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    पंजाब में चुनावी प्रचार में परिवारवाद का बोलबाला 

    द न्यूज 15 

    चंडीगढ़। भाजपा के नेता क्षेत्रीय दलों पर परिवारवाद का आरोप लगाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तो चुनावी हथियार ही वंशवाद  और परिवारवाद होता है। वह बात दूसरी है कि दूसरे दलों के साथ ही भाजपा पंजाब विधानसभा चुनावों का इस्तेमाल वोटरों को अपने सियासी उत्तराधिकारियों से रू-ब-रू कराने के लिए कर रही है।
    दिवंगत कवि शिव कुमार बटालवी के घर (गृह नगर) बटाला के औद्योगिक शहर में एंट्री करने पर कांग्रेस उम्मीदवार अश्विनी सेखरी और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी भाजपा के फतेह जंग बाजवा के बड़े होर्डिंग्स आपको नजर आ जाएंगे। दोनों में एक चीज समान है, जो कि पोस्टरों पर उनकी संतानों के फोटो हैं। जहां सेखरी के पोस्टर में उनके बेटे अभिनव की तस्वीरें हैं, वहीं बाजवा के साथ उनके दो बेटे कंवर प्रताप और अर्जुन प्रताप भी हैं।
    सूबे के चुनावी सीजन में पास के ही निर्वाचन क्षेत्र फतेहगढ़ चूड़ियां में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) कैंडिडेट लखबीर सिंह लोधीनंगल ने भी सुनिश्चित किया है कि उनके बेटे कंवर संदीप सिंह सनी (जो अपने पिता के लिए प्रचार करने के लिए कनाडा से लौटे हैं) को उनके होर्डिंग्स पर जगह मिले। यही नहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी और सीनियर कांग्रेस मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के साथ भी ऐसा ही है। उन्होंने अपने होर्डिंग्स पर अपने पुत्र रवि नंदन बाजवा के लिए एक प्रमुख स्थान तय कराया है। इससे पहले, दिसंबर में ऐसी अटकलें थीं कि गुरदासपुर जिला परिषद के अध्यक्ष रवि बटाला से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, जहां उनके पिता ने काफी काम किया है। पर कांग्रेस आलाकमान ने कथित तौर पर उन्हें वापस बैठने के लिए मना लिया। तृप्त अब यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि रवि इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों की निगाहों में रहें।
    डेरा बाबा नानक (करतारपुर साहिब गलियारे के पास) में राज्य के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा भी यह सुनिश्चित करते हैं कि चुनावी मौसम में वोटर उनके इकलौते बेटे उदय वीर सिंह रंधावा पर भी एक नज़र फिराएं। मौजूदा समय में उनका पुत्र पढ़ रहा है, पर पोस्टरों पर उसके फोटो को जगह मिली है। उदय वीर सिंह रंधावा (ग्रैजुएट) अपने पिता के लिए प्रचार करने वाले इन “पोस्टर बॉयज़” में सबसे कम उम्र के हैं।
    इनमें (पोस्टर बॉय) से कई बेटों ने राजनीति में छोटे कदम उठाए हैं। वहीं, साल 2018 में चिटफंड घोटाले में बुक बठिंडा के पास भुचो मंडी के मौजूदा कांग्रेस एमएलए और कैंडिडेट प्रीतम कोटभाई कथित तौर पर अपने बेटे रूपिंदर पाल सिंह (एक युवा वकील और युवा कांग्रेस के सदस्य) को आगे की कमान सौंपना चाहते थे। हालांकि, रूपिंदर को भले ही टिकट नहीं मिला हो, लेकिन उनके पिता ने उनकी तस्वीर को अपने होर्डिंग्स पर जगह दिलाई है। डेरा बाबा नानक के पास अरलीभान गांव के सरपंच जसप्रीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि यह राज्य में एक नया ट्रेंड है। वे (ऐसे नेता) स्पष्ट रूप से अपने बेटों को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश कर रहे हैं। ऐसा पहले कभी खुले तौर पर नहीं किया गया था।
    अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के सदस्य भूपिंदर पाल सिंह (जिन्होंने पहली बार माझा के सीमावर्ती इलाके में इस घटना को देखा) के मुताबिक, यह सिर्फ उम्मीदवार का यह कहने का तरीका है कि “आपकी सेवा करने के लिए हम में से बहुत से लोग हैं।”
    भूचो मंडी के पत्रकार जसपाल सिद्धू जैसे अन्य लोग इसे “आप प्रभाव” कहते हैं। वे कहते हैं, “आप के युवाओं में अधिक अनुयायी हैं। यह मतदाताओं के बीच युवाओं को आकर्षित करने का एक चतुर तरीका है, लेकिन यह उल्टा पड़ सकता है क्योंकि यह परिवार के शासन को कायम रखने का आभास देता है।”