सपोर्ट नहीं कर रहे थे उन्हें भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया और कई लोगो को जेल भी हुई,उन दिनों लोगो में घर से बाहार निकलने में भी डर लगता था , शाम होने के बाद लोग अपने घरो से बहार भी नहीं जाते थे, सबसे ज़्यादा केहर बरपा लोकतंत्र के चौथा सतम्भ कहे जाने वाले पत्रकारिता पर उन दिनों पत्रकारों पर सरकार ने बहुत कड़ी सेंसरशीप लगा राखी थी केवल सरकार जो चाहेगी वो ही छपेगा , जिस दिन आपातकाल की घोषणा होनी थी उसी रात दिल्ली के अखबारों के प्रिट्रिंग प्रेस की लाइने काट दी गईं थी . अगले दिन सुबह में सिर्फ स्टेट्समैन और हिंदुस्तान टाइम्स अखबार ही बाजारों में मिल रहे थे क्योंकि इन अखबारों के प्रिंटिंग प्रेस में बिजली नई दिल्ली से आती थी, दिल्ली नगर निगम से नहीं,
आपातकाल का आखिर समय..
साल आया 1977 अब आपातकाल को सरकार हटाने का पूरा प्लान तैयार कर चुकी थी , फिर आयी 12 मार्च 1977 जब आखिरकार सरकार ने आपातकाल को वापस लिया, और इंदिरा गाँधी ने लोकसभा चुनाव का आवाहन किया, चुनाव 16 मार्च से 20 मार्च तक हुए, इंदिरा गाँधी हार गयी, और आज़ाद भारत में पहली बार कांग्रेस के अलावा किसी और पार्टी का राज आया, वो पार्टी थी मोरारजी देसाई जी की जनता दाल,
मोरारजी देसाई (Emergency 1975)
जो आने वाले पुरे पांच साल तक सत्ता में रही,फिर 1980 में दोबारा इंदिरा गाँधी की सरकार सत्ता में आयी इस बार वो अपने नयी आर्थिक निति के दम पर सत्ता में आई थी ! इंदिरा गाँधी ने आपातकाल ख़तम होने के बाद दिए एक इंटरव्यू में कहा था, की “भारत को एक शॉक थेरेपी की जरुरत थी” , हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी भारतीय जनता से माफ़ी मांगते हुए कहा था की हम उस समय लोगो के जीवन की रक्षा नहीं कर सके,राहुल गाँधी ने भी लंदन मे दिए एक इंटरव्यू में उनकी दादी द्वारा लगायी आपातकाल को गलत बताया था !
तुगलकाबाद गांव की गरीब झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों की परेशानिया थमने का नाम नहीं ले रही। उन्हें हर वक्त ये डर सताता रहता है कि कही उनका आशियाना ना उनसे छीन जायें। दरसअल कुछ दिन पहले ASI ने इस इलाके को अवैध घोषित करते हुए 1 हजार परिवार के लोगों को नोटिस भेजा था। जिसमें पहले तो उन्हें 15 दिन का समय दिया गया था,लेकिन फिर इस समय काल को 3 माह का कर दिया गया। जिसके बाद वहां रहने वाले गरीब जनता की रातों की नींदे उड़ गई।
इलाके में इस वक्त हर किसी की आंखे यहां नम है,वे बस किसी तरह अपना घर बचाना चाहते है। वो घर जहां उनका जन्म हुआ,वो घर जहां वे पले-बड़े,वो घर जहां उन्होंने अपनी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी उस घर पर लगा दी। नोटिस आने के बाद हमने कई लोदों से बातचीत कि जिसमें जनता ने सरकार का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे इस जमीन पर पिछले 30-40 साल से रह रहे है,उनका आधार कार्ड,पेन कार्ड ,वोटर आईडी कार्ड सब यही का है जब इसी पते पर चीज़े बन रही थी और उनसे उनकी जमीन के बदले उनसे पैसे लिए गए थे इतना ही नहीं वहां की पुलिस और किले वाले उनसे पैसें खा रहें थे,तब ये चीजें सरकार को क्यों नहीं याद आई।
क्या सिर्फ गरीब जनता वोट मात्र का एक जरिया है। इलाके केै लोगों का आरोप है कि जानबूझकर उन्हें सताया जा रहा है। जो सरकार बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं की बात करती है वो ही सरकार बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल रही हैं। जहां झुग्गी वही मकान का जो वादा किया गया था वो वादे कहां धरे के धरे रह गए?
