कहती हमसे राखियाँ

चिठ्ठी लाई गाँव से, जब राखी उपहार ।
आँसूं छलके आँख से, देख बहन का प्यार ।।

रक्षा बंधन प्रेम का, हृदय का त्योहार ।
इसमें बसती द्रौपदी, है कान्हा का प्यार ।।

कहती हमसे राखियाँ, तुच्छ है सभी स्वार्थ ।
बहनों की शुभकामना, तुम्हें करे सिद्धार्थ ।।

भाई-बहना नेह के,रिश्तों के आधार ।
इस धागे के सामने, सब कुछ है बेकार ।।

बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान ।
भाई को यश-बल मिले, लोग करे गुणगान ।।

सब बहनों पर यदि करे, मन से सच्चा गर्व ।
होता तब ही मानिये, रक्षा बंधन पर्व ।।

 प्रियंका ‘सौरभ’

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