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  • योगी बोले, सरकार बनने पर नहीं थमेगा सिलसिला, बुलडोजर सड़कें भी बनाएगा और माफियाओं के किलों को ढहाएगा

    योगी बोले, सरकार बनने पर नहीं थमेगा सिलसिला, बुलडोजर सड़कें भी बनाएगा और माफियाओं के किलों को ढहाएगा

    द न्यूज 15  

    पीलीभीत। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को पीलीभीत के बीसलपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा 2017 से पहले यूपी में लोगों की जाति-पात देखकर विकास होते थे। बिजली जात बिरादरी देखकर मिलती थी। होली दिवाली पर अंधेरा रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। योगी ने कहा कि पिछली सपा सरकार सत्ता में आते ही आतंकियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का कुत्सित प्रयास करने लगी। एक आतंकवादी का पिता तो समाजवादी पार्टी का प्रचार करता घूम रहा है।
    उन्होंने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में अराजकता लूट खसोट दंगा होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भाजपा की सरकार आने के बाद जो बुलडोजर सड़कें बनाने का काम करते थे, हमारी सरकार में वही बुलडोजर भू माफियाओं के अवैध कब्जों पर चल रहे हैं और चलते रहेंगे। कहा कि जब से हमारी सरकार बनी है तब से प्रदेश में दंगे नहीं होते पहले हर रोज दंगे होते थे। आज व्यापारी सुरक्षित है। डबल इंजन की सरकार प्रदेश की 25 करोड़ जनता को अपना परिवार मानकर भेदभाव रहित विकास कर रही हैं। प्रदेश के 86 लाख किसानों को 36 हजार करोड़ रुपए किसान सम्मान निधि के साथ ही बेटियों की सुरक्षा, फ्री वैक्सीन, शौचालय, मकान हमने दिया। बोले: पिछली सरकारें भी यह सब कर सकती थी, लेकिन कुछ ने अपने परिवारवाद और इत्र वाले मित्रों का भला किया, इसीलिए आज जो हो पाया वह पहले नहीं हो सका। 35 मिनट तक अपने भाषणों से योगी ने जनता से सीधे सवाल और जवाब किए। भाषण की शुरुआत में उन्होंने पीलीभीत की धरा को नमन करते हुए गोमती का जिक्र किया। योगी ने कहा कि यहां के लोगों ने जिस तरह गोमती को निर्मल बनाने के लिए जो प्रयास किये वह स्वागत योग्य है। आज गोमती की अविरल धारा पीलीभीत से निकलकर सीतापुर लखनऊ होती हुई वाराणसी तक मां गंगा की गोद में समाहित हो रही है। पहले कावड़ यात्रा पर बमबारी होती थी, आज उन पर फूल बरस रहे हैं। यह सब डबल इंजन की भाजपा सरकार ही कर सकती है। कोरोना का जिक्र करते हुए कहा कि जब हम लोगों ने सभी को फ्री व्यक्ति देने की बात कही तो विपक्षियों ने हमारा मजाक उड़ाया। लेकिन  वही वैक्सीन तीसरी लहर सब की जान बचाने में सहायक हुई तो अब विपक्षी उसका जिक्र नहीं करते। कोरोना जैसे नाजुक वक्त में जब पूरा विश्व जूझ रहा था, तब सपा, बसपा, कांग्रेस किसी ने आपकी फिक्र नहीं की। पीलीभीत में डबल इंजन की सरकार ने मुश्किल वक्त पर फ्री राशन भी दिया। 35 लाख किसानों का कर्ज माफ किया। 45 लाख 50 हजार गरीबों को मकान दिए। आज हम लोग जो कर रहे हैं, वह पहले की भी सरकारी कर सकती थी। लेकिन यह सब उनके गुर्गे और वह खुद  वह लूटते थे। लेकिन हम जनता का सहारा बनकर बांटते हैं। हम जात मजहब नहीं देखते। आज अयोध्या में प्रभु श्री राम का जो भव्य मंदिर बन रहा है वह पहले की भी सरकार बना सकती थी, लेकिन उन्होंने एक जात विशेष का मत पाने के लिए यह नहीं किया। हम राम मंदिर बना रहे है।
    वाराणसी में काशी कॉरिडोर बना रहे हैं। प्रदेश में एक करोड़ नौजवानों को हम लोग टेबलेट देने जा रहे हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी इससे भी परेशान है। आयोग में शिकायतें कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने पीलीभीत में जिस मेडिकल कॉलेज को बनाया है, अगली साल वहीं से आपके बच्चे पढ़ लिख कर जब डॉक्टर बनेंगे तो आपको सुखद अनुभूति होगी। यहीं से आपको बेहतर उपचार भी मिलेगा। पब्लिक से समर्थन मांगते हुए बीसलपुर प्रत्याशी व बरखेड़ा प्रत्याशी को जिताने की अपील करते हुए योगी अपनी अगली सभा के लिए सीतापुर रवाना हो गए। भारत माता की जय, अबकी बार तीन सौ पार का नारा भी दिया।
  • यूपी चुनाव:’दागी’ उम्मीदवारों की बैक डोर से एंट्री की कोशिश