DDA अवैध कब्ज़े के नाम पर जानबूझकर कर रही है तोड़-फोड़
आपकों बतां दे पिछले साल से केंद्रीय शाखा DDA राजधानी के अलग-अलग इलाकों में घरों और दुकानों को अवैध कब्ज़े के नाम पर लगातार तोड़ कर रही है। अप्रैल 2022 में जहांगीरपुरी में डेमोलिशन सांप्रदायिक तनाव के चलते हुआ। मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र में डेमोलिशन का दौर चलता आ रहा है। बाबरपुर, मौजपुर, मदनपुर खादर, शाहीन बाग जैसे इलाकों में बुल्डोजर पहुंचा तो था लेकिन कुछ जगहों में जाति-धर्म के विभाजन को खारिज करते हुए एकताबद्ध तरीके से बुलडोज़र का सामना किया गया, बल्कि ऐसे टक्कर देने वाले कालिंदी कुंज के लोगों पर पुलिस ने दंगे करवाने का आरोप लगा केस भी डाला जो आज तक चल रहा है।
टेंशन के कारण बॉडी पैरैलाइज
नोटिस आने के बाद घर पर बुल्डोजर चलने की टेंशन के कारण एक परिवार के सदस्य के शरीर का एक हिस्सा पैरैलाइज हो गया। उस फैमली का कहना है कि उनके पास खाने के पैसे ही बड़ी मुश्किल से जमा हो पाते है। अब ऐसे में घर छिन जाने के डर से उनका सुख चैन सब छीन गया है। वो दूसरों के घरों में काम कर के अपना पेट पालते है अगर उनका घर छीन गया तो वह अपने अपंग पति को लेकर कहा जायेगी।
आर्थिक तंगी की मार झेल रहा पाकिस्तान में जहां पहले रोटी-दाना के लिए मोहताज होना पड़ रहा था, और जहां पाकिस्तान में गेहूं और आटे के दाम ने महंगाई का नया रिकॉर्ड बनाया है। तो वही अब बिजली गुल होने से एक और मुसीबत आन पड़ी है। दरसअल पाकिस्तान में पावर ब्रेकडाउन होने से बिजली की समस्या खड़ी हो गई है। इस सिलसिले में बताया जा रहा है कि कराची से क्वेटा तक और इस्लामाबाद से पेशावर तक पाकिस्तान में बिजली नहीं है।
बताया जा रहा है कि इसके कारण कुल 29 शहरो में बिजली नहीं है। वही इसकी वजह सरकार ने मेंटेनेंस का काम तेजी से चलना बताया है। लेकिन सच क्या है ये तो वही जानते है। उन्होंने कहा है कि उम्मीद है जल्द ही सप्लाई शुरू हो जाएगी। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक यह मास पावर कट नेशनल ग्रिड में खराबी आने के बाद हुआ है। बता दे कि भारत की तुलना में करीब चार गुना अधिक कीमत बिजली के लिए पाकिस्तान की जनता को चुकानी पड़ रही है। भारत में रेसिडेंशियल बिजली बिल की औसत दर 6 से 9 रुपये प्रति यूनिट है।
नेशनल ग्रिड सिस्टम में यह खराबी सोमवार सुबह 7:34 बजे आई। पाकिस्तान के मंत्रालय के बयान से पहले ही वहां की कई कंपनियों ने बिजली गुल होने की बात सोशल मीडिया पर लोगों को बतानी शुरू कर दी थी।
जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियां फेस करनी पड़ रही है। पाकिस्तान देश का खजाना खाली हो रहा है,श्रीलंका जैसे हालात पाकिस्तान में पैदै हो गए है। खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। भूख मिटाने के लिए लोगों को मौत का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों आटा खरीदने के लिए ऐसी भगदड़ मची की चार लोगों की मौत हो गई।
वही कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के पीएम शहवाज शरीफ ने इस सिलसिले में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील भी की थी,और उन्होंने अपने द्वारा दिये एक इन्टरव्यू में साफ कहा था कि वह भारत के साथ शांति चाहते है, पाकिस्तान भारत से सबक सीख चुका है। लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान बदल दिया और इसे पाकिस्तानी पॉलिसी बता दी।
