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  • पूर्वांचल में मिल सकती हैं 47 से 50 सीटें, क्या BJP को मिलेगा एक्सप्रेस-वे का फायदा?

    पूर्वांचल में मिल सकती हैं 47 से 50 सीटें, क्या BJP को मिलेगा एक्सप्रेस-वे का फायदा?

    लखनऊ। कहा जाता है कि जिस पार्टी को पूर्वांचल का आशीर्वाद मिल जाए, वह लखनऊ में सत्ता हासिल करने में कामयाब हो जाती है। इस बार यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल एक्सप्रेस के जरिए सियासी समीकरण साधने में जुटी है। टाइम्स नाउ-पोलस्ट्रैट के ओपिनियन सर्वे के अनुसार, पूर्वांचल में बीजेपी को 92 में से 47 से 50 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, सपा को 31-35, बीएसपी को 11-13 और कांग्रेस को 1-2 सीटें तक मिल सकती हैं। वोट शेयर को देखें तो बीजेपी को यहां 39.4 फीसदी, सपा को 36.9 फीसदी, बीएसपी को 12.5 फीसदी जबकि कांग्रेस को 7.9 फीसद वोट मिलते नजर आ रहे हैं।

    गौरतलब है कि 2017 विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल और आसपास के जिलों की कुल 164 सीटों में से बीजेपी को 115 पर फतह मिली थी। सपा को 17, बीएसपी को 14 और कांग्रेस को मात्र 2 सीटें मिली थीं। इसी तरह 2012 चुनाव में सपा को इस क्षेत्र में 102 सीटें, बीजेपी को 17, बीएसपी को 22 और कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं। 2007 में जब मायावती यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ आईं तो पूर्वांचल में उनकी पार्टी 85 सीटें जीतने में कामयाब रही। सपा को 48, बीजेपी को 13, कांग्रेस को 9 और अन्य को 4 सीटें मिली थीं।\

    पूर्वांचल में आते हैं 28 जिले

    पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं जिनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, गोरखपुर, कुशीनगर, सोनभद्र, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं।

    पूर्वांचल एक्सप्रेस से मिलेगा फायदा?
    पूर्वांचल को साधने के लिए ही योगी सरकार ने ऐसे वक्त पर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग की है जब चुनाव सिर पर हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से यूपी के 9 जिले हैं जिनमें से बड़ा पूर्वी यूपी से है। इसके जरिए जो जिले जुड़ेंगे वहां विकास कार्यों में भी रफ्तार आएगी। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी की कर्मभूमि गोरखपुर भी पूर्वी यूपी में है। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि पूर्वांचल में किए गए काम से उसे डबल रिटर्न मिलेगा।

    कुशीनगर को एयरपोर्ट और मेडिकल कॉलेज की सौगात
    पूर्वांचल एक्सप्रेस से पहले ही पीएम मोदी ने कुशीनगर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। इसी के साथ यहां राजकीय मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी हुआ था। यह यूपी का तीसरा और सबसे लंबा रनवे वाला इंटरनैशनल एयरपोर्ट है। कुशीनगर एयरपोर्ट सिर्फ इंटरनैशनल कनेक्टिवटी नहीं बल्कि दुनिया तक भारत की सांस्कृतिक गाथा और बौद्ध सर्किट तक पहुंचने का जरिया बनेगा।

    पूरे यूपी में बीजेपी की सीट घटती नजर आ रही हैं
    पूरे यूपी की बात करें तो यूपी में बीजेपी की सत्ता आती दिख रही है हालांकि सीटों की संख्या पिछली बार से कम हैं। बीजेपी को 239-245, सपा को 119-125, बीएसपी को 28-32 और कांग्रेस को 5-8 सीटें मिलने के अनुमान हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि बीजेपी को 2017 से कम सीटें मिलती दिख रही हैं, फिर भी वह बहुमत पाने में सफल होती दिख रही है। वहीं सपा को पहले की तुलना में फायदा होता दिख रही है, लेकिन सत्ता में आना मुश्किल लग रहा है।

  • नीतीश की पार्टी यूपी में क्यों चाहती है भाजपा से 35 सीटें?

    नीतीश की पार्टी यूपी में क्यों चाहती है भाजपा से 35 सीटें?