    यूपी चुनाव:’दागी’ उम्मीदवारों की बैक डोर से एंट्री की कोशिश

    द न्यूज 15

    लखनऊ। सभी राजनीतिक दलों ने भले ही दागी उम्मीदवारों से दूर रहने की कसम खाई हो, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, वे अपनी छवि से ज्यादा जीत को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। इस बार के चुनावों में एक दिलचस्प घटनाक्रम यह है कि भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों ही इन ‘दागी’ नेताओं को सीधे अपने साथ लेने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन इन उम्मीदवारों को छोटे दलों के माध्यम से रास्ता लेने से कोई गुरेज नहीं है। माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी अपना छठा चुनाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर मऊ से लड़ेंगे। एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मुख्तार से जेल में मुलाकात की थी और उन्हें टिकट की पेशकश की थी। मुख्तार के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं और गाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। दिलचस्प बात यह है कि यह मुख्तार की कौमी एकता दल का सपा में विलय किया गया था जिससे 2016 के मध्य में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच मनमुटाव चरम पर पहुंच गया था। अखिलेश उस विलय का विरोध कर रहे थे जो पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने किया था।
    एसबीएसपी सपा की सहयोगी है और सूत्रों का दावा है कि अखिलेश को अब मुख्तार की उम्मीदवारी पर कोई आपत्ति नहीं है। एक और ‘दागी’ राजनेता, जिसके पिछले दरवाजे से प्रवेश करने की संभावना है, वह है बसपा के पूर्व सांसद धनंजय सिंह। भाजपा पार्टी में उनका स्वागत नहीं करना चाहती है, लेकिन चाहती है कि सहयोगी अपना दल उन्हें जौनपुर के मल्हानी से अपना उम्मीदवार बनाए।
    हाल के पंचायत चुनावों में धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना दल के समर्थन से जिला पंचायत प्रमुख के रूप में चुना गया था।
    एक अन्य पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू, जो भाजपा में शामिल हो गए थे और बाद में अपने आपराधिक इतिहास को लेकर हंगामे के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, अब उनका लक्ष्य अयोध्या के बीकापुर से निषाद पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना है।

  • आप से गठबंधन कर सपा के लिए कब्र खोदने का काम करेंगे अखिलेश यादव!

    आप से गठबंधन कर सपा के लिए कब्र खोदने का काम करेंगे अखिलेश यादव!

