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  • उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतते ही बढ़ जाएगा फिर से नए कृषि कानून लागू करने का अंदेशा !

    उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतते ही बढ़ जाएगा फिर से नए कृषि कानून लागू करने का अंदेशा !

    चरण सिंह राजपूत 
    जो लोग सोच रहे हैं कि नये कृषि कानून लागू होने का अब कोई खतरा नहीं है। वे प्रधानमंत्री के गए वादों पर जरा थोड़ा मंथन कर लें। चाहे इतना काला धन विदेश से लाने का वादा कि हर नागरिक के खाते में 150000 रुपए हर नागरिक के खाते में आ जायेंगे। या फिर  किसान की फसल की लागत से डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा हो या फिर हर वर्ष युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने का वादा हो सभी वादे खोखले साबित हुए हैं।  लोगों को सपने दिखाना और उन सपनों के बल पर उन पर राज करना ही मोदी की बड़ी कला है। बड़े से बड़ा संकट टालने की कला में भी मोदी माहिर हैं। जब बीजेपी को कृषि कानूनों के चलते उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में हार का संकट सताने लगा तो किसी भी तरह इस संकट को टालने की रणनीति बनाई गई और कानून वापस ले लिए गए।

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  • कृषि कानून निरसन बिल पर चिदंबरम का कटाक्ष, ‘लंबे समय तक बहस रहित संसदीय लोकतंत्र जीवित रहे’

    कृषि कानून निरसन बिल पर चिदंबरम का कटाक्ष, ‘लंबे समय तक बहस रहित संसदीय लोकतंत्र जीवित रहे’

    नई दिल्ली, संसद में बिना किसी बहस के कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने के एक दिन बाद, कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘लंबे समय तक बहस-रहित संसदीय लोकतंत्र जीवित रहे!’ ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, उन्होंने कहा: “संसद सत्र की पूर्व संध्या पर, प्रधानमंत्री ने किसी भी मुद्दे पर बहस करने की पेशकश की।” और पहले ही दिन कृषि बिल बिना किसी बहस के पारित हो गया।

    एक बहस को नकारने का कृषि मंत्री का तर्क चौंकाने वाला था, उन्होंने कहा, “जब सरकार और विपक्ष सहमत होते हैं तो बहस की कोई आवश्यकता नहीं होती है!”

    उन्होंने कहा, “बिना किसी बहस के विधेयक को पारित कर दिया गया जब दोनों पक्ष सहमत नहीं थे, जो भी हो, कोई बहस नहीं हुई! लंबे समय तक बहस-रहित संसदीय लोकतंत्र जीवित रहे।

  • कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक की मंजूरी अस्पष्ट : वेणुगोपाल

    कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक की मंजूरी अस्पष्ट : वेणुगोपाल

    कांग्रेस 18 मुद्दों को संसद के शीतकालीन सत्र में उठायेगी। सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस ने रणनीति समिति की बैठक बुलाई। बैठक से ठीक पहले कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक को मंजूरी देने को अस्पष्ट करार दिया है।

    गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक को मंजूरी दे दी। इस मामले में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने आईएएनएस से कहा, देर आये दुरुस्त आये, बेहतर है। लेकिन हमें कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। क्या एमएसपी को जोड़ा गया है? किसान जिस तरह से लगातार मुआवजे की मांग कर रहे हैं, ये मुआवजा दिया जा रहा है या नहीं?

    उन्होंने कहा, हम एमएसपी और किसानों से जुड़े सभी मुद्दों को शीतकालीन संसद सत्र में उठाएंगे। कांग्रेस पार्टी इसके लिए प्रतिबद्ध है।

    हालाँकि, विपक्षी एकता जिसको एकजुट करने की बात कांग्रेस पार्टी लगातार कर रही है और जो पिछले संसद सत्र में देखी जा रही थी, वह अब संदेह के घेरे में आ गई है क्योंकि हाल ही में पूर्व सांसद कीर्ति आजाद सहित कई कांग्रेस नेता टीएमसी में शामिल हुए हैं।

    इसको लेकर वेणुगोपाल ने कहा, हमें इन सब की परवाह नहीं है.. अगर कोई हमारी पार्टी से लोगों को ले रहा है, तो कोई बात नहीं। अगर कोई सोच रहा है कि वे एक दिन कांग्रेस को नष्ट कर सकते हैं, तो ऐसा नहीं होगा। पहले भी कई लोगों ने ये कोशिश की है और पहले भी इस तरह से लोग कांग्रेस पार्टी छोड़कर जाते रहे हैं।

    उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि कांग्रेस का मुख्य ध्यान मोदी सरकार की ‘जनविरोधी’ नीतियों के खिलाफ लड़ना है, जो कि सबसे पुरानी पार्टी के रूप में हम करते रहेंगे।

    उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी ने सरकार को घेरने के लिए आगामी संसद सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर विचार करने के लिए गुरुवार को अपने संसदीय रणनीति समूह की बैठक बुलाई है। यह बैठक शाम साढ़े पांच बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर होगी। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी संसद के आगामी सत्र में 18 मुद्दे उठाएगी जिसमें मुद्रास्फीति, कोविड प्रबंधन, किसानों का विरोध, पेगासस, राफेल और भारत-चीन सीमा मुद्दे प्रमुख फोकस में होंगे। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है और 23 दिसंबर को खत्म होगा।