Tag: mayor

  • क्या यूँ ही जनता इन पार्टियों के मायाजाल में हमेशा पीसती रहेगी दिल्ली की जनता ?

    क्या यूँ ही जनता इन पार्टियों के मायाजाल में हमेशा पीसती रहेगी दिल्ली की जनता ?

    दिल्ली में एमसीडी चुनाव को संपन्न हुए लगभग एक महिना होने वाला है, लेकिन अभी तक दिल्ली का अगला महापौर कौन बनेगा इसका फैसला नहीं हो पाया है। शुक्रवार 6 जनवरी को मेयर-डिप्टी चुनाव होना था, लेकिन सदन में हुए हंगामे की वजह से वह भी टल गया। अब दिल्ली वालों को कम से कम एक हफ्ता और इंतजार करना होगा। या ये कहे इससे भी ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है।ऐसे में जो जनता की समस्याएं है वह भी जैसा की तैसी पड़ी हुई है,क्योंकि एमसीडी की कमान अभी भी अफसरों के हाथों में है। जिसके कारण आं जनता से जुड़े काम अभी भी अटके हुए है,जो प्रतिनिधु जनता के लिए चुने गए है वह काम शुरू नहीं कर पा रहें। अब सवाल ये उठता है कि क्या दिल्ली सरकार को सच में जनता के हित की पड़ी भी है या नहीं क्योंकि जिस तरह से चुनाव के दौरान कूड़े के पहाड़ और भ्रष्टाचार का मुद्दा जोरों-शोरो से उठाया जा रहा था क्या अब उन वादों का कोई मतलब नहीं है।

     

    एमसीडी चुनाव में गौतम गंभीर के अलावा बीजेपी के अन्य सांसद मनोज तिवारी, मीनाक्षी लेखी सहित कई नामों के वार्ड में बीजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। बता दें कि एमसीडी चुनाव से पहले गाजीपुर लैंडस्लाइड का मुद्दा अपने चरम पर था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कूड़े को पहाड़ को खड़ा किया है। अब गौतम गंभीर ने इस ट्वीट के साथ आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है।

    जिस तरह से आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता आतीशी मार्लेना सदन में हंगामा होने पर हंसती हैं और फिर बाहर जाकर ऐसा रिएक्ट करती है कि उन्हें इस हंगामे पर बेहद दुख है। मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के साथ ही नई स्थाई समिति के गठन के लिए भी सदस्यों का चुनाव होने वाला था लेकिन वह भी टल गया। जिसके कारण कोई भी नीतिगत फैसले नहीं लिए जा रहे। हालाकि हंगामे के बाद बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का ये आरोप था कि दिल्ली के सभी लोकसभा सांसद सदन में उपस्थित थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के गुंडों ने इसे काला दिन बना दिया। वे पूरी तैयारी के साथ आए थे, उनके पास ब्लेड जैसे धारदार हथियार थे, जिससे उन्होंने भाजपा पार्षदों को मारा। वहां उपस्थित ‘AAP’के कई लोग शराब पीकर आए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी चुनाव के लिए एक घोषणा पत्र जारी किया था, इस दौरान केजरीवाल ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था। कहा कि गंदगी दिल्लीवासियों को बेहद दुखी करती है. राष्ट्रीय राजधानी में गंदगी की वजह से डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप है।

    उन्होंने कहा कि 10 साल में बीजेपी ने दिल्ली को कबाड़ा बना दिया है। लेकिन जीत हासिल करने के बाद भी अब तक कोई कार्य शुरू तक नहीं किया गय़ा है क्योंकि मेयर अभी तक नहीं चुना गया। जिस तरह से बीजेपी और आप एक-दूसरे पर आरोप लगा रही है इससे कही ना कही ये सवाल खड़े हो रहें है कि क्या आम आदमी पार्टी ने ये जानबूझकर किया। ताकि मेयर चुनाव स्थगित हो जाये और उन पर कोई उंगली भी ना उठाए। क्या यू ही जनता इन पार्टियों के मायाजाल में हमेशा पीसती रहेगी। आखिर इन लोगों के आपसी जंग के कारण जनता कब तक परेशान होती रहेगी।

  • आज होंगे मेयर चुनाव के मतदान,जाने एमसीडी में कैसे होता है मेयर का चुनाव? 

    आज होंगे मेयर चुनाव के मतदान,जाने एमसीडी में कैसे होता है मेयर का चुनाव? 

    दिल्ली में एमसीडी चुनाव समाप्त हो चुके है लेकिन अभी मेयर का बनना बाक़ी है ! आपको दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इसमें बीजेपी और आप दोनों ही अपनी तरफ़ से रन्न मेदान में उतर चुके है ! वही आप ये दावा कर रहे है कि इस बार आम आदमी की पार्टी ही मेयर चुनाव में सत्ता रण होगी ! लेकिन कौन होगा मेयर ये अभी बाक़ी है , कैसे होते है मेयर चुनाव, और कौन कौन पार्षदों के अलावा इस मेयर चुनाव में वोट डालता है ? और मेयर बनने की पूरी प्रक्रिया आख़िर कैसे होती है बताते है आज की इस पोस्ट में तो लास्ट तक पढ़िएगा..
    एमसीडी के सदन की बैठक 6 जनवरी को होने पर उस दिन चुने जाने वाले महापौर का कार्यकाल मात्र 3 महीने का ही होने वाला है ! दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव की तैयारी पूरी होग्यी है ! सोमवार को एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती की निगरानी में निगम सचिव भगवान सिंह ने सिविक सेंटर के ए ब्लॉक में चौथी मंजिल पर स्थित सदन परिसर में पार्षदों के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की। सदन अध्यक्ष के सामने बेल एरिया में वोटिंग करने के लिए बैलेट बॉक्स भी लगाया गया।

    एमसीडी में कैसे होता है मेयर का चुनाव?

    एमसीडी के सदन का कार्यकाल पांच साल का होता है। एमसीडी एक्ट के तहत पहले साल महिला पार्षद को महापौर चुने जाने का प्रावधान है, जबकि उपमहापौर के मामले में कोई नियम नहीं है। वहीं, दूसरे साल महापौर पद पर कोई भी पार्षद चुना जा सकता है, जबकि तीसरे साल मेयर पद अनुसूचित जाति के पार्षदों के लिए आरक्षित है। चौथे व पांचवें साल महापौर पद किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। एमसीडी की सबसे अधिकार वाली स्थायी समिति के अध्यक्ष पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है।

    सदन में 250 पार्षद और एमसीडी अधिकारी जाएंगे

    एमसीडी के सदन में मंच पर आयुक्त, निगम सचिव व सामने निगम 250 पार्षदों, करीब 18 विभागों के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर व अन्य अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था होगी। चुनाव के बाद मेयर भी मंच पर बैठेंगे।
    मेयर चुनाव में पार्षदों के अलावा कौन-कौन डाल सकता है वोट?
    इस बार परिसीमन के बाद दिल्ली नगर निगम में 250 वार्ड निर्धारित किए गए, जिसमें एक मेयर इसकी अध्यक्षता करेगा। एमसीडी में मेयर बनने के लिए 138 वोट मिलना जरूरी है। दिल्ली मेयर के चुनाव में सभी निर्वाचित 250 पार्षद, दिल्ली के सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसद और विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 14 मनोनीत विधायक इस मेयर चुनाव में वोट करेंगे।

    जानिए सीटों का समीकरण

    मेयर चुनाव में नंबर गेम आप के पक्ष में है, जिसके पास बीजेपी के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं. आप के पास 134 पार्षद, 3 सांसद और 13 विधायकों के वोट हैं. जबकि बीजेपी के पास 105 पार्षद, 7 सांसद और एक विधायक की वोट है. एमसीडी हाउस में कांग्रेस के नौ पार्षद हैं जबकि दो अन्य निर्दलीय हैं. मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए छह जनवरी को चुनाव होगा.

    दल-बदल कानून लागू नहीं होता

    मेयर का चुनाव एक गुप्त मतदान के माध्यम से होता है और पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के लिए स्वतंत्र होते हैं क्योंकि दलबदल विरोधी कानून इस पर लागू नहीं होता है. बीजेपी के मेयर और डिप्टी मेयर का पद जीतने की संभावना नहीं है, लेकिन वह एमसीडी की महत्वपूर्ण स्थायी समिति के सदस्यों के तीन पदों को जीतने की कोशिश करेगी. हालांकि, बीजेपी के कुछ नेताओं ने दावा किया कि मेयर और डिप्टी मेयर पदों के लिए कड़ा मुकाबला देखा जा सकता है क्योंकि एमसीडी पर दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है और क्रॉसिंग वोटिंग संभव है.

    नगर निगम के तीन जोन से 10 एल्डरमैन

    स्थायी समिति में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाजपा ने निगम के तीन जोन से अपने 10 नेताओं को एल्डरमैन बनाने का फैसला किया है। बताते हैं कि उपराज्यपाल के पास भेजे गए नाम को मंजूरी मिल गई है। नरेला जोन से सबसे अधिक पांच, सिविल लाइंस जोन से चार और सेंट्रल जोन से एक एल्डरमैन मनोनित किए जाएंगे। निगम के कुल 12 जोन हैं।