
नई दिल्ली। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जोशीमठ के शंकराचार्य के एक बयान से संबंधित है, जिसमें उन्होंने बकरीद (ईद-उल-अज़हा) से पहले कुछ मुसलमानों पर हिंदुओं को “चिढ़ाने” का आरोप लगाया। उनके अनुसार, कुछ लोग जानबूझकर गायों की तस्करी और हत्या करते हैं, जो हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली गायों के प्रति संवेदनशीलता को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस तरह की गतिविधियां नहीं रुकीं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
यह बयान धार्मिक संवेदनशीलता, विशेष रूप से गायों के मुद्दे को लेकर, भारत में पहले से मौजूद तनाव को दर्शाता है। शंकराचार्य ने सरकार और प्रशासन से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे।
संदर्भ और विश्लेषण:
धार्मिक संवेदनशीलता: हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है, जबकि बकरीद के दौरान पशु बलि (मुख्य रूप से बकरे या भेड़) इस्लामिक परंपरा का हिस्सा है। कुछ मामलों में, गायों से जुड़े विवाद सांप्रदायिक तनाव का कारण बनते हैं।
कानूनी पहलू: भारत के कई राज्यों में गायों की हत्या पर प्रतिबंध है और गो-तस्करी के खिलाफ सख्त कानून लागू हैं। हालांकि, अवैध गतिविधियों की शिकायतें समय-समय पर सामने आती रहती हैं। शंकराचार्य की चेतावनी: उनका बयान सामाजिक शांति बनाए रखने की अपील के साथ-साथ एक चेतावनी भी है, जो विवादास्पद हो सकता है, क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएं भड़कने का खतरा रहता है।