Tag: घरेलू हिंसा

  • जर्मनी में कोरोना महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े

    जर्मनी में कोरोना महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े

    जर्मनी में दंपति और पूर्व प्रेमियों के बीच हिंसा के कथित कृत्यों की संख्या में बीते साल की तुलना में 2020 में कोरोना महामारी के दौरान तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसकी जानकारी परिवार मामलों के मंत्रालय (बीएमएफएसएफजे) ने की। संघीय आपराधिक पुलिस कार्यालय (बीकेए) के आंकड़ों के अनुसार, अधिकारियों ने पिछले साल देशभर में घरेलू हिंसा के 146,655 मामले दर्ज किए, जो पिछले साल की तुलना में 4.9 प्रतिशत से ज्यादा है।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने परिवार मामलों की मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेच के हवाले से कहा, “न्यायपालिका को अपराधियों के खिलाफ और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता के साथ इन कृत्यों में लोगों को सजा देनी चाहिए।”

    “हमें प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए ताकि वे हिंसा से बच सकें और अपनी और अपने बच्चों की रक्षा कर सकें।”

    बीकेए के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू हिंसा के ज्यादातर मामले पुरुषों द्वारा ही अंजाम दिए जाते रहे हैं।

    हालांकि, हाल के सालों में महिला संदिग्धों की हिस्सेदारी थोड़ी बढ़ी है, जो 20.9 फीसदी तक पहुंच गई है।

    बीएमएफएसएफजे ने नोट किया कि जर्मनी में भागीदारों के बीच हिंसा महामारी-प्रेरित लॉकडाउन के दौरान बढ़ सकती है क्योंकि इन स्थितियों ने “पीड़ितों के लिए रिपोर्ट करना और बाहरी लोगों के लिए उनके वातावरण में हिंसा के कृत्यों को नोटिस करना कठिन बना दिया है।”

    मंत्रालय के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय महिलाओं के खिलाफ हिंसा हॉटलाइन से संपर्क करने वाली महिलाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

  • घरेलू हिंसा केवल घर की समस्या नहीं है बल्कि वैश्विक समस्या है

    घरेलू हिंसा केवल घर की समस्या नहीं है बल्कि वैश्विक समस्या है

    बीजिंग| हर साल 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। 17 दिसंबर, 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पारित किये जाने के बाद इस दिवस की स्थापना हुई। इसे अंतर्राष्ट्रीय घरेलू हिंसा की समाप्ति दिवस भी कहा जाता है। इस दिन को दुनिया भर में महिलाएं हिंसा के विभिन्न रूपों और मुद्दे की वास्तविक प्रकृति के अधीन के तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। देखा जाए तो दुनिया भर में तीन में से एक महिला ने मनोवैज्ञानिक, यौन और शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा मानवाधिकार का उल्लंघन है और इसके पीछे की वजह महिलाओं के साथ भेदभाव सहित शिक्षा, गरीबी, एचआईवी और शांति जैसे मुद्दों से जुड़ा है।

    वहीं, भारतीय मीडिया में अकसर घरेलू हिंसा से जुड़ी खबरें देखने को मिलती हैं। हालांकि, भारत में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और खत्म करने के कई कानून हैं, लेकिन अभी भी संबंधित कानूनों और नीतियों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए व्यवस्थित प्रयास करने की आवश्यकता है।

    वास्तव में घरेलू हिंसा एक वैश्विक समस्या है। लोग कैसे कानून के माध्यम से इसका विरोध करते हैं, और अपने अधिकारों व हितों की रक्षा कर सकते हैं? इस मामले पर ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान केंद्रित हुआ है। अब हम देखते हैं कि चीन इस मामले को कैसे देखता है और कैसे इसका समाधान करता है।

    वर्ष 1949 में जब नये चीन की स्थापना हुई, तो महिलाओं को मुक्ति मिली है। वे धीरे-धीरे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में शामिल हुए हैं। वर्ष 1950 में चीन लोक गणराज्य ने पहला विवाह कानून जारी किया। इसमें विवाह की स्वतंत्रता और एक पत्नी के महत्व पर जोर दिया गया। वर्तमान में महिलाओं की कार्य क्षमताओं को ज्यादा से ज्यादा पहचाना जा रहा है। समाज में महिलाओं की भूमिका भी दिन-ब-दिन महत्वपूर्ण बन रही है।

    घरेलू हिंसा की रोकथाम करने के लिये वर्ष 2015 में चीन ने घरेलू हिंसा-रोधी कानून पारित किया और 1 मार्च, 2016 को इसे लागू किया गया। लोगों का मानना है कि इस कानून का महत्व मील का पत्थर जैसा है, क्योंकि घरेलू हिंसा चीन में केवल एक पारिवारिक घटना नहीं है। वह एक सामाजिक मामला भी बन गया है। इस कानून के लागू से यह जाहिर हुआ है कि चीन किसी भी तरह के घरेलू हिंसा का विरोध करता है।