scams in India: आज हम बात करेंगे भारतीय इतिहास में घटित ऐसे स्कैमस कि जिसने भारतीयों के साथ-साथ भारत के अर्थव्यवस्था को भी झकझोड़ दिया। बोफोर्स स्कैम इस मामले में सबसे पहले पायदान पर आता है जिसमें तकरीबन 64 करोड़ रूपये की हेरफेर की गई थी। यह मामला भारत सरकार व स्वीडन के हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1437 करोड़ रुपये के सौदा में हुए गड़बड़ी का है। हालांकि जांच में किसी को भी दोषी नहीं पाया गया। लेकिन इस घटनाक्रम ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया। तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के हाथ से सत्ता फिसल गई,जिसके बाद कांग्रेस अबतक अपने बलबूते सरकार में नहीं आ पाई है।
वहीं चारा घोटाला के नाम से नामित यह घोटाला बिहार में हुआ था। जिसमें लालू प्रसाद यादव समेत राजद के अन्य नेताओं की भागीदारी सामने आई थी।
scams in India: इसके साथ ही देश में हुए कई अन्य घोटाले भी सूचीबद्ध है।
जैसे की आजाद भारत में घटित पहला घोटाला 1948 का जीप स्कैनडल केस। 1950 में घटित हरिदास मुन्धरा घोटाला, जिसमें तकरीबन 12 मीलियन रूपय की हेरफेर की बात सामने आई थी। इसके बाद आता है, नगरवाला केस, जम्मू कश्मीर में हुए रौशनी एक्ट करप्शन, स्टैप पेपर स्कैम, जिसमें तकरीबन 200 मीलियन का घोटाला करने की बात कही गई है, बिहार फ्लड रिलीफ स्कैम, हाऊसिंग लोन स्कैम, और वर्तमान में चर्चित शराब घोटाला। हालांकि भारत में हुए घोटाले पर बात करना शुरू कि जाए तो समय कम पर जायेंगा।
देश में हुए टॉप 10 घोटालों में शामिल
बोफोर्स स्कैम (6.4 करोड़ रूपये), चारा घोटाला (950 करोड़ रूपये) हर्षद मेहता स्कैम (500 करोड़ रूपये) विजय माल्या स्कैम (9000 करोड़) कॉमन वेल्थ गेम्स घोटाला (70,000 करोड़) नीरव मोदी पीएनबी घोटाला, 2जी घोटाला, हवाला स्कैम, कोलगेट स्कैम (1.86 लाख करोड़), अगस्तालैंड स्कैम (360 करोड़)
आजाद भारत में घटित पहला स्कैम: जीप स्कैम
वर्ष 1948 की थी, जब भारत ब्रीटीश शासन से आजाद हो चुका था। लेकिन जाते-जाते उनके ही द्वारा रचित साजीशों के चक्र से मुक्त होने के लिए भारत संघर्ष कर रही थी। अपने ही अंग में खंडित भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था। उस दौरान भारत का रक्षा क्षेत्र युद्ध लड़ने के लिए सक्षम नहीं था।
हिंदुस्तान को हथियार सहित युद्ध जीतने के लिए टैकंर गोले और अन्य उपकरणों की सख्त से सख्त जरूरत थी। साथ ही भारत को तकरीबन 4000 जीपों की भी जरूरत थी। उस दौरान भारत सरकार ने 1000 जीपों का सौदा सुपरपावर अमोरिका को दिया और बाकि जीपों का मसौदा यूके से करने का निर्णय लिया। हालांकि इसके पीछे की क्या वजह थी, वो आज भी हम तलाश रहे हैं।
उस समय भारतीय सरकार के आर्थिक सलाहकार “ऐके चंदा” ने 1500 Re-conditioned जीप 300 पाउंड में ब्रिटेन से मिलने की खबर दी। यहां ध्यान देने वाली बात ये है, कि समान दर पर भारत को नई जीप अमेरिका से मिल रही थी, परंतु भारत ने घाटे का सौदा करते हुए ये डील ब्रिटेन से की। भारत द्वारा 2000 जीपों का मसौदा ब्रिटेन के ANTI-MISTANTIES कंपनी से किया गया। वहीं राशि भुगतान की जो शर्ते रखी गई, उसके मुताबिक 65 प्रतिशत भुगतान जीपों के निरक्षण के बाद होती, बचे हुए 35 प्रतिशत में से 20% की भुगतान जीप के लोडिंग के पश्चात होती और अंतिम के 10% भुगतान सभी जीप भारत पहुंचने पर होती।
हालांकि क्नट्रैक्ट बनने के एक महीने के भीतर ही बिना किसी जांच-पड़ताल के 65% का भुगतान कंपनी को कर दिया गया। उस दौरान वीके कृष्णा मेनन ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त का कार्यभार संभाल रहे थे। मेनन ने डील में हस्तक्षेप करते हुए शर्ते बदल डाली। अब नई शर्त के मुताबिक सभी जीपों के निरक्षण के बजाय केवल 10% जीपों का ही निरक्षण होना था। हालांकि इसके पीछे मेनन का क्या मकसद था, ये अब भी राज ही बना है।
डील के मुताबिक जीप की पहली खेप 9 दिसंबर 1948 तक आ जानी थी। परंतु अबतक एक भी जीप भारत बंदरगाह नहीं पहुंची थी। इसी बीच 26 दिसंबर को वीके कृष्णा मेनन की ओर से भारत सरकार को जानकारी दी गई, कि पूरे 1300 जीप 26 दिसंबर के रात तक समुद्र में अपनी यात्रा शुरु कर देंगे।
