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  • 4 मार्च को चांद से टकराएगा रॉकेट, चीन पर शक

    4 मार्च को चांद से टकराएगा रॉकेट, चीन पर शक

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। एस्‍ट्रोनॉमी विशेषज्ञों की तरफ से खबर है की आने वाली 4 मार्च को एक रॉकेट चाँद से टकराएगा, रिपोर्ट के मुताबिक एस्‍ट्रोनॉमी विशेषज्ञों ने शुरू में दावा किया था कि रॉकेट को SpaceX ने बनाया है, जो बीजिंग के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम का हिस्सा रहा है। जो सात साल पहले विस्फोट हुआ था और अपने मिशन को पूरा करने के बाद अंतरिक्ष में छोड़ दिया गया था। लेकिन बाद में पता चला कि यह रॉकेट चीन ने बनाया है। चीन ने सोमवार को चंद्रमा से टकराने वाले इस रॉकेट की जिम्मेदारी से इनकार किया है।
    रिपोर्ट्स के मुताबिक रॉकेट का नाम 2014-065B है, जो साल 2014 में लॉन्‍च किए गए चीनी मून मिशन ‘Chang’e 5-T1′ का एक बूस्‍टर था। इस बारे में एस्‍ट्रोनॉमर जोनाथन मैकडॉवेल ने भी ट्वीट किया था। जोनाथन स्‍पेस में फैले कचरे को रेगुलेट करने की मांग के साथ अपना पक्ष रखते रहे हैं।
    रॉकेट के 4 मार्च को चंद्रमा के हिस्से में दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका है। इसी बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दावा खारिज कर दिया और कहा कि बूस्टर पृथ्वी के वायुमंडल में सुरक्षित रूप से प्रवेश कर गया था और पूरी तरह से हो गया था।
    चीन ने अंतरिक्ष महाशक्ति बनने पर अपनी नजरें जमा ली हैं और पिछले साल अपने नए अंतरिक्ष स्टेशन के लिए सबसे लंबे चालक दल के मिशन के शुभारंभ के साथ एक ऐतिहासिक कदम उठाया।

  • चाँद पर भी आता है भूकंप, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान से चौकाने वाले खुलासे

    चाँद पर भी आता है भूकंप, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान से चौकाने वाले खुलासे

    द न्यूज़ 15
    उत्तराखंड। देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के भूकंप वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार के अनुसार, नासा ने चंद्रमा के मिडिल पाथ में छह बार वैज्ञानिकों को भेजा था और वहां पर छह सस्मिोग्राफ के सेटअप लगाए थे। पृथ्वी की तरह चंद्रमा पर भी भूकंप आते हैं। इन्हें चंद्रकंप कहा जाता है। पृथ्वी पर जहां चंद सेकंड के लिए भूकंप के झटके आते हैं, वहीं चंद्रकंप के कारण चंद्रमा एक से डेढ़ घंटे तक डोलता रहता है।
    डॉ. सुशील ने बताया कि पृथ्वी पर टेक्ट्रॉनक्सि एक्ट्रॉनक्सि, यूरेशियन और इंडियन प्लेट की टकराव के कारन अक्सर भूकंप आते हैं। इसके अलावा ग्रेविटी या मैग्नेटिक फील्ड की वजह से भी भूकंप आते हैं। वहीं चंद्रमा पर कंपन की एक वजह यह है कि पृथ्वी चंद्रमा को अपनी ओर खींचती है।
    डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक, चंद्रमा पर पहाड़ बहुत बड़े-बड़े हैं। पृथ्वी पर वायुमंडल है, जिसकी वजह से पृथ्वी के पहाड़ों का कटाव हो जाता है। चंद्रमा पर वायुमंडल ना होने से चंद्रमा के पहाड़ों का कटाव नहीं हो पाता। चंद्रमा पर कोई स्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से चंद्रकंप से वहां कोई नुकसान नहीं होता।
    वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रमा पर दिन का तापमान 194 डग्रिी सेल्सियस तक रहता है। वायुमंडल नहीं होने से रात के समय वहां का तापमान माइनस 137 डग्रिी सेल्सियस तक चला जाता है। इससे चंद्रमा की सतह की पपड़ी सिकुड़ती और फैलती है। इस वजह से भी चंद्रमा पर छोटे-छोटे चंद्रकंप आते हैं।
    डॉ. सुशील कुमार बताते हैं कि अन्य तरह से भी चंद्रकंप आते हैं। सबसे गहरे चंद्रकंप सतह से 700 किलोमीटर नीचे आते हैं। उल्काओं के टकराने और थर्मल कंप से भी चंद्रमा डोलता है। इसके अलावा कंपन सतह से 20-30 किलोमीटर नीचे भी दर्ज हो रहे हैं।
    चंद्रकंप सतह से करीब 700 किलोमीटर गहरे तक हो सकते हैं। विशेष यह है की चंद्रकंप सेकंड में खत्म नहीं होते, बल्कि कई घंटे तक इनका असर रहता है। इसकी वजह यह है कि चंद्रमा पर घर्षण नहीं होता है। इसलिए एनर्जी एक बार चंद्रकंप से निकलती है, उसका असर करीब 70 से 80 मिनट तक रहता है।