Union Cabinet Minister of Finance Minister Nirmala Sitharaman के Union Budget 2022 में Railway को क्या मिली सौगात, जिसमें 400 vande bharat train चलाई जाएंगी। ‘One Station, One Product’ Yojya की होगी शुरूआत
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Budget 2022: इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, सरकारी कर्मचारियों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किए बड़े ऐलान
द न्यूज 15
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट 2022 में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि, केंद्र सरकार ने बजट में राज्य सरकार के कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा लाभों में मदद करने और उन्हें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों की कर कटौती की सीमा 10% से बढ़ाकर 14% करने का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने को-ऑपरेटिव को घटाने का फैसला किया है, जिसे 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स 18 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। बजट 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स रिटर्न में भूल सुधार के लिए भी समय अवधि को बढ़ा दिया है। अब ITR में गड़बड़ी को सुधार करने के लिए 2 साल का समय मिलेगा। बजट 2022 में वर्चुअल डिजिटल ऐसेट से आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स रखा गया है। मतलब अब क्रिप्टोकरेंसी से आमदनी भी टैक्स के दायरे में आ गई है। इसके अलावा कटे और पॉलिश हीरे, रत्नों पर कस्टम ड्यूटी को घटाकर 5% किया जाएगा।
बजट- 2020 में केंद्र सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था पेश की। इसके तहत 2.5 से 5 लाख तक की इनकम पर 5 प्रतिशत, 5 से 7.5 लाख की तक इनकम पर 10 प्रतिशत, 7.5 से 10 लाख तक पर 15 प्रतिशत, 10 से 12.50 लाख तक इनकम पर 20 प्रतिशत, 12.50 से 15 लाख पर 25 प्रतिशत और 15 लाख के ऊपर 30 प्रतिशत टैक्स देना होता है। -
बजट 2022 की चुनौतियों को कैसे निपटाएगी सरकार
द न्यूज़ 15
नई दिल्ली। अनगिनत सवाल नौकरीपेशा लोगों के मन में हैं। ऐसे ही किसानों के मन में भी बजट से लेकर बहुत सारे सवाल हैं। जैसे क्या किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ेगी? क्या बजट में खाद, बीज, फसल बीमा, या इनकम बढ़ाने के लिए कोई नई योजाना आएगी? लेकिन, इन सवालों और पब्लिक की उम्मीदों के बीच सरकार के पास दूसरी तरह की चुनौतियां भी हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री के सामने कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी। इस बार बजट में 7 प्रमुख चुनौतियों पर फोकस किया जा सकता है..
1. आर्थिक विशेषज्ञों के साथ आम जनता भी महंगाई में कमी लाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्री पर महंगाई को काबू करने वाले कदम उठाने का दबाव होगा।
2. कोरोना महामारी के बाद लोगों की नौकरियां जाने से इस समय देश में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। विशेषज्ञ भी अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ने की सलाह दे रहे हैं।
3. कोरोना के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ा है। सरकार का खजाना खाली है।
सरकार अगले साल विनिवेश के जरिए ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने के लिए भी बड़े ऐलान कर सकती है।
4. सरकार लगातार रुपये में मजबूती लाने की बात कहती रही है, लेकिन इसमें ज्यादा सफलता मिलती नहीं दिख रही है। ऐसे में इस बार रुपये में मजबूती के लिए कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
5. सरकार लंबे समय से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इसमें विभिन्न सेक्टर्स के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी योजनाएं प्रमुख हैं।ऐसे में व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।
6. यूक्रेन-रूस के बीच तनाव, मांग-आपूर्ति में अंतर और सप्लाई बाधित होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं।ऐसे में वित्त मंत्री के सामने महंगे कच्चे तेल से निपटने की चुनौती भी होगी।
7. विकास कार्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने के लिए लंबे समय से विदेशी निवेशकों को लुभाया जा रहा है।निवेशकों को लुभाने के लिए वित्त मंत्री टैक्स छूट समेत अन्य लाभों का ऐलान भी कर सकती हैं। -
महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों को बजट से शायद राहत की उम्मीद
द न्यूज़ 15
