स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा – बाल गंगाधर तिलक

भारत ब्रिटिश शासन से अपनी 78वीं आजादी का जश्न मना रहा है। यह उस समय के सभी लोगों के लिए सबसे कठिन समय था। और हमारे सम्मानित स्वतंत्रता सेनानियों ने जो बलिदान दिया था। स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जो बिना किसी वित्तीय लालच के और यहां तक कि अपने जीवन की परवाह किए बिना देश के लिए लड़े। भारतीयों में आज़ादी पाने की ललक स्वराज के विचार से ही शुरू हुई। स्वराज स्वशासन का विचार है जिसमें सरकार लोगों के लिए, लोगों की और सबसे महत्वपूर्ण लोगों द्वारा होती है। समानता कायम करने, न्याय देने और देश के आवश्यक विकास के लिए और एक बार फिर से सोने की चिड़िया के सुनहरे घोंसले को बहाल करने के लिए स्वराज की बहुत आवश्यकता थी। अंत में मैं प्रत्येक स्वतंत्रता सेनानी को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि और कृतज्ञता अर्पित करना चाहती हूं।

  • समाईरा ठाकुर

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *