तो क्या देश में अब बस हिन्दू – मुस्लिम ही होने वाला है ?

0
3
Spread the love

यूपी में हिन्दू तो प. बंगाल में उठा मुस्लिम का मुद्दा, योगी आदित्यनाथ अकबर औरंगजेब नहीं राम कृष्ण की परम्परा से देश चलने की बात कर रहे हैं तो प. बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा – जल्द ही हम बहुसंख्यक होंगे 

द न्यूज 15 ब्यूरो 
नई दिल्ली/कोलकाता। ऐसा लग रहा है कि देश में अब हिन्दू मुस्लिम की ही बात होने वाली है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शीतकालीन सत्र में यूपी विधानसभा में बोल दिया है कि देश बाबर औरंगजेब नहीं राम कृष्ण परंपरा से चलेगा। योगी आदित्यनाथ से एक कदम आगे बढ़ते हुए पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने कह दिया है कि कुछ समय बाद देश में मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को जय श्री राम और अल्लाह हू अकबर के नारों पर अपनी बात रखी। सीएम ने कहा कि अल्लाह हू अकबर कहने पर कोई हिंदू कहे कि मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा तो क्या ये आपको ठीक लगेगा? मुख्यमंत्री ने कहा कि जय श्री राम किसी ने बोल दिया तो क्यों चिढ़े ये चिढ़ाने वाला नहीं है। हमारे यहां तो पश्चिम में राम-राम कहने परंपरा है। जब हम मिलते है तो राम राम होता है, अंतिम यात्रा में भी राम नाम सत्य भी होता है। अगर जयश्रीराम किसी ने बोल दिया तो ये चिढ़ाने वाला कृत्य नही है। उन्होंने कहा कि अब देश अकबर औरंगजेब की परम्परा नहीं बल्कि राम कृष्ण की परम्परा से चलेगा।
उधर प. बंगाल में फिरहाद हकीम ने कहा कि अगर अल्लाह ने चाहा तो मुसलमान बहुमत में होंगे। उन्होंने यहां तक बोला कि हम संख्या के हिसाब से अल्पसंख्यक हो सकते हैं, लेकिन हम इतने सशक्त हो सकते हैं कि हमें न्याय के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हकीम के इस बयान के बाद ही चर्चा शुरू हो गई है। हमें न्याय के लिए मोमबत्ती नहीं जलानी पड़ेगी। हकीम के इस बयान पर बवाल बढ़ा तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उनके बयान से दूरी बना ली।
चौतरफा घिरने के बाद हकीम ने कहा कि वह धर्मनिरपेक्ष हैं और उन्हें देशभक्ति के मूल्यों में यकीन है। वहीं, भाजपा के आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि हकीम का यह बयान शरिया कानून के समर्थन की तरफ इशारा कर रहा है। जानते हैं देश में 1950 से अब तक मुस्लिमों की आबादी कितनी बढ़ी है? क्या वाकई में हिंदुओं की आबादी घट रही है? क्या इसी वजह से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चिंता जताते हुए तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दे डाली थी?

क्या कहा था फिरहाद हकीम ने ?

 

फिरहाद हकीम ने बीते 13 दिसंबर को एक कार्यक्रम में कहा था कि पश्चिम बंगाल में हम 33 प्रतिशत और पूरे देश में हम 17 प्रतिशत हैं। हम संख्यात्मक रूप से अल्पसंख्यक हो सकते हैं, लेकिन अल्लाह की रहमत से हम इतने सशक्त हो सकते हैं कि हमें न्याय के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं होगी। हकीम ने यह बयान इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के उस बयान को निशाना बनाते हुए दिया था, जिसमें जज ने कहा था कि हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा।

देश में कितनी है हिंदू और मुस्लिम आबादी, यहां जानिए

हर कोई यह जानता है कि देश में 2011 के बाद से कोई जनगणना नहीं हुई है। ऐसे में मुस्लिमों और हिंदुओं की आबादी का सटीक आंकड़ा नहीं दिसा जा सकता है। इसी साल लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट सामने आई थी। इसमें 1950 से 2015 तक के आबादी के आंकड़ों का आकलन किया गया था। इसमें कहा गया था कि मुस्लिमों की हिस्सेदारी 1950 से 2015 के बीच में 43.16 फीसदी बढ़ गई थी। वहीं, दूसरी ओर हिंदुओं की आबादी में हिस्सेदारी इन 65 सालों के दौरान 7.82 प्रतिशत घट गई।

आबादी के लिहाज से बढ़े मुस्लिम, हिंदू घटे

आबादी के लिहाज से भी मुस्लिम तो देश में बढ़े हैं, लेकिन हिंदू घटते चले गए हैं। 1950 में हिंदुओं की आबादी 84.68 फीसदी थी जो 2015 तक 78.6 फीसदी रह गई। यानी इस दौरान हिंदुओं की आबादी में 6.08 फीसदी की कमी आई। वहीं, 1950 में मुस्लिम आबादी 9.84 प्रतिशत हुआ करती थी जो 2015 में 14.09 फीसदी हो गई। ये आंकड़े 2015 तक के हैं, जबकि 9 साल बाद यानी 2024 तक इन आंकड़ों में काफी बदलाव हो चुका होगा।

पाकिस्तान में 18 प्रतिशत हिंदू आबादी अब 1.18% पर सिमटी

बीते 65 साल में पाकिस्तान में 18 प्रतिशत हिंदू आबादी आज 1.18 प्रतिशत पर सिमट गई। वहीं, बांग्लादेश की बात करें तो वहां 24 प्रतिशत हिंदू आबादी हुआ करती थी, जो अब 8.2 प्रतिशत सिमट कर रह गई है। जबकि इसी दौर में मुस्लिम आबादी काफी बढ़ी है। बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन जारी है।

हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की भी प्रजनन दर घटी

भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) वर्तमान में 2 के आसपास है, जो वांछित TFR 2.19 के निकट है। हिंदुओं के लिए TFR 1991 में 3.3 से घटकर 2015 में 2.1 और 2024 में 1.9 हो गई। मुसलमानों के लिए TFR 1991 में 4.4 से घटकर 2015 में 2.6 और 2024 में 2.4 हो गई।

यूपी, उत्तराखंड और असम में भी बढ़ी मुस्लिम आबादी

2022 में गृह मंत्रालय को भेजी गई यूपी और असम पुलिस की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि यूपी और असम में इंटरनेशनल बॉर्डर के पास के इलाकों में मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है। यूपी के नेपाल बॉर्डर से लगे पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, महराजगंज, बलरामपुर और बहराइच समेत 7 जिलों के बारे में कहा गया है, जहां मुस्लिम आबादी बीते 10 साल के दौरान 32% तक बढ़ गई है। वहीं, उत्तराखंड के गठन के 25 सालों में भी मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ी है।

उत्तराखंड 2001 में 1 लाख थे मुस्लिम, अब 14 लाख से ज्यादा

उत्तराखंड का गठन साल 2000 में हुआ था। उस वक्त नए बने राज्य में 2001 की जनगणना के मुताबिक करीब 1 लाख आबादी ही मुस्लिमों की थी, जो 2011 में बढ़कर 14 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस दौरान हिंदुओं की आबादी की वृद्धि दर 16 फीसदी थी तो पूरे दशक के दौरान मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर 39 फीसदी हो चुकी है। ये आंकड़े तब के हैं, जब बीते एक दशक से भारत की जनगणना के आंकड़े जारी नहीं हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here