Tag: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • BKUअध्‍यक्ष नरेश टिकैत ने दी प्रतिक्रिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की अपील |The News15

    BKUअध्‍यक्ष नरेश टिकैत ने दी प्रतिक्रिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की अपील |The News15

    378 बाद कृषि कानुनों को वापस लेने पर घोषणा कि जिसके बाद पिछले 14 महीने से किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, लेकिन किसानों की जीत हुई है और जीत का सेहरा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर बंधा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कृषि कानून को रद्द करके ना सिर्फ किसानों के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है

  • भाजपा संसदीय दल की बैठक में किया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन

    भाजपा संसदीय दल की बैठक में किया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन

    नई दिल्ली, दिल्ली के अंबेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र में मंगलवार को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के कैबिनेट के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन किया गया। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा और अनुसूचित जनजाति के अन्य भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान बिरसा मुंडा की मूर्ति भेंट कर और माला पहना कर अभिनंदन किया।

    आपको बता दें कि , भाजपा संसदीय दल की बैठक पहली बार संसद भवन परिसर के बाहर अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में हो रही है। सामान्य तौर पर , संसद सत्र के दौरान रणनीति तय करने के लिए भाजपा संसदीय दल की बैठक संसद भवन परिसर में ही हुआ करती थी लेकिन इस बार यह बैठक संसद भवन परिसर के बाहर अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में हो रही है।

    संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई यह भाजपा संसदीय दल की पहली बैठक है।

  • 50 फीसदी लोगों के मुताबिक कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे : सर्वेक्षण

    50 फीसदी लोगों के मुताबिक कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे : सर्वेक्षण

     नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की एक वजह ये भी थी क्योंकि व्यापक रूप से ये तीनों कानून अलोकप्रिय थे। इस बारे में कानूनों को लेकर इस तरह की थ्योरी भी चल रही थी कि इन कानूनों के जरिये अंबानी और अडानी किसानों की जमीन हड़प लेंगे और खुले बाजार में किसानों के लिए सौदा करना आसान नहीं होगा।

    दिल्ली की ओर जाने वाली और दिल्ली के बाहर जाने वाली सड़कों की साल भर की नाकेबंदी को भी कृषि कानूनों की व्यापक अलोकप्रियता की वजह बताया गया।

    भारत भर में आईएएनएस-सीवोटर स्नैप पोल द्वारा मिले तथ्य और डेटा के मुताबिक, 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का स्पष्ट बहुमत था कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे। इसके विपरीत, केवल 30 प्रतिशत को लगता है कि वे फायदेमंद नहीं हैं।

    प्रधानमंत्री ने स्वयं 19 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए कहा था कि उनकी सरकार चाहती है कि छोटे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले।

    कृषि कानूनों के समर्थन के और भी सबूत हैं। लगभग 48 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि सरकार को सभी हितधारकों के साथ परामर्श और आवश्यक संशोधनों के बाद संसद में कृषि कानूनों को फिर से पेश करना चाहिए।

    यह कोई नहीं जानता कि राजनीतिक माहौल को देखते हुए कृषि कानून फिर से पेश किया जाएगा या नहीं, लेकिन तथ्य यह है कि इस तरह के कदमों को लोगों का समर्थन है। उत्तरदाताओं के एक विशाल 56.7 प्रतिशत लोगों की राय थी कि राजनीतिक मकसद के कारण इन कानूनों का विरोध किया गया।