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी और बढ़ती लागत कीमतों के कारण जोरदार मंहगाई का सामना कर रहे लोगों को एक फरवरी को संसद में पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में सरकार से राहत मिलने की उम्मीद है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार मानक कटौती की सीमा 50 हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर सकती है। इसमें आवास ऋण पर ब्याज और मूल धन के पुनर्भुगतान पर प्रत्येक में 50-50 हजार रुपए की आयकर लाभ बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। मौजूदा समय में इनका स्तर दो लाख और डेढ़ लाख रुपए है। सरकार तीन वर्षों के लिए आवास ऋण पर तीन से चार प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी भी प्रदान कर सकती है।सरकार रेलवे को नया रूप देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्व है और माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष में रेलवे के लिए बजट आबंटन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी की जा सकती है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों में भी कमी किए जाने की उम्मीद है। आवास, आटोमोबाइल और सहायक क्षेत्रों को भी सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
सरकार राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के परिसंपत्ति मुद्रीकरण की घोषणा कर सकती है। यह फ्लोटिंग आरईआईटी द्वारा अपने स्वामित्व वाले आवास और वाणिज्यिक अचल संपत्ति का मौद्रिकरण भी कर सकता है।
बजट के साथ विनिवेश योजना के स्पष्ट होने की संभावना है। सरकार अपनी विनिवेश योजना के जरिए इस अंतर को कम करने की कोशिश कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार अब तक पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 9,330 करोड़ रुपये जुटा पाई है।
एलआईसी आईपीओ, जिसके मार्च के अंत में बाजार में आने की उम्मीद है,वह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाकर सरकार की बड़ी मदद कर सकता है।
सरकार का कुल विनिवेश लक्ष्य मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एलआईसी आईपीओ के अलावा विनिवेश के लंबित बड़े क्षेत्रों में आईडीबीआई बैंक, भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन, पवन हंस, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, बीईएमएल और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं।
उम्मीद है कि यह बजट रेंटल हाउसिंग मार्केट और सस्ते आवासीय सेक्टर दोनों को प्रोत्साहन देगा। इस क्षेत्र को आगामी बजट से बड़ी उम्मीदें हैं जैसे इसे उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग और वित्त की आसान उपलब्धता। सिंगल-विंडो क्लीयरेंस मैकेनिज्म की मांग कई सालों से बनी हुई है।
विश्व स्तर पर उर्वरकों की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होने से भारत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है क्योंकि इनका बाहर से आयात होता है। सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले यूरिया की कीमतें डेढ़ साल पहले की तुलना में तीन गुना बढ़कर 990 डॉलर प्रति टन हो गई है जबकि डीएपी की कीमत दोगुनी होकर 700-800 डॉलर प्रति टन हो चुकी है।
इसके अलावा यूरिया उत्पादन की 80 प्रतिशत लागत के लिए जिम्मेदार प्राकृतिक गैस की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोत्तरी से यूरिया उत्पादन लागत में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है।
देश के विभिन्न राज्यों में इस समय किसान उर्वरकों की कमी का सामना कर रहे हैं और उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कृषि विभाग को केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगानी पड़ी है।
ग्रामीण भारत को बुरी तरह प्रभावित करने वाली कोरोना महामारी के कारण किसान पहले से ही संकट में हैं, और अधिक कीमतें तथा उर्वरक की कमी उनकी वित्तीय स्थिति पर और प्रतिकूल असर डालेगी।
इस प्रकार सरकार से कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के माध्यम से किसानों की आय में सुधार करने की दिशा में ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। इससे कृषि क्षेत्र में बीज, उर्वरक, फसल सुरक्षा, रसायन और ट्रैक्टर आदि पर आने वाली लागत का फायदा पूरे कृषि क्षेत्र को मिलने की उम्मीद हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ बजटों में, सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए बजटीय आवंटन बढ़ा दिया है और आगामी बजट में 1.3 लाख करोड़ रुपए की उर्वरक सब्सिडी की उम्मीद की जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा सरकार पहले अपनाई गई समान नीति को जारी रखते हुए कृषि ऋण को मौजूदा वर्ष के लिए 16.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपये कर सकती है। यह कदम किसानों को महामारी से उबरने मे मदद दे सकता है।
केन्द्र सरकार ने महामारी प्रभावित एमएसएमई क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मार्च 2020 में आपातकालीन क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना पेश की थी । बाद में इसका दायरा वित्तीय संकट का सामना कर रहे अन्य उद्योगों तक बढ़ाते हुए साख सीमा को 3 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।
यह योजना मार्च 2022 तक बढ़ा दी गई है। इस क्षेत्र को अभी भी बहुत संकट का सामना करना पड़ रहा है और कई पात्र एमएसएमई पुनर्गठन के विभिन्न चरणों में हैं।
एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज को उम्मीद है कि सरकार इस योजना को मार्च 2023 तक या अर्थव्यवस्था के फिर से मजबूत होने तक बढ़ाएगी जिससे बैंकों को तरलता सहायता जारी रखने में मदद मिलेगी।