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संतकबीरनगर के खलीलाबाद लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी पप्पू निषाद का हो रहा विरोध 

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समाजवादी पार्टी ने यादव समाज और अखिलेश यादव की बुराई करने वाले ने को दे दिया टिकट 

सपा ने कहा – कैसे करें वोट ?

द न्यूज 15 ब्यूरो 
संतकबीरनगर। समाजवादी पार्टी के नेता दिनेश कुमार यादव ने जनपद संतकबीरनगर के खलीलाबाद लोकसभा सीट पर उतारे गए सपा प्रत्याशी को लेकर बड़ा बयान दिया है। दिनेश कुमार यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी ने ऐसे नेता को टिकट दे दिया है जो न केवल यादव समाज के खिलाफ बोलता रहा है बल्कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ भी गलत बयानबाजी की है।
दिनेश कुमार यादव ने कहा है कि खलीलाबाद लोकसभा 62 में समाजवादी पार्टी ने जिन लक्ष्मीकांत और पप्पू निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है जो 2012 का विधानसभा चुनाव जीत करके सरकार में मंत्री रहे और मंत्री रहते हुए भी उन्होंने बयान दिया था कि यादव लोग हमको मतदान नहीं करते हैं यादव लोग तो अखिलेश यादव को वोट करते हैं फिर अखिलेश यादव ने  उसी पप्पू निषाद को प्रत्याशी बनाया है।
उन्होंने कहा कि स्वागत है इनका मगर मंत्री रहते हुए भी यादव के मामले में इनका कथन था कि  हमारा तो होमगार्ड तक नहीं सुनता फिर यादव कैसे वोट करें ?  जब बात अपने बिरादरी की आती थी तो ए महानुभाव थाना अध्यक्ष  तक को इधर से उधर करने की धमकी देते थे। जिस विधानसभा से ये विधायक थे उसी मे एक ब्लॉक पड़ता है मेंहदावल, जिसके एडीओ पंचायत कभी मैनुद्दीन सिद्दीकी जी हुआ करते थे। केवल यादव की बात सुनते थे एडीओ उसी की वजह से ये पप्पू निषाद  जी उनका ट्रांसफर सेमरियावां ब्लॉक करा दिये थे कई नेताओं का पैड भी लगा पैरवी भी हुई लेकिन उस मुसलमान समाज के सिद्दीकी जी को ये फिर मेंहदावल नही आने दिये। तो सोचिए जरा मुसलमान और यादव ही  समाजवादी पार्टी  का बेस वोट कहा जाता है तो भला ये लोग वोट कैसे करेंगे इनको।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के निर्णय का स्वागत तहे दिल से संत कबीर नगर की जनता करती है लेकिन अगर ओबीसी कार्ड ही खेलना था तो तमाम नेता थे जैसे सन्नी यादव,के डी  यादव सुबोध यादव  आदि अगर इनके समाज का कैंडिडेट चाहिए था तो रमेश निशाद् आदि लेकिन सबको दरकिनार कर उसी यादव विरोधी को फिर टिकट दिया जबकि  सवर्ण मतदाता सवर्ण कैंडिडेट की तलाश हैं, अगर ऐसी स्थिति मे जय चौबे आदि को टिकट दिया गया होता तो पार्टी की सीट निकल सकती थी  जहा एकतरफ निषाद समाज का सबसे बड़ा नेता का बेटा जो एकबार यहां का सांसद भी है। उनकी खुद की पार्टी भी है  बड़ा जनाधार वाला नेता भी है सरकार मे पिता जी खुद मंत्री भाई भी विधायक और निशाद पार्टी के  कुल नौ विधायक  पूरे प्रदेश में कुछ पार्टी के सिंबल तो कुछ समर्थन आदि से ऐसे मे मौजादा सांसद प्रवीण निशाद से पार पाना नामुमकिन जैसा है बाकी निर्णय जानता जनार्दन पर। रही बात बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों का तो अगर बीसपी ने सवर्ण कैंडिडेट या मुस्लिम कैंडिडेट दे दिया तो लड़ाई बड़ी ही  दिलचस्प होगी और मुकाबला काटा का हो जाएगा। जबकी इस लोकसभा मे सबसे ज्यादा निषाद उसके बाद   ब्राह्मण तब मुस्लिम और फिर नंबर  यादव का ऐसे मे अगर समाजवादी पार्टी अपना कैंडिडेट बदलकर अगर सवर्ण कार्ड खेलती है तो लड़ाई जीत की तरह निःसंदेह जा रही दिखाई देगी।