भारतीय जनता पार्टी(BJP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक 16 से 17 जनवरी तक चलेगी । इस दो दिवसीय बैठक में सभी राज्यों और केंद्रीय कमेटी के पदाधिकारियों के साथ, कल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की । आज यानी 17 जनवरी को BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आखिरी दिन है। आखिरी दिन में, BJP ने कुछ अहम बिंदुओं पर चर्चा की ।
. बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में GST पर बात हुई ।
. देश की वैश्विक और आर्थिक स्थिति पर विचार हुआ, जैसे कि – आवास योजना के तहत घर देना, किसानों की मार्केटिंग वर्सेटैलिटी बढ़े, वोकल फॉर लोकल को प्राथमिक नीति बनाया आर्थिक स्थिति को अच्छा रूप देने के लिए।
. राशन वितरण के बारे में बताया गया।
बीजेपी की दूसरे दिन की कार्यकरिणी बैठक में मोदी सरकार की उपलब्धियां भी बताई गई।
Bjp द्वारा बताया गया की गरीब कल्याण रोजाना के तहत देश में काम हुआ इसके अलावा आत्म निर्भर भारत के तहत युवा आगे बढ़ रहे है। इसके द्वारा देश को एक कड़ी में जोड़ने का काम किया गया। साथ ही बताया की अर्थनीतिक योजनाएं लाई गई जिससे देश आत्म निर्भर बना। BJP की उपलब्धी के तौर पर अयोध्या मन्दिर की तिथि घोषित करने की भी बात BJP ने की । साथ ही उन तीर्थ स्थल के बारे में बताया गया जिनका शिलान्यास PM Modi ने किया। जो देश के अलग अलग राज्यों में स्थित है।
बैठक के दूसरे दिन के पहले चरण में अर्थनीति और सामाजिक और सशक्तिकरण के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। साथ ही बताया गया की मोदी सरकार ने देश को गुलामी की मानसिकता की भावना से आज़ाद किया। और राजपथ को कर्तव्य पथ बनाने, सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति कर्तव्य पथ पर निर्मित करने, डिजिटल इंडिया पर जोर देना जिससे भारत में रेडी पटरी वालों के पास भी डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था रहती है जिससे पता चलता है की देश अर्थनीति में आगे बढ़ रहा है । साथ ही सड़कों का बहतर निर्माण करना, जिससे एक जगह से दूसरे जगह जाने में समय की बचत होती है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बिहार नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने गरीब कल्याण की बात करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गरीबों को कैसे सहयोग दिया, इस पर बात की। गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत घर, पानी, बिजली देने का काम, गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप देना, कृषक को किसानी करते हुए दुर्घटना होने पर योजना के तहत मुआवजा देने की बात कही। उन्होंने महिलाओं के लिए लाडली योजना की भी बात की और कैसे मेले लगाकर रोजगार के अवसर बढ़ाए गए, इस बात को भी आगे रखा । अपनी बात रखते हुए, उन्होंने गरीब उत्थान का भी संकल्प माना ।
