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  • Ration Scheme: दिल्ली में राशनिंग व्यवस्था पूरी तरह हो गई ठप्प

    Ration Scheme: दिल्ली में राशनिंग व्यवस्था पूरी तरह हो गई ठप्प

    17 दिसंबर को भाजपा दिल्ली कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और नेता प्रतिपक्ष राम वीर सिंह विधुड़ी नें दिल्ली Mcdचुनाव के बाद आम आदमी पार्टी को फिर घेरे में ले लिया है, इस प्रेस वार्ता में उन्होनें केजरीवाल और दिल्ली सरकार परराशनिंग व्यवस्था को लेकर भारी प्रहार किया है, उन्होने कहा किकेजरीवाल सरकार की लापरवाही और गरीबों की अनदेखी के कारण राजधानी दिल्ली में राशनिंग व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो गई है।

     72 लाख गरीबों को नहीं मिला नवंबर-दिसंबर का राशन

    दिल्ली के 72 लाख 78 हजार राशन कार्ड धारकों को नवंबर और दिसंबर का राशन नहीं मिला। यह राशन गोदामों से ही नहीं उठाया गया। ‘वन नेशन वन कार्ड’ के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया अतिरिक्त राशन भी दिल्ली के उन गरीबों तक नहीं पहुंचा जो दूसरे राज्यों से आकर दिल्ली में रह रहे हैं।

     

    दिल्ली के राशन विक्रेताओं का कमीशन पिछली छमाही से नहीं दिया गया जबकि इन्हें कमीशन एडवांस में मिलना चाहिए था और केंद्र सरकार ने पहले ही यह राशि दिल्ली को दे दी है।

    राशन विक्रेताओं के लिए मिला कमीशन भी डकार गई दिल्ली सरकार

    दिल्ली प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार से मांग की है कि या तो वह राशन व्यवस्था को अपने हाथों में ले ले या फिर केंद्र द्वारा जारी सब्सिडी का उपभोक्ताओं को बैंक खातों में भुगतान किया जाए क्योंकि दिल्ली सरकार गरीबों तक राशन पहुंचाने का काम करने में पूरी तरह निकम्मी साबित हुई

    एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना तथा ‘वन नेशन वन कार्ड योजना’ के तहत दिल्ली के उपभोक्ताओं को राशन उपलब्ध कराती है। राशन उपलब्ध कराने के साथ-साथ केंद्र सरकार गोदामों से राशन विक्रेताओं तक राशन पहुंचाने का ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा और राशन विक्रेताओं के कमीशन का भी भुगतान करती है। दिल्ली सरकार को केवल गोदामों से राशन विक्रेताओं तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था करनी होती है लेकिन दिल्ली सरकार इतना काम भी नहीं कर पा रही। दिल्ली के गरीब राशन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।

     वन नेशन वन कार्ड योजना का राशन भी नहीं उठाया दिल्ली सरकार ने

    भाजपा नेताओं ने बताया कि दिल्ली के गरीबों को अभी तक नवंबर और दिसंबर का राशन नहीं मिल पाया है। इसकी वजह यह है कि मायापुरी, ओखला और पूसा के गोदामों से नवंबर महीने के लिए ही भेजे गए चावल का 34 हजार क्विंटल से ज्यादा और मायापुरी के गोदाम से गेहूं का 10 हजार क्विंटल से ज्यादा का स्टॉक उठाया ही नहीं गया। इसी तरह जो बेचारे गरीब दूसरे राज्यों से आकर दिल्ली में रह रहे हैं और उन्हें ‘वन नेशन वन कार्ड’ योजना के तहत राशन दिया जाता है, उन्हें भी राशन नहीं मिल रहा। केंद्र सरकार ने इनके लिए इस साल अप्रैल से सितंबर तक की छमाही का 8 हजार टन चावल और 11900 टन गेहू जारी किया था लेकिन दिल्ली सरकार इसका भी वितरण नहीं कर सकी।

    भाजपा नेताओं ने कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया था कि राशन विक्रेताओं के कमीशन का भुगतान एडवांस में किया जाए। केंद्र सरकार ने पिछली छमाही में इनके कमीशन के रूप में 24 करोड़ 89 लाख रुपए का भुगतान कर दिया था लेकिन दिल्ली सरकार उस राशि को भी दबाकर बैठ गई और उसमें से भी सिर्फ 14 करोड़ 55 हजार रुपए ही जारी किए गए। इस तरह राशन विक्रेताओं को उनका कमीशन भी नहीं दिया जा रहा।

    केंद्र सरकार अपने हाथों में ले दिल्ली की राशनिंग व्यवस्था

    भाजपा नेताओं ने कहा है कि केजरीवाल सरकार राशन वितरण व्यवस्था को लागू करने में पूरी तरह फेल हो चुकी है और हमारा सुझाव है कि यह कार्य केंद्र सरकार को अपने हाथों में ले लेना चाहिए या फिर गरीबों को केंद्र सरकार की खाद्यान्न योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी सीधे उनके खातों में पहुंचा दी जाए।

