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  • यूपी : गलत तरीके से एक शख्स को बार-बार आरोपी बनाने पर कोर्ट ने डीजीपी, एसएसपी को किया तलब

    यूपी : गलत तरीके से एक शख्स को बार-बार आरोपी बनाने पर कोर्ट ने डीजीपी, एसएसपी को किया तलब

    प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में एक व्यक्ति को बार-बार गलत तरीके से फंसाए जाने पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को इस मामले में 13 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। अदालत ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका के बाद यह आदेश पारित किया, जो पिछले 23 सालों में 49 नशीले पदार्थों के मामलों में आरोपी था, लेकिन या तो बरी कर दिया गया था या उसका नाम बाद में मामले से हटा दिया गया था।

    मुजफ्फरनगर के गौरव उर्फ गौरा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने कहा, “यह अदालत संबंधित पुलिस थाने की पुलिस की कार्यप्रणाली को समझने में विफल है कि किस तरह मामले को गलत तरीके से एक व्यक्ति पर थोपा गया, वह भी एक बार नहीं, वर्तमान मामले में ऐसा बार-बार हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस से इसकी उम्मीद नहीं है। अनुशासित बल के अधिकारियों से इस तरह की कठोर कार्रवाई की कल्पना नहीं की जा सकती है।”

    पुलिस के कामकाज पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा, “एक नागरिक के लिए ‘पुलिस’ शब्द सुरक्षा, राहत, शांति की भावना है और उनके कारण ही वह निडर होकर चलता और सोता है। हालांकि अगर उनकी सुरक्षा करने वाली पुलिस ही उनके साथ ऐसा व्यवहार करने लग जाए तो लोगों का विश्वास खत्म हो जाता है। पुलिस अनुशासित बलों में से एक है जिसे बड़े पैमाने पर जनता की सुरक्षा के लिए स्थापित किया गया है।”

    गलत निहितार्थ के मामलों में शामिल मानवाधिकार पहलू पर विस्तार से, अदालत ने कहा, “हर व्यक्ति के जीवन के समान मूल्य हैं। बीता हुआ दिन कभी वापस नहीं आता है और अगर इसमें अंधेरा कर दिया जाए तो आरोपों के साथ जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। विश्वास यह है कि जानबूझकर की गई गलती का पश्चाताप किया जाना चाहिए, हालांकि, अगर जीवन को आपराधिक गतिविधियों के कलंक के साथ देखा जाता है और वे आरोप अंतत: अप्रमाणित पाए जाते हैं, तो सवाल यह उठता है कि क्या इसकी भरपाई की जा सकती है। हालांकि, यह साबित करने के लिए कि किसी का जीवन बेकार इरादे से खराब हो गया है, इससे सख्ती से निपटने की जरूरत है।”

    आवेदक के अनुसार मुजफ्फरनगर के खतौली पुलिस थाने की पुलिस द्वारा आवेदक के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये गये हैं और आवेदक द्वारा मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नई दिल्ली में शिकायत की गयी थी, जिस पर जून को एक आदेश पारित किया गया था। 5, जून 2007 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) इलाहाबाद को आवेदक को मुआवजा देने का निर्देश दिया और आवेदक और उसके भाई ओमी को 10,000 रुपये का मुआवजा भी दिया गया।

    अदालत ने 9 नवंबर को अपने आदेश में आवेदक के खिलाफ दर्ज नशीले पदार्थों से संबंधित पिछले मामलों के विवरण के माध्यम से देखा, “उपरोक्त इतिहास चार्ट के अवलोकन से पता चलता है कि क्रेडिट के लिए 49 मामलों का इतिहास रहा है। आवेदक एक ही थाना-पुलिस थाना खतौली, जिला मुजफ्फरनगर से संबंधित है, जिसमें ऊपर दिखाए गए 45 मामलों में से, आवेदक को 11 मामलों में बरी कर दिया गया है और 9 मामलों में नोटिस वापस ले लिया गया है। इसके अलावा, दो मामलों में आवेदक का नाम गलत तरीके से उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एमएसए) के तहत एक मामले में कार्यवाही रद्द कर दी गई और 21 मामलों में आवेदक की जमानत को आगे बढ़ा दिया गया और एक मामले में अग्रिम जमानत दी गई है।

  • उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकता है योगी और मोदी का आंतरिक द्वंद्व!

    उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकता है योगी और मोदी का आंतरिक द्वंद्व!

    सी.एस. राजपूत 

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के बीच जो आंतरिक द्वंद्व चल रहा है, उसका खामियाजा बीजेपी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सटका है। पीएम और सीएम के बीच सब कुछ ठीक है। यह बात पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन पर भी दिखाई दी। जहां मोदी और योगी एक साथ बैठे होने के बावजूद एक दूसरे से दूरियां बनाते दिखे वहीं मोदी की गाड़ी के पीछे योगी के चलने की एक तस्वीर भी खूब वायरल हो रही है। एक प्रधानमंत्री अपने गाड़ी पर बैठा जा रहा हो और देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री उनकी गाड़ी के पीछे चल रहे हों तो उंगली तो उठेगी ही।

    दरअसल मोदी और योगी का विवाद 2017 के विधानसभा चुनाव से ही चला आ रहा है। जब बीजेपी ने चुनाव जीता तो मोदी और अमित शाह के गाजीपुर के तत्कालीन सांसद मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव की ख़बरें मार्केट में आ चुकी थी। आनन्-फानन में योगी आदित्यनाथ को मुख़्यमंत्री बनाया गया। इसके पीछे आरएसएस का हाथ बताया गया था। गत दिनों जब मोदी के करीबी आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी ने विधान परिषद के ज़रिए सदन में भेजा तो यह योगी आदित्यनाथ का बड़ा नागवार लगा था। इस वजह से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा उठ खड़ी हुई थी कि राज्य सरकार में ‘बड़े बदलाव’ की तैयारी हो रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों नेमोदी तो अरविंद शर्मा के मुख़्यमंत्री बनने की खबरें तक लिख दी थी। योगी के सिर पर आरएसएस का हाथ होने की वजह से उत्तर प्रदेश में वैसा ही हो रहा है जैसा की योगी चाहते हैं। तब योगी ने साफ़तौर पर कह दिया है कि अरविंद शर्मा को कोई महत्वपूर्ण विभाग तो छोड़िए, कैबिनेट मंत्री भी बनाना मुश्किल है। राज्य मंत्री से ज़्यादा वो उन्हें कुछ भी देने को तैयार नहीं थे। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस क़दम को सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवहेलना और उन्हें चुनौती देने के तौर पर देखा जा रहा था।

    पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को यह अक्सर याद दिलाता रहता है कि वो मुख्यमंत्री किसकी वजह से बने हैं और मौक़ा पाने पर योगी आदित्यनाथ भी यह जताने में कोई कसर नहीं रखते कि नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री के विकल्प वह ही हैं। हालाँकि बीजेपी से ही ऐसी खबरें बाहर आती हैं कि योगी आदित्यनाथ को मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने अभियान चलाने के पीछे योगी आदित्यनाथ के क़रीबियों का भी हाथ रहता है।  योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर संघ में भी और बीजेपी में भी मंथन चल रहा है। योगी आदित्यनाथ की ओर से भी अपनी ताक़त का एहसास कराया जाता रहता है। योगी और मोदी समय समय पर अपनी-अपनी मौजूदगी का एहसास कराते रहते हैं। अब जब पूर्वांचल एक्सप्रेस के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का आंतिरक विवाद दिखा। दोनों एक साथ बैठे थे पर बात नहीं कर रहे थे। जैसे योगी मोदी की गाड़ी के पीछे चल रहे हैं ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री को इस तरह से  गाड़ी के पीछे चलाना अपने रुतबे का एहसास कराना है। लखीमपुर कांड में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर कोई कार्रवाई न होना और सांसद कमलेश पासवान के करीबी नेता के दीपक गुप्ता नामक युवक की गाली गलौच करते हुए पिटाई करना भी योगी को कमजोर करने के रूप में देखा जा रहा है।

    वैसे भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को चेहरा बनाया जा रहा है। ओमकारा फिल्म के गाने धम धम धड़म ढैया रे, सबसे बड़े लड़ैया रे की तर्ज पर द बिगेस्ट लड़ैया योगी गाना बनाया जा रहा है। मतलब योगी को मोदी से भी बड़ा लड़ैया दिखाया जा रहा है। ऐसे में बीजेपी योगी और मोदी दो लॉबी बंटने की पूरी आशंका है।