केंद्र सरकार और एलजी के इशारों पर डीडीए द्वारा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजुरी खास में वकील हसन के मकान को तोड़ने के अन्यायपूर्ण तथा गैर-कानूनी कृत्य के खिलाफ़ आज आईएनए स्थित डीडीए मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में ट्रेड यूनियनों के अलावा जनवादी महिला समिति तथा वकील हसन की पत्नी समेत इलाके के अन्य महिलाओं और पुरुषों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
उत्तराखण्ड के सिल्क्यारा टनल में जब 41 मज़दूर फंसे हुए थे और देश-दुनिया के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की मशीनें फेल हो गई थीं, तब इसी केन्द्र सरकार ने वकील हसन और उनके साथी रैट माईनर्स से संपर्क कर राहत कार्य करने को कहा था। अपनी बहादुरी के बूते वकीन हसन और उनकी पूरी टीम सभी 41 मज़दूरों की जान बचाई और तब प्रधानमंत्री, केन्द्र सरकार के मंत्री और सत्ताधारी दल के नेताओं ने इनकी वाह-वाही में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह कितना शर्मनाक है कि आज उन्हीं वकील हसन के सर पर छत नहीं है और यह काम केन्द्र सरकार के अधीन आने वाले डीडीए द्वारा की गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस तोड़फोड़ से पहले वकील हसन को कोई कानूनी नोटिस नहीं दी गई। जब तोड़फोड़ किया गया तब घर में केवल वकील हसन के नाबालिक बच्चे थे और पुलिस वालों ने उनके साथ अभद्रता की।
इसी तरह की गैर-कानूनी तोड़फोड़ में पिछले कुछ सालों में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में लाखों मज़दूरों के परिवारों को उजाड़ा गया है। इलाके के सांसद मनोज तिवारी ने वकील हसन से 48 घंटे के भीतर आवास का इंतज़ाम करने का वादा किया था, परंतु अभी तक सरकार की तरफ से कोई भी ठोस कारवाई नहीं हुई है।
प्रदर्शनकारियों को पूर्व राज्य सभा सांसद तथा सीटू अखिल भारतीय महासचिव कामरेड तपन सेन समेत अन्य संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली को चलाने वाले मज़दूरों के घरों पर बुलडोजर चलाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सबसे शर्मनाक यह बात है कि डीडीए के आला अधिकारी बातचीत करने के लिए राजी नहीं हुए। यह और कुछ नहीं बल्कि भाजपा सरकार की अकड़ और मज़दूर विरोधी चरित्र को दिखाता है जिसके इशारों पर डीडीए के ये आला अधिकारी काम करते हैं। लगातार दबाव के बाद ही डीडीए को ज्ञापन लेने पर बाध्य होना पड़ा।
इस ज्ञापन के जरिए निम्न मांगें रखी गईं :-
1. वकील हसन का गैर-कानूनी तरीके से तोड़े गए मकान के बदले डीडीए उन्हें मकान मुहैया कराए।
2. 18.02.2024 को हुई अन्यायपूर्ण और गैर-कानूनी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।
3.भविष्य में किसी भी तोड़फोड़ से पहले नोटिस देने के कानूनी प्रावधान को लागू करें।
अगर डीडीए तथा शासन प्रशासन वकील हसन को न्याय नहीं देता है तो आने वाले दिनों में सड़कों से लेकर न्यायालयों तक आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा। वकील हसन के लिए न्याय का सवाल को है ही, उससे भी बड़ा सवाल यह है कि देश की राजधानी को चलाने वाले, चमकाने वाले मज़दूरों के घरों पर बुलडोजर चलाने की नीति आखिर कब तक जारी रहेगी।