कालकाजी: नवजीवन और नेहरू कैंप के निवासियों को हाल ही में नरेला शिफ्ट करने का नोटिस मिला था,जिसके बाद झुग्गी में रहने वाले तमाम निवासी डीडीए ऑफिस के बाहर सरकार का विरोध करने पहुंचे। इस दौरान सभी के हाथों में बैनर पोस्टर लिए बस एक ही नारा गूंजता हुआ दिखा ” जहां झुग्गी वही मकान”। झुग्गी वासियों का आरोप है कि ये हम नहीं कह रहे ये बीजेपी (BJP) सरकार ने हमे इलेक्शन के वक्त बोला था, जिन वादों से सरकार अब मुकर रही हैं। प्रदर्शन में कालकाजी इलाके की विधायक अतिशी मार्लेना भी क्षेत्रवासियों का समर्थन करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने बीजेपी का धेराव किया।
40-50 सालों से रह रहे है
आतिशी ने कहा कि नवजीवन और नेहरू कैंप के निवासियों का कहना है कि उन्हें ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ चाहिए। वे किसी भी हालत में अपनी झुग्गियों को छोड़कर नरेला नहीं जाएंगे। बीजेपी ने एमसीडी चुनाव के दौरान ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ देने का वादा किया था और चुनाव खत्म होते ही बीजेपी शासित डीडीए ने नरेला शिफ्ट करने का नोटिस लगा दिया। वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें नरेला शिफ्ट नहीं होना वह यहां पर 40-50 सालों से रह रहे है। उनकी जन्म भूमि यहा है और उनकी मृत्यु भी यही होगी।
सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप
अगर सरकार जबरन उन्हें उठाएंगी तो वे परिवार सहित सड़को पर लेट जाएंगे।सरकार उन्हें यही पर एक छोटी-सी जमीन दे दे। जो फ्लेट उन्हें दिये जा रहे है वे जर्जर है उनकी हालत बहुत खराब है,बुजुर्ग महिलायें इतने ऊपर कैसे चढ़ेगी। सरकार उनके साथ वादा खिलाफी कर रही है। वही इस मामले मे विधायक आतिशी मार्लेना कालकाजी एक्टेंशन स्थित डीडीए को ज्ञापन सौंपने पहुंची ‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि नवजीवन कैंप और जवाहर लाल नेहरू कैंप के निवासियों के साथ मैं झुग्गियों को नरेला शिफ्ट करने के विरोध में ज्ञापन सौंपी हूं।
झुग्गी पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे
उन्होंने कहा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल का वादा है कि जब तक हर झुग्गीवासी को अपनी झुग्गी के पास मकान नहीं मिल जाता है, तब तक किसी भी झुग्गी पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे। उन्होंने कहा कि नवजीवन और नेहरू कैंप के निवासियों का कहना है कि उन्हें ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ चाहिए। वे किसी भी हालत में अपनी झुग्गियों को छोड़कर नरेला नहीं जाएंगे।
75 साल के इतिहास में पहली बार Pakistan सबसे विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है। बाढ़ के कारण लोगों के घर-दुकाने सब तबाह हो चुकी हैं, सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गवा दी। Pakistan पहले से ही कंगाली में जी रहा था और बाढ़ के बाद से वो और भी बर्बाद हो चुका है, और अब Pakistan राहत के लिए दुनिया से मदद की गुहार लगा रहा है। लेकिन इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी Pakistan के सर से कश्मीर का भूत अभी तक उतरा नहीं है। हाल ही में UNGA की मीटिंग में Pakistan ने Kashmir का रोना रोया और कहा कि धारा 370 हटनी चाहिए।
क्या कहना है Shehbaz Sharif का?
UNGA की सभा में Pakistan के प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif बोले कि 1947 के बाद से दोनों देशों के बीच 3 युद्ध हुए हैं और तीनों युद्ध में गरीबी, बेरोजगारी और दुख के सिवा किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ है। दोनों देशों को अपने बीच के मतभेद शांतिपूर्वरक और बातचीत के जरिए सुलझाने चाहिए।
Shehbaz Sharif pics
उन्होंने ये भी कहा कि भारत को अब ये बात समझनी चाहिए कि दोनों देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। और युद्ध किसी भी बात का विकल्प नहीं है, दोनों देशों के मन मुटावों को बातचीत के जरिए सुलझाते हैं।
इतनी परेशानियों से जूझ रहे Pakistan के दिमाग से Kashmir का भूत अभी तक नहीं उतरा, प्रधानमंत्री Shehbaz ने अपनी मांग सबके सामने रखी और कहा कि Kashmir पर से धारा 370 हटनी चाहिए।
Article 370
उन्होंने ये भी कहा कि “भारत ने Jammu-Kashmir में army force बढ़ा दी है। जिसके बाद से अब ये जगह दुनिया का सबसे ज्यादा सैन्यीकृत इलाका बन गया है”। उनका कहना है कि “भारत ने Jammu-Kashmir के विशेष दर्जे को बदलने के लिए 5 अगस्त, 2019 को अवैध और एकतरफा कदम उठाए, जिससे शांति की संभावनाओं को झटका लगा और क्षेत्रीय तनाव को भड़काया है। हम भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ अमन चाहते हैं।”
भारत का करारा जवाब Pakistan को
Indian Diplomat Mijito Vinito ने इस बात का करारा जवाब देते हुए कहा कि भारत पर झूटे आरोप लगाने से पहले उसे अपने कीये कर्मों को देखना चाहिए। Mijito ने कहा कि Kashmir पर दावा करने से पहले Islamabad में हो रहे “सीमा पार आतंकवाद” को रोकना चाहिए, और Mijito ने पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई परिवारों की लड़कियों के जबरन अपहरण, शादी और “पाकिस्तान के भीतर धर्मांतरण” होने वाली घटनाओं की बात भी की।
Mumbai Attack 2011
Mijito का बस यही कहना था की दूसरों पर कीचड़ उछालने से पहले Pakistan को अपने दुष्कर्मों के बारे में सोचना चाहिए।Mijito ने अंत में ये भी कहा कि अगर कोई ये दावा करता है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, तो वह कभी भी सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित नहीं करेगा, न ही Mumbai में हुए आतंकवादी हमले के पीछे जिन लोगों का हाथ था उनको पनहा देगा।
Kejriwal transform : “इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही यही पैगाम हमारा “अपनी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ये लाइन गाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों अपनी इन्हीं लाइनो से मुंह फेरते नजर आ रहे (Kejriwal transform)।
2013 में भारत की राजनीति बदलने का सपना दिखा के CM की कुर्सी पर आए केजरीवाल अब बदल कर (Kejriwal transform) बहुसंख्यकों की राजनीति करते नजर आ रहे हैं। कभी दिल्ली के कुर्सी पर बैठे रहकर PM Narendra Modi तथा अन्य उद्योगपतियों पर निशाना साधने वाले केजरीवाल अपने ही क्षेत्र में हो रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों पर चुप दिखाई दे रहे हैं।
Kejriwal transform दिल्ली की गद्दी की शपथ लेते केजरीवाल
पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बना लेने के बाद इसे आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा। पार्टी के बनने के दो साल के भीतर केजरीवाल दिल्ली की गद्दी पर विराजमान हो गए और अभी भी बने हुए है। लेकिन केजरीवाल जिस वादे के साथ राजनीति में आए आज वे उसी राजनीति के रंग में घुले नजर आ रहें(Kejriwal transform)। बीते सत्र में सस्ते मोहल्ला क्लीनिक तथा स्कूलों की हालत को तो अच्छा कर दिया लेकिन पार्टी के खुद के लोग पार्टी का दामन छोड़ कर चले गए।
आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) भले ही पंजाब के बाद गुजरात या गोवा में विपक्ष के तौर पर अपनी पकड़ बना रही लेकिन उन लोगों के भरोसे का क्या जिन्होंने पार्टी को एक नये राजनीतिक विकल्प के तौर पर चुना था। 2013 में लोकपाल बिल के मसले पर सरकार गिरा देने वाली आम आदमी पार्टी आज देशभर में चल रहे धार्मिक हिंसा पर मूकदर्शक बने बैठी हुई दिख रही। फिर चाहे वो CAA – NRC का मुद्दा हो केजरीवाल अपना पक्ष तक नहीं रख पा रहे।
आंदोलनकर्ता से राजनेता बनने का सफर (Kejriwal transform) –
दिल्ली की गद्दी छोड़ने के बाद केजरीवाल जी को यू-टर्न वाले नेता कहां गया लेकिन क्या वे सच में भारत का राजनीति बदल देने वाले अपनी पार्टी के आधार उद्देश्य से ही भटक गए है?
