निष्काम सेवा भारत की सामाजिक व्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान का आधारभूत अंग है : प्रो किरण सेठ

राजगीर। स्पिक मेके के संस्थापक पद्मश्री प्रो किरण सेठ भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार हेतु12,500 किलोमीटर साइकिल चलाकर राजगीर पहुंचे हैं। यहां नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को “साइकिल यात्रा, सेवा-भाव और गांधी: और विरासत” विषय पर पद्मश्री प्रोकिरण सेठ द्वारा विशिष्ट व्याख्यान दिया गया है। उन्होंने अपना अनुभव-जन्य ज्ञान को साझा करते हुए महात्मा गांधी के “सादा जीवन , उच्च विचार” के महत्व पर विचार रखा। 40 वर्षों से अधिक समय तक आई आई टी दिल्ली में अध्यापन करने वाले प्रोसेठ का नालंदा में आगमन उनकी साइकिल यात्रा का एक भाग है । उन्होंने यह साइकिल यात्रा 2022 में कश्मीर से आरंभ किया था। अब तक वे 12,500 किलोमीटर से अधिक दूरी साइकिल से यात्रा कर भारत विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर चुके हैं। अपने इस एकल साइकिल यात्रा के दौरान उन्होंने देश भर के सैकड़ों शिक्षण संस्थानों में जाकर लाखों युवाओं को भारत के सांस्कृतिक विरासत की गहराइयों के प्रति जागरूक करने का काम किया है। प्रो सेठ ने नालंदा के छात्रों से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका साइकिल चलाना और उनकी स्वयंसेवा न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि इस प्रकार की गतिविधियां सादगी-पूर्ण जीवन पद्धति को प्रोत्साहित करती हैं। यह आत्म-अन्वेषण के लिए नितांत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “निष्काम सेवा सदैव से भारत की सामाजिक व्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान का आधारभूत अंग है।” उन्होंने युवाओं में अपने विरासत के प्रति आत्म-गौरव और भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति को समृद्ध व संरक्षित करने में गांधीवादी मूल्यों के महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही।
इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने प्रो किरण सेठ द्वारा पिछले 47 वर्षों से भारतीय सांस्कृति की जड़ों से युवाओं को जोड़ने हेतु किए गए प्रयासों को अतुलनीय बताया। उन्होंने ने कहा पद्मश्री प्रो किरण सेठ का स्वागत करना हमारे लिए गर्व की बात है। उनका अनुभव और ज्ञान नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए प्रेरणास्पद है। नालंदा के भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय छात्र इस व्याख्यान से लाभान्वित हुए। प्रो सेठ के व्याख्यान ने उन्हें आंतरिक चिंतन, व्यक्तिगत विकास और सामुदायिक कल्याण की दिशा में पहल करने की प्रेरणा दी। प्रो. सेठ की चर्चा ने छात्रों को आधुनिक जीवनशैली के विकल्पों और उनके जैविक व सांस्कृतिक संरक्षण के अंतर्संबंध की महत्ता की ओर आकर्षित किया।

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