भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता का दावा
ट्रम्प ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर दावा किया कि यह उनकी मध्यस्थता और व्यापार न करने की चेतावनी के कारण संभव हुआ। हालांकि, भारत ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि सीजफायर के लिए हुई बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं था। यह दावा भारत में विवादास्पद रहा, क्योंकि भारत कश्मीर जैसे मुद्दों को द्विपक्षीय मानता है और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता है। कुछ भारतीय नेताओं, जैसे शशि थरूर, ने इसे भारत के राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने वाला बताया। ट्रम्प का यह बयान उनकी घरेलू राजनीति को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
आर्थिक नीतियां और टैरिफ विवाद
ट्रम्प ने भारत पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का आरोप लगाया है, इसे “टैरिफ किंग” तक कहा। उदाहरण के लिए, उन्होंने दावा किया कि भारत हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर 100% टैरिफ लगाता है, जबकि वास्तव में भारत ने इसे 30% तक कम कर दिया था। यह बयानबाजी उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा हो सकती है, जिसके तहत वे अमेरिकी व्यापार हितों को प्राथमिकता देते हैं और अन्य देशों पर दबाव डालते हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प गलत आंकड़ों का उपयोग करके भारत की आलोचना करते हैं, जो भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं को प्रभावित कर सकता है।
वैश्विक छवि और व्यक्तिगत शैली
ट्रम्प की बयानबाजी अक्सर उनकी आक्रामक और बड़बोली शैली को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य उनकी घरेलू जनता का ध्यान आकर्षित करना और वैश्विक मंच पर प्रभाव बनाए रखना हो सकता है। भारत के खिलाफ उनके बयान, जैसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश या व्यापारिक धमकियाँ, भारत में विवाद पैदा करते हैं, क्योंकि यह भारत की संप्रभुता और नीतियों को चुनौती देने के रूप में देखा जाता है। कुछ भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि यह अमेरिका की उस नीति का हिस्सा हो सकता है, जो पाकिस्तान को भू-राजनीतिक कारणों से महत्व देती है।