The News15

सोमवती अमावस्या

Spread the love

राकेश 
शिवलिंग को भगवान भोलेनाथ का साक्षात रूप माना जाता है। कहते हैं कि हर शिवलिंग में भोलेनाथ एक क्षण के लिए भी जरूरत विराजते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि पर हर शिवलिंग में भोलेनाथ साक्षात विराजते हैं। लेकिन एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है जिसमें सोमवती अमावस्या के साथ ही साथ साल भर की सभी अमावस्या तिथि पर भगवान भोलेनाथ साक्षात विराजते हैं। यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा जिले के कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है।

श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

शिवलिंग को भगवान भोलेनाथ का साक्षात रूप माना जाता है। कहते हैं कि हर शिवलिंग में भोलेनाथ एक क्षण के लिए भी जरूरत विराजते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि पर हर शिवलिंग में भोलेनाथ साक्षात विराजते हैं। लेकिन एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है जिसमें सोमवती अमावस्या के साथ ही साथ साल भर की सभी अमावस्या तिथि पर भगवान भोलेनाथ साक्षात विराजते हैं। यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा जिले के कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में विराजमान है शिव और पार्वती

 

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि ऐसा ज्योर्तिलिंग है जो शक्तिपीठ भी है। क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों ही विराजते हैं। शिव पुराण में बताया गया है कि त्रिलोक की परिक्रमा की शर्त पूरी करके जब शिव पुत्र कुमार कार्तिकेय कैलास पर्वत पहुंचे तो गणेशजी के विवाह की बात जानकर बड़े क्रोधित हुए। क्योंकि गणेशजी की परिक्रमा की शर्त जीत चुके थे दूसरी कार्तिकेय का इंतजार किए बिना ही गणेशजी का विवाह करवा दिया गया था। क्रोधित होकर कुमार कार्तिकेय कैलाश छोड़कर क्रौंच पर्वत पर दक्षिण दिशा की ओर चले आए।

मल्लिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध है ज्योतिर्लिंग

 

पुत्र के स्नेह में व्याकुल देवी पार्वती भगवान शिव को लेकर क्रौंच पर्वत पहुंचे और कुमार कार्तिकेय को मानने की बहुत कोशिश की। लेकिन कुमार कार्तिकेय नहीं माने और साथ चलने से मना कर दिया। ऐसे में पुत्र स्नेह के कारण शिव और पार्वती क्रौंच पर्वत से 12 किलोमीटर दूर ज्योति रूप में प्रकट हुए। इसी ज्योति से शिवजी का दूसरा ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ जो मल्लिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मल्लिका रूप में देवी पार्वती भी है विराजमान

 

इस शिवलिंग में मल्लिका रूप में देवी पार्वती हैं और अर्जुन भगवान शिव हैं। शिवपुराण में लिखा है कि हर अमावस्या तिथि पर अपने पुत्र कार्तिकेय को देखने के लिए भोलेनाथ इस ज्योतिर्लिंग में आकर विराजते हैं। जबकि हर पूर्णिमा तिथि पर देवी पार्वती इस ज्योतिर्लिंग में आकर विराजती हैं और कुमार कार्तिकेय को निहारती हैं। कहते हैं कि जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ श्रीकेश्वर मंदिर में जाकर भगवान का दर्शन करता है वह जन्म मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। साथ ही जो भी भक्त मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का दर्शन पाता है वह समस्त पापों से मुक्त हो मनोवांछित फल पा लेता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे

 

अगर आप ट्रेन से मल्लिकार्जुन आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको नजदीकी रेलवे स्टेशन मारकापुर पहुंचना होगा। यहां से श्रीशैलम मल्लिकार्जुन की दूरी 90 किलोमीटर है। वहीं, अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे हैदराबाद एयरपोर्ट पर आना होगा। यहां से आपको मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुंचने में 10 से 11 घंटे लग सकते हैं। क्योंकि, यहां से ज्योतिर्लिंग 260 किलोमीटर दूर है।