समाजवादी पार्टी के लोकसभा सदस्य रामजीलाल सुमन द्वारा बहस में इस्तेमाल की गई भाषा को लेकर आज तनावपूर्ण हालात बन गए। और इसका सबसे खतरनाक पहलू जातिगत ललकार, वैमनस्य का बनना है। जाति, मजहब के आधार पर होने वाली सियासत जम्हूरियत और मुल्क के लिए खतरनाक है। वार्ता, बातचीत समन्वय की मार्फत इस का हल निकालना निहायत ही जरूरी है। आज भुखमरी, बेकारी, महंगाई, कामगारों और किसानो की बदहाली, मजहबी सांप्रदायिकता के उफ़ान का तूफान रौद्र रूप में चिंघाड़ रहा है।
इतिहास को कैसे पढ़ा या उसकी व्याख्या की जाए इस पर 3 अक्टूबर 1963 को हैदराबाद में “हिंदू और मुसलमान “विषय पर डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था उसकी आज भी अहमियत है। “असलियत यह है कि पिछले 700- 800 बरस में मुसलमान ने मुसलमान को मारा है। मारा है, कोई रूहानी अर्थ में नहीं, जिस्मानी अर्थ में मारा है। तैमूर लंग आकर जब चार-पांच लाख आदमियों का कत्ल करता है तो उसमें से 3 लाख तो मुसलमान थे, पठान मुसलमान थे, जिनका कत्ल किया। कत्ल करने वाला मुगल मुसलमान था। यह चीज अगर मुसलमानों के घर-घर में पहुंच जाए कि कभी तो मुगल मुसलमान ने पठान मुसलमान का कत्ल किया कभी अफ्रीकी मुसलमान ने मुगल मुसलमान का, तो पिछले 700 बरस का वाक्या लोगों के सामने अच्छी तरह से आने लग जाएगा यह हिंदू मुसलमान का मामला नहीं है, यह तो देसी-विदेशी का है। सबसे पहले अरब के या और कहीं के मुसलमान आए। वे परदेसी थे। उन्होंने यहां के राज को खत्म किया। फिर वे धीरे-धीरे सो – पंचास बरस में देसी बने, लेकिन जब यह देसी बन गए तो, फिर एक दूसरी लहर परदेसियों की आयी, जिसने इस देसी मुसलमान को उसी तरह से कत्ल किया जिस तरह से हिंदुओं को। फिर वे परदेसी भी सो पचास बरस में देसी बन गए, और फिर दूसरी लहर आयी। हमारे मुल्क की तकदीर इतनी खराब रही है पिछले 700- 800 बरस में कि देसी तो रहा है नपुंसक और परदेसी रहा है लुटेरा या समझो जंगली। हमारे 700 बरस के इतिहास का नतीजा। इस बात को हिंदू मुसलमान दोनों समझ जाते हैं, तो फिर नतीजा निकलता है कि हर एक बच्चे को सिखाया जाए, हर एक स्कूल में, घर-घर में, क्या हिंदू क्या मुसलमान, बच्ची -बच्चे की रजिया, शेरशाह, जायसी वगैरा हम सबके पुरखे हैं, हिंदू और मुसलमान दोनों के। मैं यह कहना चाहता हूं कि रजिया, शेरशाह और जायसी को मैं अपने मां-बाप में गिनता हूं। यह कोई मामूली बात इस वक्त मैंने नहीं कही है। लेकिन उसके साथ-साथ में चाहता हूं कि हम में से हर एक आदमी, क्या हिंदू, क्या मुसलमान यह कहना सीख जाए कि गजनी, गोरी और बाबर लुटेरे थे और हमलावर थे। यह दोनों जुमले साथ-साथ हो हिंदू और मुसलमान साथ-साथ हो, हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए गजनी, गोरी, बाबर लुटेरे थे और हमलावर थे। सारे देश के लिए देसी लोगों की स्वाधीनता को खत्म करने वाले लोग थे और रजिया, शेरशाह जायसी वगैरा हमारे सबके पुरखे थे। अगर 700 बरस को देखने लग जाएंगे जोड़ने वाली निगाह से कि हमारे इतिहास में यह तो मामला था देसी का, यह था परदेसी का , यह अपने, यह थे पराये और दोनों का नजरिया एक हो जाएगा। —– मैंने आज खास तौर से हिंदू -मुसलमान की बात कही, लेकिन आप याद रखना, यह बात इसी तरह से हरिजन, आदिवासी और पिछड़ी जाति वालों और औरतों के लिए भी समझ लेना, क्योंकि औरत तो जो कोई भी है चाहे ऊंची जाति की, चाहे नीची जाति की, सबको में पिछड़ी समझता हूं और मैं क्या समझता हूं आप जानते हो औरत को हिंदुस्तान में, दुनिया में दबा करके रखा गया है उसे यहां बहुत ज्यादा दबा
कर रखा गया है। मर्दी ही मर्द मेरी सुन रहे हैं मेरी बात को। औरतें कितनी सुनने आयी है तो यह जितने पिछड़े हैं इनको विशेष अवसर देना होगा, ज्यादा मौका देना होगा, तब ये ऊंचा उठेंगे। मैं आपसे आखरी में यही प्रार्थना करता हूं कि इन सब चीजों पर खूब गंभीरता से सोच -विचार करना और बन पड़े तो हैदराबाद में एक नई जान पैदा करने की कोशिश करना ।
राजकुमार जैन
जारी है,—
इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ना बंद करों!

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