JNU विवाद के दौरान दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर 2 साल बाद चार्जशीट दायर की। दिल्ली पुलिस की इस कार्यवाही को JNU छात्रों पर केजरीवाल का एक समर्थक की तरह देखा जा रहा था। इसी तरह नोटबंदी और GST जैसे फैसलों पर केंद्र सरकार को बिना डरे घेरना उनकी एक आंदोलन से निकले हुए नेता की छवि को दर्शाता था।
लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वही केजरीवाल (Kejriwal transform) बदल जाते है ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस तथा सभी विपक्षी पार्टियों के साथ हाथ मिलाकर BJP के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा संभालते हैं।
वही केजरीवाल कश्मीर के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ सबसे पहले खड़े नजर आते है और 2020 के दिल्ली के चुनाव में BJP नेताओं के द्वारा लगाए जा रहे आरोपों जवाब नही देते है। (Kejriwal transform) ठीक उसी प्रकार वे प्रधानमंत्री (Narendra Modi) जी को भी निशाने पर लेना बंद कर देते हैं। “इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा “ गाने वाले केजरीवाल चुनाव के दौरान टी.वी. चैनल पर हनुमान चालीसा गाते नजर आते हैं। क्योंकि केजरीवाल भी अपने आप को कम हनुमान भक्त नहीं दिखाना चाहते थे।
चुनाव के बाद हुए दिल्ली दंगों के बाद जहां हमें NSA अजीत डोभाल जमीन पर जायजा लेते नजर आते है वहीं केजरीवाल एक बार भी उन गली मोहल्लों पर नहीं जाते हैं। चुनाव जीतने के लिए चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण पर चुप्पी साधना कहां तक सही?
ताजा मामलों की ओर नजर दौड़ाने तो दक्षिण भारत से चली भारत भ्रमण कर रही नफरत की आंधी ने दिल्ली में भी दस्तक दी। साउथ दिल्ली के मेयर मुकेश सुर्यान द्वारा नवरात्रि पर बैन लगा दिया जाता हैं इससे आम व्यापारियों के आय, और सामाजिक स्थिति पर पर पड़े प्रभाव की सरकार को कोई चिंता नही।
उम्मीद थी कि चुनाव निकट न होने के चलते केजरीवाल चाहते तो इसका विरोध कर सकते थे। हनुमान जयंती के दौरान पथराव पर कार्यवाही के नाम पर बुलडोजर का प्रयोग कर गरीबों के घरों पर कार्यवाही की गई। केवल संशय के आधार पर मध्यप्रदेश के खरगोन के बाद दिल्ली में भी दुकानों और घरों को निशाना बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाई गई रोक के बाद कार्यवाही को स्थगित किया गया। लेकिन सरकार की तरफ से किसी प्रकार के विरोध के स्वर नहीं दिखे।
इस पूरे मसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की तरफ से एक अनजान सी प्रतिक्रिया आती है जिसमें वे दंगाइयों की तो बात करते है तथा अन्य मुद्दो पर मौन रहते हैं।
पार्टी की तरफ से बांग्लादेशी वाले मसले पर पार्टी के अन्य नेता प्रतिक्रिया देते है लेकिन पूरी पार्टी के नेताओं में नैतिक बल नदारद दिखता है कि वे इस एक तरफा हो रही कार्यवाही के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सके। और कम से कम अपने क्षेत्र में इस तरह की कार्यवाही का विरोध कर सकें। दिल्ली के मुख्यमंत्री के ये बदले स्वर (Kejriwal transform) उन लोगों के लिए निराशा से कम नहीं उन्होंने पार्टी से एक बड़े नैतिक बल दिखा कर धर्म तथा चुनाव की राजनीति से आगे जा कर काम करने की उम्मीद की रही होगी।
पार्टी के पूर्व नेता तथा कवि कुमार विश्वास पार्टी छोड़ने के बाद कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे कि पार्टी के कामों का आकलन केवल उसके विकास कार्यो से न किया जाए बल्कि पार्टी के अंदर बचे लोकतंत्र से भी किया जाना चाहिए।