    सी.एस. राजपूत 

    खनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से आप सांसद संजय सिंह के मिलने के बाद अब आप से सपा के गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि उत्तर प्रदेश में आप से गठबंधन सपा के लिए लाभ का सौदा साबित होगा या नुकसान का। आप की कार्यप्रणाली और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश में आप से गठबंधन कर सपा वह गलती करेगी जो दिल्ली में कांग्रेस ने केजरीवाल की सरकार बनवाकर की थी।

    आप का सपा से गठबंधन होने पर आप द्वारा सपा के मुस्लिम वोटबैंक में ऐसे सेंध लगाने का अंदेशा है जैसे कि दिल्ली में कांग्रेस के वोटबैंक में लगाई है। वैसे भी सपा के मुस्लिम बोटबैंक  पर आप की नजर है। उत्तर प्रदेश में बसपा के कमजोर होने पर आप यूपी में पैर पसारने की फ़िराक में है। वैसे भी पुराने सोशलिस्ट आप को कॉर्पोरेट संस्कृति की पार्टी मानते हैं। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह ने संभावित इस गठबंधन पर कहा है कि यदि यह गठबंधन होता है तो उत्तर प्रदेश में थोड़ी बहुत जो समता मूलक समाज बनाने के लिए काम होने की उम्मीद है वह भी खत्म हो जाएगी।

    हाल के दिनों में अखिलेश यादव के आप से गठबंधन करने की बात पर प्रेम सिंह ने कहा कि एनजीओ से निकली पार्टी आप से गठबंधन करके अखिलेश यादव आखिर क्या साबित करना चाह रहे हैं। दरअसल अन्ना आंदोलन से निकली पार्टी आप ने जितना नुकसान आंदोलनों को पहुंचाया है उतना नुकसान तो कार्पोरेट घरानों ने भी नहीं पहुंचाया। गत सालों में मूल्यों पर आधारित राजनीति करने का दावा करने वाली आप ने सत्ता के लिए दूसरी पार्टियों से भी घटिया राजनीति की है। यदि आप उत्तर प्रदेश में पैर पसारती है तो सबसे अधिक नुकसान सपा को ही पहुंचने का अंदेशा है।

    आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पंजाब में कांग्रेस को कचरा बता रहे हैं तो कल उत्तर प्रदेश में खड़े होकर सपा को बताने लगेंगे। वैसे भी उत्तर प्रदेश में आप का कोई खास वजूद नहीं है और पार्टी उत्तर प्रदेश में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दम्भ भर रही है। भले ही इस गठबंधन से आप को फायदा हो जाये पर सपा को कोई फायद होता तो फ़िलहाल नहीं दिखाई दे रहा है। आज के हालात पर जाएं तो जो गलती अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन करके की थी, वही गलती इन विधानसभा चुनाव में आप से करके करेंगे।

    दरअसल आप सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात की है। इस मुलाकात के साथ ही यूपी के सियासी गलियारों में रालोद के बाद अब  आम आदमी पार्टी के साथ सपा के गठबंधन की सम्‍भावनाओं को लेकर चर्चाएं हैं। लखनऊ स्थित लोहिया ट्रस्‍ट के दफ्तर में हुई इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत होने की बात निकल कर सामने आ रही है।

    गौरतलब है कि मिशन-2022 की तैयारियों जुटे अखिलेश यादव इस बार बड़ी पार्टियों की जगह छोटे दलों से गठबंधन पर जोर दे रहे हैं। कल ही राष्‍ट्रीय लोकदल को 36 सीटें देकर उन्‍होंने गठबंधन किया है।  इसके अलावा पूर्वांचल ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा से भी सपा का गठबंधन हो चुका है।

    आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह हाल में सपा के संस्‍थापक और पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जन्‍मदिन समारोह में जब शामिल हुए थे तब भी अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात हुई थी। इतना ही नहीं दो महीने पहले भी संजय सिंह की अखिलेश यादव से मुलाकात हुई थी। अखिलेश यादव के लिए यह भी बड़ी चुनौती है कि अधिक सीटें सहयोगी दलों के खाते में जाने से सपा के संभावित उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बिदकने की आशंका है।