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  • भारत में कोरोना के 11,850 नए मामले, 555 मौतें

    भारत में कोरोना के 11,850 नए मामले, 555 मौतें

    नई दिल्ली | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को अपने ताजा अपडेट में कहा कि भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 11,850 नए मामले सामने आए हैं और 555 लोगों की मौत हुई है। महामारी से नई मौतें के आंकड़े आने के बाद कुल मौतों की संख्या बढ़कर 4,63,245 हो गई है।

    पिछले 24 घंटों में 12,403 रोगियों के ठीक होने से रिकवर होने वालों की कुल संख्या बढ़कर 3,38,26,483 हो गई है।

    नतीजतन, मंत्रालय के अपडेट के अनुसार, भारत की रिकवरी दर 98.26 प्रतिशत है, जो मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक है।

    सक्रिय मामले 1,36,308 हैं, जो 274 दिनों में सबसे कम है।

    सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों का 0.40 प्रतिशत है, जो मार्च 2020 के बाद सबसे कम है।

    साथ ही इसी अवधि में देशभर में कुल 12,66,589 टेस्ट किए गए। भारत ने अब तक 62.23 करोड़ से अधिक कुल परीक्षण किए हैं।

    पिछले 24 घंटों में टीके की कुल 58,42,530 खुराक दी गई है, जिसके साथ ही भारत का कोविड टीकाकरण कवरेज शनिवार सुबह तक 111.40 करोड़ तक पहुंच गया है।

    यह 1,14,02,023 सत्रों के माध्यम से हासिल किया गया है।

  • यूपी में बाघ के हमले से एक किसान की मौत

    यूपी में बाघ के हमले से एक किसान की मौत

    लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) | लखीमपुर खीरी में दुधवा बफर जोन के अंतर्गत मैलानी रेंज के जंगलों के पास एक बाघ ने 52 वर्षीय किसान आशा राम की हत्या कर दी। उसका आंशिक रूप से खाया हुआ शव बुधवार को रिजर्व फारेस्ट के पास कटरा घाट के एक इलाके से बरामद किया गया।

    मृतक सोमवार दोपहर से लापता था, जब वह अपने पालतू जानवरों के लिए चारा लेने के लिए साइकिल से खेतों में गया था। मैलानी रेंज वन अधिकारी और संसारपुर पुलिस चौकी प्रभारी प्रवीण कुमार मौके पर पहुंचे। दुधवा बफर जोन के उप निदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने आशा राम को बाघ द्वारा मारे जाने की पुष्टि की है।

    उन्होंने कहा कि मौके पर बाघ के पैर के निशान मिले हैं और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

    आशा राम सोमवार दोपहर खेतों में गया था और देर शाम तक जब वह नहीं लौटा तो उसके परिजनों ने आसपास के इलाकों में उसकी तलाश शुरू की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

  • वाह री नीतीश सरकार, सब गलती जनता की!

    वाह री नीतीश सरकार, सब गलती जनता की!

