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धर्म की दीवारें तोड़ती शायरा बेगम

 8 सालों से मुस्लिम महिला रख रहीं छठ व्रत!

 मुजफ्फरपुर। बिहार में मुजफ्फरपुर की रहने वाली शायरा बेगम, एक मुस्लिम महिला, लगातार 8 सालों से छठ पूजा कर रही हैं। शायरा बेगम का मानना है कि छठ पूजा करने से उनके परिवार को सुख और समृद्धि मिली है। शायरा बेगम का कहना है- ‘जब तक जिंदा रहूंगी छठ करती रहूंगी।’
छठ पर्व, जो मुख्य रूप से बिहार, यूपी और झारखंड में मनाया जाता है, अपनी सांप्रदायिक सद्भाव की भावना के लिए जाना जाता है। यह पर्व अब दूसरे राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहा है। बिहार में छठ के दौरान, वातावरण भक्तिमय हो जाता है। यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है। इसकी एक मिसाल मुजफ्फरपुर में देखने को मिलती है, जहां शायरा बेगम, हर साल पूरी श्रद्धा और निष्ठा से छठ पूजा करती हैं।
शायरा बेगम का कहना है कि उन्होंने 2015 में छठी मैया से मन्नत मांगी थी। उनके पति की तबियत अक्सर खराब रहती थी और उनके बेटे और बहू को बच्चा नहीं हो रहा था। उन्होंने मन्नत मांगी कि अगर उनके पति स्वस्थ हो जाते हैं और उन्हें पोता-पोती की प्राप्ति होती है, तो वह छठ व्रत रखेंगी।
अगले ही साल छठी मैया की कृपा से उनके पति की तबीयत में सुधार हुआ और उनकी बहू गर्भवती हो गई। तब से, शायरा बेगम हर साल पूरी श्रद्धा के साथ छठ व्रत करती आ रही हैं। वह दशहरा के बाद से ही लहसुन और प्याज का सेवन बंद कर देती हैं और कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही इन्हें खाना शुरू करती हैं।
शायरा बेगम छठ के नियमों का पालन पूरी निष्ठा से करती हैं। खरना के दिन, वह आम की लकड़ी पर प्रसाद बनाती हैं। उनकी बेटियाँ इसमें उनकी मदद करती हैं। ठेकुआ और खजूर प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं। अर्घ्य के दिन, वह अपने पूरे परिवार के साथ गाड़ी रिजर्व करके तीनपोखरिया घाट जाती हैं और पूरी विधि-विधान से छठ पूजा करती हैं।
शायरा बेगम की कहानी सांप्रदायिक सद्भाव और आस्था की एक मिसाल है। यह दर्शाता है कि कैसे धार्मिक विश्वास लोगों को एक साथ लाते हैं। शायरा बेगम की तरह, कई अन्य लोग भी हैं जो अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पर्व को खास बनाते हैं।

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