  • दिल्ली हाईकोर्ट : अंतर-धार्मिक विवाहित जोड़े को मिली पुलिस सुरक्षा

    दिल्ली हाईकोर्ट : अंतर-धार्मिक विवाहित जोड़े को मिली पुलिस सुरक्षा

    द न्यूज़ 15
    नई दिल्ली। शुक्रवार को पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अंतर-धार्मिक जोड़े को सुरक्षा देने का आदेश दिया, जिसकी हाल ही में विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत शादी हुई है। दरअसल, महिला ने आरोप लगाया कि पैतृक घर में उसे बंधक बनाकर रखा गया है।

    न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ महिला के पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाकर्ता दानिश खान के अनुसार, लड़की के माता-पिता शादी के खिलाफ हैं क्योंकि वह एक मुस्लिम है।

    वर्चुअल सुनवाई के दौरान महिला के पिता ने कहा कि वह शादी को मंजूरी नहीं देंगे क्योंकि दूल्हा दूसरे धर्म का है।

    अदालत ने कहा, “हमने महिला के साथ लंबी बातचीत की है और उसने अपने पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने आगे पुष्टि की है कि उसने विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उससे शादी की है। उसने कहा कि उसे पैतृक घर में इच्छा के विरुद्ध बंधक बनाकर रखा गया है। वर्तमान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अनुमति दी गई है, अगर वह चाहती है तो उसे अपने पति के साथ रहने की अनुमति है।”

    साथ ही अदालत ने स्थानीय थाने के थाना प्रभारी को महिला को पति सहित उसके घर भेजने और दंपत्ति को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया

    इसमें कहा गया कि शकरपुर थाना पुलिस के एसएचओ को नवविवाहितों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक जोड़े को मुहैया कराई सुरक्षा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक जोड़े को मुहैया कराई सुरक्षा

    नई दिल्ली| दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अंतर-धार्मिक जोड़े को एक याचिका पर संरक्षण दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें दुल्हन के परिवार के सदस्यों से गंभीर खतरा है। लड़की को एक 24 वर्षीय व्यक्ति से प्यार हो गया था और उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, 26 वर्षीय युवती ने अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध पूर्वोत्तर दिल्ली के एक आर्य समाज मंदिर में एक अन्य धर्म के व्यक्ति से शादी कर ली।

    लड़की के माता-पिता और परिवार के सदस्य इस संबंध के खिलाफ थे और याचिकाकर्ताओं के जीवन को गंभीर खतरा है। अधिवक्ता डी.के. संतोषी और राहुल कुमार सिंह ने बताया कि 11 दिसंबर को लड़की के घरवालों ने दुल्हन की पिटाई की थी।

    कोर्ट ने दंपत्ति को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए बुधवार के आदेश में कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा में कोई चूक होती है, तो अशोक विहार क्षेत्र के एसीपी और थाना केशव पुरम के एसएचओ जिम्मेदार होंगे।

    अदालत ने राज्य सहित प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किया है्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने नोटिस को स्वीकार कर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा है। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

  • पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिकाओं पर 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट

    पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिकाओं पर 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट

    नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट शुक्रवार को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) से संबंधित याचिकाओं पर 10 दिसंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इससे पहले, मामले को 10 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन संबंधित पीठ के इकट्ठा नहीं होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को मामले में याचिकाओं की जल्द सुनवाई की अनुमति दी।

    सम्यक गंगवाल द्वारा अधिवक्ता देबोप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिकाओं में पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत एक ‘स्टेट’ के तौर पर घोषित करने और भारत के प्रधानमंत्री का नाम का इसकी वेबसाइट पर उपयोग नहीं करने की मांग की गई है।

    उन्होंने पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट, ट्रस्ट डीड अन्य आधिकारिक या अनौपचारिक संचार और विज्ञापनों पर भारत के राज्य प्रतीक का उपयोग करने से रोकने की भी मांग की है।

    याचिका के जवाब में, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीएम केयर्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा दिया गया स्वैच्छिक दान शामिल है और यह किसी भी तरह से केंद्र सरकार के व्यवसाय या कार्य का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, यह केंद्र सरकार की किसी सरकारी योजना या व्यवसाय का हिस्सा नहीं है और एक सार्वजनिक ट्रस्ट होने के नाते, यह भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) के ऑडिट के अधीन भी नहीं है।

    केंद्र द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण के अनुसार, पीएम-केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के दायरे में एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है, ये स्पष्ट करता है कि कोई भी सरकारी पैसा पीएम-केयर्स फंड में जमा नहीं किया जाता है और केवल बिना शर्त और पीएम-केयर्स फंड के तहत स्वैच्छिक योगदान स्वीकार किए जाते हैं।

    पीएमओ द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है, “यह दोहराया जाता है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और यह राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है।”

    हलफनामे में कहा गया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है।

    केंद्र ने आगे कहा कि ट्रस्ट किसी भी अन्य धर्मार्थ ट्रस्ट की तरह बड़े जनहित में पारदर्शिता और जनहित के सिद्धांतों पर काम करता है और इसलिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी प्रस्तावों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है।

    केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय से याचिका को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा था कि इस तरह की याचिका कानूनी रूप से बनाए रखने योग्य नहीं है।

    एक अन्य याचिका में गंगवाल ने केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी और पीएमओ के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें पीएम केयर्स फंड से संबंधित दस्तावेज मांगने वाले आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया गया था।