सीतामढ़ी। बिहार का सीतामढ़ी जिला बाढ़ से अधिक प्रभावित है। तीन स्थानों पर नदियों के तटबंध टूटने से बाढ़ के हालात बने हुए हैं। जिला प्रशासन के स्तर से पीड़ितों की हर संभव मदद की जा रही है। अधिक पानी और तेज धारा के बहकर/डूबकर मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। मंगलवार को दो प्रखंडों में पांच लोगों की डूबकर मौत हो गई, जबकि बेलसंड प्रखंड में शाम में बाढ़ के पानी में चार शव को उपलाते हुए पाया गया। चारों शव को बरामद कर लिया गया है।
जिले में सबसे बुरा हाल बेलसंड प्रखंड के लोगों का है। दरअसल, उक्त प्रखंड के बागमती नदी का तटबंध दो जगहों पर ध्वस्त हो जाने के कारण बढ़ी तबाही का आलम है। सैकड़ों लोग तटबंध और ऊंचे स्थानों पर हैं। ये पीड़ित जैसे-तैसे समय काट रहे हैं।
जानवर से भी बदतर हाल इन बाढ़ पीड़ितों की है। प्रशासन की ओर से सूखा राहत का पैकेट वितरण कराया जा रहा है। साथ ही सामुदायिक किचेन भी संचालित कराया जा रहा है। बावजूद बाढ़ पीड़ितों का दर्द बयां नहीं किया जा सकता।
बेलसंड प्रखंड के मधकौल और सौली गांव में तटबंध टूटने के बाद लापता लोगों का शव पानी में उपलाता दिखा है। पुलिस ने चार शव बरामद किए हैं। मधकौल, घुसकपुर, झडआ टोला और छप्पन-बीघा गांव में बाढ़ के पानी में उपला रहे तीन शव को बरामद किया गया है, जिसकी पहचान मधकौल गांव निवासी गजेंद्र साह के 15 वर्षीय पुत्र विकास कुमार, छप्पन-बीघा गांव के अर्जुन साह के 18 वर्षीय पुत्र विकास कुमार, पंडराही गांव के झडआ टोला निवासी सद्दाम हुसैन की 10 वर्षीय पुत्री सादिया खातन और भौरहा गांव निवासी 24 वर्षीय सुजीत कुमार का शव बरामद किया गया है। एक अन्य व्यक्ति का शव बरामद होने की भी खबर मिली रही है।
बेलसंड प्रखंड के दो स्थानों पर तटबंध टूटने के बाद पानी के चारों तरफ फैलने के कारण तटबंध पर दबाव कम हुआ है। इससे प्रशासन और आमलोग राहत की सांस ले रहे है। स्थानीय अर्जुन मंडल, प्रवीन कुमार, राकेश कुमार, जगरनाथ सहनी, तेजा साह, कमल साह और शंकर बैठा सहित अन्य बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि लाख प्रयास के बाद भी सीओ से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है। बताया कि ओलीपुर, रूपौली और सौली के बाढ़ पीड़ितों के बीच राशन की बात तो दूर रही पॉलीथिन सीट का भी वितरण नही हो पाया है। बाद पीड़ित प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हुए है।
परसौनी प्रखंड के कोरा खरगी गांव के लोगों ने बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में हाथ आगे बढाया है। यहां के लोगों ने इंसानियत का परिचय देते हुए ट्रैक्टर पर पूड़ी, सब्जी, आचार, बिस्किट, मोमबत्ती और माचिस आदि सौली, रूपौली, ओलीपुर और मधकौल के चार हजार बाढ़ पीड़ितों के बीच वितरण किए है।
स्थानीय सांसद लवली आंनद ने भी सौली तटबंध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों से मिलकर हर संभव सहायता का आश्वासन दी हैं। संचार व्यवस्था पहले की अपेक्षा सुदृढ़ हुई है। केरोसिन तेल बंद होने से सबसे अधिक समस्या बाढ़ पीड़ितों के बीच रोशनी की हो गई है। बाढ़ पीड़ित रात में सरसो तेल में ढिबरी जलाकर रह रहे हैं। बिजली की सुविधा पूरी तरह ठप है। मवेशियों के लिए चारा की भी समस्या हो गई है।