जीप की पहली खेप अगले वर्ष मार्च में भारत भूमि पहुंची। जिसमें की केवल 155 जीप ही भारत आई थी। वहीं जांच-पड़ताल से सामने आया कि एक भी जीप मानक पर खड़ी नहीं उतर पाई। इस दौरान भारत सरकार के अन्तरगत आने वाली रक्षा मंत्रालय ने सभी जीपों को लेने से इन्कार कर दिया। वहीं मेनन ने जब दुबारा ANTI-MISTANTES नामक कंपनी से संपर्क साधने कि कोशिश की तो पाया कि ऐसी कोई कंपनी है ही नहीं।
इस घटनाक्रम के बाद वीके कृष्णा मेनन ने जीप का एक और सौदा S.C.K. Agencies से की। S.C.K एजेंसी को 1007 जीप का कॉनट्रैक्ट मेनन द्वारा दिया गया था, जिसमें 68 जीप प्रत्येक मास के हिसाब से भारत आनी थी। वहीं कंपनी द्वारा भारत को हुए 19 लाख के नुकसान की भरपाई भी करनी थी। यह डील भी एक घाटे का सौदा ही दिखता नजर आ रहा था, क्योकिं इसबार जीप की कीमत 300 पांउड से बढ़कर 458 पांउड हो गया था।
इसी बीच एकबार फिर मेनन द्वारा डील में बदलाव लाया गया, जिसके मुताबिक पहले के 6 महीने में प्रत्येक महीने के अंतराल पर 12 जीप भारत पहुंचानी थी। वहीं अगले के 6 महीने में प्रत्येक महीने के अंतराल पर 120 जीप की डिलीवरी भारत में करनी थी। हालांकि कंपनी ने दो वर्ष में केवल 49 जीप की डिलीवरी की, साथ ही भारत सरकार को हुए नुकसान की भरपाई करने से भी मुंह मोड़ लिया।
आजाद भारत को मिली घोटाले की मार
आजाद भारत में हुए पहले घोटाले की बात संसद से लेकर सड़क तक फैल गई। जांच के लिए अय्यनगर कमेटी के नाम से एक कमेटी की गठन की गई, जिनकी रिपोर्ट चौका देने वाली थी। जांच में ये सामने आया कि भारत के आर्थिक सलाहकार ऐके चंदा का जीप के सौदा में कोई भूमिका नहीं थी व डील से सम्बंधित सभी वार्ता मेनन और गुमनाम कंपनी ANTI MISTANTES के बीच हुई थी।
रिपोर्ट में सामने आया कि ANTI MISTANTES की टोटल कैपिटल मात्र 605 पाउंड थी। ऐसी कंपनी को भारत सरकार 80 लाख रूपय का कान्टैक्ट दे देती है। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया कि क्योंकि कंपनी के पास केवल 605 पाउंड की कैपिटल थी, जिसकी वजह से डील के 65% का भुगतान पहले ही कर दिया गया। एक और हैरान कर देने वाली बात यह सामने आई कि जीपों का निरक्षण सौदे के मुताबिक इंडियन इंस्पेक्टर व मेजर्स हंट नाम के इंस्पेक्टर से होना था, जिसे मेनन द्वारा बदलकर किसी अन्य कंपनी को सौंप दिया गया।
हालांकि अंत में जीप के बगैर किसी निरक्षण के कंपनी को 1 लाख 72 हजार पाउंड दे दिया गया। कमेटी की ओर से मेनन पर कंपनी को भुगतान करने का आरोप लगाया गया, साथ ही इस पूरे घटना को एक गंभीर विचलन के तौर पर बताया। बाद में यह मामला PUBLIC ACCOUNT COMMITTEE के पास भेज दी गई।
PUBLIC ACCOUNT COMMITTEE ने अपने रिपोर्ट में इस मामले की जांच हाई कोर्ट के दो जज से करवाने की सिफारिश की। हालांकि 30 सितंबर 1955 को भारत सरकार ने केस बंद कर दिया, साथ ही शंका के घेरे में घिरे वीके मेनन को भी क्लीन चीट मिल गई। इसी के साथ अगले वर्ष 1 अप्रेल को वीके मेनन को कैबिनेट मिनिस्टरी में भी जोड़ लिया गया।
कांग्रेस समय-समय पर घोटालों को लेकर घिरते आई है, चाहे वो राजनीति से जुड़े नेता हो या फिर आम-जन हर कोई यूपीए सरकार के दौरान हुए तमाम घोटालों पर आज भी सवाल करते है। भाजपा नेता नर्सिम्हा रॉव कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस देश में केवल दो सरकार ऐसी है जो कर्पशन फ्री है। पहली अटल जी की सरकार और दूसरी मोदी जी की सरकार।
सन् 1948 में हुआ जीप घोटाला भारत राष्ट्र को तोड़ कर रख दिया था। आजादी के तत् पश्चात् देश में अगर कुछ बची थी, तो वो थी भुखमरी, गरीबी, बीमारी और साथ में देश का दर्दनाक बंटवारा। ऐसे देश को घोटाले की मार देना भारत को और दयनीय अवस्था में डाल दिया था। हालांकि इस घोटाले के पीछे किसका हाथ था, किसने इसे अंजाम दिया, वो आजतक सामने नहीं आ पाया है। मामले की फाईल अपने साथ सच लिए बंद हो चुकी है।