The News15

Sleep Competition : स्वास्थ्य के मामले में बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती हैं त्रिपर्णा चक्रबर्ती

Spread the love

Sleep Competition : अच्छी नींद के प्रति जागरूक होकर बचा जा सकता है मानसिक रोग और अवसाद से

चरण सिंह राजपूत
एक कहावत बहुत पुरानी है कि जो सोवत है वो खोवत है। इस कहावत को गलत साबित कर दिया है कोलकाता की त्रिपर्णा चक्रबर्ती ने। दरअसल त्रिपर्णा चक्रबर्ती ने 100 दिनों तक प्रतिदिन नौ घंटे तक सोकर रिकार्ड बनाया है। रिकार्ड भी ऐसा कि उन्हें 5 लाख का ईनाम मिला है। आज के तनाव के दौर त्रिपर्णा की सोने की यह जीत बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति एक प्रेरणास्रोत होने का काम कर सकती है। जो बच्चे कम सोते हैं या फिर जिनके माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई का दबाव डालकर कम सोने देते हैं, उनके लिए त्रिपूर्णा की यह कहानी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का काम कर सकती है। कम नींद लेने की वजह से जो बच्चे मानसिक रोग या फिर अवसाद जैसे समस्याओं से जूझ रहे रहे हैं उनके लिए यह सोने की प्रतियोगिता एक टॉनिक का काम कर सकती है।

अक्सर देखा जाता है कि लंबी नींद लेने के शौकीन बच्चे निरोगी और स्वस्थ होते हैं। जिस व्यक्ति को खुलकर भूख लगती है और जमकर नींद आती है वह बीमारियों की चपेट में कम आता है। आज की तारीख में नींद न आना और कम सोना न केवल बच्चों बल्कि वयस्कों में भी तनाव की मुख्य वजह बना हुआ है। नींद न आने की समस्या युवाओं में भी काफी देखी जा रही है। दरअसल हमारे समाज में अधिक सोने वाले बच्चे को लापरवाह और आलसी और कम सोने वाले बच्चे को मेहनती और चुस्त-दुरुस्त माना जाता है। त्रिपर्णा चक्रबर्ती की यह कहानी लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर रही हैं। सोकर 5 लाख रुपये का ईनाम जीतने से ज्यादा अच्छी नींद लेकर स्वस्थ होन के लिए।

दरअसल स्वास्थ्य की दृष्टि से नींद पूरी होना बहुत जरूरी है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि प्राथमिक स्कूल उम्र के बच्चे जो प्रति रात नौ घंटे से कम सोते हैं, उनमें स्मृति, बुद्धि और कल्याण के लिए जिम्मेदार कुछ मस्तिष्क क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अंतर होता है, जो अनुशासित नौ से 12 घंटे की नींद लेने वालों की तुलना में ज्यादा होता है। नींद कम लेने से मानसिक स्वास्थ्य की समस्या पैदा होती है। नींद की कमी वाले लोगों में इस तरह के मतभेद अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे अवसाद, चिंता और आवेगपूर्ण व्यवहार से संबंधित माने जाते हैं।

दरअसल महंगे गद्दे बनाने वाली एक कंपनी ने सोने की यह प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस स्लीपिंग प्रतियोगिता में 5.5 लाख प्रतियोगियों ने भाग लिया था। त्रिपर्णा चक्रबर्ती ने सभी प्रतियोगिताओं को पछाड़ते हुए अपने को सबसे अच्छा स्लीपर साबित किया है। इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में 15 प्रतियोगियों का चयन किया गया था। इन प्रतियोगियों में से चार प्रतियोगी फाइनल में पहुंचे थे। पता चला है कि सभी चार प्रतियोगियों को एक गद्दा और एक स्लीप ट्रैकर दिया गया था और उन्हें स्लीपिंग स्किल दिखाने के लिए कहा गया था। त्रिपर्णा पर निगरानी रखने के लिए उनके घर कंपनी ने एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था। त्रिपर्णा को इस प्रतियोगिता की जानकारी एक वेबसाइट के जरिये पता चली थी।

त्रिपर्णा ने बताया है कि वह यूएसए की एक कंपनी में वर्क होम काम करती है। इसलिए वह रात में काम करती है और दिन में सोती है। त्रिपर्णा के बारे में बताया जा रहा है कि वह सोने के मामले में कोई समझौता नहीं करती हैं।