    समी अहमद
    बिहार में तीसरे नंबर पर होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी- जनता दल यूनाइटेड- 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के आधार पर 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहती है।
    जदयू को ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार बिहार के बाॅर्डर से लगे यूपी की विधानसभा सीटों में काफी लोकप्रिय हैं और वहां अगर उनके उम्मीदवार जीते सकते हैं या कम से कम पर्याप्त वोट ला सकते हैं। जदयू जिन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है उनमें से अधिकतर  यूपी-बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र में हैं।
    इसके अलावा जदयू नेतृत्व को लगता है कि नीतीश कुमार के सजातीय वोटर भी जदयू को वोट देंगे। इसी जातीय जनाधार पर वे भाजपा से मोलतोल करते हुए नजर आते हैं। जदयू को चुनावी परिणाम के अलावा इसमें अपने संगठन के विस्तार का मौका भी नजर आता है।
    जनता दल यनाइटेड और नीतीश कुमार की ओर से कई बार यह कहा जा चुका है कि भाजपा से उनके दल का गठबंधन सिर्फ बिहार के लिए है। इसके बावजूद बिहार से बाहर जदयू का भाजपा से कभी-कभी तालमेल होता रहा है। लेकिन जब-जब भाजपा बिहार में दबाव बनाने की कोशिश करती है जदयू के नेता भाजपा को दूसरी जगहों पर दबाव में लेने के लिए बयान देते रहते हैं। इन बयानों में अलग चुनाव लड़ने की बात प्रमुख रहती है।
    जदयू के उत्तर प्रदेश राज्य अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल ने हाल ही में एक बयान दिया है कि उनका दल यूपी में भाजपा के साथ 35 सीटों पर लड़ने की तैयार कर रहा है। उन्हांेने यह भी कहा कि ये 35 सीटें कौन होंगी, यह भी चिह्नित किया जा रहा है। उनके अनुसार इनमें से अधिकतर सीटें पूर्वी और मध्य यूपी में हैं जबकि कुछ सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं।
    ऐसी संभावना जतायी जा रही कि जदयू जिन 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार देना चाहती है उसकी लिस्ट पार्टी के यूपी प्रभारी केसी त्यागी को सौंपी जाएगी। श्री त्यागी इस लिस्ट को केन्द्रीय नेतृत्व को सौंपेंगे। इन सीटों में बदायूं, बाराबंकी सदर, चुनार, प्रयागराज, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर और कुशीनगर जिलों की विधानसभा सीटें शामिल की गयी हैं।
    जदयू की ओर से इससे पहले यह कहा जा चुका है कि अगर भाजपा उसे यूपी के चुनाव में बतौर घटक दल शामिल नहीं करेगी तो वह अकेले चुनाव लड़ेगा। वास्तव में जदयू नेतृत्व उत्तर पूर्व में अपने दल के विधायकों के भाजपा में शामिल कराये जाने के बाद से आहत नजर आता है और इसका बदला लेने के लिए भाजपा से सीटों की मांग कर रहा है। उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं लेकिन उसके नेतृत्व को लगता है कि अगर समझौता हुआ तो उत्तर प्रदेश में पैठ बनाने में मदद मिलेगी और नहीं हुआ तो उसके उम्मीदवार इतने वोट तो ले ही आएंगे जिससे भाजपा के उम्मीदवार को नुकसान हो। इस तरह वह अपनी अहमियत मनवाने में कामयाब होंगे।
    2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू का बिहार में कांग्रेस और लालू प्रसाद की पार्टी’- राजद के साथ महागठबंधन का हिस्सा था। उस समय भाजपा से उसका छत्तीस का आंकड़ा था। तब जदयू ने उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस से गठबंधन करने की कोशिश की थी मगर वहां नाकाम होने पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। मगर उसके नेता केसी त्यागी ने यह कहते हुए अंतिम समय में उत्तर प्रदेश के चुनाव से जदयू को अलग कर दिया था कि यह फैसला उसने इसलिए लिया है ताकि सेकुलर वोटों का विभाजन न हो।
    उल्लेखनीय है कि जदयू अरुणाचल प्रदेश में भाजपा से अलग चुनाव लड़ चुका है। तब जदयू के 14 उम्मीदवारों में 7 ने कामयाबी हासिल की थी। यह और बात है कि बाद में इन 7 में से छह भाजपा में शामिल हो गये थे जिसका मलाल जदयू को रहता है।