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“जीवन जीने की कला” विषय पर गोष्ठी

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पुरुषार्थ ही सफलता कि कुंजी है : अतुल सहगल

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “जीवन जीने की कला” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 673 वाँ वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा कि धर्म पूर्वक पुरूषार्थ से ही सफ़लता प्राप्त होती है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व में चारों तरफ भौतिकवाद का बोलबाला है।धन,वैभव,पद,यश व विभिन्न भौतिक पदार्थों की चकाचौँध में सामान्य व्यक्ति लिपटा और खोया हुआ है।क्योंकि सफलता सबको प्राप्त नहीं होती,इसलिए अधिकतर मनुष्य अशांत और दुखी हैं।यह स्थिति तब है जब मनुष्य की आत्मा सुखों की ही अभिलाषी है और समस्त दुखों से छुटकारा पाना चाहती है।इसका कारण बताते हुए वक्ता ने सत्य और तथ्य की पूर्ण और सही जानकारी का न होना बताया। जीवन के प्रारंभिक काल अथवा युवावस्था में सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता।मनुष्य का पूरा जीवन ही बीत जाता है और उसको भौतिक व आध्यात्मिक तथ्यों का ज्ञान नहीं हो पाता।जीवन के अंतिम भाग में वह अनुभव करता है कि उसका आधा जीवन ही व्यर्थ चला गया।वह अपना जीवन बहुत अधिक सफल और समृद्ध बना सकता था यदि उसे ठीक मार्गदर्शन युवावस्था में ही मिल गया होता।वेद के एक शब्द में ही जीवन जीने की कला का सन्देश और तरीका मिल जाता है और वह शब्द है — मनुर्भव: हम मनुष्य बनें।मनुष्य वह है जो धर्म के मार्ग पर चलता है।धर्म की मौलिक परिभाषा सामने रखी जो भगवान मनु ने प्रतिपादित की। धर्म के दस लक्षण बताते हुए मानव उन्नति के सूत्रों की संक्षिप्त व्याख्या की।यजुर्वेद के मन्त्रों का हवाला देते हुए कहा कि बहुत से मन्त्र धर्मयुक्त पुरुषार्थ की बात करते हैं और यही जीवन जीने की कला को दर्शाते हैं।

मुख्य अतिथि आर्य नेता सोहन लाल आर्य व अध्यक्ष आनंद प्रकाश आर्य हापुड़ ने जीने की कला पर विचार रखे।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए कहा कि व्यक्ति को कर्म शील और समर्पण भाव से कार्य करना चाहिए।प्रांतीय अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गायिका ललिता धवन, प्रवीना ठक्कर, कमला हंस, कौशल्या अरोड़ा, कृष्णा गांधी, रविन्द्र गुप्ता, जनक अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।