Prashant Kishor Congress : चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) में शामिल होने को लेकर बड़ा ऐलान कर सकते हैं इसके पहले भी उनकी कांग्रेस (Congress) में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी। इसके पहले प्रशान्त किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) के आला अधिकारियों के साथ कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के घर पर हुई।
प्रशान्त किशोक 21 अप्रैल को कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) के आला कमान से मिलकर उनसे कांग्रेस पार्टी के रिवाइवल पर चर्चा की। बताया जा रहा है कि प्रशांत ने 600 पेज की स्लाइड की प्रेजेंटेशन के जरिए कांग्रेस के नए रोडमैप तैयार किया। जिसमें से 600 में से 51 पेज प्रेजेंटेशन की पर बात की जा चुकी है, प्रशांत आज सोनिया गांधी से दोबारा मिलेंगे।
प्रशांत किशोर कांग्रेस (Prashant Kishor Congress) की बैठक में किया गांधी को किया कोट –
प्रशांत किशोर ने अपनी बात की शुरुआत गांधी की बात से की –
‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कभी मरने नहीं दिया जा सकता, यह सिर्फ राष्ट्र के साथ मर सकती है।’
प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के बाद सीधा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट करना चाहते हैं वे कांग्रेस के वर्तमान में चल रहे तौर तरीकों के साथ काम करने में सहज नहीं हैं। प्रशांत ने कांग्रेस के 1984 से लेकर अब तक चली आ रही गिरावट को समझाया । इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्रियों की उपस्थित में अपनी बात रखी। जाहिर हैं परिवारवाद पर आधारित पार्टी के लिए ये इतना आसान नहीं होगा।
प्रशांत ने अपने प्रेजेंटेशन में 4M पर जोर दिया है। जिसमें से ये 4M हैं- मैसेज, मैसेज, मिसनरी और मैकेनिक्स। जिसमें अपना आधार खो चुकी कांग्रेस के लिए लोगों के बीच अपनी अलग राय रखते, BJP के सामने जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने के तरीके की पूरी प्रक्रिया की बात की हैं।
बीते सालों मे जहां BJP ने सरदार पटेल को अपना नेता बताया उनकी भव्य मूर्ति का अनावरण PM मोदी जी (Narendra Modi) के कार्यकाल में हुआ इसके साथ उसी कांग्रेस के नेता नेहरू (Jawaharlal Nehru) के बारे में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से लेकर Twitter तक में झुठ फैलाया गया जिसका कांग्रेस पार्टी के नेताओं के द्वारा कभी भी सख्ती के साथ खण्डन नहीं किया।
प्रशांत ने कांग्रेस पार्टी (Prashant Kishor Congress) को उनके पुराने पार्टी लाइन पर वापस जाने को कहां जब वह एक आंदोलन की तरह भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ती थी। एक परिवार को एक टिकट ताकि परिवार वाद के कलंक से बच सकें, पात्रता और जी हुजूरी को त्याग, गठजोड़ पर स्पष्ट रहने की सलाह दी।
इसके बाद कांग्रेस नेताओं द्वारा गुरुवार यानी 21 अप्रैल को प्रशांत किशोर को लेकर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी हैं। इन नेताओं की सूची में एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक जैसे बड़े नाम शामिल थे।
आखिर कौन है प्रशांत किशोर ? Prashant Kishor Joining Congress?
क्या Prashant Kishor Congress में शामिल होंगे ?