    सी.एस. राजपूत   

    राबबंदी के कानून पर इतराने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब जहरीली शराब कांड पर अपनी विफलता स्वीकार करने के बजाय शराब पीने वालों को ही दोषी ठहरा दे रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि शराब बंदी होने के बावजूद आखिरकार यह जहरीली शराब आई कहां से ? शराब का धंधा करने वाले और उनको बढ़ावा देने वाले कौन लोग हैं ? क्या शासन-प्रशासन की मिलीभगत के बिना कोई गलत धंधा किया जा सकता है? दरअसल गैर संघवाद का नारा देने वाले नीतीश कुमार भाजपा की गोद में क्या जा बैठे कि वह भाजपा की ही भाषा बोलने लगे। जो नीतीश कुमार जिन मामलों को लेकर लालू और राबड़ी सरकार को घेरते-घेरते सत्ता तक पहुंचे वह आज अपने राज में उन मामलों के लिए जनता को ही दोषी ठहरा दे रहे हैं।
    गत विधानसभा चुनाव शराबबंदी कानून पर लड़ने वाले नीतीश कुमार के राज में यदि जहरीली शराब पीने से 30 लोगों की मौत हो जाए तो यह उनके लिए बड़ी शर्म की बात है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि गलत चीज पिएंगे तो ऐसा ही होगा।  मतलब शराब माफिया पर कार्रवाई करने के बजाय वह शराब पीने वालों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। आखिर कहां है नीतीश सरकार का पुलिस प्रशासन ?  कहां है उनका इकबाल? कहां गये सरकार के वादे ? क्या सरकार सत्ता के नशें में चूर है और लोगों की जान जहरीली शराब पीने से जा रही है। यह बिहार का दुर्भाग्य ही है कि मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छठ के बाद एक समीक्षा बैठक की बात कर रहे हैं।  शराब से मरने वाले लोगों के परिवार और शराब माफिया पर अंकुश लगाने की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है। बिहार के मंत्री रामजनक तो अपने मुख्यमंत्री से भी आगे निकल गए। वह शराब कांड के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि जो लोग मरे हैं उनमें से ज्यादा लोग दलित हैं। मतलब लाशों पर भी राजनीति।
    बिहार में शराबबंदी को लगभग पांच साल हो चुके हैं पर प्रदेश में कभी ऐसा नहीं लगा कि यहां पर शराब बंदी चल रही है, बल्कि शराब माफिया दूसरे तरीके से अपने धंधे को चमकाने में लगे हैं। किसी भी प्रदेश में जहरीली शराब से यदि मौत होती है तो वहां की सरकार पर उंगली तो  उठेगी ही। और यदि प्रदेश में शराबबंदी है तो सरकार को घेरने वाला कटघरा और मजबूत हो  जाता है। जहरीली शराब से हुई 30 लोगों की मौत पर माफी मांगने  नीतीश कुमार का उल्टे पीडि़तों को जिम्मेदार ठहराना बेशर्मी की पराकाष्ठा मानी जा रही है। अब जब इस मुद्दे पर खूब शोर शराबा हुआ तब जाकर उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर मामले की समीक्षा की। उन्हें जहरीली शराब की घटनाओं के संबंध में अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश भी देना पड़ा। ज्ञात हो कि गत फरवरी माह में खुद सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने इस कानून पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सूबे में शराबबंदी सात हजार करोड़ रुपये का सालाना लग रहा है पर यह कानून लागू नहीं हो पा रहा है। दरअसल सरकारों की यह नीति होती है कि सब कुछ होता रहे और जनता को जिम्मेदार ठहराते रहो। उत्तर प्रदेश में पॉलीथिन के प्रतिबंध पर भी ऐसा हुआ था। पॉलीथिन बनाने वाली फैक्टिरों पर तो अंकुश न लग सकता पर छोटे-छोटे दुकानदारों को जरूर परेशानी उठानी पड़ी। दरअसल बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव महिलाओं के वोट बटोरने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे में शराबबंदी लागू करने का वादा किया था। हालांकि उनका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना भी था। सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अप्रैल 2016 को बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी। इस कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

  • गुजरात में फार्मा यूनिट में ईटीपी टैंक में घुसने से 5 मजदूरों की मौत

    गुजरात में फार्मा यूनिट में ईटीपी टैंक में घुसने से 5 मजदूरों की मौत

    गांधीनगर | गांधीनगर के खतराज में टुटसन फार्मा कंपनी के एक एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) के टैंक में शनिवार दोपहर को घुसे पांच मजदूरों की मौत हो गई। अधिकारियों के अनुसार, लगता है कि इन सभी की मौत करंट लगने से हुई है। गांधीनगर के कलेक्टर कुलदीप आर्य ने आईएएनएस को बताया, “पहली नजर में ऐसा लगता है कि टैंक में घुसे सभी पांच मजदूरों की करंट लगने से मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही सही कारण पता चलेगा।”

    आर्य ने कहा, “अब तक हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार कंपनी ने ईटीपी टैंक के अंदर के केमिकल को बाहर निकाल दिया था और थोड़ा सा बचा हुआ एक पंप के माध्यम से निकाला जा रहा था। इस प्रक्रिया के दौरान यह त्रासदी हुई थी। निदेशालय के जिला अधिकारी औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (डीआईएसएच) ने मुझे प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भेजी है और हम मामले की जांच करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। सभी पांच मजदूर बिना किसी सुरक्षा गियर के ईटीपी टैंक में प्रवेश कर गए थे, जिससे नियमों का उल्लंघन होता है। फोरेंसिक विशेषज्ञों से भी परामर्श कर रहे हैं।”

    कुछ सूत्रों के अनुसार, सफाई के उद्देश्य से ईटीपी टैंक में प्रवेश करने के बाद पांच मजदूरों में से एक की दम घुटने से मौत हो गई, क्योंकि उसमें रासायनिक मिश्रित पानी था। अन्य चार मजदूर उसे बचाने के लिए टैंक में घुस गए।

    मृतक मजदूरों की पहचान विनय कुमार, राम प्रकाश गुप्ता, देवेंद्र कुमार, अनीश कुमार और राजन कुमार के रूप में हुई है।