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हिंदी पहले से ज्यादा हुई है शक्तिशाली : कुकरेती 

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श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) के हिंदी विभाग में भाषण प्रतियोगिता आयोजित

द न्यूज 15 ब्यूरो 

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) में हिंदी विभाग के सृजन साहित्यिक मंच ने भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया। प्रतियोगिता का विषय “प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा का महत्व”.था। प्रतियोगिता का आरंभ माँ सरस्वती के सामने दीप प्रज्वलित करने के साथ, हिंदी विभाग के तृतीय वर्ष के छात्र विशाल कुमार के सरस्वती गायन से हुआ।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.हेमंत कुकरेती ने अध्यक्षीय वक्तव्य में मातृभाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि आज हिंदी पहले से ज्यादा शक्तिशाली हुई है।आज हर क्षेत्र में हिंदी की महत्ता बढ़ी है.हिंदी विभाग के प्रो. अनिल राय ने प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा का बेहद महत्व है। हमें लगातार इसमें काम करने की जरूरत है। हम मातृभाषा को जन्म से ही अपने सबसे नज़दीक पाते हैं,इसलिए भावों को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम मातृभाषा होती है।

इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के अनेक विभागों के प्रतिभागी विद्यार्थियों; हिमांशु शर्मा,आकाश यादव,सुजीत कुमार, दीपिक कुमार,विजेंदर कुमार,भानु प्रताप, शिवम बिंद, शुभम झा, सिद्धार्थ यादव, चुन्नीलाल,रवि शंकर प्रत्युष, सरोज, दयानंद, आकाश कुमार राम, पीयूष अग्रवाल , माधव कुमार आदि ने भाग लिया.इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल की भूमिका में प्रो.अनिल राय,डॉ. अमित सिंह और डॉ. रामरूप मीणा थे। निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से कन्हैया कुमार ,शिवम बिंद और दीपक कुमार को क्रमशः प्रथम,द्वितीय और तृतीय पुरस्कार देने की घोषणा की। आयोजन के अंत में डॉ. अमित सिंह ने अपने आशुगीत “यह दीप” को गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.इस भाषण प्रतियोगिता के समापन के बाद हिंदी विभाग की प्रभारी प्रो.अर्चना उपाध्याय ने सभी विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रतियोगिता के इस आयोजन में हिंदी विभाग के अन्य अध्यापकों में डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी,डॉ. रीनू गुप्ता.डॉ.सुनीता सक्सेना.सुश्री अंजुबाला,डॉ.प्रणव ठाकुर,डॉ.अरूणा चौधरी और डॉ.नीरज कुमार मिश्र आदि के साथ सृजन के छात्र पदाधिकारियों में मंथन,दिव्या कुमारी, काज़ल,रवि शंकर,विकास कुमार एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।