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शिवराज चौहान बन सकते हैं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष!

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शिवराज चौहान के साथ ही देवेंद्र फडनवीस, भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर का नाम उभरकर आ रहा है सामने

चरण सिंह

मध्य प्रदेश पर लंबे समय तक राज करने वाले मौजूदा कृषि शिवराज चौहान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस की ओर से शिवराज चौहान सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा माना जा रहा है। शिवराज चौहान को राष्ट्रीय अध्यक्ष आरएसएस इसलिए भी बनाना चाहता है कि शिवराज चौहान पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में नहीं आएंगे।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस और बीजेपी नेतृत्व में जो मंथन चल रहा है उसमें नाम तो कई उभरकर सामने आ रहे हैं पर इनमें   मध्य प्रदेश पर लंबे समय तक राज करने वाले मौजूदा कृषि मंत्री शिवराज चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा है। बीजेपी में जो समीकरण उभरकर सामने आये हैं उनके अनुसार प्रधानमंत्री सवर्ण और राष्ट्रीय अध्यक्ष ओबीसी चेहरा हो सकता है। भले गृहमंत्री अमित शाह 2029 में भी नरेंद्र मोदी के ही प्रधानमंत्री बनने की बात कर रहे हों पर आरएसएस मोदी के 75 साल पूरे होने पर किसी सवर्ण चेहरे को प्रधानमंत्री बनाने के मूड में है। प्रधानमंत्री पद के लिए आरएसएस की पसंद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ माने जा रहे हैं। ऐसे में आरएसएस का प्रयास है कि कोई ओबीसी चेहरा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। गृहमंत्री अमित शाह का प्रयास है कि जेपी नड्डा की तरह ही कोई सवर्ण चेहरा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। सवर्ण चेहरे के रूप में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम उभर कर सामने आ रहा है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का विवाद शांत करने के बाद आरएसएस अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का विवाद समाप्त करने में जुट गया है। टकराव की वजह यह है कि केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि जेपी नड्डा की तरह ही उनके इशारे पर काम करने वाला नेता बीजेपी का अध्यक्ष बने तो आरएसएस चाहता है कि अध्यक्ष बिना किसी दबाव के संगठन के लिए काम करे और सरकार में भी उसका हस्तक्षेप करे। जानकारी मिल रही है कि गत सोमवार को अध्यक्ष पद के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस नेतृत्व की एक मैराथन बैठक चली पर कोई निर्णय नहीं निकल पाया। इस बैठक में आरएसएस की ओर से महासचिव दत्तात्रेय होसबले, आरएसएस और बीजेपी के बीच समन्वय का काम कर रहे अरुण कुमार, संगठन मंत्री बी.एल. संतोष तो बीजेपी नेतृत्व की ओर से गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मौजूद रहे। पता चला है कि दोनों ओर से अपनी बात पर अड़े रहने की वजह से पांच घंटे तक चली इस बैठक में कोई निर्णय नहीं निकल पाया। बताया जा रहा है कि अमित शाह जेपी नड्डा की तरह के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बैठाना चाहते हैं जिसे दत्तात्रेय होसबले मानने को तैयार नहीं। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जो नाम उभरकर सामने आय हैं, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस, हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम प्रमुखता से उभरकर समाने आया है।
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ओबीसी चेहरा हैं तो केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि अध्यक्ष सवर्ण बने। इसके लिए ब्राह्मण चेहरे पर भी जोर दिया गया। ब्राह्मण चेहरे के रूप में देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे चल रहा है। आरएसएस चाहता है कि 75 साल पूरे होने पर मोदी का चेहरा बदला जाना है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे आगे चल रहा है। ये दोनों ही नेता सवर्ण हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी चेहरा होना चाहिए, जिसके लिए शिवराज चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा है। शिवराज चौहान का नाम इसलिए भी आगे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश से लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटें जीते हैं।
दरअसल इसी साल 4  राज्यों जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं। क्योंकि इन चारों ही राज्यों में बीजेपी की हालत इस बार पतली है। ऐसे में आरएसएस और बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व दोनों ही अपने अपने हिसाब से दांव चल रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व हार की जिम्मेदारी और जवाबदेही से बचने के लिए इन चार राज्यों के चुनाव से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाना चाहता है तो आरएसएस इन राज्यों के चुनाव जेपी नड्डा के अध्यक्ष रहते ही चाहता है। आरएसएस का मानना है कि यदि ये चुनाव बीजेपी हार गई तो फिर उसे अपने हिसाब से अध्यक्ष बनाने में कोई दिक्कत न होगी। केंद्रीय नेतृत्व भी जानता है जेपी नड्डा के अध्यक्ष रहते यदि इन चार राज्यों में बीजेपी चुनाव हार गई तो फिर सरकार और संगठन दोनों ही आरएसएस के हिसाब से चलेंगे। आरएसएस चाहता है कि अब संगठन और सरकार दोनों ही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अंकुश से बाहर रहे। बताया रहा है कि सितम्बर के पहले सप्ताह में केरल में फिर से एक बैठक होनी है, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए मंथन होगा।