प्रशांत किशोर चुनाव रणनीतिकार हैं हालांकि प्रशासन की पढ़ाई और ट्रेनिंग हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर हैं, उन्होंने United Nations के साथ 8 साल तक काम किया। चुनाव रणनीतिकार के रूप में पहली बार वे 2011 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के गुजरात के मुख्यमंत्री पद के चुनाव के लिए कैम्पेन डिजाइन करने का काम किया। प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव मई 2014 की तैयारी के लिए एक मीडिया और प्रचार कंपनी स्थापित की जिसका नाम उन्होंने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) रखा।
इसके बाद प्रशांत किशोर ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए, 2015 में बिहार में महागठबंधन के लिए नीतीश कुमार के साथ, 2020 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए और साल 2021 में तृणमूल के पश्चिम बंगाल में चुनाव अभियान का काम किया था।
अब वे कांग्रेस में शामिल हो सकते है राहुल (Rahul Gandhi )और प्रियंका (Priyanka Gandhi Vadra) दोनों ही प्रशासन को कांग्रेस में मुख्य सलाहकार के रूप में देखना चाहते हैं (Prashant Kishor Joining Congress) ताकि वे 2029 के चुनाव में फिर से अपनी पिछली स्थित में वापस आ जाए।
नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहे रूस को लेकर भारत के नरम रुख पर अमेरिका ने हैरानी जताई है। अमेरिकी मैगजीन इंटरनेशनल अफेयर्स ने अपने एक आर्टिकल में भारत के इस स्टैंड को लेकर चिंता जाहिर की है। अमेरिकी मैगजीन ने कहा है यूरोप समेत दुनिया के तमाम हिस्सों से यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की निंदा के स्वर उठे हैं, लेकिन भारत ने इस पर चुप्पी ही रखी है। अमेरिकी पत्रिका में कहा गया कि यदि भारत इस मसले पर रूस की निंदा करता है तो इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा और यह साबित होगा कि वह अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को लेकर भविष्य में भी गंभीर रहने वाला है। इसके अलावा वह चीन के स्टैंड से भी अलग नजर आएगा।
यूक्रेन और रूस में तनाव के बीच इजरायल ने सीरिया पर कर दिया मिसाइल अटैक : मैगजीन में भारत की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ऐसा लगता है कि वह तिराहे पर खड़ा है। यदि वह अमेरिका का समर्थन करता है तो फिर पुराने दोस्त रूस से नाराजगी का खतरा होगा, जिसके चीन लगातार करीब जा रहा है। इसके अलावा यदि वह रूस के साथ जाता है तो सबसे अहम और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण साथी अमेरिका को खो देगा। वहीं तटस्थता बरतने की स्थिति में दोनों ही देशों की नाराजगी का संकट रहेगा। हालांकि अमेरिकी पत्रिका की यह टिप्पणी भारत के स्टैंड से बेचैनी को दर्शाती है।
यूक्रेन संकट के बीच ताइवान पर चीन की बुरी नजर, बताया- अभिन्न हिस्सा
भारत के स्टैंड से क्यों अमेरिका में है बेचैनी : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में भारत ने रूस के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की और लगातार यही कहा कि कूटनीतिक तरीके से मसले का हल होना चाहिए। अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत इस मसले पर रूस का साथ नहीं देगा और उसके पाले में आ जाएगा। लेकिन चीन और भारत जैसे बड़े देशों के दूरी बनाने से उसके खेमे में बेचैनी दिख रही है। इस बीच अमेरिकी टिप्पणियों के जवाब में ‘द हिंदू’ के विदेश मामलों के संपादक जॉन स्टैनली की टिप्पणी भी अहम है, जो इसे लोकतंत्र या दमनकारी नीतियों जैसी बहस से अलग राजनीति के तौर पर देखते हैं।
अमेरिकी टिप्पणियों का जवाब देते हुए जॉन स्टैनली ने कहा, ‘जो लोग रूस के खिलाफ ज्यादा आक्रामक न होने को लेकर भारत पर हमला बोल रहे हैं, वे यह तथ्य भूल जाते हैं कि भारत के रूस के साथ गहरे संबंध हैं। बीते कुछ सालों में ये संबंध और मजबूत हुए हैं। इसके अलावा वह अपने हित के मुताबिक फैसले ले रहा है।’ स्टैनली ने वैश्विक राजनीति में डबल स्टैंडर्ड को भी उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘रूस ने जब क्रीमिया पर हमला किया था और डोनबास को मान्यता दी थी तो तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। लेकिन जब इजरायल ने गोलान पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया तो उसे मान्यता दे दी गई। पूर्वी यरूशलम को भी मान्यता दे दी गई। तुर्की की ओर से सीरिया के एक हिस्से पर कब्जा करने की भी चर्चा नहीं होती। इसलिए वास्तविक राजनीति पर ही चर्चा होनी चाहिए।’